पिछला भाग पढ़े:- पापा की परी प्रीती-2
हिंदी सेक्स कहानी का अगला भाग-
सुखचैन के जाने के अगले दिन ही सुबह जिस तरह का पारदर्शी गाऊन प्रीती ने पहना हुआ था, और गाऊन के नीचे जिस तरह से ना ब्रा पहनी थी और ना पैंटी, ये मेरे लिए हैरानी की बात थी। प्रीति के चूतड़ों के बीच की लाइन साफ़ दिखाई दे रही थी। मैं सोच रहा था अभी कल ही सुखचैन गया था और प्रीति इस तरह की ड्रेस पहन कर मेरे सामने हंसती हुई खड़ी ह
थी।
क्या प्रीती सुखचैन की चुदाई को जरा सा भी मिस नहीं कर रही? प्रीती को ऐसी ड्रेस में देख कर मेरा लंड हरकत में आने लगा था। अब मेरे लंड के साथ-साथ मेरा हौंसला भी बढ़ने लगा था। मैं अपना आपा खोने लगा था। मैं प्रीती के पीछे गया और प्रीती के चूतड़ों के जरा सा ऊपर उसकी कमर पर हाथ फेरते हुए बोला, “गुड मॉर्निंग स्वीटी।”
मेरे हाथ प्रीती के चूतड़ों के ऊपरी हिस्से को छू रहे थे, जहां से चूतड़ों का उभार और चूतड़ों की गोलाई शुरू होती है। प्रीती मुड़ी और मादक नज़रों से मेरी तरफ देखा कर मुस्कुरा दी, क्या कातिल मुस्कुराहट थी।
मैं किचन के सामने डाइनिंग टेबल पर ही बैठ गया। प्रीती भी चाय की ट्रे लाई और मेरे सामने ही बैठ गई। इधर की बेमतलब के बातें करने के बाद प्रीती बोली, “पापा पूरन चाचा का क्या हाल है?”
मैंने भी चाय के चुस्की लेते हुए सोचा अब सुबह के चाय के वक़्त पूरन का जिक्र कहां से आ गया।
मैंने कहा कहा, “ठीक है। जैसी उसकी आदत है दोपहर से ही शराब पीना शुरू कर देता है और रात तक बोतल खत्म कर देता है। बस यही एक बुराई है उसमें, बाकी काम में कोई शिकायत नहीं। ईमानदार और मेहनती है, कभी कोइ शिकायत नहीं आयी।”
प्रीती ने दोनों हाथों से अपने मम्मे जरा से ऊपर की तरफ किये और बोली, “और पापा, पूरन चाचा की जवान घरवाली बिशनी? वो कैसी है। पूरा फार्महाउस संभाला हुआ है उसने।” ये कह कर प्रीती ने अपने मम्मे गाऊन के नीचे से ऊपर किये और साथ ही अपनी चूत भी खुजला दी।
बिशनी का जिक्र आते ही मुझे भी बिशनी की चुदाई याद आ गयी। मेरा लंड हरकत करने लगा। मैंने भी लंड थोड़ा हिला कर पायजामें में ठीक से बिठाया और बोला, “ये बात तो है, बिशनी ने फार्महाऊस तो सही में ही अच्छे से संभाला हुआ है।”
प्रीति हंसते हुए बोली, “पापा कितने ही साल भी तो हो गए बिशनी को हमारे पास – किसको क्या चाहिए अब वो सब जान समझ चुकी है।”
फिर प्रीति थोड़ा आगे की तरफ ज्यादा ही झुकी और मेरी तरफ देखते हुए बोली, “क्यों पापा ठीक है ना?”
