मैं उसे स्माइल करके देख रही थी। वह मुझे दूर से ही घूरे जा रहा था। जब मैं दुकान पर पहुंची तब उसने मुझसे पूछा-
आशु: जी मैडम बोलिए, आप जैसी खूबसूरत लड़कियों के लिए मैं कौन सी किताब दे दूं?
उसकी लाइन मारने वाली अंदाज़ ने मेरा मन मोह लिया था। मैं उसकी तरफ देखते हुए बस मुस्कुरा रही थी। फिर उसने मुझे देखते हुए बोला-
आशु: अरे मैडम लगता है आप किसी विशेष पुस्तक को खोज रही है। इसलिए कुछ बोल नहीं पा रही है। आप बस बता दीजिए कि आपको कौन सा किताब पसंद है? लव या रोमांस, या ड्रामा। मैं आपके लिए निकाल देता हूं।
मैं उसकी तरफ मुस्कुरा कर देखते हुए थोड़ी गहरी सांस लेकर बोली-
मैं: यहां पर जो चाचा बैठते थे, वह अब दुकान पर नहीं रहते हैं क्या?
वह मुझे हैरान होकर देखते ही रह गया और मुझसे पूछा-
आशु: पापा तो 2 साल से दुकान पर नहीं रह रहे हैं। मैं ही दुकान चलाता हूं। आप पापा को कैसे जानती हो?
मैं मुस्कुराते हुए बोली-
मैं: अरे बुद्धू, तुम मुझे भूल गए। मैं तुम्हारी सुनीता दीदी। जब मैं स्कूल जाती थी तब तुम्हें कविता सुनाया करती थी।
वह मेरी बात सुनते ही मुझे पहचान लिया और मेरे हाथों को अपने हाथों में थाम कर बोला-
आश: ओह दीदी, तभी कहूं आपका चेहरा जाना-पहचाना सा क्यों लग रहा है। आप तो मुझे भूल ही गई थी। कितने सालों बाद यहां आई हो। मुझे लगा कि अब आप कभी नहीं वापस आओगी?
और आशु यह सब बोलते हुए दुकान से बाहर आया, और मुझसे लिपट गया। मेरा बेटा मेरी गोद में ही था। आंसू ने अपनी भुजाओं में मेरी कोमल बदन को समेट लिया था। फिर मैं उसके बालों को सहलाई, तब उसने मुझे छोड़ा, और अपनी दुकान के अंदर मुझे बैठाया। फिर मेरे बेटे को अपने गोद में लेकर खेलाने लगा।
फिर हम दोनों के बीच पुरानी बातों का चिट्ठा खुलने लगा, और हम दोनों खूब मजे से बैठ कर घंटा बात किये। उसके बाद मैं आशु से बोली कि, “मुझे किताब पढ़नी है।” तो वहीं एक पास में किताब रखी हुई थी मैंने वह उठा ली। फिर आशु ने मुझे वह किताब छीनते बोला कि, “यह किताब आप मत पढ़ो, आपके पढ़ने लायक नहीं है।”
फिर मैंने उससे बोली कि, “मैं यह किताब क्यों नहीं पढ़ सकती?”
