हेलो दोस्तों मेरा नाम मनीष है। मैं अभी 22 साल का हूं। मैं दिखने में सांवले रंग का और पतले शरीर का हूं।
मेरे भैया मुझसे 6 साल बड़े है। वह चाचा के लड़के है। भैया का नाम जय है। वह बाहर में रह कर काम करते हैं, और साल भर पर 1 महीने के लिए घर आते हैं। यह कहानी तब की है जब उनकी शादी नहीं हुई थी, लगभग आज से तीन साल पहले।
मैं अकेला एक कमरे में सोता था पंखा लगा कर। गर्मी के दिन हुआ करते थे। भैया उस वक्त बाहर से आए हुए थे, और वह भी मेरे ही कमरे में मेरे साथ सोते थे। गर्मी ज्यादा थी, और पंखा एक ही था, तो मम्मी और मेरे भाई बहन सब लोग छत पर सोते थे। मैं ही नीचे सोया करता था, और भैया भी मेरे साथ सोए थे।
एक दिन सुबह को जब मैं उठा, तो मैंने पाया कि मेरी पेंट खुली हुई थी, और नीचे सरकी हुई थी। मैं बहुत आश्चर्य में था कि यह कैसे हुआ? परंतु मुझे कुछ समझ नहीं आया, और मैं अपनी पेंट पहन कर वहां से चला गया।
उसके बाद दूसरी रात को भी वैसा ही हुआ। तब मुझे शक गया कि मेरे भैया यह सब कर रहे थे। पर मुझे ऐसा लगता नहीं था कि भैया यह सब कर भी सकते थे।
फिर एक रात सो रहा था। तभी मुझे अचानक ऐसा लगा कि कोई मेरी पैंट में हाथ डालने की कोशिश कर रहा था। मैंने नींद में ही उनका हाथ हटाया, और पलट कर सो गया। तभी थोड़ी देर बाद फिर से ऐसा लगा कि कोई जबरदस्ती मेरी पैंट में हाथ डाल रहा था।
उस वक्त मेरी नींद खुल चुकी थी, और मैं समझ गया था कि यह भैया ही थे जो मेरी पैंट में हाथ डाल कर लंड से खेलते थे। मेरी वासना उस वक्त बढ़ चुकी थी। मैं सीधा लेट गया और सोने का नाटक करते रहा। वह मेरी पैंट में हाथ डाले और मेरे लंड को हिलाने लगे। जब मेरा लंड तन गया तब उन्होंने मेरे पैंट को नीचे सरकाया, और बैठ कर मेरे लंड को चूसने लगे। मैं बड़े आनंद से अपना लंड चुसवा रहा था।
मैं सोने का नाटक करता रहा। तभी लगा कि मेरा पानी निकलने वाला था, तो मैं थोड़ी सा हिला। वो झट से लंड छोड़ कर मेरे बगल में लेट गए। अगर वह लंड नहीं छोड़ते तो मेरा लंड पानी छोड़ देता। पर थोड़ी देर बाद मेरा लंड शांत हो गया।
उसके बाद उन्होंने फिर से मेरे लंड पर हाथ फेरना शुरू किया, और मुझे अपने ऊपर लेटा लिया। मैं अभी भी सोने का नाटक कर रहा था। मैंने महसूस किया कि उन्होंने पैंट पहले ही उतार रखी थी, और मेरा लंड उनकी गांड के दरार में घुसने लगा।
मैं वैसे ही उनके ऊपर पड़ा रहा, जैसे सो रहा हूं। फिर उन्होंने अपने हाथ को पीछे ले जाकर मेरे लंड को पकड़ा, और अपनी गांड में घुसाने की कोशिश करने लगे। मेरा लंड उनकी गांड में नहीं जा पा रहा था। उन्होंने बहुत कोशिश करने के बाद मेरे लंड की टोपी को अपनी गांड में घुसा लिया। पर उसके बाद नहीं जा पा रहा था। मैं भी अपनी ओर से धक्के लगा रहा था, कि अंदर चला जाए, पर नहीं जा पा रहा था।
वैसे ही मैं लंड को आगे-पीछे करना शुरू कर दिया। वैसे ही हम चुदाई की मजा लेने लगे। थोड़े ही देर मैं चुदाई किया था कि मेरा लंड उत्तेजित होकर उनकी गांड में ही पानी छोड़ दिया। उसके बाद मुझे बहुत बुरा लगने लगा। मैं अपने आप पर शर्मिंदा फील करने लगा और मुंह फेर कर सो गया।
लेकिन वह अभी शांत नहीं हुए थे। वह मुझे फिर से अपनी बाहों में पकड़ कर मेरे लंड को सहलाने लगे। पर मैं उन्हें अपने से दूर कर दिया और चुपचाप सो गया। वह भी सो गये। सुबह हम लोग उठे तो एक-दूसरे को नहीं देख रहे थे।
