मां बेटे की चुदाई – एक मनोचिकित्सक की ज़ुबानी-10

पिछला भाग पढ़े:- मां बेटे की चुदाई – एक मनोचिकित्सक की ज़ुबानी-9

नसरीन की लंड चुसाई से असलम के लंड का पानी नसरीन के मुंह में ही निकल गया। दुबारा जब असलम नंगा वापस और अपनी अम्मी नसरीन की चूत चोदने ही वाला था कि नसरीन ने उस रोक दिया। हैरान असलम ने नसरीन से पूछा, “क्या हुआ अम्मी, सब ठीक तो है?”

नसरीन बता रही थी, “मैंने कहा, “सब ठीक है असलम। मैं तो बस ये कहने वाली थी आज क्या बात है, आज चूत के पानी का स्वाद नहीं लेना? ये कहते हुए मैं हल्का सा हंस भी दी और बोली, “जरा चूत चूसो, बड़ा मजा आता है चुसवाने में।”

“असलम ने कुछ नहीं कहा, बस हल्के से मुस्कुराया और कहा, “अम्मी आपकी चूसने में तो मुझे भी बड़ा मजा आया था?”

“असलम अभी चूत वगैरह बोलने में शर्मा रहा था।”

“दस मिनट असलम ने मेरी चूत चूसी, और मेरी तसल्ली कर दी।”

“असलम की चुसाई मेरी चूत पानी-पानी हो चुकी थी, इसे अब असलम का मोटा लंड चाहिए था।”

“मैंने कहा, “बस असलम, अब अंदर डाल कर बाकी का काम कर, मजा दे मुझे।”

“असलम उठा , मेरी टांगें चौड़ी करके लंड मेरी चूत पर ऊपर-नीचे कर रहा था और साथ ही बोलता भी जा रहा था, “अम्मी इसका पानी तो बड़ी ही अजीब सी मस्त करने वाली खुशबू वाला होता है। सीधा लंड पर असर पड़ता है। इसकी खुशबू ने ये देखिये मेरे इसका का क्या हाल बना दिया है, एक दम बेसब्र है अंदर जाने के लिए।”

“असलम कुछ रुका और बोला, “अम्मी एक बात बताओ, क्या सभी की ये ऐसा ही पानी छोड़ती है, मस्त करने वाली खुशबू वाला?”

“मैंने कहा, “असलम क्या ‘इसका,उसका, ये’ लगा रखा है। सीधा बोल ना चूत का पानी।”

“असलम के जवाब का इंतजार किये बिना फिर मैंने ही असलम से कहा, “हां असलम सभी लड़कियों औरतों की चूत ऐसा ही पानी छोड़ती हैं। ये कुदरती है। हल्का सा नमकीन, हल्की सी मस्त करने वाली खुशबू वाला। तभी तो मर्द चुदाई से पहले चूत जरूर चूसते हैं।”

“असलम ये सुन कर मुस्कुराया, थोड़ा खुला और बोला, “अम्मी एक बात बताईये, जमाल भी आपकी चूसता था?”

मैंने कहा, “असलम जमाल ही नहीं तेरे अब्बू भी खूब चूसते थे। सारे मर्द ही चूसते हैं। असल में चूत के पानी का हल्का नमकीन स्वाद और खुशबू उनके लंड को सख्त कर देती है। तू भी तो अभी यहीं कह रहा था कि मेरी चूत की खुशबू ने तेरे लंड को एक-दम तैयार कर दिया है।”

“असलम सुन रहा था और मैं ज्ञान बांट रही थी, “लड़कियां और औरतें ही क्यों असलम, जानवरों में भी तो यही होता है। तूने देखा नहीं सांड, घोड़े, कुत्ते, सब चुदाई के लिए चढ़ने से पहले गाये, घोड़ी, कुतिया की चूत सूंघते चाटते हैं?”

