दोस्तों ये बात 2018 की है, जब मैं लखनऊ में कॉलेज में पढ़ता था, और गर्मियों की छुट्टी बिता कर मैं वापस गोरखपुर से लखनऊ जा रहा था। दोस्तों वैसे मैं गे नहीं था, पर गे सेक्स कहानी पढ़ कर मुझे भी लंड चूसने और गांड मराने के खुजली होने लगी थी।
तो दोस्तों ट्रेन रात को 9 बजे से थी, पर लेट हो गई तो मैं स्टेशन पर बैठ गया एक जगह और मोबाईल चलाने लगा। तभी मैंने सोचा पता नहीं कब ट्रेन आएगी। आस-पास सुनसान था। तो मैं देसी कहानी पर गे स्टोरी पढ़ने लगा। मैं गरम होने लगा और फिर विडिओ लगा के देखने लगा।
तभी एक कोई 45 साल के अंकल आ कर मेरे पास बैठ गए। शायद उन्होंने विडिओ देखते हुए देख लिया था। पर कुछ बोले नहीं।
अंकल: और बेटा कहाँ जाना हैं?
मैं: अंकल लखनऊ, वहाँ मैं पढ़ता हूं
अंकल: अच्छा किस ट्रेन से जा रहे हो और जनरल या सलीपर?
मैं: जी अंकल 9 बजे वाली से, जनरल बोगी से।
अंकल: मैं भी लखनऊ जा रहा हूं और मेरी ऐसी कोच हैं।
फिर कुछ देर बात करते-करते हम दोनों की अच्छी बनाने लगी। तभी करीब 11 बजे आई तो अंकल बोले-
अंकल: बेटा क्यूँ ना तुम भी मेरे साथ आ जाओ, टीटी आएगा तो मैं बात कर लूँगा।
और मैं भी उनके साथ चल दिया। बोगी में वैसे ज्यादा भीड़ नहीं थी, जिस सीट पर हम थे वहां तो कोई नहीं था। ट्रेन के चलने के बाद अंकल अपनी सीट पर बैठ गए और मैं भी। अंकल ने अपनी पैंट निकाल कर एक लूँगी पहन ली और मुझे भी बोले-
अंकल: बेटा अब तो हम 7-8 घंटे में लखनऊ पहुचेंगे। क्यूँ ना तुम भी अपनी जींस निकाल दो और अंडरवियर में ही आ जाओ। वैसे भी यहाँ कोई नहीं आने वाला।
फिर मैंने भी जींस निकाल दी, और निक्कर पहन ली।
अंकल बोले: सामने वाली सीट पर सो जाओ। मैं अपनी सीट पर सो जाता हूं।
फिर अंकल सो गए और मैं फिर से गे स्टोरी पढ़ने लगा और गरम हो गया। मेरी गांड कुलबुलाने लगी। तभी मैंने देखा अंकल की लूँगी तंबू बना था। मुझे मालूम हो गया कि अंकल का लंड खड़ा था। मुझ पर अब सेक्स का बुखार चढ़ चुका था। मैंने अंकल को आवाज दी पर वो कुछ नहीं बोले तो मुझे लगा सो गए हैं।
फिर मैंने हिम्मत की और अंकल के पास गया और लूँगी के ऊपर से देखने लगा। कुछ देर देखने के बाद मैं लूँगी हटाने लगा और देख कर हैरान हो गया। अंकल ने कुछ नहीं पहना था, और उनका लंड लगभग 7 इंच का होगा। फिर मैंने अंकल को आवाज दी तो कोई रेस्पॉन्स नहीं मिला। तो मैंने उनके लंड को छुआ फिर चमड़ी नीचे किया सुपाड़ा हल्का गुलाबी था। अब मुझे मुंह में लेने की चाहत होने लगी।
तभी आवाज आई: देख क्या रहो हो बेटा? चूस लो।
मैंने देखा, अंकल हस्ते हुए बोले। मैं डर गया और पीछे आ गया और मेरे मुंह से आवाज नहीं निकाल रही थी। फिर अंकल उठे और मेरे पास आए।
वो बोले: डरो मत। मैंने देखा था तुम्हें वो विडिओ देखते हुए। इसमें कुछ गलत नहीं हैं।
फिर वो अपना लंड मेरे मुंह के सामने लाकर, मेरे हाथ को पकड़ कर, आगे-पीछे करवाने लगे, और मुझे अब कुछ राहत मिल गया था।
फिर मैं बोला: क्या मैं चूस सकता हूं?