जब शाम हुई तो भैया एक गमछी लपेट कर केवल इधर से उधर चल रहे थे। मैं उन्हें देख कर समझ गया कि आज रात को फिर से होगा। तब मैंने एक वैसलीन लेकर अपने पास रख लिया। फिर रात को जब हम लोग सोने लगे, तब भैया ने फिर से हरकत शुरु कर दी।
थोड़ी देर मेरे लंड को सहलाने के बाद वह मुझे अपने ऊपर लेटा दिए। इस बार मैं फुल मूड में था कि चुदाई करूंगा। मैंने वैसलीन उठाई और अपने लंड पर लगा कर उनकी गांड में घुसाना शुरू कर दिया।अभी भी काफी मुश्किल हो रही थी। थोड़ी मुश्किल के बाद मैं अपने लंड के टोपी को अंदर घुसा दिया। उसके बाद फिर से वैसलीन खाली जगह पर लगाया, और फिर से धक्का दिया, तो आधा लंड अंदर चला गया।
भैया कराह रहे थे। मैं उनको अपनी बाहों में पकड़ लिया था, और उनके कान के पास चूम रहा था, और लंड को धीरे-धीरे अंदर डालना शुरू कर दिया। थोड़ी कोशिश और करने के बाद अपना पूरा लंड उनकी गांड में उतार दिया। उसके बाद उनके कान को चूमते हुए मैं लंड को आगे-पीछे करना शुरू कर दिया। वह दर्द में थोड़ा सा तड़प भी रहे थे, पर मैं जैसे ही उनकी गर्दन को चूमता, वह मजे से गांड उठा लेते, और मैं झट से अपना लंड उनकी गांड में डाल देता।
ऐसे ही मैं आगे-पीछे करना शुरू कर दिया। अब मैं अपने लंड को उनकी गांड में अंदर-बाहर कर रहा था और वह मजे लेकर मेरे नीचे लेटे हुए थे। मैं उन्हें नीचे लिटा कर बड़े प्यार से उनकी गांड मार रहा था, कि तभी ऊपर से नीचे किसी की आते हुए पायलों की आवाज सुनाई देने लगी। मैं डर गया। वह पायल की आवाज किसी और कि नहीं मेरी मम्मी की थी और वह नीचे आ रही थी।
मैंने उनकी गांड में धक्के लगाना बंद कर दिया, और चुप-चाप उनके ऊपर लेटा रहा। पायल की आवाज तेज होती गई और मम्मी नजदीक आ गई। फिर मेरे कमरे के बगल में ही बाथरूम थी, वह अंदर गई, और ज़ोर से मूतना शुरू कर दी।
उनके पेशाब की आवाज हमारे कानों तक आ रही थी। मैं उनकी चूत को कई बार पेशाब करते हुए देख लिया था। उनके पेशाब की आवाज सुन कर मेरे नज़रों के सामने उनकी गोरी चूत नाचने लगी। मुझे जोश आ गया, और मैं भैया के गांड में एक तेज शॉट मार दिया, और उनके मुंह से आह निकल गई।
हम दोनों के सांसे तेज चल रही थी, कि तभी मम्मी की पेशाब करना बंद हुआ, और उनकी पायल की आवाज हमारे कमरे में आने लगी। तभी दरवाजा खुला और मम्मी हम दोनों की तरफ देखने लगी। मैं भैया पर लेटा हुआ था, और ऊपर से एक चादर डाल कर उन्हें बाहों में पकड़ा हुआ था। मम्मी दूर से ही बड़े गौर से देख रही थी, पर कमरे की लाइट बंद थी तो वह शायद कुछ साफ नहीं देख पा रही थी।
फिर मम्मी छत पर चली गई, और मैं फिर से भैया की गांड मारना शुरू कर दिया। उनके कान को चूमते हुए भैया की गांड बड़ी तेजी से मार रहा था। मैं आंख बंद करके भैया पर लेटा हुआ था, और उनकी गांड मार रहा था। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं मम्मी पर लेटा हुआ हूं, और मम्मी की चूत मार रहा हूं। मुझे बहुत आनंद आ रहा था। मैं भैया की गांड और तेज मारना शुरू कर दिया।
फिर थोड़ी देर बाद में उनकी गांड में ही झड़ गया और उनके ऊपर ही लेट गया थोड़ी देर बाद में उनके ऊपर से उठा और वह उठ कर बाथरूम में चले गए मैं अपने लंड को पैंट से साफ किया और चुप-चाप पैंट पहन कर सो गया।
सुबह हुई तब मम्मी हम दोनों को शक की नज़रों से देख रही थी, पर वह कुछ बोल नहीं रही थी। मैं चुप-चाप पढ़ने चला गया और पढ़ कर शाम को जब वापस आया तब देखा कि सब कुछ नॉर्मल चल रहा था।
इसके आगे क्या हुआ, वो अगले पार्ट में।
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अगला भाग पढ़े:- मेरी पहली और आखिरी चुदाई-2