बाप बेटी की चुदाई – मालिनी अवस्थी की ज़ुबानी-9

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रागिनी ने जब अपनी बेटी मानसी से उसकी आलोक के साथ हो रही चुदाई के बारे में बात की तो मानसी ने बड़ी ही बेशर्मी के साथ मान लिया कि बाप-बेटी के बीच चुदाई हो रही है। लेकिन मानसी ने बाप-बेटी के बीच हो रही इस चुदाई के लिए अपनी मम्मी रागिनी को ही जिम्मेदार ठहरा दिया।

अब आगे।

“मानसी की इस बात का जवाब मैंने उसी अंदाज में दिया, “ये तुमसे किसने कहा कि मेरे पास उनसे चुदाई करवाने का वक़्त नहीं और मैं आलोक से चुदाई नहीं करवाती? आलोक जब भी चाहता है, कहता है, मैं आलोक से चुदाई करवाती हूं”।

मानसी उसी ऊंची आवाज में बोली, “हां करवाती हैं चुदाई आप, मगर दो-दो, तीन-तीन, चार-चार महीने में एक बार। क्या आपकी उम्र में इतनी चुदाई बहुत है? आप क्या समझती हैं मुझे कुछ पता नहीं है – मुझे कुछ पता नहीं चलता? क्या आपने कभी ये समझने की कोशिश की, कि जब कभी पापा का चुदाई का मन होता होगा तो वो क्या करते होंगे”?

“आप और पापा एक-दम तंदरुस्त हो। आपकी उम्र की हर तंदरुस्त इंसान को अच्छी मस्त चुदाई चाहिए होती है। पापा को भी चाहिए, आपको भी चाहिए”।

फिर जो मानसी ने कहा, उसने तो मेरे पैरों कि नीचे से जमीन ही सरका दी। मानसी बोली, “मम्मी वैसे एक बात बोलूं? आपकी चुदाई का तो मुझे पता नहीं, मगर पापा के बारे में मैं जानती हूं, पापा को आज-कल चोदने के लिए चूत नहीं मिल रही”।

मुझे लगा मानसी मुझ पर इल्जाम लगा रही है। मैंने चिल्ला कर कहा, “तुम्हें मेरी चुदाई का पता नहीं? क्या मतलब है तुम्हारा? तुम्हारा मतलब है मैं तुम्हारे पापा के अलावा कहीं और चुदाई करवाती हूं”?

मानसी भी वैसे ही बोली, “ये तो आप बताओ मम्मी। ये सवाल आप अपने आप से करो। पापा के साथ तो आपकी चुदाई जल्दी-जल्दी नहीं होती, ये तो आप भी जानती हैं, और मैं भी जानती हूं। एक छत के नीचे ही हम रहते हैं, इतना तो पता चलता ही है”।

“अब आप ही जवाब दो और मुझे समझाओ कि दो जिन दो-तीन-चार महीनों में पापा की आपके साथ चुदाई नहीं होती, तो क्या उन दो-तीन-चार महीनों में आपकी भी चुदाई नहीं होती”?

“ये तो मानसी मुझ पर साफ़ ही इलज़ाम लगा रही थी। हैरान परेशान मैं सोच रही थी कि मानसी को इस बात का क्या जवाब दूं”।

“तभी मानसी एक पल रुक कर ताना कसते हुए बोली, “कम से कम अब सच बोलना मम्मी”।

मेरे पास मानसी की इस बात का कोइ जवाब नहीं था। चुदाई तो मैं करवाती ही थी। और फिर प्रवीणा और दूसरी नर्सों के साथ चूत चुसाई भी भी होती रहती थी”।

“फिर भी मैंने कहा, “ये क्या बेहूदा सवाल हैं मानसी”?