तो अंकल बोले: अरे पूछना क्या? चलो चूसो।
मैं लंड का टोपा होंठों से लगा लिया, और फिर धीरे-धीरे पूरा टोपा मुंह मे ले लिया और चूसने लगा। पहले तो थोड़ा अजीब लगा, पर अब मजा आने लगा। अब अंकल मेरे सर को पकड़ कर आगे-पीछे करने लगे-
अंकल: अहह बेटा राजू, मस्त चुसाई कर रहे हो। ओह्ह, मस्त चूस रहे हो बेटा। और चूसो।
अब अंकल का लंड मोटा और बड़ा हो चुका था। फिर अंकल धीरे-धीरे मेरी निक्कर के अंदर हाथ डाल कर मेरी गांड मसलने लगे और बोले: बेटा इसने कभी लिया है लंड?
मैं: नहीं अंकल पहली बार हैं। पर लेने का मन करता है।
अंकल: तो बेटा क्या इरादा हैं। मेरा लोगे? चोदोगे मुझसे?
मैं (गरम हो चुका था मैं): हाँ अंकल, पेलो मेरी गांड।
फिर अंकल बोले: ठीक हैं, चलो उठो और अपनी निक्कर निकाल दो।
मैंने अपनी निक्कर निकाल दी,और अंकल की ओर अपनी गांड कर दी।
अंकल बोले: वाह बेटा, क्या मस्त गांड हैं। सावली है पर मस्त हैं। बाल भी साफ कर रखे है। लगता है पूरी तैयारी करके आए हो।
मैं: नहीं अंकल किस्मत से आज आप मिल गए।
फिर अंकल ने मुझे झुकाया और मेरी गांड के छेद पर उंगली फेरने लगे और बोले: बेटा आज तो तेरी कुंवारी गांड पेलने को मिली है।
मैं: पर अंकल दर्द होगा अभी तो मेरा छेद छोटा हैं।
अंकल: डर मत मेरी जान। मैं ऐसे पेलूँगा कि तुझे मजा आएगा। हाँ पहली बार है तो थोड़ा दर्द होगा, समझे? पर मजा लेना हैं तो दर्द तो सहना पड़ेगा।
मैं: ठीक है अंकल।
फिर अंकल मेरी गांड में उंगली डालने लगे। खूब उंगली किया। फिर वो एक वैसलिन की डिब्बी निकाल कर मेरी गांड के छेद पर लगाये, और अंदर तक डाल दिया। उन्होंने लंड को मेरी गांड के छेद पर सेट किया, और धीरे-धीरे अंदर करने लगा। फिर एक जोर का झटका मारा और टोपा अंदर चला गया। मुझे दर्द होने लगा। मैं रोने लगा।
मैं बोला: छोड़ दो अंकल।
फिर उन्होंने एक और झटका मारा और पूरा लंड घुस गया।
मैं बोला: नहीं अंकल, मुझे नहीं मरवानी गांड। निकाल लो प्लीज अंकल।
अंकल: बस बेटा, अब दर्द नहीं होगा। 5 मिनट रुको बस।
फिर कुछ देर रुकने के बाद धीरे-धीरे लंड आगे-पीछे करने लगे। अब दर्द थोड़ा कम हो गया था। करीब 15 मिनट बाद अब मैं खुद अपनी गांड आगे-पीछे करके लंड अंदर लेने लगा। अंकल अब समझ गए कि मुझे अब मजा आ रहा था। फिर वो पेलने की स्पीड बढ़ा दिये।
मैं: पेलो अंकल, चोदो मेरी गांड। मजा आ रहा है उफ्फ़ अहह ओह्ह अंकल मजा रहा है। फाड़ो मेरी गांड।
अंकल: हाँ जानेमन, तेरी गांड फाड़ दूंगा आज, जैसे कोई फटी चूत हो। साले कुतिया बनाके चोदूँगा। मेरी रानी क्या मस्त टाइट गांड है। पूरा लंड जकड़ लिया है तेरी गांड ने अहह ओह्ह रंडी, बोल मेरी रंडी बनेगा?
