पिछला भाग पढ़े:- दो गायें और दो सांड-2
अन्तर्वासना सेक्स कहानी अब आगे से-
असलम मेरे सामने आ कर खड़ा हो गया। मैंने असलम का लंड मुंह में लिया। कुछ देर लंड चूसने के बाद मैंने असलम को बोला, “चलो असलम अंदर चलो और मेरी चूत का पानी छुड़ाओ, रगड़ाई वाली चुदाई का मजा दो मुझे।”
अंदर जा कर मैंने साड़ी चूतड़ों से ऊपर कर दी और चड्ढी उतार दी। चूतड़ पीछे करके मैं बेड के किनारे पर उल्टा लेट गयी। असलम पीछे खड़ा हो कर और मेरे चूतड़ों पर हाथ फेरते-फेरते मेरी गांड के साथ खिलवाड़ कर रहा था, और साथ ही साथ बोल रहा था, “क्या मस्त चूतड़ हैं। दिल करता है दिन भर चाटता चोदता ही रहूं।”
जैसे ही असलम मेरी कमर पकड़ कर चूत में लंड डालने लगा, मैंने पीछे मुंह मोड़ कर असलम से कहा, “असलम इस बार की चुदाई में तुम कुछ भूल रहे हो।”
असलम मेरी चूत में लंड डालते-डालते रुक गया और मेरे सामने आ कर बोला, “कुछ भूल रहा हूं? क्या मालिनी जी, क्या भूल रहा हूं?”
मैंने कहा, “असलम तुम भूल रहे हो – ले मेरी जान आज तेरी चूत का भोसड़ा बना दूंगा, गांड फाड़ दूंगा, रंडी कैसे चुदाई करवाती है चूतड़ घुमा-घुमा कर। पूरा लंड ले रखा है तूने अपनी चूत में। साली कैसे अपनी चूत में लंड जकड़ रही हैं, बड़ा मजा आ रहा है।”
असलम ने भी हंसते हुए अपनी पैंट और अंडरवियर उतर दिए और मेरे पीछे आ कर एक ही झटके से लंड चूत में बिठाया, और बोला, “लेले अब पूरा मेरा लौड़ा लेले अपनी भोसड़ी में। गया तेरी चूत में लौड़ा जड़ तक। ले अब टट्टे भी लेले अपनी चूत में।” और ये कहते हुए असलम ने चुदाई चालू कर दी। लगता था मेरी बातें सुन कर चुदाई के लिए उतावला हो चुका था।
बीस मिनट असलम ने मेरी चूत की ऐसे रगड़ाई की, कि मुझे मजा ही आ गया। दो बार मेरी चूत का पानी छूट गया। असलम ने खड़ा लंड चूत से बाहर निकाला और ढेर सारा थूक मेरी गांड पर लगा कर बोला, “ले मेरी जान अब फाड़ता हूं तेरी गांड भी। परखच्चे ना उड़ा दिए तेरी गांड के आज तो मेरा नाम भी असलम नहीं।”
ये बोल एक ही बार में लंड गांड के अंदर धकेल दिया। असलम का मोटा लंड रगड़ कर गांड में गया। मुझे थोड़ा दर्द हुआ। क्रीम भी नहीं लगी थी गांड के छेद पर। मैंने असलम को कहा ,”क्या कर रहा है असलम। साले क्या सच में ही फाड़ेगा?”
असलम बोला, “हां फाड़ूंगा आज तेरी गांड आज।” ये कह कर आधी सूखी गांड की चुदाई, चुदाई क्या रगड़ाई चालू कर दी। सच में ही असलम गांड चुदाई का शौक़ीन था। मुझे लगा मुझे ही कुछ ऐसा करना पड़ेगा कि निकहत भी असलम से गांड चुदाई करवाने लग जाए। उसे भी तो पता चले गांड चुदाई क्या होती है।
दस मिनट गांड चुदाई के बाद असलम के लंड ने पानी छोड़ा। असलम ने गांड से लंड निकाला और बाथरूम की तरफ चला गया। मैंने भी चड्ढी पहनी रुमाल से चूत साफ़ की और साड़ी नीचे करके आगे क्लिनिक में आ गयी।
असलम आया और मेरे सामने बैठ कर बोला, “मालिनी जी पता नहीं क्या कारण है। आपको चोदने का मजा बहुत आता है। आज तो अलग सा ही मजा आया। पूरे चूतड़ झटका-झटका कर चुदवाती हैं आप।”
मैंने हंसते हुए कहा, “अच्छा? चूतड़ घुमा घुमा कर चुदवाती हूं मैं? और निकहत, नसरीन?” और आज मजा इसलिए आया कि तुमने चुदाई करते-करते वो बोला जो तुम चूत, गांड चोदने के वक़्त सोचते हो।
मगर जब असलम से मैंने पूछा “और निकहत, नसरीन?” तो इस पर असलम चुप रहा, कुछ नहीं बोला।
मैं हंसी, “चल ठीक है असलम अब तुम मुझे एक बात बताओ, नसरीन के साथ तुम्हारा ठीक-ठाक चल रहा है? कुछ गड़बड़ तो नहीं है?”