“असलम मेरी इस बात पर हंस पड़ा और लंड हाथ में ले लिया। अपनी अम्मी को चोदने की तैयारी में था।”

“मैं पीछे की तरफ लेटी ही हुई। टांगें मेरी हवा में ही थी। असलम के खड़े लंड ने मुझे मस्त कर दिया। मैंने पीछे से हाथ कर के चूत की फांकें खोली और बोली, “चल आजा अब असलम, बहुत हो गई ज्ञान ध्यान की बातें। चल अब असली काम कर। डाल लंड अंदर जन्नत दिखा आज अपनी अम्मी को।”

“मेरी ये सुनते ही असलम ने एक मिनट नहीं लगाया और मेरी चूत के छेद पर लंड टिका दिया। आलम ने एक करारा झटका लगाया हुए लंड जड़ तक चूत के अंदर चला गया। असलम एक पल के लिए रुका, अपने चूतड़ हिला कर लंड को चूत में ठीक से बिठाया और चुदाई चालू कर दी।”

“इस बार तो असलम को छेद ढूंढने की भी जरूरत नहीं पड़ी थी। असलम का खड़ा लंड सीधा चूत के छेद पर ही जा कर अटका था।”

“चार दिनों की चुदाई में ही असलम के लंड को चूत का रास्ता याद हो गया था।”

“असलम की चुदाई बड़ी ही जोरदार और मस्त होती थी। मुझे इस बात को मानने में कोइ हिचकिचाहट नहीं कि नए-नए जवान असलम की चुदाई बिल्कुल बशीर की शुरू शुरू वाली चुदाई जैसी थी – जोरदार, ताबड़तोड़। लंड भी असलम का बशीर के लंड से ज्यादा मोटा और लम्बा था, और असलम चुदाई भी मस्त करता था।”

“चुदाई करवाते-करवाते ऐसे ही मेरे ज़हन में ख्याल आया की बड़ी किस्मत वाली होगी असलम की बीवी जिसे ऐसा मोटा लम्बा लंड मिलेगा और साथ ही मिलेगी ऐसी बढ़िया चुदाई।”

“असलम आह उन्ह आह की आवाजों के साथ धक्के लगाता जा रहा था।”

“असलम के मोटे लंड के धक्कों से मेरी चूत पांच सात मिनट में ही पानी छोड़ गयी। उधर असलम का लंड खड़ा ही था और वो धक्के लगाता जा रहा था।”

“गीली चूत पर असलम के लंड और टट्टे फचक छप्प फचक छप्प की आवाजें कर रहे थे।”

“असलम ने कुछ ही धक्के लगाए होंगे कि मेरी चूत फिर से एक और चुदाई के लिए तैयार हो गयी।”

“मैंने मस्ती में नीचे फिर चूतड़ हिलाने शुरू कर दिए। दस मिनट चोदने के बाद असलम सिसकारियां लेने लगा, “मेरी अम्मी, आअह अम्मी, मेरी अम्मी, मेरी अम्मी प्यारी, अम्मी लो मेरा आअह, लेले अम्मी। कितना मजा देती हैं आप। आअह, मजा आने वाला है। अम्मी अम्मी आअह  अम्मी आआआह ये निकला आआह”, और असलम ने फर्र से मेरी चूत अपने लंड से निकले आधे कप गरम पानी से भर दी।”

“मेरा मजा भी बस अटका ही हुआ था। असलम के लंड का पानी चूत में जाते ही मेरे चूतड़ भी अपने आप जोर से हिले और मेरे मुंह से निकला, “आअह असलम क्या चुदाई करता है बेटा तू आआह, आआह आआह असलम दबा कर, और जोर से, हां ऐसे ही असलम आआह आआआह  आआह मजा आ रहा है। असलम, मेरा बेटा असलम, रगड़ असलम, हां ऐसे आआह, बस ऐसे ही चोदता रह अपनी अम्मी को आआह। मुझे मजा आ गया और मैं ढीली हो गयी।”

“जवान असलम का लंड झड़ने के कुछ टाइम बाद तक भी खड़ा रहता था। कुछ देर मेरे ऊपर ही लेटा रहा। जब असलम का लंड बैठ गया तो असलम ने लंड चूत में निकाला और बिना कुछ बोले चला गया।”

“असलम के बिना कुछ बात किये चले जाने से मुझे लगा कहीं ऐसा तो नहीं चुदाई के बाद असलम को अपनी मां को चोदने का अफ़सोस होता हो। मैंने सोचा या तो चुदाई खुल कर होनी चहिये, या नहीं होनी चाहिए। कहीं ऐसा ना हो कि चुदाई का पल भर का मजा असलम की सेहत ही खराब कर दे।”

“असलम से मस्त चुदाई करवाने का मजा तो आ ही चुका था। अब चुदाई की पिक्चर देखने का मन नहीं था, और नींद भी आयी हुई थी। जल्दी ही मैं सो गयी।”

“सुबह उठी तो पहले की ही तरह असलम ने प्यार से पूछा, “अम्मी कैसी हैं आप? कैसी कटी आपकी रात?”