“मानसी भी उसे तल्खी के साथ बोली, “बेहूदा? मेरे हिसाब से ये बहुत ही आसान और सीधा सवाल है। आपको हां या ना ही तो कहना है। यही तो बताना है कि हां आप चुदाई करवाती हैं, या नहीं आप चुदाई नहीं करवाती है। अब बताईये मम्मी हां या ना”।

“मुझे मानसी से ये उम्मीद तो बिल्कुल नहीं थी कि मानसी ऐसा सीधा सवाल भी कर देगी”।

“मैंने बात संभालने कि लिए फिर कहा, “मानसी बात चुदाई की नहीं, रिश्तों में चुदाई की हो रही है। मुझे तुम्हारी चुदाई से कोइ एतराज नहीं, मुझे एतराज है बाप-बेटी की चुदाई से – जो गलत है कानूनी तौर पर भी और सामाजिक तौर पर भी”।

“मानसी ने फिर कहा, “गलत है? अच्छा तो फिर ये बताओ कि अगर आप पापा से चुदाई ना करवा कर बाहर से चुदाई करवाती हो, वो ठीक है? वो गलत नहीं है”?

“मानसी की बातें मुझे परेशान करने लगी। मेरा पसीना छूटने लगा। मैंने फिर कहा, “मानसी बाप-बेटी की चुदाई कानून के खिलाफ है, और समाजिक मान्यताओं के भी खिलाफ है। कभी सोचा है अगर बात बाहर चली गयी तो क्या होगा? क्या हो सकता है”?

“मानसी तो जैसे आलोक के साथ अपनी चुदाई को सही ठहरने पर तुली हुई थी। वो बोली, “मम्मी हो सकता है मेरी और पापा की चुदाई कानून के खिलाफ हो और गलत हो, मगर ये सब तो तब होगा ना जब किसी को पता चलेगा”।

“दूसरे ये गलत तब होगा, अगर किसी एक की तरफ से जोर जबरदस्ती, जिसे बलात्कार कहते हैं, वो होता हो। मेरी और पापा की चुदाई में पापा की तरफ से किसी तरह की कोई जोर जबरदस्ती नहीं होती। पापा के साथ मेरी चुदाई मेरी मर्जी से होती है”।

“मैं परेशान सी मानसी की तरफ देख रही थी। मानसी की बातों का कोइ जवाब ही मुझे नहीं सूझ रहा था”।

“जब मैं आगे कुछ नहीं बोली तो मानसी उसी अंदाज में बोली, “अभी भी समझ में आया या नहीं मम्मी”।

“मानसी की बातों का मेरे पास कोइ जवाब नहीं था, फिर भी मैंने कहा, “मगर मानसी हो सकता है ये चुदाई तुम्हारी मर्जी से हो, मगर ये चुदाई आलोक की मर्जी से नहीं हो रही”।

“मानसी वैसी ही आवाज, वैसे ही अंदाज में आगे बोली, “अच्छा? अब आप कह रही हैं कि पापा मेरी चुदाई मर्जी से नहीं करते, तो बताईये चुदाई कैसे हो जाती है”?

“चुदाई के लिए लंड का खड़ा होना जरूरी होता है या नहीं? पापा का लंड खड़ा कैसे हो जाता है? चलो मान लिया मैं चूत चौड़ी करके लेट जाते हूं, तो पापा का लंड मेरी चूत के अंदर कैसे चला जाता है? क्या अपने आप चला जाता है”?

“मैं तो कभी पापा के लंड पर नहीं बैठी। पापा ही लंड मेरी चूत में डालते हैं। पापा खड़ा हुआ लंड मेरी चूत में डालते हैं, तब लंड चूत के अंदर जाता है। और जो पापा लंड मेरी चूत में डाल कर कमर ऊपर-नीचे करते हैं, झटके लगाते हैं, अपने लंड का पानी मेरी चूत में निकालने के लिए, वो क्या पापा की मर्जी से नहीं होता”?

“मानसी ने तो बेशर्मी की सारी हदें ही पर कर दी थी। मानसी की ऐसी बेशर्म बातों से मैं चुप ही रह गयी”।

“जो बात मानसी बोल रही थी, यही बात मैंने आलोक से भी पूछी था, जब मेरी आलोक से बात हुई थी, “कैसे मजबूर कर दिया आलोक तुम्हें मानसी ने चुदाई के लिए? क्या उसने तुम्हारा लंड पकड़ कर खड़ा किया, और फिर अपनी चूत में डाल लिया? कैसे मजबूर कर दिया मानसी ने तुम्हें उसकी चुदाई के लिए, बताओ”?

