पिछला भाग पढ़े:- गांव से शहर आए दादा जी ने-1
नमस्कार दोस्तों, उम्मीद है अपने पिछले पार्ट को पढ़ लिया होगा। अब तक आपने पढ़ा कि मैं और दादा जी दोनों पार्क मे चुदाई कर रहे थे, और पीछे आ कर गार्ड खड़ा हो गया। अब आगे-
हम दोनों डरे हुए थे और नंगे भी थे। मैं अपने कपड़े उठा कर दादा जी के पीछे खड़ी हो गई, और कपड़े को पहनने लगी। गार्ड हमें दूर खड़ा देख कर हंस रहा था और बोला: वाह बूढ़े, बुढ़ापे में भी इतनी जवान और कड़क माल को पेल रहे हो।
दादा जी: ज़ुबान को संभाल कर बात कर वरना…।
गार्ड: अरे-अरे एक तो चोरी, ऊपर से सीना जोरी। अभी पुलिस बुला लाऊं?
अब तक मैं कपड़े पहन ली थी, और दादा जी भी अपने पजामे के नाडे को बांध रहे थे, और बोले-
दादा जी: तुम्हें जिसे बुलाना है बुलाओ। जरा पुलिस वालों को भी तो पता चले कि तुम लोग पार्क के नाम पर कौन सा धंधा चलाते हो।
गार्ड थोड़ा सा घबराया और बोला: अये बुड्ढे, ज्यादा मत बोल। वरना तेरी इज्जत यही उतार दूंगा।
दादा जी गुस्से में उसके कॉलर पकड़ लिए। गार्ड की सांस अटकने लगी, तब दादा जी ने छोड़ दिया और अपने पॉकेट से ₹1000 निकाल कर उसकी पॉकेट में डाल दिए और बोले: जा ऐश कर! यह तेरे मुंह बंद रखने का ईनाम है। वरना चाहूं तो तुम्हें यहीं काट कर फेंक दूं।
गार्ड थोड़ा डर गया और बोला: ठीक है ठीक है, जाओ, आज छोड़ रहा हूं।
दादा जी मेरे कमर में हाथ डाले, और साथ में बाहर चले आए। अंधेरा होने लगा था। हम दोनों जल्दी ही घर आ गए। घर आने पर दादा जी अपने कमरे में आराम करने लगे, और मैं मम्मी के पास चली गई।
मम्मी: कहां रह गई थी। इतनी देर घूमने में? इतना समय लगता है क्या?
मैं: ओ मम्मी, दादा जी को पार्क में बैठना बड़ा अच्छा लग रहा था। तो वहीं थोड़ी लेट हो गयी।
मम्मी: अच्छा ठीक है, यह चाय ले जाओ, और दादा जी को देदो।
मैं: मम्मी, मैं थोड़ी थक गई हूं। जा रही हूं आराम करने। आप ही ले जाकर दादा जी को चाय देदो ना।
मम्मी: अच्छा ठीक है, जाओ आराम करो।
मम्मी आज पिंक कलर की साड़ी पहनी हुई थी, और उसी का मैचिंग ब्लाउज पहनी थी। मम्मी की खूबसूरती आज देखने लायक थी। थोड़ी देर में पापा भी आ गए। वह अपने ड्रेस उतार कर फ्रेश हुए, और दादा जी के साथ बैठ कर चाय पीने लगे, और बात करने लगे। दादा जी कुछ काम से शहर आए हुए थे, तो वह काम पापा को बता दिए और पापा बोले कि, “आप चिंता मत कीजिए, जल्दी काम हो जाएगा।”
मम्मी इधर-उधर का काम कर रही थी, और वह अपनी पायल छनकाती हुई कभी आंगन में जाती, तो कभी किचन में, तो कभी रूम में। दादा जी बार-बार मम्मी के पायलों की आवाज सुन कर उसी तरफ देखने लगते, और जब मम्मी दिख जाती, तो वह बड़े गौर से मम्मी की खूबसूरती को निहारने लगते।