आगे झुकने के कारण प्रीती के जम्बो साइज़ मम्मों का आधा हिस्सा गाऊन में से बाहर आ रहा था। प्रीती के मम्मों के हल्के से भूरे नुकीली निप्पल गाऊन में से साफ़ दिखाई दे रहे थे।
मगर प्रीती की ये बात, “पापा कितने ही साल भी तो हो गए बिशनी को हमारे पास – किसको क्या चाहिए अब वो सब जान समझ चुकी है।”
और फिर प्रीति का आगे की तरफ झुकना और बोलना, “क्यों पापा ठीक है ना?” प्रीती की इस तरह की बातें – मुझे ये सब अजीब सा लग रहा था।
सुखचैन के जाने के अगले दिन ही प्रीती का इस तरह के कपड़े पहन कर मेरे सामने आना, वो भी तब जबकि घर में मेरे और उसके अलावा कोइ भी नहीं? और अब तो तीन दिन कांता ने भी नहीं आना था, हम दोनों ही घर में अकेले रहने वाले थे। एक चुदाई का शौक़ीन मैं, और एक बला की खूबसूरत और सेक्सी मेरी बेटी। ये सोच कर मेरा लंड तकरीबन पूरा खड़ा हो चुका था।
प्रीती की हर एक हरकत मुझे बेचैन कर रही थी। प्रीती के मन में पक्का ही कुछ पक रहा था। मगर क्या? प्रीती की सेक्सी ड्रेस और उसकी बातों से मेरी आंखों के आगे अब तक की चोदी हुई फुद्दीयां घूमने लगी थी। मैं बस यही सोचने लग गया था की इतनी खूबसूरत मेरी बेटी प्रीती की फुद्दी कैसी होगी? कितनी टाइट होगी? लंड फुद्दी में कैसे रगड़ा लगाता हुआ जाएगा?
मेरा दिमाग काम करना बंद कर चुका था। मुझे अब चूत चाहिए थी। मुझे बिशनी के साथ होती मेरी चुदाई याद आने लगी और मेरा लंड सख्त होने लगा। मैं सोचने लगा आज जा कर बिशनी की फुद्दी मारनी ही पड़ेगी। प्रीती के कपड़े, उसकी बातें और बिशनी की चुदाई का ख्याल – मेरी बेटी मेरे सामने थी, मगर चाह कर भी मेरा लंड ढीला नहीं हो रहा था।
मैं पायजामे में लंड के पूरे उभार के साथ ही कुर्सी से उठा और लंड खुजलाते हुए बोला, लंड के आगे हाथ रख कर लंड की सख्ती छुपाते हुए बोला, “ये तो है प्रीती, बिशनी को अब सब की जरूरतों की अच्छे से समझ आ गई हैं।”
हाथ से ढंके होने बावजूद मेरे खड़े लंड का उभार पायजामें में छुप नही रहा था – खड़ा लंड साफ़ दिखाई पड़ रहा था। प्रीती कुछ बोली नहीं, एक नजर प्रीती ने मेरे लंड के आगे रखे हाथ को देखा और हंस दी। फिर मैंने लाऊंज की तरफ चलते हुए कहा, “चलो देखूं आज के अखबार क्या कहते हैं।”
प्रीती भी हंसी और बास्केट बॉल जैसे चूतड़ मेरी तरफ कर के चाय के खाली बर्तन समेटने लगी। प्रीती तो आज जैसे मेरा ईमान खराब करने का ठान ही चुकी थी। मैं लाउंज की तरफ चला गया। बाहर से अखबार लाया और बाहर का दरवाजा बंद करके अखबार पढ़ने लगा।
पंद्रह मिनट के बाद प्रीती आयी। प्रीति के हाथ में बड़ा तौलिया था। आते ही उसने अपन मम्मे नीचे ऊपर के तरफ किये और बोली, “पापा मैं नहाने जा रही हूं।”
मुझे समझ नहीं आ रहा था प्रीती नहाने की लिए लाऊंज के बाथरूम में? जबकि गेस्टरूम में, जिसमे प्रीति रह रही थी, उसमें भी अच्छा खासा बड़ा बाथरूम था। प्रीती की ये लाऊंज वाले बाथरूम में नहाने वाली बात कुछ समझ नहीं आयी।
फिर प्रीती मुस्कुराते हुए बोली, “पापा आप तो अभी यहीं बैठोगे ना?” और मेरे जवाब का इंतजार किये बिना प्रीती चूतड़ हिलाती मटकाती बाथरूम में चली गयी।
ओह माई गॉड – प्रीती के चूतड़! मेरे लंड की हालत इतनी खराब थी कि मेरा मुट्ठ मारने का मन होने लगा था। और फिर, वो “पापा आप तो अभी यहीं बैठोगे ना!” इसका क्या मतलब था? क्या प्रीती ने इशारा किया था कि मैं वहीं बैठा रहूं?
