मां बेटे की चुदाई – एक मनोचिकित्सक की ज़ुबानी-18

पिछला भाग पढ़े:- मां बेटे की चुदाई – एक मनोचिकित्सक की ज़ुबानी-17

डाक्टर मालिनी असलम को रबड़ के लंड की फायदे समझा चुकी थी। असलम समझ चुका था कि शादी के बाद अगर वो नसरीन, अपनी अम्मी की चुदाई नहीं करेगा तो उसकी अम्मी अपनी चूत का पानी रबड़ का लंड चूत में लेकर कैसे छुड़ाएगी।

थकी हुई मैं अंदर बिस्तर पर लेट गयी, और असलम के साथ हुई मस्त चुदाई याद करने लगी।

सोच रही थी काश ऐसी ही मस्त चुदाई असलम के साथ दुबारा हो जाए। असलम का लंड तो मस्त था ही, असलम चुदाई भी मस्त करता था।

लेटे-लेटे मैंने शोरूम वाले संदीप सोलंकी को फोन लगाया और पहले वाले लंड से दो बड़े वाले लंड भेजने के लिए बोल दिया – कलाई जितने मोटे और आधे हाथ जितने लम्बे।

संदीप बोला, “ठीक है मैडम। मगर ये जो आप साइज बता रही है मैडम ये तो तकरीबन ढाई इंच मोटा और साढ़े सात आठ इंच लम्बा हो गया। इसी साइज की बात कर रही हैं ना आप?”

मैंने मन ही मन सोचा, क्या संदीप सोच रहा है इतना बड़ा लंड मैं चूत में ले नहीं सकती? मैंने भी हल्का सा हंसते हुए कहा, ” हां भई संदीप यही वाले चाहिये। ये बताओ कब तक मंगवा दोगे।”

संदीप सोलंकी मेरा बड़ा पुराना जानकार है, और इस तरह के ख़ास चुदाई के खिलौनों का सब से बड़ा डीलर भी है। मेरे सारे चुदाई के खिलौने संदीप के ही शोरूम से आते हैं। कई बार तो जब कोई नया खिलौना आता है तो संदीप ही मुझे फोन कर देता है।

संदीप बोला, “मैडम कल ही ले आऊंगा।”

मैंने पूछा, “अरे संदीप, इतनी जल्दी कैसे आ जायेंगे?”

संदीप बोला, “मैडम आज कल औरतों की किट्टी पार्टियों में ये और इससे भी अगला साइज चल रहा है। बहुत डिमांड है इनकी। मेरे पास पड़े हैं इस साइज के।”

संदीप से तो मैं खुली ही हुई थी। मैंने संदीप से कह ही दिया, “हद्द है संदीप, इन किट्टी पार्टी की औरतों की। कहा जा कर रुकेंगी ये भोसड़ी वाली चुद्दकड़ औरतें? अगली बार ये तीन इंच गोलाई और दस इंच का लंड मांगेंगी क्या?”

संदीप मेरी इस बात पर खुल कर हंसा।

मैंने सोचा, मैं किट्टी वालियों की बात कर रही हूं, मैं ही कौन सी कम हूं।

अगले दिन दस बजे ही संदीप आ गया और दो डिब्बे मेरे हाथ में दे कर बोला, “ये लीजिये मैडम आपका सामान।”

ये बोलते-बोलते संदीप के नजर मेरे मम्मों से फिसलती हुए मेरी चूत पर जा अटकी। पहले भी जब कभी संदीप मेरे क्लिनिक में आता था, तो मेरी चूत को घूरते हुए अपना लंड पेंट में ठीक करना नहीं भूलता था।

संदीप की एक आदत थी। वो जब भी किसी काम से सिविल लाइन्स आता था, तो मुझसे पांच सात मिनट के लिए मिले बिना नहीं जाता था। इन पांच-सात मिनट में ही वो कम से कम दस बार पेंट में अपना लंड इधर-उधर करता था।

वैसे मेरा एक उसूल है। मैं चुदाई के मामले में मैं कोइ रिस्क नहीं लेती, यहां कानपुर में तो विशेष कर। जानकार मर्दों से तो तब तक चुदाई नहीं करवाती जब तक ये सुनिश्चित ना हो जाए कि सामने वाला एक बार चुदाई करने के बाद चूत का पिस्सू बन कर पीछे ही नहीं पड़ जाएगा।

