पिछला भाग पढ़े:- भोली रानी की सुहागरात-5
अब तक को सेक्स कहानी में आपने पढ़ा कि गांड में लंड जाने से मेरी बीवी तड़प उठी। फिर उसकी भाभी ने उसको समझाया, और कमरे में भेज दिया। वो कमरे में चली गई, और मैं अभी भाभी के साथ ही था। अब आगे
रात के 12 बज रहे थे। भाभी मुस्कुराते हुए मुझसे कहने लगी: नंदोई जी, आपका औजार तो वाकयी बहुत ही बड़ा है और शानदार भी है। मैंने आज तक अपनी जिन्दगी में ऐसा औजार कभी नहीं देखा था। मेरा मन इसे हाथ में पकड़ कर देखने को कह रहा है। क्या मैं देख लूँ?
मैंने कहा: भाभी, आप ये क्या कह रही हो?
वो बोली: रानी के भैया को गुजरे हुए 8 साल हो गए। आखिर मैं भी तो औरत हूँ और जवान भी हूँ। मेरा मन भी कभी-कभी इधर-उधर होने लगता है। आप तो मेरे नंदोई हो। हर औरत मजबूत मर्द और मजबूत औजार को पसंद करती है। मुझे भी आप काफ़ी पसंद थे, इसलिए मैंने रानी की शादी आप से करवाई। और अब तो आपका औजार देख के लगता है कि मैंने सही किया कि रानी की शादी आप से करवाई। आपका औजार बहुत ही अच्छा लग रहा है। अगर मैं आप से चुदाई करवाती हूँ, तो मेरी भी इच्छा पूरी हो जाएगी और किसी को कुछ पता भी नहीं चलेगा।
इतना कह कर उन्होंने मेरा लंड पकड़ लिया और सहलाने लगी। मैं भी आखिर मर्द ही था, और चुदाई करने के लिए तड़प भी रहा था। मुझे भाभी का लंड सहलाना बहुत अच्छा लगने लगा। इसलिए मैं कुछ नहीं बोला, और उनके हाथो का स्पर्श पा कर आँखें बाद करके मज़े लेने लगा। थोड़ी देर तक मेरा लंड सहलाने के बाद भाभी बहुत ही प्यार भरे शब्दो मैं बोली-
भाभी: आपने अभी तक सुहागरात का मज़ा भी नहीं लिया है और मैं समझती हूँ कि आप भी एक-दम भूखे होंगे। क्या आप मेरी इच्छा पूरी नही करोगे? वैसे भी हर मर्द को प्यार और प्यारे से चुदाई करवाने के लिए एक औरत की ज़रूरत होती है। और खास कर वो मर्द जो चुदाई करने के लिए तड़प रहा हो।
तो मैंने भी भाभी से कहा: अगर आप कहती हो, तो भला मैं कैसे मना कर सकता हूँ। आखिर मैं भी तो मर्द हूँ और मेरे और रानी के सिवाए आपका इस दुनिया में और कौन है?