अखबार मेरे सामने था, मगर मैं पढ़ नहीं पा रहा था। मुझे प्रीति की बातें – उसकी ड्रेस। उसका गाऊन के नीचे कुछ भी ना पहनना और फिर बिशनी वाली बात और मेरे लंड को बार-बार देखना। कुछ तो था तो मझे पूरी तरह अभी समझ नहीं आ रहा था।
पंद्रह मिनट में बाथरूम का दरवाजा खुला और प्रीति बाहर आयी। खाली तौलिया लपेटे हुए। तौलिया प्रीटी के आधे मम्मों को ही ढक रहा था। मम्मों की दो गोलाईयों के बीच की लाइन अजीब ही नजारा पेश कर रही थी। उधर तौलिया प्रीती के घुटने से छह इंच ऊपर था – फुद्दी से सिर्फ चार इंच नीचे।
मेरी नजर आधी नंगी प्रीति से हट नहीं रही थी। प्रीती ने एक हाथ से पीठ के पीछे से तौलिये को पकड़ा हुआ था। प्रीती बिना कुछ बोले, मुझे एक-टक देखते हुए खड़ी थी, अपने कमरे में जा भी नहीं रही थी।
बला की खूबसूरत और सेक्सी मेरी बेटी प्रीती को इस तरह देख मेरा लंड पूरी सख्त हो चुका था। पांच-सात मिनट ऐसे ही गुज़र गये और फिर उसके के बाद वो हुआ जिसकी मैंने कल्पना भी नहीं की थी।
प्रीटी के बदन पर लिपटा तौलिया नीचे सरक गया।
प्रीटी का एक हाथ अभी भी पीठ के पीछे ही था। प्रीटी ने जान-बूझ तौलिया छोड़ा था या फिर गलती से गिर गया था? प्रीती ने ना तो अपने मम्मे ही ढंके, और ना ही हल्के छोटे रोएंदार बालों वाली फुद्दी। प्रीटी ने नीचे गिरा तौलिया भी नहीं उठाया, मतलाब साफ़ था, प्रीती ने जान-बूझ कर तौलिया गिराया था।
गजब की सुन्दर सेक्सी प्रीती मेरे सामने नंगी खड़ी थी। प्रीती के बड़े-बड़े खड़े मम्मे, 24 इंच की पतली कमर के नीचे अलग से दिखाई देते उभरे हुए चूतड़ और हल्की झांटों वाली चूत। दुनिया भर के पोर्न फिल्में – चुदाई के फिल्में देखने वाला ये अवतार सिंह रंधावा। मेरी आंखों के आगे पोर्न एक्ट्रेसेस – चुदाई की फिल्मों की हीरोइनों की शक्लें घूम गयी।
अब बिना प्रीती को चोदे रहना मेरे लिए मुश्किल था। लंड फटने को हो रहा था। मेरा लंड पूरे तरह खड़ा था और पायजामें में से साफ़ दिखाई पड़ रहा था।
मैं उठा और प्रीती की तरफ गया और प्रीती के सामने खड़ा हो गया। प्रीती वैसे ही खड़ी रही, बिना हिले डुले, बिना कुछ भी बोले।
मैंने प्रीती के मम्मे हल्के से दबाये, उसके चूतड़ों पर हाथ फेरा और अचानक से मैंने प्रीती को बाहों में उठा लिया और अपने बैडरूम में ले गया। मैंने प्रीती को बिस्तर पर लिटा दिया और अपने कपड़े उतार दिए।
मेरा लंड सीधा खड़ा था। प्रीती मेरे सीधे खड़े लंड की तरफ ही देखे जा रही थी।
