शीला की जवानी-19

पांच फुट नौं इंच लम्बी ज्योति झुक कर अपने गोरे चिकने चूतड़ पीछे की तरफ करके बेड के किनारे खड़ी थी। ज्योति की गांड का छेद बिल्कुल मेरे लंड के सामने था। शीला ने टयूब पकड़ी हुई थी, और ज्योति की गांड और मेरे लंड पर जैल लगाने की तैयारी में थी।

तभी पता नहीं शीला को क्या हुआ। उसने धीरे से ज्योति के चूतड़ों पर काट लिया। ज्योति बोली, “आआआह शीला क्या कर रही है, पागल करेगी क्या? चल एक बार और काट अब।”

शीला ने ज्योति के चूतड़ों पर तीन चार बार हल्का-हल्का काटा, और खूब सारी जैल ज्योति की गांड के छेद के अंदर और बाहर लगा दी।

जब जैल लगाने का काम हो गया, तो मैंने अपना खड़ा लंड ज्योति की गांड पर रखा और हल्का सा धक्का दिया। जैल खूब लगी हुई थी। उम्र का भी तकाजा था।

ज्योति की गांड शीला की गांड जितनी टाइट नहीं थी। लंड का सुपाड़ा अंदर बैठ गया। कुछ रुक कर मैंने लंड बाहर निकाला और शीला की तरफ देखा। शीला वहीं खड़ी थी इसी काम के लिए। शीला ने फिर से जैल ज्योति की गांड के अंदर और मेरे लंड पर लगा दी।

मैंने दो-तीन बार लंड छेद पर इधर-उधर रगड़ा और धीरे-धीरे गांड के अंदर करना शुरू कर दिया। कंडोम चढ़ा लंड रगड़ खाता हुआ गांड में पूरा बैठ गया। मैं कुछ रुका और लंड पूरा बाहर निकाल कर शीला को एक बार और जैल लगाने के लिए बोला। शीला ने फिर गांड के ऊपर, अंदर और मेरे लंड पर जैल मल दी।

मैंने एक बार शीला की तरफ देखा। शीला समझ गयी लंड अब पूरा अंदर जा कर अपना काम शुरू करने वाला था। शीला मेरे लंड की तरफ देखने लगी। मैंने लंड ज्योति की गांड के छेद पर रखा, और बिना रुके मगर धीरे-धीरे पूरा अंदर डाल दिया।

जैसे ही लंड ज्योति की गांड की अंदर पूरा बैठा, ज्योति ने एक सिसकारी ली और बोली, “जीते गांड में तो लंड बड़ा रगड़ा लगा कर जाता है, जैसे नई-नई जवान हुई चूत में जाता है।

 

नई-नई जवान हुई चूत में जाता है? क्या ज्योति को अपनी पहली चुदाई याद आ गयी थी?

ज्योति बोली, “चल जीते चोद अब मेरी गांड, रगड़।” ये कह कर ज्योति ने अपना सर अपनी बाहों पर रख लिया। मैंने ज्योति की कमर पकड़ी और गांड चुदाई चालू कर दी।

गांड चोदने का भी अपना ही मजा है। लंड पर गांड चोदते वक़्त जो रगड़े लगते हैं, ऐसा लगता कुंवारी चूत चोद रहें हैं जिसकी सील भी अभी तक नहीं टूटी हो। ये तो हुई मर्दों की बात। औरतों को गांड चुदाई में क्या मजा मिलता है ये शोध का विषय है।

ज्योति की गांड चुदाई भी पंद्रह मिनट चली। मैं तो ज्योति के कमर पकड़ कर धक्के लगाता रहा। शीला वहीं खड़ी लंड अंदर बाहर जाता देखते रही। बीच-बीच में वो टांग एक तरफ करके अपनी चूत में उंगली कर लेती थी।

मेरा लंड ज्योति की गांड में पूरे जोर-शोर से अंदर-बाहर हो रहा था I उधर ज्योति बुरी तरह से जोर-जोर से अपनी चूत रगड़ रही थी। जल्दी ही ज्योति ने एक जोर की सिसकारी ली “आआआह जीते क्या चोदता है यार तू। मजा ही आ गया आआआह।” गांड चुदवाते-चुदवाते ज्योति की चूत पानी छोड़ गई।

