तो कहानी कुछ ऐसे शुरु होती है कि मेरे मौसा जी की फौज में भर्ती है। वो साल में 1 या 2 महीने ही घर आया करते थे। पहले तो मौसी मौसा के साथ ही रहती थी पंजाब में। लेकिन 4 साल पहले मौसा ने हमारे साथ ही अपना घर खरीद लिया, और बच्चो और मौसी को घर छोड़ गए। वैसे तो मेरी 4 मौसी है, और 2 मामा है, और एक मेरी मम्मी है। तो आप समझ सकते हो कि नाना कितने जोरदार थे, और नानी की चूत में भी कितनी खुजली होती होगी।
माफ कीजियेगा थोड़ा कहानी से भटक गया। तो मेरे सभी मौसी और मामा में से मैं सबसे ज्यादा 2 मौसी के साथ ही ओपन था, और जिनके यहां जाना मुझे पसंद था। एक मेरी रूबी मौसी, और दूसरी थी लवली मौसी। बचपन से ही मुझे उनके यहां रहना पसंद था, तो मैंने अपना आधे से ज्यादा बचपन मौसी के साथ ही गुज़ारा था। वैसे तो मेरे मन में उनके लिए कुछ नहीं था। लेकिन क्यूंकि जवानी चरम सीमा पर थी, और मैं डेली सेक्स स्टोरी पढ़ता था, तो धीरे-धीरे मेरा लौड़ा आंटियों पर भाभियों पर आने लगा था।
तो अभी तक भी मेरे मन में कुछ नहीं था। लेकिन एक बार मैं मौसी के यहां था, क्यूंकि मेरी छुट्टी चल रही थी कॉलेज की, और मौसा भी आए हुए थे। तो हमने मौसा का वेलकम किया, और फिर हमने खाना खाया। फिर हम सब सोने चले गए। मैं अपनी मौसी के बच्चों के साथ था, (14 साल की गुड़िया और 10 साल का मयंक) तो मैं उनके साथ सोया था।
मुझे रात के करीब 1 बजे सूसू लगी, तो मैं करने के लिए उठा। मैंने देखा कि मौसा के कमरे की लाइट जल रही थी। फिर मैंने जब पास जाकर खिड़की में से झांका, तो मेरा मुंह फटा का फटा रह गया। मेरी मौसी पूरी तरह से नंगी थी, और मौसा भी, और मौसी और मौसा की बहस चल रही थी।
मौसा: मुझसे नहीं हो रहा, मैं थक गया हूं।
मौसी: ऐसे कैसे नहीं होता? इतने महीने बाद मिले हो, और अभी भी वहीं ड्रामे।
मौसा: यार मैं मशीन नहीं हूं जो करता ही रहूं।
मौसी: 3 मिनट की मशीन कौन सी होती है?
मौसा: नहीं मुझसे नहीं होगा।
मौसी: तो मैं क्या करूं? बस बच्चे ही पैदा करने थे क्या? मैं कहा अपनी प्यास बुझाऊं? मैं कोई रंडी नहीं ही जो बाहर जाऊं और कहीं भी मुंह मार लूं।
मौसा: वो मुझे नहीं पता, पर मैं थक गया हूं। मुझे सोने दो।
और मौसा सो गए। मौसी मायूस हो गई, और नंगी ही उठी और अपनी अलमीरा में से एक टॉय उठाया। वो मशीन वाला टॉय था, जिसको दीवार पर या बेड के कोने पर चिपका देने पर और बटन दबाने पर वो लौड़ा अपने आप आगे-पीछे हिलता है। तो मौसी ने उसे दीवार पर चिपका दिया, और कुतिया बन कर उसे अपनी चूत में डाल दिया। फिर बटन दबा दिया, और स्पीड पूरी तेज़ कर ली। उसके बाद वो धीरे धीरे सिसकारियां निकालने लगी आह आह आह।
आखिरकार कुछ 10 मिनट बाद हम दोनों झड़ गए। समझ तो आप गए होंगे, आखिर कैसे रोकता मैं अपने आप को? उसके बाद ऐसे ही नंगी सो गई, और मैं भी कमरे में जाकर सो गया। लेकिन मौसी का वो नंगे और गोरे बदन ने मुझे पूरी रात नहीं सोने दिया, और उस रात मैंने 3 बार मुट्ठ मारी।मैंने सोच लिया कि जो खुशी मौसी को चाहिए, उन्हें वो मैं दूंगा।
तो कुछ 15 दिन बाद मौसा चले गए, और रोज़ इन 15 दिन में रात का प्रोग्राम फिक्स था। तो आखिरकार मैंने मौसी की चुदाई का प्लान चालू किया। मैं अभी भी मौसी के यहीं था, और बच्चों के स्कूल खुल गए थे। तो वो सुबह 8 बजे चले जाते, और शाम को ही आते पूरा ट्यूशन पढ़ कर। अब मैं जान-बूझ कर लोअर की जगह हाफ कच्छे में रहने लगा, और सोते वक्त तो मैं जान-बूझ कर अपने ब्रीफ में ही सोता था।
इससे बच्चे जाने के बाद जब मौसी मुझे उठाने आती, तो मैं जान-बूझ कर उसी समय अपना लौड़ा तान लेता था। जोकि कच्छा फाड़ने को होता। तो मौसी जब भी मेरे ऊपर से कपड़ा हटाती, तो मैं थोड़ी खुली आंखों से देखता। मौसी मेरे लौड़े को बड़े ध्यान से देखती थी। उसके बाद पूरा दिन भी मैं बॉक्सर में ही रहता अपने अंदर का कच्छा निकाल कर, जिससे मेरा लंड खड़ा ही दिखता था। मैंने देखा कि मौसी पर ठीक-ठाक असर हो रहा था।
मुझे खाना बनाना आता है तो मैं जान कर मौसी की मदद करता था, जिससे कभी मसाले उतारने होते तो मैं मौसी की गांड को लंड से दबाते हुए मसाले उतारता। कई बार तो मौसी की सिसकारियां निकल जाती थी। मैं जब पूछा करता तो मौसी टाल देती थी। तो ऐसे ही दिन बीतने लगे और मैं थोड़ा और ज्यादा ओपन हो गया।
मैं अपने कमरे में लैपटॉप पर सेक्स स्टोरी पढ़ने लगा हिंदी वाली, और जब मैं देखता की मौसी आस-पास है तो मैं जान कर वहां से फोन पर बात करता हुआ चला जाता। जिससे मौसी उस स्क्रीन पर देखती तो बैठ जाती, और मैं जान कर मौसी को सेक्स स्टोरी लगा देता, जिससे मौसी उसे पढ़ती और मौसी का हाथ सीधा अपने चूचों पर जाता। फिर मैं जान कर आ जाता और उनको तड़पा देता।
इसके आगे की कहानी अगले पार्ट में। फीडबैक देने के लिए sunnylostsoul308@gmail.com पर मेल करें।
अगला भाग पढ़े:- अनचाही वासना-2