संदीप से भी इसी कारण अब तक चुदाई करवाने के लिए मैंने पहल नहीं की। देखने भालने में अच्छे संदीप ने भी अभी तक तो मुझे चुदाई के लिए नहीं कहा। अगर कभी कहेगा तो देखूंगी क्या करना चाहिए।

संदीप मुझे रबड़ के लंडों के डिब्बे देकर मेरी चूत को घूरता हुआ चला गया। ग्यारह बजे ऑटो में नसरीन और असलम आ गए। नसरीन के हाथ में एक प्लास्टिक का थैला था, और वो बड़ी ही खुश लग रही थी।

असलम ऑटो वाले को पैसे दे रहा था। नसरीन जल्दी-जल्दी क्लिनिक में मेरे पास आयी और आते ही मेरी हाथ अपने हाथ में लेकर बोली, “मालिनी जी ये तो कमाल हो गया। एक ही मीटिंग में क्या जादू कर दिया आपने? असलम शादी के लिए मान गया है। लीजिये मुंह मीठा कीजिये।”

नसरीन ने कानपुर के मशहूर “ठग्गू के लड्डू” वाले का लड्डूओं का डिब्बा निकाला और मेज पर रख दिया। मैंने कहा, “अरे, ये तो वाकई कमाल हो गया। बधाई है नसरीन। अब जल्दी से बहु ले आओ घर में।”

ख़ुशी से हंसते हुए नसरीन बोली, “जी हां मालिनी जी, बस अब आगरा जा कर सब से पहले यही काम करना है। वैसे मालिनी जी बताईये तो सही कि आपने ये जादू किया तो किया कैसे। एक ही बार की मीटिंग से असलम शादी के लिए कैसे मान गया?”

मैंने कहा, “नसरीन ये मेरा नहीं उस रबड़ के खिलौनों का कमाल है जो परसों तुमने अपनी चूत और गांड में डाल कर मजे लिए थे। असलम की असली समस्या ही ये थी, कि वो सोचता था कि शादी के बाद अगर वो तुम्हारी चुदाई ना कर पाया तो तुम्हारी चूत का पानी कौन छुड़ाएगा।”

“वो तो यहां सोचने लग गया था कि अगर उसने तुम्हारी चुदाई बंद कर दी तो कहीं ऐसा ना हो चूत का पानी छुड़ाने के लिए तुम किसी बाहरी मर्द से ही चुदाई का चक्कर ही ना चला बैठो।”

“जब मैंने असलम को ये लंड दिखाए और बताया कि तुम इनसे काम चलाओगी, इन्हें अपनी चूत में डाल कर इनसे अपनी चूत का पानी छुड़ाओगी और असली चुदाई जैसे मजे लोगी, तो उसे अपने सारे सवालों के जवाब मिल गए। इस रबड़ के लंड ने उसकी सारी समस्या और चिंताएं दूर कर दी। बस हो गया काम।”

तब तक असलम भी ऑटो वाले को पैसे दे कर आ गया।

कुछ देर इधर-उधर की बातें करने के बाद नसरीन बोली, “अब हम चलेंगे मालिनी जी। मैं तो कल सुबह आगरा वापस चली जाऊंगी। असलम अभी रुकेगा दो तीन दिन। दुकान का कुछ सामान लेना है।

मैंने नसरीन से कहा, “नसरीन एक मिनट बैठो।”

मैंने असलम को कहा, “असलम मुझे तुम्हारी अम्मी से अकेले में कुछ बात करनी है। तुम थोड़ी देर के लिए उधर पीछे वाले कमरे में बैठो।”

असलम साथ वाले कमरे में चला गया जहां मेरी और असलम के पिछले दिन चुदाई हुई थी।

असलम के जाने के बाद मैंने रबड़ के लंड का डिब्बा नसरीन के हाथ में दे दिया, जो एक घंटा पहले संदीप दे कर गया था।

नसरीन ने हैरान हो कर पूछा, “ये क्या है मालिनी जी।”

मैंने कहा, “खोल कर देखो।”

नसरीन ने जैसे ही डिब्बा खोला ,उसके आंखें फ़ैल गयी और वो बोली, ” मालिनी जी ये तो…।”

मैंने कहा, “हां नसरीन ये लंड ही है, बिल्कुल नया रबड़ का लंड।”