मैं: हाँ अंकल, आपकी रंडी हूं। बस चोदो अहह।
अंकल: लखनऊ में ही मैं रहता हूं। बोल मुझसे चुदने आएगा ना जब तक रहेगा लखनऊ में?
मैं: हाँ अंकल, हर संडे को आपसे चुदूँगा।
अंकल: हां तुझे लड़कियों वाले कपड़े पहनने पड़ेंगे मेरे साथ। तुझे लड़की बना के चुदूँगा मैं।
मैं: हाँ अंकल जैसे आप कहोगे वैसे करूंगा। बस मुझे मजे देना अपने लंड के।
फिर अंकल लेट गए और मैं उनके लंड के ऊपर बैठ गया, और खुद ऊपर-नीचे करके उनके लंड से चुदने लगा। करीब 30 मिनट बाद अंकल मेरी कमर टाइट करके अपने लंड पर बैठा लिये और एक जोर का गरम लावा मेरी गांड के अंदर ही छोड़ दिया।
एसी कोच में भी हम दोनों गर्मी से भीग गए थे। जैसे ही लंड मेरी गांड से बाहर निकला, उनके वीर्य मेरी गांड से बहने लगा। और मैं उंगली करके देखा कि मेरी गांड फट चुकी थी, और मेरी दोनों उंगलियां आसानी से अंदर चली जा रहा थी।
अंकल: बेटा अब अपनी गांड ही देखोगे या इस लंड को साफ करोगे?
फिर मैं उनका लंड कपड़े से साफ करने के लिए लूँगी उठाया तो अंकल बोले: जानेमन, रंडी साली, कपड़े खराब करेगी मेरे? चल मुंह में लेकर साफ कर।
मैं फिर उनके लंड को अपने मुंह में लेकर साफ करने लगा। वीर्य का टेस्ट थोड़ा नमकीन सा लगा पर अच्छा था, और मैं उनके लंड को साफ कर दिया। तभी एक स्टेशन आने वाला था।
अंकल बोले: कपड़े पहन लो (और हम दोनों ने कपड़े पहन लिये)।
और उस स्टेशन पर कुछ लोग हमारी बोगी में आ कर बैठ गए। फिर अंकल मुझे टॉयलेट में ले जाकर मेरी दो बार चुदाई किये। जब हम लखनऊ स्टेशन पहुंचे, तो अंकल ने अपना नंबर और पता दिया और बोले-
अंकल: राजू मस्त माल है तू। लड़की से भी ज्यादा मजा आया तुझे पेलने में। बस एक काम और कर दे। देख लंड कैसे खड़ा हैं, एक और बार चूस कर शांत कर दे मेरी जान।
मैं: अंकल पर यहाँ स्टेशन पर कहाँ?
अंकल: अरे तू टेंशन ना ले, देख वो ट्रेन खड़ी है ना। उसी के टॉयलेट में। अभी सब बैठे हैं चल।
फिर मैं और अंकल टॉयलेट में चले गए, जहां मैंने उनका लंड चूस कर उनका माल निकाला और पिया भी।
तो दोस्तों कैसी लगी ये मेरी रियल कहानी मेल या कॉमेंट्स कर बताए। तो आगे लिखूँगा कि कैसे अंकल ने अपने दोस्त के साथ मिल कर मेरी गांड मारी।
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