रात के खाने के लिए सभी लोग एक साथ टेबल पर बैठे। मम्मी सभी को खाना खिला रही थी। मम्मी अपने सर पर पल्लू रखे दादा जी को खाना परोस रही थी, और दादा जी मम्मी के चेहरे को बड़े गौर से देख रहे थे। पापा बेचारे चुप-चाप खाने में व्यस्त थे। मम्मी जब दादा जी को खाना देकर चली गई। उसके बाद दादा जी चुप-चाप खाने लगे, और अपना पैरों की हरकत शुरु कर दिए। वह अपने पैर से मेरे कोमल पैर को मसलने लगे। दादा जी की हरकत से मुझे थोड़ी अजीब लगने लगा। मैं जल्दी से खाना खत्म की और अपने कमरे में जाने लगी।
लगभग 2 घंटे बाद मेरे कमरे में कोई आया। मैं पलट कर देखी तो वह दादा जी थे। मैं चुप-चाप बेड पर लेटी रही, और दादा जी दरवाजा बंद करके मेरे पास आकर लेट गए। वह मुझे अपनी बाहों में भर लिए, और मेरी गर्दन को चूमने लगे। मेरी आंखें बंद हो गई, और वह अपने हाथ को मेरे चूचियों पर ले जाकर मसलते हुए मेरे गाल और होंठों को चूमने लगे। उनका पैर लगातार मेरे जांघों को रगड़ रहा था। उनका लंड मेरे गांड में घुसने की कोशिश कर रहा था।
दादा जी मेरे होठों को चूसने लगे, और मेरे पैंट को सरका कर खोल दिया। मैं नीचे पैंटी नहीं पहनी हुई थी। मेरी चूत उनके सामने आ गई, और वह अपने बड़ी वाली उंगली से मेरी चूत को चोदने लगे।
वह मेरी चूत में उंगली करते हुए मेरी शर्ट को ऊपर उठाये, और बाहर निकाल दिये। मैं अंदर ब्रा नहीं पहनी हुई थी, और अब उनके सामने पूरी तरह से नंगी थी। वह मेरी चूचियों को मुंह में लेकर चूसने लगे, और एक उंगली से मेरी चूत को चोद रहे थे। वह अपने मुंह से ढेर सारा थूक लिए, और मेरी चूत पर लगा कर मेरी टांगों के बीच में आए। फिर अपने लंड को मेरे चूत में पेल दिया।
मैं: हहाआएई… दादा जी… माररर… गयी… आआआहहहहह…
वह मेरे चूचियों को सहलाने लगे, और चूत में धीरे-धीरे धक्के लगाने लगे। मैं उनके नीचे दबी हुई उनके पीठ सहला रही थी, और वह मेरी चूत चोद रहे थे। दादा जी ने मुझे उल्टा लिटाया, और पीछे से मेरी चूत में लंड डाल कर जोर-जोर से चोदने लगे और मेरी गाल को चूमने लगे।
वह इतनी जोर-जोर से चोदने लगे, कि मुझे तकलीफ होने लगी। मैं छटपटाने लगी, पर वह कुछ नहीं सुन रहे थे, और जोर-जोर से मेरी चूत में अपना लंड पेल रहे थे। मैं दादा जी को रुकने के लिए रिक्वेस्ट करने लगी। तब जाकर वह रुके और मेरे गाल को चूमते हुए बोले-
दादा जी: पिंकी बिटिया, यह लंड हर कोई नहीं झेल सकता। यह लंड कोई औरत ही झेल सकती है, जैसे तुम्हारी मां संध्या।
मां का नाम दादा जी के मुंह से सुन कर मैं चौंक उठी। मैं दादा जी से बोली: दादा जी थोड़ा आराम-आराम से करो ना। मुझे बहुत तकलीफ हो रही है।
दादा जी: धीरे-धीरे चोदने से मेरे लंड की प्यास नहीं बुझेगी बिटिया। मेरे लंड की प्यास तो कोई जवान औरत ही बुझा सकती है। क्या तुम्हारी मां संध्या कभी किसी और मर्द से चुदी है?