मैंने प्रीती की चूतड़ों के नीचे तकिया रखा, प्रीती की टांगें उठा कर फैला दी। प्रीती की गुलाबी चूत मेरे सामने थी। कोइ और दिन होता तो मैं चूत को जरूर चूसता चाटता। मगर प्रीती के ऐसे मस्त सेक्सी जिस्म और बड़ी-बड़ी फांकों वाली गुलाबी फुद्दी को देख कर मुझसे रहा ही नहीं जा रहा था।
मैंने लंड प्रीती की फुद्दी के छेद पर रखा और एक ही झटके से पूरा लंड बिठा दिया। प्रीती बस इतना ही बोले, “आह पापा।”
बस इसके बाद मैंने प्रीती को बाहों में जकड़ा और चोदना शुरू कर दिया। दो मिनट की चुदाई के बाद ही प्रीती पूरे जोश में आ गयी। प्रीती ने भी मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया और अपनी टांगों से मेरी कमर को कैंची की तरह जकड़ लिया।
अब प्रीती नीचे से चूतड़ हिला घुमा रही थी। मजे के मारे प्रीती की सिसकारियां निकलने लगी, “आह पापा क्या मस्त लंड है आपका, क्या रगड़ाई कर रहा है मेरी फुद्दी की। पापा बड़ा मजा आ रहा है, आह पापा चोदो और जोर से चोदो।”
प्रीती की बातों ने मेरी मस्ती बढ़ा दी और मैंने और भी जोर-जोर से प्रीती की चुदाई शुरू कर दी। जवान सेक्सी प्रीती की टाइट फुद्दी को इस तरह चोदने का मुझे भी अजीब सा मजा आ रहा था। प्रीति के बड़े-बड़े मम्मे मेरी छाती पर चिपके हुए था।
मेरी लगातार वाली चुदाई से प्रीती की चूत ने एक बार पानी छोड़ा, मगर मेरा लंड खड़ा ही था। मेरी चुदाई चालू थी। फिर प्रीती की चूत एक बार और पानी छोड़ गयी, मगर मेरा लंड तब भी खड़ा ही था।
इस ताबड़-तोड़ चुदाई से जब प्रीती की चूत ने तीसरी बार पानी छोड़ा, तब मुझे भी मजा आ गया। मेरे लंड का गर्म-गर्म गाढ़ा पानी मेरे लंड से निकल कर प्रीती की चूत में चला गया।
प्रीती ने एक बार मुझे कस कर पकड़ा और बोली, “आह पापा गया गर्म-गर्म मेरी फुद्दी में, आज तो आपके साथ कमाल का मजा आया है” और इसके साथ ही प्रीती ने अपने टांगें मेरे कमर से हटा ली और मेरे पीछे से अपने बाहें भी हटा ली।
मैंने प्रीती की चूत में से लंड निकाला और बिना प्रीती की तरफ देखे बाथरूम में चला गया। कुछ भी हो, जितनी भी प्रीती सेक्सी थी, मगर थी तो मेरी बेटी ही – वो भी शादी-शुदा, सुखचैन की अमानत। मुझे लगा प्रीती इतने दिनों से सुखचैन से लगातार चुदाई करवा रही थी, इसलिए उससे रहा नहीं गया और उसने मुझसे चुदाई करवा ली।
मैं नहा कर बाथरूम से बाहर आया। प्रीती भी शायद अपने कमरे में जा चुकी थी।
मैं सीधा बाहर गया और जुगनू के साथ फार्म पर चला गया। फार्म से वापस आया तब भी मैं बाहर गाड़ी में ही बैठा रहा। जुगनू अंदर सब्ज़ी अंडे दूध देकर आया और मैं उसके साथ सेक्टर सत्रह चला गया।
