मां बेटे की चुदाई – एक मनोचिकित्सक की ज़ुबानी-9

पिछला भाग पढ़े:- मां बेटे की चुदाई – एक मनोचिकित्सक की ज़ुबानी-8

जमाल के दुबई जाने के बाद असलम एक दिन अपनी अम्मी नसरीन के लिए दुकान से चुदाई के कैसेट और पेन का कवर ले आया जो नसरीन अपनी चूत में डाला करती थी। उस रात नसरीन फिल्म देखते हुए कवर अपनी चूत में आगे-पीछे कर रही थी कि असलम वहां आ गया।

असलम ना कुछ बोल रहा था ना कुछ कर रहा था, बस खड़ा नसरीन की चूत की तरफ एक टक देखता जा रहा था। तभी अचानक असलम खड़े लंड के साथ बिना पायजामा उतरे ही अपनी अम्मी के ऊपर लेट गया, और चुदाई की तरह धक्के लगाने लगा।

नसरीन अपनी बात रिकार्ड करवा रही थी, “असलम पायजामे के ऊपर से ही खड़े लंड से मेरी चूत पर धक्के लगाता जा रहा था, जैसे मेरी चुदाई कर रहा हो। मुझे साफ़ महसूस हो रहा था कि असलम का लंड खड़ा था और सख्त भी हुआ पड़ा था।”

“एक पल के लिए मुझे ख्याल सा आया कि अगर असलम मेरे ऊपर लेट कर मेरी चूत पर चुदाई जैसे धक्के लगा सकता है तो असलम को लंड चूत में डालने कौन सी बात रोक रही थी।”

“तभी असलम के धक्कों की रफ्तार बढ़ गयी – साथ ही सिसकारियां भी बढ़ गयी, आआआह अम्मी आअह अम्मी ये क्या हो रहा है अम्मी।”

“असलम ने कस कर मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया। जोर-जोर से धक्के लगाते हुए असलम के मुंह से घर्र घर्र हुंह हुंह आआह आअह की आवाजें निकल रही थी।”

“तभी असलम ने एक जोर की “आआह अम्मी ये तो निकल गया” सिसकारी ली और ढीला हो कर मेरे ऊपर ही लेट गया।”

“असलम का लंड बैठने लगा। क्या असलम को मजा आ गया था? क्या असलम का लंड पायजामे में ही पानी छोड़ गया था?”

“हां यही हुआ था, असलम का मजा पायजामे में ही निकल गया था।”

“कई तरह के सवाल मेरे ज़हन में घूम रहे थे।”

“असलम की नीचे लेटी हुई मैं सोच रही थी, क्या असलम ने अब तक किसी लड़की की चूत नहीं देखी थी? क्या असलम ने अब तक किसी लड़की की चुदाई नहीं की थी। अक्सर पहली बार चूत देखने और पहली बार चुदाई में ही ऐसा होता है जब लड़कों को अपने मन और लंड पर काबू नहीं रहता।”

“अगर असलम ने मेरे ऊपर लेट कर मेरी चूत पर लंड के धक्के ही लगाने थे तो लंड मेरी चूत में डाल कर पूरी तरह मुझे चोद भी तो सकता था। तो फिर असलम ने ऐसा क्यों नहीं किया? क्या असलम अपने पर काबू नहीं रख पाया और ऐसे ही मेरे ऊपर लेट कर अपने लंड का पानी छुड़ा लिया, या फिर असलम अपनी अम्मी की चूत में लंड डालना नहीं चाहता था?”

“मैंने असलम से कान में पूछा, “क्या हुआ असलम?”

“असलम ने बस इतना ही कहा, “सॉरी अम्मी।” और वो मेरे ऊपर से लुढ़क कर मेरे पास ही लेट गया।”

“मुझे लगा, कि मुझे ही असलम को कुछ दिलासा देना होगा, कुछ कुरेदना होगा कि उसने आखिर ऐसा क्यों किया।”

“मैंने असलम के ढीले लंड पर हाथ रखते हुए कहा, “कोई बात नहीं असलम, ऐसा हो जाता है।”

“पायजामे के ऊपर मुझे मेरे हाथ पर कुछ गर्म गीला-गीला चिपचिपा सा महसूस हुआ।”

“असलम के लंड से निकला पानी था।”