मैं अपनी मां के बारे में दादा जी से सुन कर थोड़ा अचंभित थी, और गुस्सा भी आ रहा था। मैं अपने आप को शांत रख कर बोली: नहीं दादा जी। मेरी मम्मी कभी किसी और के साथ सेक्स नहीं की है। वह केवल पापा के साथ करती है।
दादा जी का लंड अभी भी मेरे चूत में था। पर दादा जी ने इतनी जोर से चोद दिए थे कि अभी तक चूत लहर रही थी।
दादा जी: मैं अभी तुम्हारी मम्मी की तुम्हारे पापा से चुदाई देख कर आ रहा हूं। तुम्हारी मम्मी की फूली हुई चूत बिल्कुल मालपुआ जैसी लग रही थी। वही चूत तो मेरे लंड की प्यास बुझा सकती है। तुम्हारी मम्मी का बदन एक-दम गदराया हुआ है। तुम अभी उसके सामने बच्ची हो।
दादा जी, मुझे इस तरह बोल रहे थे, तो बहुत तकलीफ हो रही थी, और मैं अपने आप को किसी तरह शांत की हुई थी। दादा जी ने अपने लंड को मेरे चूत से बाहर निकाले, और कपड़े ठीक करके बाहर चले गए। मैं वही लेटे हुए सोचने लगी कि क्या मम्मी दादी जी से चुद जाएगी?
मैं उठ कर अपने कमरे कि दरवाजा बंद कर दी। दादा जी अभी भी सोफे पर बैठे हुए थे। मैं खिड़की से उन्हें देख सकती थी। दादा जी शायद मम्मी की चूत के बारे में सोच रहे थे। वह मम्मी और पापा की चुदाई देख कर गर्म हो गए थे। मेरी चूत उनके लंड की गर्मी शांत ना कर पाई। मैं चुप-चाप कमरे में बैठ कर खिड़की से उन्हें देखती रही, कि तभी मम्मी का दरवाजा खुला, और मम्मी कमरे से बाहर निकली। वह जैसे ही दादा जी को देखी, अपनी साड़ी के पल्लू को सर पर रख ली, और गेट को सटा करके किचन में जाने लगी। दादा जी धीरे से मम्मी को बोले-
दादा जी: बहु जरा पानी लेकर आना।
मम्मी बिना कुछ बोले किचन से पानी की बोतल लेकर आई और दादा जी को देदी।
दादा जी: बहु राजेश सो गया क्या?
(राजेश मेरे पापा।)
मम्मी: हां बाबू जी, वह तो कब के सो गए।
दादा जी: आओ बैठो ना बहू। तुम भी तो प्यासी होगी। मेरा मतलब है तुम भी तो पानी पीने के लिए ही उठी होगी।
मम्मी हिचकिचाते हुए उनके बगल के सोफे पर बैठ गई। दादा जी बोतल के पानी को मम्मी को पकड़ा दिए, और बोले: पी लो बहु।
मम्मी दादा जी के हाथ से बोतल ले ली। बॉटल लेते वक्त दादा जी ने मम्मी के हाथ को सहला दिया। मम्मी अपना सर उठा कर ऊपर से बोतल का पानी मुंह में डालने लगी। बोतल का कुछ पानी मुंह में जाता और कुछ पानी मम्मी के सीने पर गिरता। दादा जी बड़े गौर से मम्मी की खूबसूरती को देख रहे थे। मम्मी का ब्लाउज भीग रहा था।
मम्मी पानी पीकर सोफे से उठ कर जाने लगी, तभी दादा जी ने मम्मी का हाथ पकड़ लिया, और उन्हें अपने बाहों में घेर लिया। मम्मी घबरा गई कि यह क्या हुआ। वह दादा जी से बोली: बाबू जी छोड़िए, कोई देख लेगा। यह क्या कर रहे हो आप? मैं आपकी बेटी की तरह बहू हूं। मम्मी उनके बाहों में कसमसा रही थी।
दादा जी: बहु तुम्हारी खूबसूरती करोड़ों में एक है। तुम इसे ऐसे ही बर्बाद मत करो। मैं तुम्हें भरपूर प्यार दूंगा। बस तुम एक मौका तो दो मुझे।
मम्मी घबराती हुई बोली: बाबू जी प्लीज छोड़ दो। मैं कुछ नहीं चाहती आपसे। मैं अपने पति से खुश हूं।
