पिछला भाग पढ़े:- चुदक्कड़ दीदी को चोद कर मां बनाया-1
मेरी अन्तर्वासना कहानी के पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कैसे दीदी के चूचे देख कर मैं गरम हो गया, और मैंने पहली बार दीदी के नाम की मुठ मारी। अब आगे-
सुबह मैं थोड़ा लेट उठा था। सब कुछ नॉर्मल था। बस मेरी नज़र मेरी दीदी को लेकर बदल चुकी थी। अब वो मुझे एक बहुत खूबसूरत लेडी लगने लगी थी। जिसके पास कमाल का हुस्न था। जो अगर कोई देख ले तो पागल ही हो जाए।
खैर मैं उठा, और फ्रेश होकर नाश्ता किया। जीजू अपनी जॉब पर जा चुके थे, और दीदी घर के काम करने में बिज़ी थी। पर मेरी नजर तो मेरी दीदी पर ही थी। साड़ी में वो घर के काम करती हुई बहुत प्यारी लग रही थी। दीदी काम करते हुए जब झुकती थी, तो उनके हल्के से दूध दिख जाते। जिन्हें देख कर मेरे दिल में और लंड में कुछ-कुछ होने लगता था।
काम करते हुए दीदी अचानक से अपने रूम में चली गई, और अंदर से गेट बंद कर लिया। फिर कुछ देर बाद वो बाहर आई तो मैं समझ गया था कि दीदी फिर से अपना दूध निचोड़ने के लिए गई थी। ये सोच कर मेरे मन में उनके लिए वासना और बढ़ने लगी।
कुछ देर बाद मैंने देखा की दीदी नहाने के लिए जा रही थी, अपने हाथ में अपनी ब्रा पेंटी, ब्लाउज, और पेटीकोट लेकर। वो बाथरूम की ओर जा रही थी। दीदी के घर में बेडरूम से अटैच बाथरूम बने हुए है। जब दीदी बाथरूम में गई, तो मैं उनके पीछे पीछे उनके रूम मैं जाकर बैठ गया, और उनको नहाते हुए देखने की इच्छा हुई। पर अंदर झांकने का कोई रास्ता नहीं था। तो मैं मन मार कर वापस बाहर आ कर बैठा गया।
दीदी को बाथरूम में गए काफी देर हो गई थी। मैं उनके बारे में सोचना बंद ही नहीं कर पा रहा था। मेरे ऊपर जैसे नशा सा हो गया था अपनी दीदी के मोटे और गोरे दूध देख कर। ये सोचते हुए मैं दीदी को देखने के लिए उनके रूम की तरफ बढ़ा। दीदी के रूम का दरवाजा बस हल्का सा खुला था। मैं सीधा दीदी के रूम में घुस गया। अंदर का नजारा देख कर मेरी आंखें फटी की फटी रह गई। दीदी रूम में बिल्कुल नंगी थी, और अपने बदन का पानी पोंछ रही थी।
उनका पूरा बदन दूध सा गोरा, मोटी गांड, मोटे दूध, मखमल सा बदन। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। मैं बस एक टक दीदी के बदन को घूरे जा रहा था। पानी की बूंदे उनके बालों से उनके जिस्म पर गिर रही थी। उस वक्त दीदी बहुत ज्यादा सेक्सी और हॉट लग रही थी। उनका बदन पानी से हल्का सा भीगा हुआ, एक-दम मोती जैसा चमक रहा था।
मन तो कर रहा था की अभी इनको यही बेड पर पटक कर चोद दूं। दीदी जब पीछे की तरफ पलटी, तब मेरी नज़र उनकी चूत पर गई। उनकी चूत दिखने में बिल्कुल पिंक थी, थोड़ी सी फूली हुई, और एक-दम चिकनी। उनकी चूत को देख कर मेरा तो दिल आ गया उनकी चूत पर। दिल किया कि अभी पटक कर बेड पर इनकी चूत को चूस-चूस कर इनका पानी निकाल दूं। जैसे ही दीदी मेरी तरफ घूमी, तो वो मुझे देख दंग रह गई, और शर्म की वहां से वहां पड़ी एक चादर से अपना बदन ढक लिया, और मुझसे पूछने लगी-
दीदी: तू! कितनी देर से यहां खड़ा है, और क्या कर रहा है? शर्म नहीं आती तुझे अपनी दीदी को ऐसे देखते हुए?