“मैं उठ कर तौलिया लाई और असलम के पायजामे का नाड़ा खोल कर पायजामा थोड़ा नीचे किया और बोली, “कोइ बात नहीं असलम बेटा, मैं साफ़ कर देती हूं।”

“असलम कुछ नहीं बोला, बस ऐसे ही लेटा रहा। असलम के लंड का ढेर सारा पानी लंड के ऊपर और आस-पास फैला हुआ था। मैंने सारा सफ़ेद-सफ़ेद चिकना पानी तौलिये से पोंछ कर साफ कर दिया।”

“लंड और आस-पास साफ़ करते हुए मेरा हाथ लगने से असलम का लंड खड़ा और सख्त होने लग गया। मेरी तो अपनी चूत लंड के लिए तरस रही थी। मुझे जाने क्या हुआ कि मैंने असलम का लंड मुंह में ले लिया और चूसने लगी।”

“असलम वैसे ही लेटा रहा। असलम के लंड के आस-पास छोटे-छोटे रोंएदार घुंघराली झांटे उगने लगी थी। मैंने उन झांटो पर भी जुबान फेरी और मेरी चूत फुर्रर से पानी छोड़ गयी। मुझसे नहीं रहा जा रहा था। कुछ ही मिनटों में असलम का लंड पूरा खड़ा हो गया।”

“कमरे की हल्की रौशनी असलम के लंड पर पड़ रही थी। मैंने असलम का खड़ा लंड देखा तो मैं हैरान रह गयी।”

“नए-नए जवान हुए असलम का खड़ा लंड मेरी कलाई जितना मोटा और लम्बाई में आधे हाथ की लम्बाई से कम क्या होगा। असलम का इतना बड़ा लंड देख कर मैं हैरान हो गयी। मैंने चुदाई की फिल्मों में ही इतने बड़े लंड देखे थे। असलम का लंड तो वैसा वाला बड़ा था – बशीर और जमाल दोनों के लंडों से मोटा और लम्बा।”

“ऐसा लंड देख कर मेरी चूत में एक झनझनाहट सी हुई और मेरी चूत फुर्र से पानी छोड़ गयी। मैं सोचने लगी, ये लंड? क्या कुछ ऐसा हो सकता है कि इतना मोटा लंड असलम आज मेरी चूत में डाल कर मुझे चोद दे?”

“मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मैंने असलम के लंड को हाथ से दबाते हुए धीमी आवाज में असलम से कहा, “असलम मेरी चूत में डालोगे इसे? चोदोगे आज अपनी अम्मी को?

“असलम कुछ नहीं बोला, बस ऐसे ही लेटा रहा।”

“मैंने धीमी आवाज में असलम से फिर पूछा, “असलम अंदर डालोगे इसे? चोदोगे आज अपनी अम्मी को?”

“असलम ने कोई जवाब नहीं दिया। मैंने धीरे से दुबारा असलम के कान में कहा, “असलम, लंड अंदर डालोगे मेरी चूत में? चोदोगे आज मुझे? जैसे तेरे अब्बू चोदते थे, जैसे जमाल चोदता था?”

“साथ ही मैं असलम के लंड को हल्के-हल्के दबाते ही जा रही थी। मैंने कह ही दिया, “असलम, बड़ा मन कर रहा है लंड चूत में लेने का।”

“मेरे ऐसा बोलने पर असलम ने करवट ली और “अम्मी” बोलते हुए अपनी उंगली मेरी चूत की दरार में डाल कर ऊपर-नीचे करने लगा। मेरी चूत चिकनी हुई पड़ी थी।”

“कुछ देर चूत में ऐसे ही उंगली करने के बाद असलम उठा और मेरी चूत की फांके फैला कर जुबान से मेरी चूत का दाना चूसने लगा। बीच-बीच में असलम मेरी चूत जुबान से चाट भी लेता था।”

“बड़े अरसे बाद चूत के चुसाई हुई थी, बड़ा मजा आ रहा था। चूत की बुरी हालत थी। लंड लेने के चक्कर में मेरे चूतड़ हिलने लगे।”

“मैंने असलम के सर पर हाथ फेरते हुए कहा, “बस असलम बेटा, अब डाल दे अंदर। अब और नहीं रहा जा रहा।”

“असलम ने जैसे ही चूत के ऊपर से मुंह हटाया मैंने पास पड़ा तकिया उठा कर अपने चूतड़ों के नीचे रख दिया, और टांगें हवा में उठा कर चौड़ी कर दी।”

