पापा की परी प्रीती-3

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हिंदी सेक्स कहानी का अगला भाग-

सुखचैन के जाने के अगले दिन ही सुबह जिस तरह का पारदर्शी गाऊन प्रीती ने पहना हुआ था, और गाऊन के नीचे जिस तरह से ना ब्रा पहनी थी और ना पैंटी, ये मेरे लिए हैरानी की बात थी। प्रीति के चूतड़ों के बीच की लाइन साफ़ दिखाई दे रही थी। मैं सोच रहा था अभी कल ही सुखचैन गया था और प्रीति इस तरह की ड्रेस पहन कर मेरे सामने हंसती हुई खड़ी ह
थी।

क्या प्रीती सुखचैन की चुदाई को जरा सा भी मिस नहीं कर रही? प्रीती को ऐसी ड्रेस में देख कर मेरा लंड हरकत में आने लगा था। अब मेरे लंड के साथ-साथ मेरा हौंसला भी बढ़ने लगा था। मैं अपना आपा खोने लगा था। मैं प्रीती के पीछे गया और प्रीती के चूतड़ों के जरा सा ऊपर उसकी कमर पर हाथ फेरते हुए बोला, “गुड मॉर्निंग स्वीटी।”

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