पांच बजे मैं वापस आया और लाउंज में ही बैठ गया। प्रीती मेरे लिया चाय बना लाई। प्रीती उस वक़्त सलवार कमीज में थी।
प्रीती से नज़र मिलाने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी। चाय पी कर मैं बाथरूम चला गया।
फ्रेश हो कर मैं वापस लाउंज में आ गया और शिवाज़ रीगल का पेग बना कर मैंने टीवी चालू कर दिया और व्हिस्की के हल्के हल्के घूँट भरने लगा।
थोड़ी ही देर में प्रीती भी आ गयी। प्रीती कपड़े बदल चुकी थी। प्रीती ने वही सुबह वाली ड्रेस पहनी हुई थी – हल्का ग़ुलाबी झीना गाऊन। गाऊन के नीचे ना ब्रा, ना पैंटी।
प्रीती ने भी बार की अलमारी में से जिन की बोतल निकाली और नींबू पानी और सोडे में जिन मिला कर पीने लगी। प्रीती अक्सर वाइन ही पीती थी, मगर उस दिन प्रीती ने जिन की बोतल निकाली। खैर ये कोइ बड़ा मुद्दा नहीं था।
मेरा एक पेग खत्म हो चुका था। मैंने दूसरा पेग बना लिया। प्रीती का पेग भी खत्म होने को था। अपना पेग खत्म करके प्रीति ने दूसरा पेग बनाया और उठ कर टीवी बंद करके सीधा आ कर मेरी गोद में बैठ गयी।
प्रीती का इस तरह मेरी गोद में बैठना वो भी इतनी सेक्सी ड्रेस पहने हुए? मेरी हैरानी की कोइ सीमा नहीं रही। मेरे गले में बाहें डाल कर प्रीती बोली, “पापा क्या बात है नाराज़ हो? सुबह भी आप बिना बताये फार्म पर चले गए, फिर ऑफिस चले गए – क्या बात है?
मैंने ना प्रीती को उठने के लिए कहा, ना मैंने प्रीती के बात का जवाब ही दिया। प्रीती मेरी छाती पर हाथ फेरती रही। फिर अचानक प्रीती ने अपने गाऊन के बटन खोल दिए और अपने मम्मे बाहर निकाल लिए।
क्या मम्मे थे गोल-गोल बड़े-बड़े आगे से नुकीले। मम्मों के गुलाबी भूरे निप्पल अलग ही दिखाई दे रहे थे। मन तो कर रहा था चूस लूं, पर वही बात। अपनी बेटी के मम्मे कैसे चुसूं? अब वो बात अलग थी कि सुबह ही मैंने उसकी चुदाई की थी। मैंने सोचा, मगर वो तो एक एक्सीडेंट सा था।
प्रीती ने मेरा हाथ पकड़ा और उठा कर अपने मम्मे पर रख दिया।
मैंने कह ही दिया, “प्रीती क्या ये ठीक क्या बेटा?”
प्रीती बोली, “क्या ठीक है पापा? किसकी बात कर रहे हो?”
मैंने हिम्मत जुटाते हुये कहा, “यही प्रीति जो सुबह हममें हुआ।”
प्रीती ने मेरा हाथ अपने मम्मे पर दबाया और बोली, “पापा क्या हुआ? क्या सुबह वाली चुदाई की बात कर रहे हो आप?”
इतने पर भी ना तो मैंने प्रीती का मम्मा दबाया और ना ही उसकी बात कोइ जवाब दिया।
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अगला भाग पढ़े:- पापा की परी प्रीती-4