भाभी बोली: फिर आप यहीं रुको, मैं अभी आती हूँ।
इतना कह कर भाभी रानी के पास चली गई। उन्होंने रानी से कहा: अब तुम सो जाओ, रात बहुत हो चुकी है। मैं नंदोई ज़ी को सब कुछ समझा दूंगी। उसके बाद मैं उन्हे तुम्हारे पास भेज दूंगी। मैं बाहर से दरवाज़ा बंद कर देती हूँ।
रानी बोली: ठीक है, दीदी।
भाभी रानी के कमरे से बाहर आ गई और उन्होंने रानी के कमरे का दरवाज़ा बाहर से बंद कर दिया। उसके बाद वो मुझे अपने कमरे में ले गई। मेरे बदन पर कुछ भी नहीं था। लुंगी तो मैंने पहले ही उतार दी थी।
भाभी के कमरे में पहुंचते ही भाभी ने कहा: नंदोई जी, आपने अपना औजार इतने दिनों तक कहां छुपा रखा था। बड़ा ही मस्त औजार है आपका।
मैंने कहा: मैंने कहा छुपाया था, यहीं तो था आपके पास।
वो बोली: मेरे पास आइए ना।
मैं उनके नज़दीक चला गया। उन्होंने मेरा लंड पकड़ लिया और सहलाने लगी। भाभी मेरे चौड़े और मजबूत सीने पर अपना एक हाथ रखते हुए और दूसरा मेरे लंड पर रखते हुए उसे सहलाते हुए कहने लगी-
भाभी: मैंने आज तक ऐसा औजार कभी नहीं देखा था। हर औरत अच्छा औजार पसंद करती है। मुझे तो तुम्हारा औजार बहुत पसंद आ गया है। आज मैं आपसे चुद ही जाती हूँ। आपसे चुदने में मुझे बहुत मज़ा आएगा। लेकिन जैसे आपने रानी के साथ किया था, उस तरह मेरे साथ मत करना। नहीं तो मुझे भी बहुत तकलीफ़ होगी और मेरे मुँह से भी चीख निकल जाएगी। रानी पास के ही कमरे में है, तुम इसका ख्याल रखना।
मैंने कहा: ठीक है भाभी।
थोड़ी देर तक भाभी मेरा लंड सहलाती रही। उसके बाद उन्होंने भी अपने कपड़े उतार दिए और एक-दम नंगी हो गई। भाभी भी बहुत ही खूबसूरत थी।
भाभी बेड पर चित लेट गई और बोली: अब थोड़ा सा तेल अपने लंड पर लगा लीजिये और मेरे उपर आजाईये।
मैंने कहा: क्या भाभी, आपने तो रानी के भैया से बहुत बार चुदवाया है। आप मुझसे तेल लगाने को क्यों कह रही हैं? बिना तेल के ज्यादा मज़ा आएगा।
वो बोली: फिर देर किस बात की, आजाईये।
मैं भाभी के पैरों के बीच आ गया।
भाभी ने कहा: आराम से घुसाना, जल्दी मत करना। जब मैं रोकूं, तो रुक जाना।
मैंने लंड हिलाते हुए भाभी की चूत को देखा और कहा: ठीक है।
वो बोली: नंदोई ज़ी, अब धीरे-धीरे अन्दर घुसाओ।
मैंने अपने लंड का सुपारा भाभी की चूत के मुँह पर रख दिया और धीरे-धीरे अपना लंड भाभी की चूत में घुसाने लगा। जैसे ही मेरे लंड का सुपारा भाभी की चूत में घुसा, तो उनके मुँह से आह निकल गई। उनकी चूत मुझे कुछ ज्यादा ही टाईट लग रही थी। मेरा लंड आसानी से घुस नहीं पा रहा था। मैं जोर लगा कर धीरे-धीरे अपना लंड भाभी की चूत में घुसेड़ने लगा। भाभी आहें भरने लगी।
जब मेरा लंड 5″ इंच तक अन्दर घुस गया, तो दर्द के मारे भाभी का बुरा हाल होने लगा। लेकिन उन्होंने मुझे रोका नहीं। उन्होंने अपने होंठों को जोर से जकड़ लिया था। मैं जोर लगाता रहा।
जब मेरा लंड भाभी की चूत में 6 इंच तक घुस गया, तो वो बोली: अब रुक जाओ।
मैं रुक गया।
भाभी बोली: बहुत दर्द हो रहा है। आपका औजार बहुत मोटा है, अब मुझसे बर्दाश्त करना मुश्किल है। अभी कितना बाकी है?
मैंने कहा: अभी तो तीन इंच बाकी है।
भाभी बोली: अब और ज्यादा अन्दर मत घुसाना। इतने से ही धीरे-धीरे चुदाई करना शुरू कर दीजिए।
मैंने धीरे-धीरे भाभी की चुदाई शुरू कर दी। उनकी चूत ने मेरे लंड को बुरी तरह से जकड़ रखा था। वो आहें भरती रहीं। मुझे भी भाभी को चोदने में खूब मज़ा आ रहा था। पांच मिनट की चुदाई के बाद भाभी झड़ गई। उन्होंने बहुत दिनों से चुदवाया नहीं था, इसलिए उनकी चूत से ढेर सारा रस निकला। उनकी चूत और मेरा लंड एक-दम गीले हो गए।
अब उन्होंने कहा: अब धीरे-धीरे बाकी का भी अन्दर घुसा दो।
मैंने इस बार थोड़ा ज्यादा ही जोर लगा दिया, तो वो अपने आपको रोक नहीं सकी। उनके मुँह चीख निकल ही गई। लेकिन भाभी ने तुरंत ही खुद को सम्भाल लिया। मैंने इस बार एक धक्का लगा दिया।
तो भाभी दर्द के मारे तड़पने लगी और बोली: अब कितना बचा है?