“असलम फिर से मेरी चूत को वैसे ही देखने लगा, जैसे पास खड़ा पहले देख रहा था।”

“कुछ देर ऐसे ही चूत को देखते हुए असलम उठा, मेरी टांगें थोड़ी और चौड़ी की, और लंड मेरी चूत में ऊपर-नीचे करने लगा। असलम को चूत का छेद ढूंढने में दिक्कत आती लग रही थी।”

“मैं समझ गयी कि पक्का ही असलम ने अब तक किसी लड़की की चूत नहीं चोदी थी।”

“मैंने नीचे हाथ करके असलम का लंड पकड़ा और चूत के छेद पर रख दिया। जैसे ही मैंने असलम का लंड छोड़ा, असलम ने एक जोर का धक्का लगाया और एक ही बार में फचाक से लंड पूरा चूत के अंदर बिठा दिया।”

“मेरी चूत तो पहले ही पानी छोड़ चुकी थी। चिकनी हुई चूत में असलम का मोटा लंड चूत कि साइडों को रगड़ता हुआ फिसल कर अंदर चला गया।”

“मेरे मुंह से बस यही निकला, “आआह असलम।” ये कहते हुए मैंने नीचे से असलम को अपनी टांगों में जकड़ लिया।”

“असलम ने भी अपनी बाहें पीछे करके मुझे अपने सीने के साथ चिपका लिया। असलम का मुंह बिल्कुल मेरे कान के पास था। असलम मेरे कान में धीरे से बोला, “अम्मी ये चूत के पानी का स्वाद तो बड़ा मस्त, मजेदार होता है।”

“असलम की बात सुन कर मेरे हंसी छूटने को हो गयी। यकीनन असलम की आज पहली चुदाई हो रही थी। पहली चुदाई, वो भी अपने अम्मी के साथ।”

“असलम के मोटे लंड से मुझे अपनी चूत भरी-भरी सी महसूस हो रही थी। मैं चाह रही थे कि असलम अब लंड के धक्के लगाए, चोदे मुझे। मैंने चूतड़ घुमाने शुरू कर दिए।”

“मेरे चूतड़ घुमाने से असलम का लंड थोड़ा-थोड़ा मेरी चूत के अंदर-बाहर होने लगा। असलम को भी इससे मजा आने लगा होगा। असलम ने मुझे कस कर पकड़ लिया और जोर-जोर से धक्के लगाने लगा।”

“पांच मिनट के धक्कों के बाद असलम के धक्कों कि रफ्तार बढ़ गयी। धक्के लगाते लगाते असलम बोल रहा था, “ये लो अम्मी लो ये लो।”

“बीस साल का असलम बड़ी ज़बरदस्त चुदाई कर रहा था। ऐसी चुदाई तो मेरी बशीर ने की थी शादी के बाद पहली रात को, सुहागरात को, जब बशीर ने मेरी चूत सील तोड़ी थी। बिस्तर की चादर खून से भर गयी थी।”

“असलम के नए-नए जवान लंड में बड़ा दम था। एक तो लम्बा और मोटा लंड, दूसरा पता नहीं असलम ने अब तक चूत चोदी भी थी या नहीं, या अपनी अम्मी की चूत की चुदाई ही उसकी पहली चुदाई थी। चूत की खुशबू ने असलम का लंड बिल्कुल बांस की तरह सख्त कर दिया था।”

“खैर असलम ने बीस मिनट तक चोदा मुझे और दो बार मेरा पानी छुड़ा कर खुद भी झड़ गया।”

“मैं तो बड़ी मुश्किल से अपनी सिसकारियां रोके हुई थी, मगर चुदाई के मजे से असलम कुछ-कुछ बोले रहा था, “आआह अम्मी आआह मेरी अम्मी कितना अच्छा लग रहा है मेरी अम्मी, आअह अम्मी लेलो मेरा, गया अंदर अअअअअह अम्मी, ये लो मेरा आअह, लेले अम्मी आआह आआह आआह अअअअअह।”

“असलम की सिसकारियों में बस एक लंड चूत बोलने की ही कमी थी, बाकी सब हो रहा था। मैं अपने बेटे असलम से चुदाई करवाते हुए चुप ही थी।”

