मेरे बापू ने मेरी सहेली की सील तोड़ी-1

हेलो, मेरा नाम कंचन है, मैं अभी 34 साल की हूं। मेरा रंग गोरा, छरहरा बदन, और चिकनी कमर है, जिस पर आज भी मोहल्ले के लोगों की नज़र पड़ते ही मुंह और ना जाने कहां-कहां से पानी निकलने लगता है।

मेरे परिवार में अभी मेरा बेटा 14 साल और बेटी 10 साल की है। पति काम काज से बाहर ही रहते है। मैं घर पे रह के बच्चों को पढ़ाती हूं। यह कहानी तब की है, जब मैं 19 की हुई थी। उस समय मेरी शादी नहीं हुई थी। हम दो सहेलियां हुआ करती थी, मैं कंचन और मेरी सहेली माया। हम दोनों सहेलियां अभी नई-नई जवानी में प्रवेश किए थे।

मेरे घर में मेरी मां, मेरे बापू, और मैं, और मेरा एक छोटा भाई था। माया के घर में माया के बड़े भैया, और माया, और उसके मम्मी-पापा थे। मेरी मम्मी का नाम सविता और मेरे बापू का नाम ललन सिंह है। मेरा बापू खेती करते हैं, और दिखने में पहलवान जैसे शरीर हैं। बापू की उम्र उस वक्त 50 के आस-पास होगी। पहलवान जैसा शरीर और चेहरे पर एक कड़कदार मूंछ थी।

माया के बापू और मेरे बापू दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे। दोनों मिल कर खेती करते थे। हम दोनों सहेलियां जब पढ़ कर वापस आती थी, तो बापू के खेतों में हाथ बंटाने के लिए चली जाती थी। बापू हम दोनों सहेलियों को मना करते थे, कि तुम लोग यहां मत आया करो, मैं सब काम खुद कर लूंगा। परंतु हम दोनों सहेलियां कहां मानने वाले थे‌। बापू‌ के साथ ही हम लोग काम करते और खूब मजाक मस्ती भी करते थे?