मैंने कहा: बस एक इंच।
वो बोली: अब चोदो मुझे, बाकी का चुदाई करते समय घुसा देना।
मैंने भाभी की चुदाई शुरू कर दी। मुझे खूब मज़ा आ रहा था। भाभी दर्द के मारे आहें भर रही थी। जैसे-जैसे समय गुजरता गया, वो शांत होती चली गई। अब उन्हें भी लंड लेने में मज़ा आने लगा था। तभी मैंने एक धक्का लगा कर बाकी का लंड भी उनकी चूत में घुसा दिया।
वो चीख उठीं और बोली: आह, पूरा घुस गया?
मैंने कहा: हां।
वो बोली: अब जोर-जोर से चोदो। आप तो गांव में कुश्ती लड़ा करते थे ना, और जिम भी जाते हो?
मैंने कहा: हां।
वो बोली: अब आप मेरी चूत के साथ कुश्ती लड़ो। मेरी चूत को अपने लंड का दुश्मन समझ लो और मेरी चूत पर अपने लंड से खूब जोर-जोर से वार करो। फाड़ देना आज इसको।
मैंने कहा: अगर फाड़ दूंगा, तो बाद में मज़ा कैसे आएगा?
वो बोली: आप इसका मतलब नहीं समझे। मैं सचमुच में फाड़ने को थोड़े ही कह रही हूँ। बस आप तो अपनी पूरी ताकत से मेरी चूत का बैंड बजा दो।
अब मैंने बहुत ही जोर-जोर के धक्के लगाते हुए भाभी को चोदना शुरू कर दिया। भाभी तो बहुत ही सेक्सी माल निकली। वो हर धक्के के साथ अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर मुझसे चुदवा रही थी। पूरा बेड जोर-जोर से हिल रहा था। कमरे में धप-धप की आवाज हो रही थी। उनकी चूत से भी चप-चप की आवाज निकल रही थी।
मैं भी पूरे जोश में लगा था और वो भी पूरी ताकत से चूत चुदवाने का मजा ले रही थी। कोई पांच मिनट की चुदाई के बाद वो फिर से झड़ गई, लेकिन मैं नहीं रुका। मैं खूब जोर-जोर के धक्के लगते हुए उनकी चुदाई कर रहा था। वो पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी और अपनी चूचियों को अपने हाथों से मसल रही थी।
थोड़ी देर की चुदाई के बाद मैं झड़ गया। भाभी भी मेरे साथ ही साथ फिर से झड़ गई। मैंने अपना लंड उनकी चूत से बाहर निकाला, तो मेरे लंड पर खून भी लगा हुआ था।
भाभी ने कहा: देख ली आपने अपने लंड की करतूत? इसने मुझ जैसी चुदी चुदाई औरत की चूत से भी खून निकाल दिया।
उन्होंने मेरे लंड को कपड़े से साफ़ कर दिया। उसके बाद मैं उनके बगल में लेट गया। वो मेरे होंठों को चूमने लगी।
भाभी बोली: नंदोई जी, आज तो तुमने मुझे ऐसा मज़ा दिया है कि मैं क्या बताऊं। ऐसा मज़ा तो मुझे आज तक कभी नहीं मिला।
मैंने कहा: मैं रानी का क्या करूं?
वो बोली: मैंने रानी के भैया से इतने सालों तक चुदवाया था। फिर भी मुझे आपका लंड अपनी चूत के अन्दर लेने में बहुत तकलीफ़ हुई। फिर रानी तो अभी बहुत छोटी है। जरा सोचिए कि उसे कितनी तकलीफ़ होती होगी।
कहानी जारी है।
अगला भाग पढ़े:- भोली रानी की सुहागरात-7