फिर मानसी कुछ चुप हुई और थोड़ी धीमी आवाज में बोली, “मम्मी आपको पता भी है, रातों को पापा आपका नाम ले-ले कर, रागिनी रागिनी रागिनी बोलते हुए अपना लंड हाथ में लेकर कुछ-कुछ करते हैं, और अपने लंड का पानी निकालते हैं। बस यही मुझसे नहीं देखा जाता”।

“मैंने पूछा, “तुम्हें ये सब कैसे पता कि तुम्हारे पापा मेरा नाम ले-ले कर कुछ-कुछ करते हैं और अपने लंड का पानी निकालते हैं? क्या ये सब तुम्हें दिखा कर करते हैं, तुम्हारे सामने करते हैं”?

मानसी बोली, “नहीं मम्मी, पापा ना तो ये सब मुझे दिखा कर करते है, ना मेरे सामने करते हैं। ये मुझे इस लिए पता है क्योंकि रातों को मैं घर पर होती हूं। मैंने कई बार पापा को रागिनी-रागिनी बोलते हुए हाथ से ये करते हुए देखा है”।

“मानसी की तर्कों से मैं हैरान थी। मगर मुझे इसका कोइ सही जवाब नहीं सूझ रहा था। मगर फिर भी मैंने कहा, “और मानसी अगर आलोक ही तुम्हें चोदने से मना कर दे तो”?

मानसी ने बस इतना ही कहा, “मैं पापा को जानती हूं, वो कभी मना नहीं करेंगे। जितना ख्याल मुझे पापा का है उतना ही ख्याल पापा को मेरा भी है”।

“इतना कह कर रागिनी चुप हो गयी”।

“रागिनी की सारी बातें सुन कर मुझे दो बातें लगी। पहली बात तो ये कि हो सकता है आलोक से एक बार चुदाई करवा कर मानसी को आलोक के लम्बे लंड से चुदाई करवाने का चस्का लग गया हो, और अब वो आलोक के लंड के बिना नहीं रह सकती”।

“दूसरे ये कि वो अपने पापा से अलग ही तरह का प्यार करने लगी हो – ऐसा प्यार जो बचपन में पनपता है और फिर उम्र के साथ-साथ और बढ़ता चला जाता है, और फिर बात किसी भी हद तक चली जाती है – जैसे चुदाई तक”।

“हालांकि रागिनी की बातों से मुझे मानसी और अलोक के रिश्तों में ये दूसरी वजह ही सही सी लग रही थी, मगर किसी नतीजे पर आलोक और मानसी से बात करने के बाद ही पहुंचा जा सकता था”।

“जहां तक लम्बे लंड का सवाल है, तो लम्बे लंड का चूत चुदाई में कोइ ख़ास मतलब नहीं होता। लम्बे लंड से चुदाई सिर्फ एक दिमागी फितूर होता है, एक तरह की ठरक। चुदाई की फिल्मों में लम्बे गधे जैसे लंड देख कर लड़के-लड़किया यहीं सोचने लग जाते हैं कि लम्बे लंड की चुदाई ही असली चुदाई होती है”।

“चूत का तो चार से पांच इंच का हिस्सा ही ऐसा होता है जहां लंड की रगड़ाई महसूस होती है। उसके आगे चूत के अंदर लंड की रगड़ महसूस ही नहीं होती”।

“यही कारण है कि डाक्टरों के अनुसार साढ़े चार इंच का लंड भी वही काम करता है जो छह सात या उससे ज्यादा लम्बा लंड करता है। चूत की चुदाई के लिए लंड सख्त रहना चाहिए और चुदाई लम्बी चलनी चाहिए”।

ये सब बातें सोचते हुए मैंने रागिनी से कहा, “रागिनी, मैंने तुम्हारी बातें सुन ली हैं और काफी हद तक समझ भी ली हैं। अब मैं जापान से वापस आने के बाद पहले अलोक से भी बात करती हूं। आलोक की बात सुनने समझने के बाद मानसी से बात करूंगी। देखते हैं क्या नतीजा निकलता हैं”।