दादा जी: बहु एक बार फिर सोच लो। यह मौका बार-बार हाथ नहीं आएगा। मैं आज तुम दोनों को संबंध बनाते देख रहा था। तुम्हारी कसी हुई जवान को मेरा बेटा अच्छे से निचोड़ नहीं पा रहा है। यदि तुम मुझे मौका दो तो मैं तुम्हें भरपूर जवानी का एहसास करा सकता हूं, सोच लो बहू।
मम्मी सोचने लगी। परंतु इससे पहले की मम्मी कुछ सोचती दादा जी ने मम्मी के नंगी पीठ और गर्दन को चूमना शुरू कर दिया। मम्मी की आंखें बंद होने लगी, और वह दादा जी की बाहों में कसमसाने लगी।
दादा जी का लंड मम्मी की गांड में सटा हुआ था, और दादा जी के हाथ मम्मी के नंगे गदराए पेट पर चल रहा थे, और उनके होंठ मम्मी की गर्दन से लेकर गाल तक घूम रहे थे।
मम्मी अब विरोध करना कम कर दी। दादा जी ने मम्मी को सोफे पर लेटाया, और उनके ऊपर चढ़ कर गर्दन गाल और होंठ को चूमने लगे। मम्मी का बदन दादा जी के बदन के नीचे दबी हुई था, और मम्मी उनकी पीठ को सहलाने लगी थी।
दादा जी मम्मी की चूचियों पर हाथ फेरने लगे। मम्मी की मोटी-मोटी चूचियां दादा जी के हथेली में आ रही थी, और वह बड़े निर्दयी तरीके से दबा रहे थे। मम्मी के मुंह से आअह्ह्ह निकल रही थी।
दादा जी ने मम्मी को नंगी करना शुरू किया, तो मम्मी ने उनका हाथ पकड़ कर बोली: बाबू जी यहां नहीं, कमरे में चलते हैं।
दादा जी ने मम्मी के होंठ पर किस्स किया और मम्मी को गोद में उठा कर अपने कमरे में ले गए, और दरवाजा बंद कर दिया। मैं अपने कमरे से बाहर निकली, और दादा जी के कमरे में की-होल से अंदर झांकने लगी। अंदर का नजारा बिल्कुल साफ नज़र आ रहा था। मम्मी अभी बेड पर खड़ी थी, और दादा जी उनको बाहों में पकड़ के उनके होंठ का रसपान कर रहे थे।
मम्मी पिंक साड़ी और खुले बाल में बहुत ही सुंदर लग रही थी। दादा जी ने धीरे-धीरे मम्मी के साड़ी को उतार दिया, और पेटिकोट का नाडा खोल कर पेटीकोट भी उतार दिया। फिर ब्लाउज को पीछे से खोलें और निकाल दिया। मम्मी उनके सामने ब्लैक कलर की पेटी और ब्रा में खड़ी थी। दादा जी उनके पूरे बदन को चूमने लगे।
मम्मी उनके बालों को सहलाती हुई अपने पूरे बदन को चटवा रही थी। दादा जी ने अपने कपड़े निकाले और पूरी तरह से नंगे हो गए। वो अपने लंड को मम्मी के मुंह के पास ले गए, और उनके मुंह में डाल दिए। मम्मी बड़ा लंड देख कर दोनों हाथों से पकड़ ली। उनकी आंखों में एक अजीब चमक थी। वह बहुत खुश लग रही थी।
वो दादा जी के लंड को मुंह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। काफी देर तक मम्मी दादा जी के लंड को चूसती रही। उसके बाद दादा जी ने मम्मी को बिस्तर पर लिटा दिया। मम्मी की पैंटी और ब्रा निकाल कर उन्हें पूरी तरह से नंगी कर दिया। मम्मी की बड़ी-बड़ी मदमस्त चूचियों को हाथों से मसलते हुए मम्मी के टांगों के बीच में आए, और उनकी फुली हुई चूत को बड़े ध्यान से देखने लगे।
दादा जी के सपनों की चूत आज उनके सामने थी। वह अपने हाथों से दोनों पंखुड़ियों को अलग किए और अंदर जीभ डाल कर चूसने लगे। मम्मी की तो जैसे प्राण निकलने लगी। वह दादा जी के सर को अपनी चूत में दबाने लगी, और अपनी चूचियों को खुद मसलने लगी। दादा जी मम्मी के चूत की रस को बड़े अच्छे से चूस रहे थे। आआआहहहहह… उह्ह्ह..