मजा आते ही ज्योति आगे की तरफ ढेर हो गयी, और मेरा लंड फिसल कर पप्प की आवाज के साथ बाहर, ज्योति की गांड में से निकल गया।

खड़ा लंड देख कर शीला के दिमाग में पता नहीं क्या आया। शीला ने जैल की टयूब मेरे हाथ में दी, और ज्योति की बगल में ही गांड पीछे करके खड़ी हो गयी, दुबारा गांड चुदवाने के लिए।

मेरे लंड पर खूब जैल लगी हुई थी। शीला भी बाथरूम नहीं गयी थी। उसकी गांड भी जैल से भरी हुई थी। मैंने शीला की कमर पकड़ी और एक ही बार में लंड शीला की गांड में डाल दिया। शीला ने बस इतना ही कहा, “आआआह जीत भैया क्या रगड़ कर गया है।”

बस, फिर मैंने शीला की गांड चुदाई चालू का दी। इस बीच ज्योति उठी, शीला को फिर से गांड चुदवाते देख बाथरूम गयी और वापस आ कर बिस्तर पर शीला के मुंह के आगे अपनी चूत खोल कर लेट गयी।

मैं शीला की गांड चोद रहा था। शीला अपनी चूत में उंगली आगे पीछे कर रही थी और ज्योति शीला से अपनी चूत चुसवा रही थी।

200 रूपए वाले कंडोम का कमाल ये था थी दो-दो सुंदरियां चुदवाते-चुदवाते फिर से झड़ गयी और मेरा बहादुर सिपहसालार वैसे ही सीधा खड़ा था।

आधी रात तक यही चलता रहा। गांड, चूत, फिर चूत और फिर गांड। ज्योति थक गयी थी। पहली गांड चुदाई थी, गांड दुःख भी रही होगी।

चुदाई के इस दौर के बाद ज्योति ड्राइंग रूम में सोफे पर बैठी वोदका के मजे ले रही थी, और मैं कंडोम उतार कर शीला को लिटा कर, चूतड़ों के नीचे तकिया रख कर शीला की चुदाई कर रहा था।

शीला भी चूतड़ घुमा-घुमा कर चुदवा रही थी। जल्दी ही “अअअअअह… आह… ऊऊओ… ह्ह्ह्हह” की आवाजों के साथ हम दोनों का भी पानी निकल गया।

कुछ देर बाद मैं और शीला भी ड्राइंग रूम में आ गए। ज्योति बोली, “जीते चोदता तो तू बड़ा मस्त है। जब तक है यहां बठिंडे में, चोदता रह चार-चार गांड के छेद और चार-चार चूतें, मेरी, शीला की, नैंसी की और चम्पा की। अब तो सारी की सारी चूत भी चुदवाती हैं और गांड भी।

फिर कुछ रुक कर ज्योति ने शीला से पूछा ,”शीला कैसा लगा गांड चुदवा के, सच बताना?”

शीला ने उल्टा ज्योति से पूछा, “पहले आप बताईये भाभी, आपको कैसा लगा?”

ज्योति पांच सेकेण्ड रुकी और फिर बोली, “भई मुझसे पूछो तो कभी-कभी गांड चुदवाने में कोइ हर्ज़ नहीं। बाकी मजा तो लंड चूसने, चूत चुसवाने और चूत चुदाई करवाने में ही आता है।” ये कह कर ज्योति शीला की तरफ देखने लगी, जैसे पूछ रही हो, “अब तू बता शीला।”

शीला बोली,” बिल्कुल भाभी, गांड चुदाई कभी-कभी के लिए ठीक है। जब मजा चूत में उंगली कर के ही लेना है तो फिर लंड गांड में डलवाने का क्या फायदा?” फिर फिस्स-फिस्स करके हंसती हुई शीला ज्योति से बोली, “भाभी आप नैंसी आंटी से पूछना। जैसे उस दिन आंटी गांड चुदवा रही थी, मुझे तो लगता है, आंटी को गांड चुदवाने में ही मजा आता है।”