असलम नीचे की तरफ देखता हुआ बोला, “नहीं मालिनी जी ऐसी तो कोइ बात नहीं।”
मैंने असलम से कहा, “असलम तुम एक मनोचिकित्सक के सामने बैठे हो। कोइ समस्या हो तो मुझे बताओ। शायद मैं कुछ मदद कर सकूं।
असलम बोला, “मालिनी जी अम्मी ने मुझसे शादी के बाद चुदाई करवानी बंद कर दी थी। मगर अम्मी की उदासी देख कर मैं समझ चुका था कि ये असली लंड से चुदाई ना होनी वाली उदासी है। अम्मी को मर्द का लंड चाहिए। असली मर्द के असली लंड की चुदाई चाहिए।”
“मालिनी जी, “निकहत का मायका आगरा में ही है। जब भी उसे अपने मायके वालों से मिलना होता है अक्सर वो सुबह जा कर शाम को वापस आ जाती है, मगर महीने में एक आध बार वो दो-तीन दिन वहां रहने के लिए भी चली जाती है। एक दिन निकहत अपने मायके गयी हुई थी तो रात को मैं अम्मी के कमरे में चला गया, यही सोच कर के आज बात करूंगा और अगर उनका चुदाई का मन हुआ तो चोद भी दूंगा।”
अंदर अम्मी बेड पर लेटी हुई थी और अपनी सलवार उतारी हुई थी। रबड़ का लंड अम्मी की चूत में था और अम्मी उसे आगे-पीछे कर रही थी। मैं अम्मी के पास बैठ गया और अम्मी की चूत में से लंड निकाल कर उनकी चूत चूसने लगा। अम्मी ने मुझे मना नहीं किया। मेरा लंड खड़ा हो चुका था। मैं अम्मी की टांगें उठाई और चौड़ी करके जैसे ही अम्मी की चूत में लंड डालने लगा, तो अम्मी ने मुझे रोक कर अपनी टांगें सिकोड़ ली और बोली, “नहीं असलम, अब चुदाई नही।”
मैंने कहा, “अम्मी क्या हुआ। आपकी चूत तो लंड मांग ही रही है। रबड़ का लंड डाला तो हुआ था चूत में।”
अम्मी बोली, “हां असलम, चूत का पानी छुड़ाने का मन हो रहा था, मगर अब चुदाई नहीं।” कह कर अम्मी ने मुझे थोड़ा सा धकेला। मैंने अपना लंड अम्मी की चूत पर से नहीं हटाया और बोला, “क्या बात है अम्मी, मुझे नाराज हो क्या क्योंकि मैं आपकी चुदाई नहीं करता?”
अम्मी बोली, “नहीं असलम वो बात नहीं। अब मेरा तुझ से चुदाई करवाने का मन ही नहीं करता। असल में मैं जब भी तुझसे चुदाई करवाने का सोचती हूं, तो लगता है निकहत हमारी चुदाई देख रही है। नहीं असलम, अब मेरी तुम्हारी चुदाई नहीं हो सकती, कम से कम इस घर में तो नहीं।”
मैंने सोचा एक तरीके से अम्मी बात तो ठीक कर रही थी, मगर लंड के लिए तरस भी रही थी।
मैंने कहा, “चलो अम्मी एक मिनट के लिए आपकी बात मान लेता हूं, मगर अम्मी आपकी चूत तो मर्द की चुदाई तो मांगती ही है। तभी आप उदास-उदास सी रहती हैं। जहां तक इस घर के चुदाई का सवाल है तो अम्मी, हम कहीं होटल वगैरह में जा भी तो नहीं सकते। पुरानी दूकान होने के कारण आधा आगरा मुझे जानता है। दुकान में भी अब चुदाई नहीं हो सकती चार-चार तो अब नौकर हैं। फिर आप बताइये क्या चारा है?”