मतलब वैसी कोइ बात नहीं थी जैसी मैंने सोची था। असलम को अपनी अम्मी की चुदाई का अफ़सोस नहीं था। मैंने भी कहा, “ठीक हूं असलम और रात भी अच्छी कटी, नींद भी बढ़िया आयी।”

“असलम के साथ अब चुदाई का सिलसिला चल पड़ा था। हर दूसरे-तीसरे दिन चुदाई होने लग गयी थी।”

“अक्सर चुदाई की पिक्चर देखते-देखते ही हम चुदाई करते थे। कभी-कभी तो चुदाई की पिक्चर इतनी मस्त होती थी कि तीन चार दिन हम लगातार वहीं कैसेट देखते। ऐसे मौकों पर तो रोज ही चुदाई हो जाती थी।”

“एक दिन मुझे माहवारी आयी हुई थी और असलम का चुदाई का मन बन गया।”

“असलम रात को आया तो मैं बिना टीवी चलाये लेटी हुई थी। असलम का लंड सीधा खड़ा था। रात को जब भी असलम आता था कपड़े उतार कर ही आता था। असलम ने आते ही पूछा, “अम्मी क्या हुआ, आज टीवी क्यों बंद है? तबियत तो ठीक है आपकी?”

“मैंने जवाब दिया, “कुछ नहीं असलम नीचे आज लाल झंडी है, मुझे माहवारी चालू हो गयी है।”

“असलम ने एक बार अपना लंड पकड़ा और मायूसी सी से बोला, “ओह अम्मी कोइ बात नहीं, मैं चलता हूं।”

“असलम का खड़ा लंड देख कर मेरी चूत में झनझनाहट तो हुई, मगर मजबूरी थी।”

“जैसे ही इतना बोल कर असलम जैसे ही जाने के लिए मुड़ने लगा, तो मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसे रोक लिया और बोली, “क्या हुआ, जा कहां रहा है। चूत का छेद ही तो बंद है बाकी छेद तो खुले ही हैं। आजा तेरा लंड चूस कर तेरे लंड का पानी निकल कर तुझे मजा देती हूं। तेरा लंड चूसने में मुझे भी बड़ा मजा आता है।”

“असलम जाते-जाते रुक गया और लंड मेरे मुंह के सामने करके खड़ा हो गया।”

“मैंने असलम का लंड मुंह में डाला और चूसने लगी।”

“अभी मैंने असलम का लंड थोड़ा ही चूसा होगा कि असलम ने मेरा सर पीछे की तरफ कर दिया। असलम का खड़ा लंड मेरे मुंह से बाहर निकल गया।”

“मैंने असलम की तरफ देखा, उसने लंड मुंह में से निकाल क्यों दिया था? उसे तो लंड चुसवाने में बड़ा मजा मिलता था, और अभी तो असलम का लंड झडा भी नहीं था।”

“असलम मेरी तरफ देखते हुए बोला, “अम्मी एक बात बोलूं?”

“मैंने खाली हूं हूं ही कहा – मतलब “बोलो।”

“असलम मुस्कुराता हुआ शरारत भरी आवाज में बोला, “अम्मी एक छेद और भी तो है आपके पास।”

“मैं हैरान सी हुई। ये असलम कौन से छेद की बात कर रहा था? क्या गांड के छेद की बात कर रहा था?”

“मैंने फिर भी अनजान बनते हुए पूछा, “एक छेद और? और कौन से छेद की बात कर रहा है असलम?”