ज्योति ने मेरी तरफ देखते हुए पूछा, “जीते तू बता तेरा क्या कहना है गांड चुदाई के बारे में। जैसे तू शीला की और मेरी गांड में लंड डाल कर जोश खरोश के साथ धक्के लगा कर गांड चुदाई कर रहा था, तुझे तो लगता है बड़ा मजा आया है।”

मैंने जवाब दिया, ” भाभी एक बात बताऊं, ये गांड चुदाई का असली मजा मर्दों को ही आता है। उसका कारण ये है की चूत लचीली होती है। लंड की मोटाई की हिसाब से चूत का छेद फैलता और सिकुड़ता है। साल दो साल की चुदाई के बाद चूत का छेद हल्का सा खुल भी जाता है और लंड को ऐसे नहीं जकड़ता जैसे नई नई जवान हुई लड़की की चूत का छेद लंड को टाइट जकड़ लेता है।”

यहां मैं कुछ रुका। ज्योति और शीला बड़े ध्यान से मेरी बात सुन रहीं थीं।

मैं फिर बोला, “मगर भरजाई, चूत की तरह गांड के छेद में कोइ लचीलापन नहीं होता और वो चुदाई के दौरान हमेशा ही लंड को जकड़ता है। चोदने वाले के लंड की रगड़ा-पच्ची ज्यादा होती है और उसे लगता है वो उन्नीस-बीस साल की जवान लड़की चोद रहा है। जैल भी गांड के छेद पर इसी लिए लगाते हैं क्योंकि चुदाई से पहले या चुदाई के दौरान चूत की तरह गांड चिकना पानी नहीं छोड़ती।”

ये कह कर मैं चुप हो गया और ज्योति और शीला की तरफ देखने लगा कि देखूं मेरी इतनी ज्ञानवर्धक बातों का ये दोनों खूबसूरत चूतें क्या जवाब देती हैं।

शीला ही बोली, ” जीत भैया, तो ये कारण है, इसलिए मर्द गांड चोदने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते है। पर फिर भी जीत भैया कुछ भी कह लो, कभी-कभी गांड चुदवाने में कोइ हर्ज नहीं। मुझे तो आया है मजा गांड चुदवाने का। मैं तो आपसे महीने में एक-दो बार गांड चुदाई करवाया करूंगी।”

फिर कुछ रुक कर बोली, “हां पर मैं अंकल से गांड नहीं चुदवाऊंगी।” फिर शीला ज्योति की तरफ देखते हुए बोली, ” भाभी देखा नहीं था उस दिन अंकल आंटी की गांड कैसे जोर-जोर से चोद रहे थे। आंटी को तो आदत पड़ी हुई है गांड चुदवाने की। हमारी तो आज पहली बार चुदी है।”

शीला की बात सुन कर मेरी और ज्योति की हंसी छूट गयी। ज्योति बोली, “अरे शीला तुझे कौन कह रहा है संधू साहब से गांड चुदवाने को I ये तो तेरी मर्जी है जो चुदवाना चाहती है वो चुदवा।”

फिर ज्योति मेरी और देखते हुए बोली, “जीते बात सही करती है ये लड़की। कभी-कभी गांड चुदवाने में कोइ हर्ज नहीं।”

फिर ज्योति रुकी और हल्का सा हंसी और बोली, “लेकिन जीते तेरा मन जब भी करे लंड की रगड़ापच्ची करने का, तेरे लिए पूरी छूट है। जब मर्जी चोद हमारी गांड। बस शर्त है कि उस दिन चूत चोद कर चूत का पानी भी छुड़ाना पडेगा। खाली गांड चोदने से काम नहीं चलेगा।” फिर ज्योति शीला की तरफ देखती हुई बोली,”क्यों शीला?”