“असलम झड़ गया। असलम के लंड का पानी निकल गया मगर असलम के जवान लंड के सख्ती तो लंड का पानी निकलने के बाद भी बनी रही। पानी भी असलम के लंड से इतना निकला था कि मेरी चूत गरम गरम पानी से भर गयी लग रही थी। ऐसा लग रहा था असलम के लंड में से तो आधा कप गरम सफ़ेद लेस वाला पानी निकला ही होगा।”

“कुछ देर तो असलम ऐसे ही लेटा रहा, फिर असलम उठा और बिना कुछ बोले चला गया।”

“असलम के साथ पहली चुदाई के बाद से हम मां बेटे के बीच एक नया रिश्ता बन गया। मर्द और औरत का रिश्ता। एक ऐसी चुदाई का रिश्ता जिसे कोइ नाम नहीं दिया जा सकता।”

“अगले दिन सुबह जब मैं उठी तो मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था। असलम की चुदाई ने मेरी चूत की तसल्ली कर दी थी, और दिमाग हल्का कर दिया था। अब कम से कम ये चिंता नहीं थी कि चूत अब लंड के लिए नहीं तरसेगी।”

“चूत चुदाई की फ़िक्र तो खत्म हो चुकी थी, लेकिन अब मेरी मुश्किल ये थी कि मैं असलम के सामने कैसे जाऊं तो कैसे जाऊं, उससे नज़रें कैसे मिलाऊं। असलम रात की चुदाई के बारे में क्या सोच रहा होगा – वो कैसे पेश आएगा। कहीं अम्मी से चुदाई करने का अफ़सोस तो नहीं हो रहा होगा असलम को?”

“मेरी ये मुश्किल असलम ने ही दूर कर दी। मैं नहा कर कमरे से बाहर निकली तो असलम से सामना हुआ। असलम बिल्कुल नार्मल था जैसे कुछ हुआ ही ना हो। असलम ने बस इतना ही पूछा, “अम्मी कैसी हैं आप।”

“तैयार हो कर नाश्ता करके जब असलम जाने लगा तो बोला, “अम्मी वो मैगजीन और कैसेट अगर देख ली हैं तो ला दीजिये, आज दूसरी लेता आऊंगा।”

“मतलब असलम को अब मेरे साथ हुई चुदाई का कोइ अफ़सोस नहीं था और दूसरी कैसेट लाने के लिए कहने का ये मतलब भी था आगे भी चुदाई करने से कोइ परहेज नहीं होने वाला था।”

“अगर मां बेटे की चुदाई गलत थी तो भी कम से कम ये एक अच्छी बात थी कि किसी को कोइ पछतावा नहीं था, वरना अगर ऐसे रिश्ते में चुदाई के बाद पछतावा होने लगे तो इसका अंत खतरनाक भी हो सकता है।”

“मैंने दोनों मैगजीन और कैसेट असलम को दे दिए। असलम चला गया और मैं लेट कर रात को हुई मस्त चुदाई के बारे में सोचने लगी।”

“मैं समझ गयी कि जमाल के जाने के बाद अब मुझे लंड की कमी नहीं रहने वाली। मेरी चुदाई पहले ही की तरह फिर से शुरू होने वाली है।”

“वक़्त और हालात बड़ी ही अजीब सी करवट ले चुके थे।”

“शाम हुई और असलम आ गया। मेरे हाथ में पैकेट दे कर बोला “लीजिये अम्मी।” असलम बिल्कुल ही नार्मल था I

“खाना खा कर हम अपने अपने कमरे में चले गए। दरवाजा बंद करके मैं बिस्तर पर लेट गयी। कुंडी मैंने लगाई नहीं थी।”

“जब एक बार चूत में अपने बेटे असलम का लंड ले कर चुदाई करवा ही ली तो दरवाजे की कुंडी क्या और सलवार का नाड़ा क्या। जब एक बार खुल ही गए तो अब क्या बंद करने। मैंने दरवाजे की कुंड और सलवार का नाड़ा खुले ही छोड़ दिए। बस अब तो यही सोच रही थी असलम खुले दरवाजे से अंदर आये और खुली सलवार उतर कर चुदाई कर दे।”

“बस यही चल रहा था दिमाग में, क्या आज फिर आएगा असलम चुदाई करने?”

“मेरी आंखों के सामने असलम आ मोटा लंड घूम रहा था। सोचते-सोचते मेरी चूत हल्की-हल्की गीली होने लगी थी।”

“आधा घंटा ऐसे ही सोचते-सोचते निकल गया। मैं चूत में पैन का कवर डालने ही वाली थी कि असलम आ गया।”

“आते ही असलम बोला, “अम्मी क्या हुआ वो पिक्चर नहीं लगाई?”