“असलम ने मुस्कुराते हुए कहा, “पीछे वाला छेद अम्मी, आपके पीछे भी तो एक छेद है, उसमें भी तो लंड जाता ही है।”

“इतनी चुदाईयों के बाद असलम मेरे साथ खुल चुका था। असलम से इतनी बार चुदने के बाद इतना तो अब तक मैं भी जान चुकी थी कि असलम की और मेरी चुदाई असलम की पहली-पहली चूत चुदाई थी। मैंने सोचा, जब असलम ने चूत ही पहली बार चोदी थी तो गांड के छेद के बारे मैं असलम कैसे जानता था?”

“तभी मुझे ध्यान आया आगरा, अलीगढ, मेरठ, लखनऊ के लड़के तो बहुत जल्दी गांड-गांड खेल चुके होते हैं।”

(लखनऊ की गांडू युग त्रिपाठी की कहानी पढ़िए “अजब गांडू की गजब कहानी” जिसमे गांडू युग की पत्नी चित्रा की चुदाई उसके अपने ससुर देसराज और युग की दोस्त राज की साथ हो गयी)”।

“असलम भी तो आगरा का ही था। इसका मतलब वो भी लड़कों के साथ गांड चुदाई कर चुका था?”

“मेरे जेहन में ये ख्याल घूम रहे थे और असलम खड़ा मेरी तरफ देखते हुए मुस्कुरा रहा था।”

“मैंने ही कहा, “असलम क्या तू गांड के छेद की बात कर रहा है?”

“असलम बोला तो कुछ नहीं, बस ही हीहीही करके हंसता रहा।”

“उस वक़्त हंसता हुआ असलम मुझे असलम में मेरा बेटा नहीं एक मर्द दिखाई दे रहा था। हर तरह की चुदाई करने वाला मर्द।”

“हममें लंड चुसाई, चूत चुसाई और चुदाई तो शुरू हो ही चुकी थी। असलम की इस पीछे वाले, गांड के छेद वाली बात से मैं समझ गयी कि अब आने वाले वक़्त में असलम और मेरे बीच हर तरह की चुदाई हुआ करेगी।”

मैंने कह ही दिया, “क्या बात है असलम आज तेरा गांड चोदने का मन कैसे हो गया?”

असलम बोला, “अम्मी मन तो बड़े दिनों से है, पर कह ही नहीं पाया। आपके चूतड़ ही इतने मुलायम हैं, मैं तो जब भी आपके चूतड़ देखता हूं, आपके चूतड़ों के छेद में लंड डालने का मन होने लगता है। आज जब आपने कहा, “चूत ही बंद है बाकी छेद तो खुले ही हैं”, तो मेरा मन आपसे गांड चुदाई की बात करने का हो गया।”

“फिर अपने खड़े लंड के तरफ इशारा कर के बोला, “अम्मी देखो इसकी हालत, चुसाई से इसका कुछ नहीं होने वाला। इसे तो छेद चाहिए।”

“पहली बार मुझे महसूस हुआ कि मेरा बेटा असलम पूरा और पक्का मर्द बन चुका है।”

“मुझे बशीर और जमाल से गांड चुदवाते वक़्त की दर्द याद आ गयी। यहां तो असलम का लंड उन दोनों के लंडों से ज्यादा मोटा था।”

“मैंने कह ही दिया, “मगर असलम तेरा लंड तो बहुत मोटा है। जाएगा भी मेरी गांड में?”

“असलम भी हंसते हुए बोला, “इसकी फ़िक्र आप मत करो अम्मी, ये जाएगा और मस्त जाएगा।”

“असलम की इस बात से मुझे पक्का यकीन हो गया कि असलम गांड चुदाई करता था। और करे भी क्यों ना? आगरा का लड़का है, ढंग की गांड चुदाई तो आनी ही चाहिए। जमाल भी तो अपनी बीवी सायरा की गांड चोदता था।”

“कोइ और दिन होता तो उस दिन असलम से मैंने गांड चुदवा ही लेती मगर माहवारी के जोर के कारण मेरी तबीयत सच में ही ठीक नहीं थी। ये तो असलम का खड़ा लंड देख कर मुझे मस्ती सी आ गयी थी और मैंने उसका लंड मुंह में ले लिया था। असलम से तो उस दिन किसी भी तरह की चुदाई का मेरा मन नहीं था।”