शीला ने मेरी तरफ देखते हुए जवाब दिया, “भाभी ठीक कह रही है जीत भैया। जब भी आपका मन करे, चोद लो हमारी गांड, मगर उस दिन चूत चुदाई भी करनी ही पड़ेगी।”

सब हंसे। सब को चुदाई का मजा आ चुका था I माहौल मजेदार हो गया था, एकदम मस्त।

अमित के वापस आने में चार दिन बाकी थे। शाम को ऑफिस से ज्योति आई और सीधी मेरे पास आ कर चुप-चाप बैठ गयी। मैं समझ गया कि भरजाई कुछ बात करना चाह रही थी।

मैंने कहा, ” क्या बात है भरजाई, कुछ बात करनी है?”

ज्योति बोली, “जीते संधू साहब फिर मेरे पीछे पड़े हुए हैं, मुझे और शीला को चोदने कि लिए। उधर नैंसी तेरा लंड लेने कि लिए मरी जा रही है, तेरे उस कंडोम के कारण।”

मैंने कहा, “तो इसमें समस्या क्या है भरजाई? एक बार और बुला लो डिनर पर। दो लंड और दो चूतें, मस्ती रहेगी। बुलाना चाहो तो शीला को भी बुला लेना। संधू तो शीला की जवानी का दीवाना हुआ ही पड़ा है।”

ज्योति बोली, “बात वो नहीं है जीते। संधू साहब बॉस है। छः महीने साल में बुलाना अलग बात होती है। मगर इतनी जल्दी-जल्दी बुलाना? बठिंडा कोइ बॉम्बे तो है नहीं जहां दो करोड़ लोग रहते हैं। बठिंडा तीन लाख की आबादी का शहर। अगर मुझे बहुत से लोग ना भी जानते हों, संधू साहब को तो जानते ही होंगे। बेकार में रिस्की है, खतरा है इसमें। बात खुल गयी तो परेशानी हो जाएगी।”

मैंने पूछा, “तो भरजाई फिर? आप संधू को समझाओ।”

ज्योति बोली, “मैंने समझाया था और वो समझ भी गए हैं। मगर वो कह रहे हैं एक बार, सिर्फ एक बार शीला को चुदवा दो। साथ ही कह रहा था कि नैंसी भी तुझ से मिलना चाहती है। तुम और शीला संधू के घर चले जाओ, संधू साहब और नैंसी दोनों का काम हो जाएगा।”

मैंने कहा, ” भरजाई मुझे संधू के घर जाने और नैंसी को चोदने में कोइ एतराज नहीं। पर शीला कैसे जाएगी? मेरे साथ शीला जाएगी तो लोगों के नजर पड़ेगी। पहले की बात और थी जब मैं शीला को होटल में ले जा कर चोदने के चक्कर में था। अब तो मैं शीला पर भी किसी तरह की कोइ बात नहीं आने देना चाहता, और ना ही आपके ऊपर।”

ज्योति बोली, “जीते वो तो ठीक है, पर शीला का क्या करूं जो संधू साहब से चुदवाने के लिए उतावली हो रही है। साली को संधू साहब का चूतड़ों पर काटना और चूतड़ चाटना ही बड़ा पसंद आया है।”

उस दिन संधू साहब के जाने के बाद जब मैंने शीला से पूछा, “शीला फिर चुदवानी है संधू साहब से? तो मेरी बात सुन कर ही-ही करके हंस रही थी और मुझी से पूछ रही थी कि भाभी क्या फिर काटेंगे संधू अंकल मेरी गांड पर?”

शीला की गांड पर काटने वाली बात बताते हुए ज्योति की हंसी छूट गयी। हंसी तो मेरी भी छूट गयी। मैने इतना ही कहा, “शीला जवान है भरजाई। लेने दो मजे। ये वक़्त फिर नहीं आने वाला।”

फिर मैंने ही ज्योति से पूछा, “लेकिन भरजाई संधू के घर जायेंगे कैसे, मेरा मतलब मैं तो चला जाऊंगा, शीला क्या मेरे साथ जाएगी? यहां तो शीला को सारे जानते हैं, मेरे साथ जाते हुए देखेंगे तो क्या सोचेंगे।”

ज्योति बोली, “जीते वैसे तो शीला होटल में भी जाती ही है। यहां मॉडल टाउन से बाहर वो इसको कार में ले जाते हैं वहीं छोड़ देते हैं। पर अब, जब से तेरे से चुदाई करवा रही है होटलों में जाना बंद कर दिया है, बोलती है खतरा है। बस अब तेरे से चुदवाती है और वो दो छड़े लड़के जिनके घर का काम भी करती है, कभी-कभी उनसे चुदवाती है।”

मैंने पूछा “तो फिर भरजाई, क्या करें?”