नसरीन ने लंड हाथ में लिया और बोली, “मालिनी जी ये तो उस दिन वाले लंड से बड़ा लग रहा है।”

मैंने कहा, “हां नसरीन ये बड़ा ही है। तुम्हारी कलाई जितना मोटा और तुम्हारे आधे हाथ जितना लम्बा।” ये बोलते हुई मैं और नसरीन दोनों हंस दी।

मैंने लंड डिब्बे में से निकाला और बोली, “देखो मैं तुम्हें चला कर दिखाती हूं।” फिर मैंने नसरीन को सब समझाया कि कहां बैटरी डलती है। कैसे वाइब्रेटर काम करता है।

सब समझ कर नसरीन बोली, “मालिनी जी आपने ये मेरे लिए मंगवाया है?”

मैंने कहा, “नसरीन ये ख़ास मैंने तुम्हारे लिए ही मंगवाया है। इसी रबड़ के लंड की चुदाई के भरोसे पर तो असलम शादी के लिए तैयार हुआ है।”

मैंने समझाया, “देखो नसरीन अभी मैंने तुम्हें क्या बताया था? असलम की असली समस्या यही थी कि अगर कभी उसकी शादी के बाद तुम्हारा चुदाई करवाने का मन हो हो कैसे और कौन चुदाई करेगा तुम्हारी? कैसे तुम्हारी चूत का पानी निकलेगा? असलम की बीवी के घर में होते हुए असलम तो तुम्हें नहीं चोद पायेगा।”

“मेरे पास ये लंड पड़ा ही था। जब मैंने उसे इसे लंड के बारे में बताया, और उसे ये लंड दिखाया, तो मुझे लगा उसे चीजें समझ आ रही है, और उसका शादी ना करने का इरादा बदल रहा है।”

“फिर जब मैंने वो रबड़ का लंड असलम के हाथ में ही दे दिया तो उसे बड़ी ही तसल्ली सी हुई, और वो धीरे से बोला, “मालिनी जी ये तो बिल्कुल असली लंड जैसा ही दिखता है।”

मैंने नसरीन के कंधे पर हाथ रख कर कहा, “जब मुझे लगा कि ये लंड देख कर असलम का शादी ना करने का इरादा बदल रहा था, तो मैंने उसी वक़्त इस लंड का आर्डर दे दिया। तुम्हारी कलाई जितना मोटा और तुम्हारे आधे हाथ जितना लम्बा।”

मैंने जरा सा हंसते हुए कहा, “अब तुम्हारा जब भी मन करे इसे चूत में लेकर मजे ले सकती हो। अगर अभी एक बार चूत में लेकर देखना है तो देख लो।”

नसरीन बोली, “अभी? यहां? कोइ आ गया तो?”

मैंने कहा, “नसरीन मैंने तुम्हें बताया ही है यहां जब तक मैं ना बुलाऊं कोइ नहीं आता, और वैसे भी चूत में डाल कर ही तो देखना है। दो मिनट भी नहीं लगेंगे।”

नसरीन बोली, “ठीक है मालिनी जी एक बार डाल कर के देख लेती हूं। मगर मालिनी जी कितने का आया ही ये।”

मैंने कहा, “नसरीन तुम उसकी चिंता ना करो। मेरी चूत चुसाई करके तुम पहले ही इसकी पेमेंट कर चुकी हो। चलो उतारो सलवार और चूत में डाल कर एक बार ट्राई कर लो।”

मेरे ये कहने पर नसरीन ने सलवार उतारी और क्लिनिक के कोने में लगे बेड पर चूतड़ों के नीचे तकिया लगा कर लेट गयी और टांगें चौड़ी करके नीचे हाथ डाल कर चूत की फांकें खोल दी।

नसरीन की खुली हुई गुलाबी चूत देख कर मुझसे रहा नहीं गया, और मैंने अपना मुंह नसरीन की चूत में डाल कर चूत का दान चूसना शुरू कर दिया। नसरीन के मुंह से बस “आआआआह… मालिनी जी… आआआआह” निकला।

नसरीन की चूत में से हल्की-हल्की खुशबू उठ रही थी। मेरा मन तो अभी भी नसरीन की चूत चूसने का था मगर ना वक़्त था ना मौक़ा।