“और असलम मुड़ा और वो चुदाई वाली फिल्म लगा कर लाइट बंद की और मेरी बगल में ही लेट गया।”

“थोड़ी सी फिल्म ही चली होगी कि असलम के पायजामे में उभार आ गया। असलम का लंड खड़ा हो गया था। मैंने अपना हाथ पायजामे के ऊपर से असलम के लंड पर रख दिया।”

“जैसे ही मैंने अपना हाथ पायजामे के ऊपर रखा, असलम ने पायजामे का नाड़ा खोला और लंड निकाल लिया। बिल्कुल सीधा खड़ा लंड। असलम ने मेरा हाथ पकड़ा और फिर से अपने लंड पर रख दिया। मोटा गरम फनफनाता हुआ लंड।”

“अचानक मुझे ना जाने क्या हुआ, मैं उठी और असलम का लंड मुंह में ले कर चूसने लगी। कुछ ही देर में असलम आआआह अम्मी आआह अम्मी आआह की सिसकारियां लेने लगा और कमर हिलाने लगा। मुझे लगा कहीं असलम लंड का पानी मेरे मुंह में ही ना निकाल दे।”

“मैं जैसे ही लंड मुंह से निकलने लगी कि असलम ने मेरा सर लंड के ऊपर दबा दिया और इतना ही कहा, “नहीं अम्मी, अभी नहीं।”

मैंने भी सोचा, “चलो आज ऐसे ही सही। वैसे भी मुंह में लंड का पानी निकालना मेरे लिए ये कोइ पहली बार तो हो नहीं रहा था।”

“मैंने असलम का लंड कुछ ही देर और चूसा होगा कि असलम ने जोरदार सिसकारी ली, “अम्मी आआह अम्मी, अम्मी अअअअअह” और असलम ने मेरा सर कस कर पकड़ लिया और मेरा मुंह असलम के लंड से फर्र फर्र करते हुए निकलते लेसदार गर्म पानी से भर गया।”

“असलम का लंड पानी भी बहुत छोड़ता था।”

“असलम ढीला हो कर लेट गया। कुछ ही देर में जैसे ही मैंने लंड मुंह से निकाला, लंड के साथ ही ढेर सारा पानी मुंह से निकला और असलम के लंड के आस-पास फ़ैल गया। मैंने लंड और लंड के आस-पास चाट-चाट कर सारा पानी साफ़ कर दिया और असलम के पास ही लेट गयी।”

“कुछ देर में असलम उठा और “सॉरी अम्मी” बोल कर पायजामा उठा कर चला गया।”

” उधर टीवी पर चुदाई की फिल्म चल रही थी, और मेरी चूत चुदाई के लिए गरम हुई पड़ी थी। मुझे चुदाई चाहिए थी और असलम बिना मुझे चोदे चला गया था।

“कुछ देर तो मैं ऐसे ही चूत में उंगली करती लेटी रही और सोचती रही कि असलम आएगा और मेरे चूत को ठंडी करेगा। जब कुछ देर असलम नहीं आया तो मैंने पैन का कवर ही चूत में लेने की सोची।”

“मैंने यही सोचा कि असलम की पहली लंड चुसाई हुई होगी जो इतनी जल्दी झड़ गया, वरना कल रात हुई चुदाई में तो मेरा दो बार पानी छुड़ाने के बाद झड़ा था।”

“फिर मैंने यही सोचा कि एक दो बार लंड और चूसूंगी तो चुसाई की आदत पड़ जाएगी। फिर इतनी जल्दी नहीं झड़ेगा। मैंने सलवार उतार दी और पैन का कवर ले कर चूत में डालने ही वाली थी कि असलम आ गया। बिल्कुल नंगा, खड़े लंड के साथ।”

“असलम बोला कुछ नहीं, बस मेरी कमीज उतारी – सलवार तो उतारी ही पड़ी थी। असलम ने मेरी टांगें खोली और लंड चूत में डालने ही वाला था कि मैंने कहा, “रुको असलम।”

“असलम रुक गया और हैरानी से मेरी और देख कर बोला, “क्या हुआ अम्मी, सब ठीक तो है?”

[email protected]

अगला भाग पढ़े:- मां बेटे की चुदाई – एक मनोचिकित्सक की ज़ुबानी-10