“एक बात तो लग ही रही है कि मानसी के साथ इस चुदाई में कोइ जोर जबरदस्ती नहीं हुई – ये चुदाई मानसी की मर्जी से ही होती है। फिर भी एक बार आलोक से बात करने के बाद ही समझ आएगा कि आखिर ऐसा भी क्या हुआ होगा कि बाप-बेटी में चुदाई शुरू हो गई”।

“फिर मैंने रागिनी से कहा, “मैं ये भी जानना समझना चाहती हूं आलोक का इस नाजायज से रिश्ते के बारे में क्या कहना है। आलोक से एक बात हो जाये फिर ही आगे का कुछ सोचेंगे कि मानसी से क्या बात करनी है, और कैसे बात करनी है”।

“मैंने बात जारी रखते हुई रागिनी से कहा, “पहले तो ये पता चलना चाहिए कि क्या आलोक सच में ही चाहता है कि मानसी उससे चुदाई ना करवाए, या फिर उसे ही मानसी की जवान टाइट चूत चोदने का चस्का लग चुका है, और अब बहाने बना रहा है”।

“या शराब कि नशे में ही कभी रात को आलोक ने मानसी को जबरदस्ती चोद दिया, और इस जबरदस्ती वाली चुदाई में एक बार मजा आने के बाद मानसी को ही चुदाई का चस्का लग गया”।

मैंने फिर कहा, “रागिनी एक बात बताओ, क्या अलोक जानता है कि तुम मेरे पास आयी हो इस बारे में बात करने”?

रागिनी ने जवाब दिया, “मालिनी जी उस दिन जब मैंने अलोक से उसकी और मानसी की चुदाई के बारे में बात की थी। तब मुझे आलोक की बातों से तो यही लगा था कि मानसी को नहीं चोदना चाहता, मगर इसलिए चोदता है कि उसे डर लगता है कि अगर वो मानसी को चोदने से मना करेगा, तो मानसी कोइ गलत कदम ही ना उठा ले”।

“तब आलोक ने ही कहा था कि हमें किसी मनोचिकित्स्क की मदद लेनी चाहिए जो मानसी को समझा सके और उसकी और मानसी की चुदाई हमेशा के लिए बंद हो जाये। लेकिन मालिनी जी आपके पास आने का फैसला मेरा था, और मैंने आलोक को इस बारे में बता दिया था”।

रागिनी की ये बात सुन कर मैंने कहा, “चलो फिर तो देखते हैं आगे क्या करना है। हो सकता है आलोक सच में ही चाहता हो कि मानसी उससे चुदाई बंद कर दे। अब असलियत क्या है, ये तो आलोक और मानसी से बात करने के बाद ही पता चल सकेगा”।

फिर मैंने रागिनी को सलाह दी, “रागिनी इस बीच तुम ये करो कि जीवन ज्योति में अपनी शिफ्ट फिर से दिन की करवा लो। कम से कम कुछ महीनों के लिए जब तक हम इस पूरे मामले को सुलझा नहीं लेते। इसके लिए अगर किसी से रिक्वेस्ट करनी पड़े तो कर लो। यहां तक कि अगर अपना डिपार्टमेंट बदलवाना पड़े, तो वो भी बदलवा लो”।

“रात भर घर पर रहोगी तो मानसी को लगेगा बंद कमरे में पति-पत्नी की चुदाई हो रही है। मानसी की ये शिकायत दूर हो जाएगी कि तुम्हारी और आलोक की चुदाई नहीं होती या कम होती है”।

“फिर मैंने कुछ सोचते हुए कहा, “अगर किसी तरह मौक़ा पा कर मानसी आलोक से चुदाई करवाती भी है तो करवाने दो। फिलहाल इसे आलोक और मानसी पर छोड़ दो। एक साल पहले बना चुदाई का रिश्ता इतनी जल्दी खत्म नहीं होने वाला”।

रागिनी उठते हुए बोली, “ठीक है मालिनी जी, जैसे आप ने बताया मैं वैसा ही करूंगी। हफ्ते बाद फोन करूंगी। फिर जब आप कहेंगी आलोक को आपसे मिलवाऊंगी”।