अम्मी बोली, “वो सब तो ठीक है असलम, लेकिन मुझे अच्छा नहीं लगता, मेरा मन नहीं मानता।”
मैं कुछ सोच में पड़ गया फिर बोला, “चलो अम्मी आपकी बात मान ली। मगर तीन-चार महीने में एक बार चुदाई करने में क्या हर्ज है? आपको लंड चाहिए वो आपको मिल जाया करेगा। तीन-चार महीने की चुदाई भी मैं आपकी जोरदार कर दिया करूंग। चूत में भी लंड डाल दिया करूंगा, गांड में भी चोद दिया करूंगा और मुंह में भी पानी निकल दिया करूंगा।”
अम्मी बोली, “नहीं असलम, अगर एक बार चुदाई शुरू हो गयी तो फिर रुकना मुश्किल हो जाएगा। अब यहां, इस घर में मेरी तुम्हारी चुदाई ना ही हो तो अच्छा है।”
जब दो बार अम्मी ने कहा इस घर में तो मुझे समझ आया के अम्मी को मुझसे चुदाई करवाने से परहेज़ नहीं, वो बस इस घर में चुदाई नहीं करवाना चाहती। मैंने सोचा इस पर कुछ सोचता हूं। सोचता हूं कहीं किसी जगह का जुगाड़ हो जाए।
मैंने अम्मी से कहा, “ठीक है अम्मी मैं कहीं बाहर जगह ढूंढता हूं जहां कोई खतरा ना हो। मगर अम्मी आज तो चुदाई करवा लो, आपकी चूत गरम हुई पड़ी है चूत के पानी भरी पड़ी है। अब इसे लंड चाहिए ही वो भी अभी।”
असलम बोला, “मालिनी जी, अब अम्मी ने भी मुझसे चुदाई ना करवाने के कसम तो खाई नहीं हुई थी।
अम्मी कुछ देर चुप रही, फिर बोली, “ठीक है असलम कर ले आज चुदाई। मगर आज ऐसी चुदाई कर की चूत और गांड दोनों की तसल्ली हो जाए। असलम सच बताऊं निकहत के कारण मन नहीं मानता। मगर तुझसे चुदाई का मन भी बहुत करता है। कोइ ठीक जगह मिल जाए तो अच्छा है, मगर ध्यान रखना कोइ खतरा ना हो। चल उतर मेरे ऊपर से और कपड़े उतारने दे। तू भी कपड़े उतार और मस्त चुदाई कर अपनी अम्मी की।”
असलम बता रहा था, “और मालिनी जी इसके बाद अम्मी बेड के किनारे चूतड़ पीछे करके लेट गयी। मैंने अम्मी के चूत और चूतड़ खूब चूसे चाटे। अम्मी के मुंह आआह असलम आआह असलम की आवाजें निकल रही थी। उस दिन तो मेरी और अम्मी की ऐसी चुदाई हुई जैसी मेरी निकहत की साथ भी नहीं हुई थी। एक घंटे तक चली इस चुदाई में अम्मी की चूत चार बार पानी छोड़ गयी। दो बार मेरी लंड का भी पानी छूट गया। उस दिन अम्मी की गांड की भी मैंने खूब रगड़ाई की और अंत में अम्मी के मुंह में पानी निकाल दिया।”
मैंने अम्मी से पूछा, “अम्मी अभी हो गया या और चुदाई करवानी है?”
अम्मी बोली, “असलम मैं पेशाब करके आती हूं, फिर देखते हैं।” मैं समझ गया अभी अम्मी और चुदाई करवाना चाहती थी।
मैंने कहा, “ठीक है अम्मी आप पेशाब करके आओ तब तक मेरा लंड भी तैयार हो जाएगा।”
असलम अपनी और नसरीन की चुदाई की कहानी सुना रहा था मेरी चूत पानी छोड़ती जा रही। असलम बोला, “मालिनी जी अम्मी पेशाब करके आई और बिस्तर पर सीधी लेट गयी। अम्मी ने अपनी टांगें उठा ली और मेरा लंड पकड़ कर बोली, “असलम तेरा खड़ा हुआ या नहीं। अगर हो गया है तो आजा।”
मैंने अम्मी से कहा, “पूरा खड़ा तो नहीं हुआ मगर हो जाएगा।” ये कह कर मैं अम्मी के ऊपर उलटा लेट गया – मतलब मेरा लंड अम्मी के मुंह की तरफ था और मेरा मुंह अम्मी की चूत के ऊपर था।
असलम बता रहा था, “मालिनी जी दस मिनट की इन लंड चूत चुसाई में लंड एक-दम फिर से चुदाई के लिए तैयार हो गया। उधर अम्मी भी चूतड़ ऊपर-नीचे करने लगी। मैं समझ गया अम्मी के चूत तैयार हो चुकी थी। मैं अम्मी के ऊपर से उतरा और अम्मी की टांगें उठा कर एक ही झटके से लंड अम्मी के चूत में डाल दिया।
अम्मी के मुंह से बस इतना ही निकला “आअह असलम।” और इसके बाद मेरी औरत अम्मी की वो चुदाई हुई के मालिनी जी क्या बताऊं। अम्मी की चूत फिर दो बार पानी छोड़ गई और मेरे लंड ने भी अम्मी की चूत गरम मलाई से भर दी। बस मालिनी जी ये समझिये कि वो चुदाई हमारी आख़री चुदाई ही थी।”
असलम बोल रहा था, “अब मालिनी जी अगर जमाल होता तो मैं अम्मी को जमाल से चुदवा भी देता, मगर वो तो यहां है नहीं। अगर अम्मी मुझ से चुदाई नही करवाती, तो चुदाई के इस चक्कर में अम्मी सेहत ही खराब ना कर ले। बस यही सोचता रहता हूं।”
ये कह कर असलम चुप हो गया।
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