तब आशु ने मुझसे बोला कि, “इसमें थोड़ी रोमांस ज्यादा है। आप मत पढ़ो। आपके लिए मैं कोई अच्छी सी साहित्य की किताब देता हूं।”
पर मैं भी उससे जिद करने लगी कि, “मुझे यही किताब पढ़नी है।”
फिर उसने मुझसे बोला कि, “ठीक है, आप यह किताब ले जाओ। पर आपको इसकी एक कीमत देनी होगी।”
मैंने उसे कीमत पूछी तो उसने बोला कि, “आपको मेरे साथ कॉफी पीना होगा।”
तो मैं उसकी बातों पर हंसने लगी। फिर हम दोनों कॉफी शॉप चले आए। उसने दुकान को बंद कर दिया। कॉफी शॉप के दुकान पर उस दिन कोई नहीं था। हम दोनों एक कोने में बैठ कर बातें करने लगे। मेरा बेटा भी वहीं बैठ कर खेलने लगा। उसके लिए एक चॉकलेट उसने ला दी, और फिर हम दोनों कॉफी पीते हुए एक-दूसरे से बातें करने लगे। आशु बातें करते हुए मुझसे टच हो रहा था, और बार-बार मुझे देख रहा था बड़े गौर से।
मैं भी उसकी तरफ आकर्षित हो रही थी, और उसे देख रही थी। उसका 22 साल का यह नौजवान शरीर मुझे आकर्षित कर रहा था। मैं उसके साथ पहले बचपन में खेली हुई थी। जब वह 12 साल का था तो वह एक बच्चा था, और मैं उसे वक्त 18 साल की जवान लड़की थी। पर हम दोनों के बीच उस वक्त ऐसी कोई फीलिंग नहीं थी।
पर आज ऐसा लग रहा था, जैसे आज हम दोनों के बीच आग लगी हुई थी। वह बीच-बीच में अब रोमांटिक बातें करना शुरू कर दिया। उस किताब की चर्चा शुरू कर दी। मुझे भी उसकी रोमांटिक बातें पसंद आ रही थी। वह मेरे हाथों को अपने हाथों में लेकर सहला रहा था।
आशु: दीदी आप शादी के बाद बहुत ही ज्यादा खूबसूरत हो गई हो। आपकी तो शादी हो गई है, और आप बहुत खुश होंगे है ना?
मैं: हां शादी तो हो गई है लेकिन…..
आशु: लेकिन क्या दीदी, क्या आप शादी से…?
मैंने अपने उंगली उसके होंठ पर रख कर उसकी आवाज बीच में ही बंद कर दी। हम दोनों के चेहरे बिल्कुल पास थे, और हम दोनों की गर्म सांसे आपस में टकरा रही थी। मैं धीमी आवाज में उसके चेहरे की बिल्कुल करीब जाकर बोली-
मैं: हां मेरी शादी हो गई है, लेकिन मैं अभी किसी और की तरफ आकर्षित हो रही हूं। ऐसा लग रहा है कि कभी भी उसके बाहों में समा जाऊंगी। मेरा खुद से कंट्रोल खत्म हो रही है।
आशु अपने चेहरे को मेरे और करीब लाते हुए बोला-
आशु: मुझे भी कुछ ऐसा ही फीलिंग हो रही है दीदी।
उसकी आवाज में बहुत ज्यादा नमी थी, जिसकी वजह से मैं और ज्यादा गर्म हो गई और हम दोनों के होंठ एक-दूसरे से सट गए। आशु ने पास में पड़े किताब को खोल लिया, और हमारे चेहरे के पास लगा दिया, जिससे हमारे चेहरे किसी को ना दिखे। पर वहां पर वैसे भी कोई नहीं था। सिर्फ मेरा बेटा था। वह मेरी ओर देख रहा था, पर हम किताब लगा कर एक-दूसरे के होंठ चूस रहे थे। जिससे उसे कुछ भी नहीं दिख रहा था।
करीब 10 मिनट तक हम एक-दूसरे के होठों को चूसते रहे, और उसके बाद हम अलग हुए तो देखें कि मेरा बेटा खेलने में लगा हुआ था। हम दोनों एक-दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे, और फ़िर आशु मुझसे बोला-
आशु: दीदी जब मैं 12 साल का था तभी से आपसे आकर्षित हूं। जब आप मेरे पास बैठ कर मुझे कविता सुनाती थी, तब मैं आपकी गोद में अपना सर रख कर आपकी कविता में खो जाता था।
यह सब कहते हुए वह मेरे हाथों को सहला रहा था। फिर उसने मुझे बोला कि, “दीदी चलो कहीं और जगह चलते हैं यहां ठीक नहीं है।”