ये बोल कर रागिनी ने अपना पर्स और गाड़ी की चाबी उठाई, और मुझसे विदा ले कर जाने लगी।

जाते-जाते रागिनी फिर हंसते हुई बोली, “मालिनी जी आलोक आये तो फिर आप उससे अच्छे से सवाल-जवाब करना”। ये कहते हुए रागिनी ने अपनी चूत भी खुजला दी।

“मेरा जापान का सात दिन का ट्रिप कामयाब रहा। भारतीय मनोचकित्स्कों की धूम है जापान में”।

“रागिनी को मेरे वापस आने का प्रोग्राम पता ही था। मेरे वापस पहुंचने के तीसरे दिन रागिनी का फोन आ गया”।

“मैंने रागिनी को अगले दिन आलोक को साथ लाने को कह दिया”।

“आलोक का ध्यान आते ही आलोक लंड मेरी आखों के आगे घूम गया – ऐसा लगा लंड जैसे मेरी गांड में ही घुसा हुआ है। “मैं ही कौन सी कम ठरकी हूं – लम्बे लंड की शौक़ीन”।

मेज की दराज खोल कर देखा, गांड चुदाई में इस्तेमाल होने वाली जैल की ट्यूब है या खत्म हो गयी। मेरी पूरा इरादा था कि आलोक का लम्बा लंड गांड में लेना ही लेना है। लम्बे लंड से गांड चुदवाने का मजा ही अलग होता है।

मनोचकित्सा और चुदाई, सब काम साथ साथ चलने चाहियें।

– आलोक का आना डाक्टर मालिनी के क्लिनिक में

“अगले दिन ठीक ग्यारह बजे आलोक और रागिनी मेरे क्लिनिक में पहुंच गए। कुछ रस्मी बातों के बाद रागिनी उठ खड़ी हुई और बोली, “मलिनी जी आज तो मेरा यहां कोई काम नहीं, मैं चलती हूं मुझे हस्पताल पहुंचना है। आलोक यहीं है, आप इससे बात कर लीजिये। फिर आगे जैसा आप कहेंगी वैसा करेंगे”।

“ये बोल कर रागिनी ने अपनी चूत खुजलाई और पीछे से साड़ी खींची जिसे गांड में से फसी हुई साड़ी निकल रही हो”।

“मैं सब समझ रही थी। अगर नीचे अंडी पहनी हो तो साड़ी गांड में फंस ही नहीं सकती। और ऐसा हो ही नहीं सकता था कि रागिनी ने नीचे अंडी ना पहनी हुई हो”।

“घरेलू काम वालियों और धोबनों को छोड़ दें तो लगभग सब औरतें अंडी पहनती हैं, नौकरी करने वाली तो ख़ास करके अंडी पहनती हैं। अगर वो नीचे अंडी ना पहनें तो उठते-बैठते साड़ी या दूसरा कोइ भी कपड़ा बार-बार गांड में ही फंसता रहेगा। ऐसे में साथ काम करने वाले लंगोट के कच्चे मर्द क्या करेंगे जिनके लंड चूत और गांड का ध्यान आते ही खड़े होने लग जाते हैं”।

“काम वालियों और धोबनों का तो चक्कर ही दूसरा होता है। वो तो इस लिए अंडी नहीं पहनती की चुदाई के वक़्त झंझट होता है। पहले अंडी उतारो फिर पहनो। अंडी उतारने पहनने का झंझट ही तो होता है। अंडी ना पहनी हो तो धोती चूतड़ों से ऊपर कमर तक उठाई और फटाफट वाली चुदाई हो जाती है”।

“असल में रागिनी ने मुझे आलोक से चूत और गांड चुदवाने का इशारा किया था”।

“वैसे तो रागिनी ना भी इशारा करती, तो भी मैंने आलोक का लम्बा लंड चूत और गांड में लिए बिना जाने नहीं देना था। मुझे भी लम्बे लंड से चुदाई करवाने की पूरी ठरक लगी हुई थी”।

“आलोक और रागिनी दोनों अपनी-अपनी गाड़ी से आये थे। रागिनी चली गयी, अब क्लिनिक में मैं और आलोक ही थे”।

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