पिछला भाग पढ़े:- भोली रानी की सुहागरात-2
सुहागरात की कहानी अब आगे-
मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और उस कच्ची कली के होंठो को चूमने लगा। उसे किस्स करना भी नहीं आता था, पर फिर भी वो मेरा साथ देने की पूरी कोशिश कर रही थी। फिर कुछ 2 मिनिट के किस्स के बाद मैं उसकी चूचियों से खेलना लगा और उसे सहलाते हुए उसे चूसने लगा। बीच-बीच में मैं उसके होंठों को भी चूमता था। फिर मैंने देखा कि उसकी चूत पर अभी बहुत हल्के-हल्के बाल ही उगे थे, और उसकी चूत एक-दम गुलाबी सी दिख रही थी।
उसकी चूचियों को मैंने मसलना शुरू कर दिया तो वो बोली: आप ये क्या कर रहे है? मुझे गुदगुदी हो रही है।
मैंने पूछा: क्यों, अच्छा नहीं लग रहा है तुम्हे?
वो बोली: बहुत अच्छा लग रहा है।
फिर से मैंने उसके निप्पलों को बारी-बारी से मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। वो गर्म सिसकारियां भरने लगी। उसके बाद मैंने उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया। उसे और भी ज्यादा गुदगुदी होने लगी।
उसने मेरा हाथ हटा दिया, तो मैंने पूछा: क्या हुआ मेरी रानी, हाथ क्यूँ झटक दिया मेरी भोली बीवी?
वो बोली: मुझे बहुत जोर की गुदगुदी हो रही है।
मैंने कहा: अच्छा नहीं लग रहा है क्या?
वो बोली: अच्छा तो लग रहा है।
मैंने कहा: तो तुमने मेरा हाथ क्यों हटाया?
अगर तुम ऐसा ही करोगी, तो मैं बाहर चला जाऊंगा।
वो बोली: ठीक है, मैं अब आपको कुछ भी करने से मना नहीं करूंगी।
मैंने कहा: फिर ठीक है। आज मैं तुम्हें बहुत मज़े दूंगा जान। आइ लव यू मेरी रानी।
फिर मैंने उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया। थोड़ी ही देर में उसकी चूत गीली होने लगी। वो जोर-जोर से कामुक सिसकारियां भरने लगी।
मैंने एक उंगली उसकी चूत के अन्दर डाल दी, तो उसने जोर की सिसकारी ली। मेरा लंड अब तक बहुत ज्यादा सख्त हो चुका था। थोड़ी देर तक मैं उसकी चूत में अपनी उंगली अन्दर-बाहर करने के बाद रुक गया और अपना मुंह उसकी वर्जिन चूत पर रख दिया। वाह क्या चूत थी और फिर उसे चाटने वाला था। रानी ने मुझे ऐसे करते देख और बोली-
रानी: छी! ये आप क्या कर रहे हो? ये भी कोई चाटने की चीज़ है भला?
