भाभी: अच्छा, तो उन्होंने तुझे ही भेज दिया। आज अन्दर आजा। कुछ लोगे?
मैं: नहीं भाभी, अभी चाय पी के आया हूं।
भाभी: ठीक है।
भाभी: अंदर सोफा और कुर्सियां है, उनको सही जगह पर लगाना है। सामान भारी था, तो मुझ अकेली से हुआ नहीं।
मैं: चलो भाभी करते है।
फिर भाभी ने एक साइड से सोफा पकड़ा, और मैंने दूसरी साइड से। नीचे झुकने की वजह से उनकी क्लीवेज दिखने लगी, और बूब्स बाहर आने को उतावले हो गए। उनके मोटे बूब्स देख कर मेरे मुंह में पानी आने लगा। मेरी नज़र उनके बूब्स पर से हट ही नहीं रही थी। तभी भाभी ने मुझे देख लिया, और मैंने अपनी नज़र उनके बूब्स से हटा ली।
फिर सोफा सेट करने के बाद भाभी बोली: तू क्या देख रहा था अभी?
मैं: क्या देख रहा था भाभी?
भाभी: तू यहां देख रहा था (भाभी ने बूब्स की तरफ इशारा करते हुए कहा)।
मैं: अरे नहीं भाभी, आपको गलतफहमी हुई है।
भाभी: अच्छा तो गार्डन में बैठा तू अपने दोस्त से मेरी बातें कर रहा था, वो भी मेरी गलतफहमी होगी?
ये सुन कर मैं घबरा गया। यानि कि भाभी ने सुन लिया था। अब मुझे कोई जवाब नहीं सूझ रहा था। फिर मैं हिम्मत करके बोला-
मैं: भाभी वो आप बहुत खूबसूरत हो। और लड़कों के पास बात करने का एक ही टॉपिक होता है, और वो है लड़कियां। उसने आपको देख कर बात शुरू की, और मैंने आगे बढ़ा दी।
भाभी: वैसे क्या बातें कर रहे थे तुम मेरे बारे में?
मैं: यहीं की आप बहुत हॉट हो। सुंदर दिखती हो।
भाभी: क्या पसंद है तुम्हें मुझमें (ये बात सुन कर मैं उनको देखने लगा, और उन्होंने मुझे वासना भरी मुस्कुराहट दी)।
मैं: भाभी ऊपर से लेके नीचे तक सब कुछ पसंद है। आपकी कोई ऐसी चीज नहीं जो अच्छी ना हो। भगवान ने आपको बहुत खूबसूरत बनाया है।
भाभी: तूने ये क्यों कहा कि मैं ऊपर की चीज़ हूं, और तुम्हारे हाथ नहीं आऊंगी?
मैं: भाभी ये तो सच ही है। कहां आप और कहां मैं।
भाभी: चल मुझे टच कर।
मैं: मतलब?
भाभी: टच कर ना!
फिर मैंने उनकी बाजू पर हाथ रखा और उठा लिया।
वो हस्ते हुए बोली: ऐसे थोड़ी टच करते है लड़की को।
ये बोल कर भाभी ने मेरा हाथ पकड़ा, और अपने एक गोरे चूचे पर कपड़ों के ऊपर से रख दिया। फिर वो बोली-
भाभी: ऐसे करते है टच। चल दबा अब इसको।
मैं हैरान हुआ, कि भाभी क्या करने को कह रही थी। लेकिन फिर मैंने सोचा चाहे जैसे भी कह रही हो, कम से कम टच करने का मजा तो मिल रहा था। इसलिए मैंने उनका चूचा दबाना शुरू कर दिया।
भाभी की सांस तेज होने लगी, और वो हल्की आवाज में आह आह करने लगी। मुझे लगा अब मुझे खुद ही आगे बढ़ जाना चाहिए, तो मैं उनके और करीब गया, और अपने होंठ भाभी के होंठो से चिपका दिए। मुझे लगा था कि वो ना-नुकुर करेंगी, लेकिन उन्होंने तो किस्स में मेरा साथ देना शुरू कर दिया। बहुत स्वाद रस था उनके होंठों का दोस्तों, मैं तो पागल ही हो गया, और खींच-खींच कर उनके होंठ चूसने लगा।
मैंने अपने हाथ उनकी कमर पर रख लिए किस्स करते हुए, और फिर उनकी पीठ पर फेरने लगा। उसके बाद मैं हाथ उनकी मोटी कोमल गांड पर ले गया, और उसको दबाने लगा। इससे भाभी और उत्तेजित होने लगी। मैं भाभी से चिपका हुआ था, तो मेरा खड़ा लंड उनकी जांघ में दब रहा था। मुझे यकीन है, कि ये भी भाभी को उत्तेजित कर रहा होगा।
किस्स करते हुए हम उसी सोफे पर बैठ गए जिसको ठीक कर रहे थे। मैंने भाभी की कुर्ती और ब्रा उतरवाई, और उनके रसीले चूचे पीने लगा। भाभी आह आह कर रही थी। उनका जिस्म सच में किसी अप्सरा की तरह था। मैं तो उसको पूरा चाट रहा था।
फिर भाभी लेट गई, और अपनी लेगिंग्स उतारने लगी। मैंने उनकी लेगिंग्स पकड़ कर खींच दी टांगों से बाहर। अब मेरी जान तृप्ति सिर्फ ब्लैक पैंटी में थी। मैं कुत्तों की तरह उसके पूरे बदन को चाटने लगा, और वो सिसकियां भरती रही। फिर मैं पैंटी के ऊपर से भाभी की चूत चूसने लगा। तभी उसने पैंटी नीचे की, और मैं सीधे उसकी चिकनी चूत को पीने लगा। भाभी आह आह करते हुए मेरे सर को अपनी चूत में दबा रही थी। बहुत मजा आ रहा था।
जिस चूत को छूने की मुझे अपनी औकात नहीं लग रही थी, आज मैं उस चूत का रस पी रहा था। भाभी की चूत की कोमल पंखुड़ियां मैंने खोली, और जीभ अन्दर डाल कर उनके दाने को छेड़ने लगा। इससे भाभी तड़पने लगी, और गांड उठाने लगी। तभी उनका शरीर झटके मारने लगा, और उनकी चूत से सफेद पानी निकलने लगा। मेरे लिए तो ये अमृत था। मैंने चूत को मुंह लगाए रखा, और सारा पानी पी गया। उसके बाद चूत को चाट कर साफ कर दिया।
इसके आगे क्या हुआ, वो आपको कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा। यहां तक की कहानी आपको कैसी लगी, मुझे aurhorcrazyfor@gmail.com पर बताएं।