वो मुझे डांटने लगी और मैं सिर नीचे करके सब सुनता रहा। पर उनकी एक भी बात का असर मेरे ऊपर नहीं हो रहा था। मेरी आंखों के सामने तो बस उनकी फूली हुई गुलाबी चिकनी चूत घूम रही थी। दीदी ने मुझे काफी खरी-खोटी सुनाई और फिर मैं सॉरी बोल कर रूम से बाहर चला गया।
मैं बाहर आकर अपनी किस्मत को शाबाशी दी रहा था, और मैंने सोच लिया था कि अब कैसे भी करके अपनी प्यारी चुदक्कड़ दीदी को चोदना था। दीदी जब कपड़े पहन कर बाहर आई, तो वो और भी ज्यादा सुंदर लग रही थी। उन्होंने सारी पहनी थी, और एक बैकलेस ब्लाउज पहन रखा था, जिसमे उनका गोरा बदन और भरा हुआ जिस्म बहुत खूबसूरत लग रहा था।
मैंने दीदी से कहा: मैं कुछ देर के लिए बाहर जा रहा हूं घूमने। कुछ देर बाद आ जाऊंगा।
इतना बोल कर मैं सीधा मेडिकल स्टोर पर जा पहुंचा, और वहां से बात करके मैंने कुछ नींद की गोलियां ले ली, ताकि रात के खाने में ये गोलियां मिला कर सब को गहरी नींद सुला कर, मैं दीदी की चुदाई कर सकूं, और उनको अपने बच्चे की मां बना सकू।
फिर मैं वो नींद की गोलियां लेकर वापस दीदी के घर आ गया और रात होने का इंतजार करता रहा। जब दीदी ने रात का खाना तैयार किया, तो किचन में जाकर मैंने बहुत चतुराई से सारी नींद की गोलियां खाने में मिला दी। मैंने दीदी के खाने में दवाई नहीं मिलाई, और खुद मैंने पेट दर्द का बहाना कर उस रात खाना नहीं खाया।
सब लोगो के खाना खाने के बाद मैं उन सब के सोने का इंतजार करने लगा। दीदी घर के काम करने में बिज़ी थी। जब जीजू सो गए तो मैंने उनको आवाज दी, ये चेक करने के लिए कि दवा का असर हुआ या नहीं। मैंने 2-3 बार जीजू को आवाज लगाई, पर वो बहुत गहरी नींद में सो चुके थे।
मुझे आज कुछ भी करके दीदी को चोदना था। तो दीदी के आने से पहले मैंने अपने कपड़े उतारे, और मैं नंगा होकर अपने बिस्तर पर चादर ओढ़ कर लेट गया। दीदी जैसे ही रूम में आई, वैसे ही लाइट चली गई, और पूरे रूम में अंधेरा हो गया। दीदी रूम में आकर सीधा बाथरूम में गई मूतने के लिए। लाइट चली जाने की वजह से सब जगह अंधेरा हो रहा था और शांति भी थी।
दीदी के मूतने पर उनकी चूत से निकलती हुई हल्की सी सीटी की आवाज मैं साफ सुन सकता था। उस आवाज को सुन कर मेरा मोटा काला लोड़ा सख्त होने लगा था, और जब तक मेरी प्यारी हॉट और सेक्सी दीदी बाथरूम से बाहर निकलती, तब तक मेरे लंड लोहे की रोड की तरह सख्त हो चुका था।
जैसे ही दीदी बाथरूम के बाहर निकल कर आई, मैं चादर में से निकल कर अपना तना हुआ काला लंड लेकर उनके सामने खड़ा हो गया। इत्तेफाक से तभी लाइट आ गई, और दीदी मुझे नंगा देख कर बहुत गुस्सा करने लगी। वो मुझ पर चिल्लाने लगी और डांटने लगी कि-
दीदी: तू यहां नंगा क्या कर रहा है? ये सब क्या है? तमीज है या नहीं?
पर मेरे सिर पर तो अपनी दीदी को चोदने का भूत सवार था। मैंने उनकी एक ना सुनी और उनके बाल पीछे से पकड़ कर उनको गाली देते हुए बोला-
मैं: साली कुतिया, तुझे आज मैं अपने लंड से चोदने के लिए नंगा खड़ा हूं। आज तुझे चोद कर तुझे अपने बच्चे की मां नहीं बनाया, तो मेरा नाम अखिल नहीं।
दीदी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ये सब मैं क्या कर रहा था। दीदी कुछ समझ पाती, इससे पहले ही मैंने उनकी साड़ी का पल्लू पकड़ कर उनकी साड़ी को उनके जिस्म से अलग कर दिया।
इसके आगे क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा। यहां तक कि कहानी के बारे में आप अपनी फीडबैक मेरे साथ apal88852@yahoo.com पर सांझा कर सकते है।