मैं कुछ देर नसरीन की चूत चूसने के बाद मैं उठी और मैंने लंड नसरीन के हाथ में देकर उससे कहा, “नसरीन तुम खुद अपने आप इसे चूत में डाल कर देखो। तुम्हें इसे इस्तेमाल करने का तरीका भी अच्छे से समझ आ जाएगा। ऐसा करो इसके ऊपर थोड़ा थूक लगा लो, और चूत के अंदर बिठा लो।”

नसरीन हंसते हुए बोली, “मालिनी जी थूक लगाने की जरूरत नहीं, मेरी चूत तो पहले ही इस लंड को देख कर गीली हुई पड़ी थी, बाकी काम आपकी चुसाई ने कर दिया है। बिल्कुल तैयार हुई पड़ी है ये। लाईये डालती हूं इसे अंदर।”

ये कहने के बाद भी नसरीन ने लंड पर थूक लगाया, और लंड को चूत के छेद पर रखा और पूरा का पूरा लंड चूत के अंदर बिठा दिया।

फिर मैंने नसरीन की उंगली पकड़ी और लंड के नीचे की तरफ वाइब्रेटर के बटन पर रख दी और नसरीन से कहा, “नसरीन, एक बार इस बटन को दबाने से लंड का वाइब्रेटर चालू हो जाएगा, और दुबारा दबाने से वाइब्रेटर बंद हो जाएगा।”

नसरीन ने बटन दबाया और वाइब्रेटर चालू हो गया। लंड के वाइब्रेट करते ही नसरीन बस इतना ही बोली, “कमाल है? मालिनी जी ये तो बड़ा मजा देता है, असली वाले लंड से भी ज्यादा।”

मैंने कहा, “हां नसरीन बहुत मजा देता है। बस एक ही कमी है मर्द के लंड की तरह पानी नहीं छोड़ता। दूसरे जब मर्द ऊपर लेट कर या पीछे से कमर पकड़ कर चुदाई करता है, उसकी तो बात ही अलग होती है।”

नसरीन मजे की सिसकारियां लेते हुई बोली, “मालिनी जी तीन-तीन लंड ले लिए अब तक, बहुत चुदवा ली मर्दों को ऊपर लिटा कर और पीछे से कमर पकड़वा कर। अब यही ठीक है… अअअअअह बड़ा मज़ा आ रहा है।”

“बहुत चुदवा ली मर्दों को ऊपर लिटा कर और पीछे से कमर पकड़वा कर”, मैंने मन ही मन कहा, नसरीन ने बात तो बड़ी सही और सटीक कही थी।

मैंने कहा, “नसरीन पानी छुड़ाना है चूत का? मजा लेना यही पूरा?”

नसरीन बोली, “मालिनी जी अब तो पानी छुड़ाना ही पड़ेगा। इसने तो मेरी चूत एक मिनट में ही गरम कर दी।”

मैंने कहा, “ठीक है नसरीन जितनी देर तक चाहो मजा लो, तब तक मैं उधर पीछे के कमरे में असलम से बात करती हूं।”

नसरीन ने हां कहते सर हिला दिया। मैं साथ के कमरे में गयी असलम सोफे पर बैठा था। मैंने उसे सारी बात बताई और कहा, “चल असलम, लंड निकाल और चुसवा।”

बिना कुछ पूछे असलम ने लंड निकाल लिया और मेरे सामने खड़ा हो गया। मैंने पांच मिनट ही लंड चूसा होगा कि लंड बांस की तरह सख्त हो गया। मेरा मन चुदाई का होने लगा।

मैंने कहा, “चल असलम आजा चोद दे एक बार। मैंने साड़ी कमर तक उठाई और चूतड़ पीछे करके बेड के किनारे उल्टा लेट गयी।

असलम बोला , “मैडम कहीं अम्मी आ गयी तो?”

मैंने हंसते हुए कहा, “वो नहीं आने वाली। तुम्हारी अम्मी ने अपनी चूत में तेरे लंड जितना रबड़ का लंड डाला हुआ है, और मजे ले रही है।”

असलम अपने आप से बोला, “देखूं क्या कर रही है अम्मी।”

असलम ने क्लिनिक का दरवाजा हल्का सा खोला और अंदर झांका और वापस आ कर बोला, “अम्मी तो मस्त हुई पड़ी है। आंखें बंद करके चुदाई जैसे मजे ले रही है।”

फिर असलम पेंट उतारते हुए बोला, “मालिनी मैडम आप तो कमाल करती हैं।”

