मां बेटे की चुदाई – एक मनोचिकित्सक की ज़ुबानी-5

पिछला भाग पढ़े:- मां बेटे की चुदाई – एक मनोचिकित्सक की ज़ुबानी-4

जब असलम अट्ठारह साल का हुआ तो नसरीन के शौहर बशीर की दिल के दौरे से इंतकाल हो गया। नसरीन की कहानी जारी थी।

नसरीन बता रही थी, “बशीर के मौत ने मुझे और असलम को तोड़ कर रख दिया। वक़्त के साथ असलम ने बड़ी हिम्मत से काम लिया और और अपने आप को संभाल लिया। मगर मैं अपने को नहीं संभाल सकी।”

“मुझे बशीर के साथ गुजारा वक़्त याद आता – बशीर की चुदाई याद आती। वो रातें याद आती जब बशीर और मैं वो चुदाई कि फ़िल्में देखते हुए चुदाई करते थे। वो वक़्त याद आते ही मेरी चूत पानी छोड़ देती और मेरा चुदाई का मन होने लगता। लेकिन अब हालात ऐसे बन चुके थे कि लंड तो था नहीं, उंगली भी चूत में लेने का मन नहीं करता था।”