पिछला भाग पढ़े:- बुआ की चुदाई-2
तो दोस्तों, जैसा कि आपने मेरी बुआ की चुदाई कहानी के पिछले भाग में पढ़ा कि बेंगलुरु जाने के बाद मैंने फिर से अपनी बुआ की चुदाई शुरू कर दी थी। हां यह वही बुआ है, जिनको मैं तब से चोदता आया हूं, जब मेरा लंड पहली बार खड़ा हुआ था। बस अब फरक इतना था कि बुआ शादी-शुदा थी, और मैं फूफा जी की गैर-हाजरी में बुआ की आग बुझाता था।
हमारे दिन काफी बढ़िया चल रहे थे, और तब ही अचानक करोना बीमारी आ गई और लॉकडाऊन हो गया। इस वजह से मैं बुआ को चोद भी नहीं पा रहा था। क्योंकि एक तो बार-बार बाहर आना-जाना मुश्किल था, और फूफा जी भी घर पर रहते थे।
पर इसी बीच बुआ के साथ एक बहुत बड़ी दुर्घटना हो गई। फूफा जी को करोना हो गया, और वो काफी बीमार पड़ गए। इतना कि उन्हें हॉस्पिटल भर्ती कराना पड़ा। वहां ना हमारा, ना फूफा जी का कोई रिश्तेदार था, तो बुआ एक-दम अकेली पढ़ गई।
मैंने भी मौके का फायदा उठाया और किसी तरह बुआ के घर चला गया। बुआ ने जैसे ही मुझे देखा, वो मेरे गले लग कर रोने लगी। वो फूफा जी को लेकर बहुत ही चिंतित थी। मैं उन्हें पुचकार रहा था और समझा रहा था कि सब ठीक हो जायेगा।
अंदर ही अंदर तो यहीं चल रहा था कि कब मैं बुआ को चोदूं, पर बुआ को इतना इमोशनल देख मुझे कुछ करने का मन नहीं हुआ। पर मेरी हवस काफी बढ़ चुकी थी। रोजाना 3 दफा सेक्स करने वाले का सेक्स एक-दम बंद हो जाए, तो उसकी आग तो भड़केगी ही ना। मैं धीरे से माहोल जमाने लग गया। बुआ को पीछे से पकड़ कर बोला-
राजू: अब मैं आ गया हूं ना बुआ, सब ठीक हो जायेगा। मैं हूं ना आपका ध्यान रखने के लिए।
बुआ ने मुझसे हाथ छुड़ाते हुए कहा-
बुआ: राजू अभी सही समय नहीं है ये सब करने का। मैं सच में बहुत परेशान हूं।
राजू: आपकी परेशानी ही तो मिटाने आया हूं (बुआ का हाथ पकड़ कर अपनी और खींचते हुए)।
बुआ: और तू केसे मिटाएगा मेरी परेशानी?
राजू: फूफा जी बीमार है तो आपके बदन की आग तो भड़क रही होगी? उसको भी तो मिटाना पड़ेगा ना।
बुआ: राजू तू ना और भी कुछ सोचता है? तेरे फूफा जी वहां इतने बीमार है, कुछ भी हो सकता है, और तू ये सब बात कर रहा है।
राजू: ये भी तो जरूरी है ना बुआ। और वैसे भी फूफा जी कहां ही खुश कर पाते है। क्यों इतना परेशान हो रही हो?
बुआ: पति है वो मेरे, ऐसा कैसे बोल सकता है तू?