मैं उसे देख कर मुस्कुराने लगी और वह मेरे बेटे को अपनी गोद में लिया और मुझे अपने साथ चलने को बोल कर आगे-आगे चलने लगा।
फिर हम उसके स्टेशनरी पहुंचे। वहां पर पीछे से एक दरवाजा था, और कमरा बना हुआ था, जहां पर अंदर वह बैठ कर आराम कर किया करता था। हम दोनों कमरे के अंदर आ गए। अंदर बेड लगा हुआ था, और फिर उसने दरवाजा को बंद किया, और मेरे बेटे को बेड पर बैठा कर अपना मोबाइल दे दिया खेलने के लिए। वो मुझे अपनी बाहों में भर कर मेरे होंठों को चूसने लगा। मेरा बेटा खेलने में व्यस्त हो गया, और वह मेरे बेटे के सामने ही मेरी होंठों को चूमने लगा, और मेरे चूचियों को मसलने लगा।
वह मेरे होठों को चूमते हुए मेरे एक-एक करके सारे कपड़े निकालने शुरू कर दिया, और मेरे कोमल बदन को चूमने लगा। धीरे-धीरे वह मुझे पूरी तरीके से नंगी कर दिया, और अपने भी कपड़े निकाल कर नंगा हो गया। अब उसके सामने एक नंगी गोरी बदन में लड़की खड़ी थी, वह जिसकी चूचियों को मसलने में लगा हुआ था।
वह मेरे निप्पल को चूमने लगा, और जीभ से काटने लगा। मेरे निप्पल से दूध निकल रहा था, जिसे वह पी रहा था। फिर वह नीचे की ओर बढ़ा, और मेरी चूत पर लंड रगड़ने लगा।
उसका लंड बहुत ही ज्यादा गर्म था। उसके लंड की रगड़न से मेरी चूत पानी छोड़ने लगी, और उसका लंड गीला हो गया। उसने मेरी चूत को फैलाया और अपने लंड को अंदर घुसेड़ दिया। एक पल में ही उसका सारा लंड मेरी चूत में समा गया, और वह मेरे ऊपर लेट कर मेरे होंठों को चूसते हुए धक्का लगने लगा।
मैं अपने पैरों को उसकी कमर में लपेट ली, और वह मुझे चोद रहा था। वह जैसे-जैसे धक्के लगा रहा था, मेरी पायल की आवाज वैसे-वैसे बज रही थी और साथ ही कमरे में थप थप की आवाज होने लगी। मेरा बेटा अपने कार्टून में लगा हुआ था।
फिर आशु उठा और मुझे बेड से नीचे उतारा, और बेड पर झुका दिया, और पीछे से धक्के लगना शुरू कर दिया। वह मेरी चूचियों को अपनी हथेलियां में भर कर मेरी गर्दन को चूमते हुए पीछे से चोद रहा था।
इसी तरह वह मुझे लगातार चोदता रहा और मेरी चूचियों को मसलते रहा। फिर वह मेरे ऊपर झड़ गया, और जाकर कुर्सी पर बैठ गया।
मैं उठी और अपने आप को साफ की। उसके बाद अपने कपड़े ठीक की और उसके लंड को चूस कर उसे भी साफ कर दी। फिर वह भी अपने कपड़े पहन लिया, और हम दोनों बैठ कर आपस में बातें करने लगे। बात करते हुए वह मेरे गाल को चूम रहा था, और मेरे कोमल बदन को सहला रहा था।
दोपहर हो चुकी थी। मैं उससे जाने की इजाजत मांग रही थी, पर वह मुझे जाने नहीं दे रहा था। फिर मैं किसी तरह उसे विनती की कि, “मुझे जाने दो वरना घर वाले मुझसे पूछेंगे तो मैं क्या कहूंगी? मैं वैसे भी शादी-शुदा हूं। इतनी ज्यादा देर घर से बाहर रहना ठीक नहीं है।” फिर वह मुझे मेरे होठों को चूमते हुए बोला कि, “ठीक है कल आप फिर से आना।”
फिर मैं किताब ली और अपने बेटे के साथ घर वापस आ गई? उसके बाद मैं जितनी दिन भी अपने मायके में रही, उसकी दुकान पर जाती और फिर वहां से हम दोनों कॉफी शॉप में जाते हैं, और घंटों बातें करते और जब कोई नहीं होता तो किस्स करके घर चली आती।
जब भी हमारा मूड बनता तो घर ना जाकर मैं उसके रूम में जाती, और वहां हम दोनों चुदाई कर लेते हैं। उसके बाद मैं घर वापस आती हूं।
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