मैं रानी से बोला: मेरी जान, तू बस आँखें बंद करके मज़े ले। बाकी सब मुझ पर छोड़ दे। तुझे बहुत मज़े आएंगे।
फिर मैं उसकी चूत चाटने लगा। उसकी चूत से बहता पानी ये साफ बता रहा था कि उसे मज़े आ रहे थे। वो अपने दोनों हाथों से बिस्तर को कस के पकड़ने लगी और उसके मुंह से सिसकारियाँ निकलने लगी।
मैं उसके चूत को अपनी जीभ से चाटने और कुरेदने लगा। बीच-बीच में मैं उसकी चूत की पंखुड़ियों को अपने होंठ और दांतो से खीच लेता, और अपनी उंगलियां डाल कर अंदर-बाहर करने लगता।
इससे उसे काफ़ी मज़ा आ रहा था और उसकी सिसकारियों की आवाज़ तेज हो गयी। पूरा कमरा गूंजने लगा था। मैंने चूत चाटते वक्त अपनी नज़रों से रानी को देखा तो उसने अपनी आँखें बंद कर रखी थी, और वो मज़े में किसी बिना पानी के मछली के जैसी छटपटा रही थी।
वो अपनी इस पहली चूत चटाई के अनुभव के पूरे मज़े लेके आनंद उठा रही थी और मैं भी उसे पूरे मज़े दे रहा था। कुछ ही देर के बाद वो अकड़ने के साथ झड़ने लगी। झड़ते समय उसने मुझे जोर से पकड़ लिया।
वो सिसकाते हुए बोली: आपके उंगली करने से और चाटने से मुझे तो पेशाब सी आ रही है।
मैंने कहा: ये पेशाब नहीं है मेरी जानेमन। अक्सर जोश में आने के बाद लड़कियों की चूत से पानी निकलता है।
वो कुछ नहीं बोली। मेरी उंगली उसकी चूत के पानी से एक-दम गीली हो चुकी थी। मैंने उसके झड़ने के बाद भी उंगली चलाना जारी रखी। थोड़ी ही देर में वो फिर से पूरे जोश में आ गई।
मैंने कहा: अब मैं अपना औजार तुम्हारे छेद में घुसाऊंगा। तुम पेट के बल लेट जाओ।
वो पेट के बल लेट गई। मैंने देखा कि उसकी गांड भी एक-दम गोरी थी। उसकी गांड का छेद बहुत ही मस्त और हल्के भूरे रंग का था। मेरी ये फैंटेसी रही है कि मैं अपनी सुहागरात पर अपनी बीवी की गांड मारु, ताकि आगे जाके वो मुझे गांड देने से मना ना करे। अक्सर होता है की लड़कियां अपनी चूत तो खुशी-खुशी चुदवा लेती है, लेकिन गांड चुदाई करने के लिए हमेशा मना करती है। इसीलिए मैं चाहता था कि मैं अपनी सुहागरात पर अपनी नयी नवेली दुल्हन की चुदाई गांड मार कर ही करूँ, ताकि वो बाद में नखरे ना दिखाये। रही बात चूत की, तो वो तो मारनी ही है ता उम्र।
और रही बात रानी की, तो उसकी ये पहली चुदाई थी, और चुदाई के बारे में उसे ज़्यादा ज्ञान नहीं था। चुदाई के मामले में अभी वो अनाड़ी थी, जिससे मुझे आज अपनी भोली बीवी रानी को चुदाई का ज्ञान देना था। इसलिए मैं अपनी उंगली उसकी गांड के छेद पर फिराने लगा। उसके बाद मैंने एक झटके से अपनी एक उंगली उसकी गांड में घुसा दी। वो जोर से चीख उठी।
मैंने कहा: अगर तुम ऐसे चीखोगी तो भाभी आ जाएंगी।
वो कराहते हुए बोली: मुझे दर्द हो रहा है।
मैंने कहा: दर्द तो होगा ही। अभी तो उंगली डाली है। इसके बाद मैं अपना लंड तुम्हारी गांड में घुसाऊंगा।
थोड़ी देर तक मैं अपनी उंगली उसकी गांड में अन्दर-बाहर करता रहा।
वो बोली: मेरा छेद तो बहुत ही छोटा है और आपका औजार बहुत बड़ा है। ये अन्दर कैसे घुसेगा?
मैंने कहा: जानू, जैसे दूसरी औरतों के अन्दर घुसता है, वैसे ही तुम्हारे अंदर घुसेगा।
वो बोली: तब तो मुझे बहुत दर्द होगा।
मैंने कहा: इसीलिए तो तुम्हारी भाभी ने तुमसे कहा था कि दर्द को बर्दाश्त करना, ज्यादा चीखना चिल्लाना मत। और तुम्हें बिल्कुल वैसे ही करना है।
वो बोली: ठीक है, मैं समझ गई।
मैं फिर उसके ऊपर चढ़ गया, तो वो बोली: भाभी ने ये भी कहा था कि दर्द हो तो पति को कहना अपने औजार पर तेल लगाने के लिए।
मैंने कहा: ठीक है मेरी जान। मैं अपने औजार पर तेल लगा लेता हूं।
फिर मैं तेल लगाने के लिए उठा। इसके आगे इस कहानी में क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा। यहां तक कि कहानी के लिए अपनी फीडबैक जरूर दें।
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