ज्योति बोली, “जीते, अर्जन नगर जहां संधू साहब का घर है, उससे पांच मिनट की दूरी पर एक शॉपिंग मॉल है। यहां से बीस मिनट लगते हैं मॉल तक पहुंचने में। ऐसे करेंगे, मैं शीला को अपनी कार से ले शॉपिंग मॉल तक ले जाऊंगी। वहां मैं शीला को छोड़ दूंगी। वहां से संधू साहब का घर सिर्फ पांच मिनट की दूरी पर है। यहां से तू अपनी कार से उस शॉपिंग मॉल तक चले जाना और वहां से तू शीला को अपनी कार में संधू साहब के घर ले जाना।”

फिर ज्योति बोली, ” उधर से तू चुदाई से फारिग हो कर शीला को लेकर मॉल पहुंच जाना। बस हो गया काम। जब तुम लोगों के चुदाई पूरी हो जाए तो मुझे फोन कर देना, मैं उसी माल पर पहुंच जाऊंगी, और शीला को अपनी कार से वापस ले आऊंगी।”

मैंने कहा, “पर भरजाई जब आपको तो पता होगा कि शीला चुदने के लिए जा रही है और मैं चोदने के लिए, अगर आपकी ये चूत गरम हो गयी तो?” ये कहते हुए मैंने पहले ज्योति की चूचियां दबाई फिर चूत पर हाथ फेर दिया।

ज्योति हंसते हुए बोली, “ओये जीते तेरा मतलब तू नैंसी को चोद कर आएगा तो क्या रात को मैं तेरे को छोडूंगी? पूरी रात चुदाई करवाऊंगी तेरे से, कंडोम चढ़वा कर।”

बस संधू के घर जाने का प्रोग्राम बन गया।

अगले दिन दस बजे सुबह शीला आ गयी, पूरी तरह तैयार हो कर। मस्त लग रही थी। आते ही बोली, नमस्ते जीत भैया। और मेरे लंड की तरफ इशारा कर के बोली, ” क्या बात है भई पप्पू आज तो फिर तेरे मजे हैं, दिन में भी और रात में भी।”

मैं सोच रहा था इस शीला को तो सब कुछ पता होता है। मैं क्या कहता, बस हंस पड़ा। फिर सोचा ज्योति बताती है या ये शीला अंदाजा ही लगाती है।

ग्यारह बजे मैं अपनी कर से और ज्योति शीला को ले कर अपनी कार से चल पड़े।

लगभग आधे घंटे में हम अर्जन नगर के पास वाले माल पर पहुंच गए। वहां शीला मेरी कार में आ गयी और ज्योति वापस चली गयी। मैं और शीला संधू के घर पहुंच गए।

संधू का दो-मंजिला मकान बहुत बड़ा और आलीशान था।

जाते-जाते ज्योति मुझे बोल गयी, “जीते जब चुदाई का आख़री ट्रिप शुरू होने वाला हो तो मुझे फोन कर देना, मैं वहीं माल पर पहुंच जाऊंगी और शीला को ले लूंगी।”

हम संधू के घर के अंदर चले गए। संधू का घर अंदर से भी बहुत आलीशान था। संधू और नैंसी हमारा इंतजार ही कर रहे थे।

संधू उसी मुक्तसरी कुर्ते पायजामें में था। नैंसी ने झीनी मैक्सी पहनी हुई थी। नैंसी की चूचियों के गुलाबी निप्पल मैक्सी में से साफ़ दिखाई दे रहे थे।

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