दादा जी अब मम्मी के ऊपर आए, और अपने लंड को उनकी खुली हुई चूत पर सेट करके धक्का मार दिए। मम्मी के मुंह से एक तेज आवाज निकल गई, तो दादा जी ने उनके मुंह को दबा दिया, और लंड को एक और झटका मार के पूरी तरह से अंदर घुसा दिए। आअह्ह्ह…. दादा जी मम्मी के चूचियों को मसलते हुए बड़े प्यार से मम्मी को चोदने लगे। दादा जी को उनके सपनों की रानी मिल गई थी। वह मम्मी के हर अंग को चूमते हुए उनकी चूत चोद रहे थे। दादा जी पागलों की तरह मम्मी के चूत में लंड के तेज झटके मारने लगे। वह लोग भूल गए कि अगल-बगल और लोग भी थे। मम्मी जोर-जोर से आहे भरने लगी आआहहह… बाबू जी… आअह्ह्ह… चोदो… ऊऊह्ह्ह्ह…।
मम्मी की फूली हुई चूत पानी छोड़ने लगी थी, और कमरे से फच-फच की आवाज आने लगी थी। मम्मी के पैरों की पायल सुरीली आवाज में छन-छन बज रही थी। दादा जी मम्मी को अलग-अलग पोजीशन में बड़ी जोर-जोर से चोद रहे थे। मेरी चूत पानी-पानी हो रही थी।
तभी किसी ने पीछे से मुझे पुकारा: यहां क्या देख रही हो?
यह आवाज मेरे पापा की थी। मेरी तो फट गई थी। पापा मेरे पीछे खड़े थे, और मैं उन्हें सहमी हुई देख रही थी। पापा फिर से बड़े धीमे स्वर में मुझसे पूछे: इतनी रात को यहां क्या देख रही हो बेटा?
मेरे मुंह से कोई आवाज ही नहीं निकल रही थी। मैं साइड में खड़ी हुई कांप रही थी। तभी पापा ने खुद अंदर देखने की कोशिश करने लगे। मैं डर रही थी कि अंदर यदि पापा ने दादा जी और मम्मी को चुदाई करते हुए देख लिए तब क्या होगा? मैं इन्हें रोकना चाहती थी, पर मेरी कदम आगे बढ़े ही नहीं। मैं चुप-चाप देखती रह गई, और पापा की होल से अंदर का नजारा देखने लगे।
कुछ देर तक पापा अंदर देखते रहे अंदर से उन दोनों की चुदाई की मादक आवाज आती रही। पापा देख कर सीधे खड़े हुए। उनका चेहरा पूरी तरीके से लाल हो चुका था। वह आग बबूला हो उठे। उन्होंने मेरी ओर देखा। ऐसा लगा जैसे अपनी आंखों से अंगार बरसा कर मुझे भस्म कर देंगे। वे बिना मुझे कुछ कहे अपने कमरे में चले गए। मैं चुप-चाप अभी भी वहीं खड़ी सोच रही थी कि अब क्या होगा? मैं कुछ सोच ही नहीं पा रही थी कि क्या करूं? हे! भगवान मेरे घर की रक्षा करो।
शेष अगले भाग में।
अगला भाग पढ़े:- गांव से शहर आए दादा जी ने-3