“मैंने असलम से कह दिया, “असलम माहवारी के कारण मेरी तबियत जरा ढीली है, मजा नहीं आ पायेगा। आज रहने देते हैं। दो-तीन दिन की ही तो बात है, फिर जैसा तो कहेगा वैसा ही करेंगे। आज मैं लंड चूस कर तुझे मजा दे देती हूं।”

“असलम भी बोला,” ठीक है अम्मी जैसा आप कहती हैं। ये बोल कर असलम ने अपना लंड फिर से मेरे होठों पर टिका दिया।”

“मैंने असलम का लंड फिर से मुंह में ले लिया और चूसने लगी। जल्दी ही असलम की एक सिसकारी, “आआह अम्मी निकला” के साथ असलम के लंड का पानी निकल गया।”

“दो दिन गुजर गए। उस दिन सुबह जब असलम दुकान पर जाते हुए हमेशा की तरह बोला, “अच्छा अम्मी चलता हूं।”

“मैंने भी हमेशा की तरह कहा, “ठीक है असलम।”

“असलम जाते-जाते रुका और मेरे पास आ कर मेरे हाथ पकड़ कर बोला, “अम्मी आज तबियत ठीक है आपकी?”

“असलम की उतावली देख कर मेरी हंसी छूट गयी। मैंने हंसते-हंसते असलम से पूछा, “तबियत तो आज मेरी बिल्कुल ठीक है मगर क्या बात है तू बड़ा उतावला हो रहा है?”

“असलम वैसे ही बोला, “हां अम्मी आज रात आपके दूसरे वाले छेद में डालने का मन हो रहा है।”

“मैं तो दो दिन पहले वाली “दूसरे छेद” वाली बात भूल सी गयी थी, मगर असलम की बातों से लगा ये लड़का अपनी अम्मी के गांड चोदे बिना मानेगा नहीं।”

“मैं चुप रही, हां-ना में कोइ जवाब मैंने नहीं दिया।”

“मुझे चुप देख कर असलम बोला, “क्या हुआ अम्मी? गांड में लेने का मन नहीं है?”

“असलम के गांड में लंड डालने वाली बात से मेरी गांड में झनझनाहट तो मची ही हुई थी, मगर असलम का मोटा लंड गांड में लेने में डर सा भी लग रहा था।”

“मैंने बात ताल दी और असलम से बोली, “तू दुकान पर तो जा, रात की बात रात को देखेंगे को देखेंगे।”

“असलम ने मेरी इस बात को हां समझा और बोला, “तो फिर ठीक है अम्मी आज रात वही करेंगे। ये कहते-कहते असलम चला गया।”

“मैं समझ गयी, ये लड़का गांड में डाले बिना मानने वाला नहीं। और मैं रात को होने वाली गांड चुदाई के बारे में सोचने लगी। मेरी आंखों के आगे असलम का मोटा लंड घूमने लगा।”

“उस वक़्त भी मैं यही सोच रही थी कैसे जाएगा इतना मोटा लंड मेरी गांड में।”

“शाम हो गयी और असलम आ गया। साथ एक कैसेट भी लाया था। असलम ने कैसेट मेरे हाथ में देदी और बोला, “लो अम्मी बड़ी ख़ास चुदाई है इसमें।”

“मैं समझ गयी असलम जरूर गांड चुदाई क बात कर रहा है।”

“रोज की तरह खाना खा कर रात को मैं कमरे में चली गयी और कैसेट चला दी और बिस्तर पर लेट गयी “।

लगभग पंद्रह मिनट के बाद असलम भी आ गया, नंगा, जैसे अक्सर रात को आया करता था। आ कर असलम मेरे पास ही लेट गया। असलम का लंड खड़ा था। फिल्म में चूत चुदाई का सीन चल रहा था।”

“जल्दी ही चूत चुदाई के बाद गांड चुदाई का सीन आ गया। जैसे ही गांड चुदाई वाला सीन आया असलम ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया और बोला, “वो देखो अम्मी क्या पीछे से क्या मस्त चुदवा रही है लड़की।”

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