चित्रा और मैं-12

मेरी हिंदी सेक्स कहानी के पिछले पार्ट में आपने पढ़ा, कि आंटी ने मुझे बहाने से अपने घर बुलाया। फिर मैंने आंटी को अपने लंड का पानी पिलाया। अब आगे-

फिर आंटी खड़ी हुई, मेरे चेहरे को अपने पेट पर प्यार से दबाया, और पूछा, “कितनी देर के लिए भेजा है मम्मी ने तुझे? अच्छे से मेरी चूत चूस कर ही जाना प्लीज़!” “ओके आंटी, चूत तो मुझे चूसनी ही है। लेकिन सोच रहा हूं कि अगर चूत चूस कर घर गया तो मम्मी फ़ौरन मेरे मूंह से निकल रही महक से पहचान लेगी। क्योंकि चूत के पानी की खुशबू तो छुपाये नहीं छुपती किसी औरत से! क्या करूं?”

“बड़ा माहिर निकला यार तू तो। ये तो शायद मैंने भी ना सोचा होता। लेकिन तू बैठ, मैं इसका अभी इंतेज़ाम करती हूं।” “और सुना है चित्रा अब अपना ग्रेजुएशन यहां रह कर ही करना चाहती है। मज़ा आ गया तुम दोनों को तो, क्यों? मैं तो परसों जा रही हूं। मगर जाने से पहले तेरे साथ और दो-चार घंटे नंगे ही बिताने हैं। तेरा लौड़ा बड़ा ही प्यारा है, और तू तो चूत में उंगली करने में भी कुदरती माहिर है।

मैंने कइयों से करवाई है, लेकिन तेरी तो बात ही बिलकुल अलग है। और हमारे पास सिर्फ कल का टाइम है। एक बात और, मैं तुझे चूत के अंदर उस जगह के बारे में भी बताउंगी जिस जगह को अगर तू चूत में उंगली करते वक्त छू ले, तो औरत को इतनी जोर का ओर्गास्म आएगा कि वो दिन में कई बार खुद ही अपनी चूत खोल कर तेरे सामने बैठ जाएगी। तो कल तू खुद ही टाइम निकाल कर मेरे पास आजा तो तुझे जी भर के चूत, चूची, चोदन,और ज्ञान, मिल जाएगा।”

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