फिर असलम ने पूछा,” बताईये डाक्टर मैडम कहां लेना है चूत में कि गांड में।”

मैंने कहा, “चूत में ही डाल दे गांड चुदाई के लिए कहां जैल लगाता फिरेगा।”

चूतड़ पीछे करके तो मैं लेट ही चुकी थी। मेरा इतना कहने भर की देर थी कि असलम ने फचाक से लंड मेरी चूत में डाला और मुझे कमर से पकड़ कर चुदाई चालू कर दी।

उधर क्लिनिक से हल्की-हल्की सिसकरियों की आवाजें आ रही थी।

असलम की दस मिनट की चुदाई से मेरा पानी निकल गया। अगले पांच मिनट में ही असलम का भी लंड पानी छोड़ गया। मस्ती भरी फटाफट वाली चुदाई भी बढ़िया रही।

मजा आने के बाद असलम ने लंड मेरी चूत में से निकाला और जाकर सोफे पर बैठ गया। मैं भी साड़ी नीचे करके बोली, “देखूं असलम नसरीन का क्या हाल है। अब तक अगर लंड उसकी चूत में ही है तब तो वो दो तीन बार झड़ चुकी होगी।”

मैं क्लिनिक में गयी और देखा लंड अभी भी नसरीन की चूत में ही था। मैं जा कर नसरीन के पास खड़ी हो गई। नसरीन की चूत में लंड का वाइब्रेटर चालू था। नसरीन लंड को जोर-जोर से आगे-पीछे कर रही थी। एक हाथ उसका मुंह पर था। शायद मजे की सिसकारियां रोक रही थी।

मैंने नसरीन के कंधे पर हाथ रखा, और नसरीन ने आंखें खोली, और मुझे देख कर बोली, “मैडम बड़ा मजा आया आज तो। बस अब बंद कर दीजिये इसे।”

मैंने नसरीन का हाथ नीचे करके लंड के बटन पर रखा, और नसरीन से कहा, “नसरीन इसे दबाओ”

नसरीन ने बटन दबाया, और लंड की वाइब्रेशन बंद हो गयी। नसरीन उठ गयी और सलवार का नाड़ा बांध लिया, और लंड वापस डिब्बे में रख लिया और बोली, “बड़ी ही करामती चीज है ये तो मालिनी जी। अगर कहीं से पहले हाथ लगी होती तो ना जमाल से चुदवाने की जरूरत पड़नी थी, ना असलम से ही।”

मैंने नसरीन को कुर्सी पर बिठाया, और हंसती हुई बोली, “चलो ठीक है नसरीन, छोड़ो पुरानी बातों को। तुम्हें अब चूत या गांड चुदवाने के लिए असलम को तंग नहीं करना पड़ेगा। उधर असलम बेफिक्र होकर अपनी बेगम को चोदा करेगा, इधर ये लंड अपनी चूत में लेकर बशीर,जमाल या असलम, किसी के भी सपने देखते हुए चुदाई के मजे लेना।”

ये बोल कर मैं पीछे वाले कमरे से असलम को बुलाने चली गई। असलम आ गया। हम तीनों बैठे कुछ इधर-उधर की बातें करते रहे। बातों-बातों में नसरीन बोली, “मालिनी जी, आपने ने तो एक ही बार में सारी समस्या ही खत्म कर दी। असलम की शादी का कार्ड मैं खुद देने आऊंगी आपको। जमाल और उसकी बीवी सायरा भी आएंगे दुबई से।”

फिर नसरीन बोली, “अगर मैं नहीं आ पायी तो असलम आएगा। आपको आना जरूर होगा असलम की शादी में।”

मैंने भी कहा “जरूर, क्यों नहीं।”

फिर नसरीन कुछ हिचकिचाते हुए बोली, “एक बात पूछूं मालिनी जी? आपकी फीस क्या हुई?”

मैंने नसरीन के हाथ पर हाथ रखते हुए कहा, “नसरीन इस तरह की मदद की मैं कोइ फीस नहीं लेती।”

तभी मेरी आंखों कि आगे असलम का खूंटे जैसा खड़ा लंड और असलम के साथ हुई मस्त चुदाई घूम गयी। मेरे मुंह से अनजाने में निकल गया, “और वैसे भी फीस तो मुझे असलम दे ही चुका है।”

नसरीन ने हैरानी से असलम की तरफ देख कर कहा, “असलम?”

उधर असलम भी घबराया।

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