राजू: मुझसे चुदवाते समय भूल जाती हो कि पति भी है।
बुआ: वो बात अलग है। अभी तू जा वापिस अगर तुझे यही सब बात करनी है तो।
राजू: बुआ आज तक आप सीखी नहीं, मुझे जब आपको चोदना होता है, मैं चोद कर रहता हूं (बुआ के ब्लाउज में हाथ डाल कर उनके बोबे मसलते हुए)।
बुआ मुझे धक्का मार कर अपने कमरे की जाने लगी, और गेट बंद करने ही जा रही थी, कि मैंने अपने हाथ से गेट को धक्का मारा, और बुआ को दोनों हाथों से पकड़ कर चूमने लगा। बुआ ने बचने के लिए मेरे होंठो पर काट लिया।
उनके काटते ही मैंने उन्हें पलंग पर उल्टा करके फैंक दिया। फिर पीछे से उनकी सलवार उतारी, और अपना मोटा लंबा लंड पैंट से निकाल कर उनकी गांड में भर दिया। यह सब इतनी जल्दी में करा, कि उनके कपड़े तक नहीं उतारे मैंने पूरे, और चोदना शुरू कर दिया।
मैं पूरी तरह से बुआ के उपर चढ़ गया और अपने शरीर के वजन से उन्हें नीचे दबा लिया। उसके बाद मेरे हर एक झटके के साथ बुआ के आंसू और चीखें निकल रही थी। मैंने कोई तेल का भी उपयोग नहीं करा था। मेरा लंड बुआ की गांड में घुसा रहा था।
मुझे भी काफी दर्द हो रहा था। बुआ की गांड में झटके मार-मार कर मेरा लंड भी घिसा चुका था। पर हवास इतनी थी कि उसके बाद भी मैं नहीं रुका। करीबन 15 से 20 मिनट तक मैं बुआ को इसी तरह चोदता रहा, और वो बस दर्द से कराहती रही। आखिरकार मेरा पानी छूट गया बुआ की गांड में, और मैं बुआ के उपर ही गिर कर लेट गया। उसके बाद सब एक-दम शांत हो गया, और बस बुआ की सिसकियों की आवाज थी।
कुछ देर बाद मैंने अपना लंड बुआ की गांड से बाहर निकाला, और साइड में लेट गया। मेरा लंड खून से लथपथ था। छिल जाने की वजह से उसे खून आ रहा था। बुआ की गांड से भी मेरा स्पर्म और खून टपक रहे थे। मैंने प्यार से बुआ के बाल सहलाए। बुआ कुछ नहीं बोल रही थी।
मैं फिर उठा, और तेल की बॉटल लेकर आया, और बुआ की गांड पर तेल लगाने लगा। अच्छे से गांड में उंगली डाल कर लगा रहा था। बुआ को काफी जलन भी हो रही थी। फिर मैंने अपने लंड पर भी तेल लगाया, और आराम से बुआ के साथ लेट गया।
राजू: देखा बुआ, मैं आपका ध्यान रख सकता हूं।
बुआ: तकलीफ भी तो तूने ही दी।
राजू: बुआ उसके लिए मुझे माफ कर दो, वो गलती से हो गया।
बुआ: ये बहुत गलत किया तूने।
राजू: बुआ मैं बहुत गरम हो रहा था। आगे से कभी नहीं होगा।
बुआ: गलती तो करी है, अब सजा भी मिलेगी।
राजू: बुआ आप जो बोलो वो करूंगा।
बुआ: जिस तरह तूने मुझे इतना दर्द दिया है। मैं भी तुझे उतना ही दर्द दूंगी।
राजू: बुआ आपको जो करना है वो कर लो, पर मुझसे गुस्सा मत हो।
फिर बुआ जैसे-तैसे उठ कर लंगड़ाते हुए अपनी अलमारी तक गई, और वहां से कुछ निकालने लगी। बुआ की गांड इतनी बुरी तरह से मारी थी, कि बुआ ठीक से खड़ी भी नहीं हो पा रही थी।
फिर बुआ हाथकड़ियां लेकर आई और मुझे बेड से बांधने लग गई। मैं भी बुआ को चुप-चाप देख रहा था। बुआ ने बिस्तर के चार कोनों में मेरे हाथ और पाव बांध दिए। फिर उन्होंने मेरी नंगी गांड पर अपने हाथों से चांटे मारना शुरू करे।
उसके थोड़ी देर बाद फिर उन्होंने कुछ निकाला। इस बार बुआ बैट लेकर आई, और उससे मेरी गांड सुजाने लगी। आधे घंटे तक बुआ ने मुझे जानवरों की तरह पीटा। मेरी गांड सुन्न पढ़ चुकी थी। उसके बाद बुआ ने अलमारी से एक चड्डी निकाली जिसमें आगे से लंड बना हुआ था, और वो पहनने लगी।
मैंने जैसे ही वो देखा, मैं बोला: बुआ ये क्या कर रही हो? सॉरी बुआ गलती हो गई।
बुआ कुछ नहीं बोली और उसे पहन कर मेरी तरफ मुड़ी। बुआ के आगे मेरे लंड से भी बड़ा नकली लंड लटक रहा था। करीबन 8 इंच लंबा होगा, और पीछे तक जाते हुए मेरी मुट्ठी की साइज का मोटा होगा।
बुआ ने वो लंड मेरी गांड के छेद पर रखा, और उसे अंदर धकेलने लगी। इस बार मेरी चीखे निकल रही थी, और मैं बंधे होने की वजह से हिल भी नहीं पा रहा था। देखते ही देखते बुआ ने वो पूरा का पूरा लंड मेरी गांड में घुसा दिया था। यह पहली बार था कि मेरी गांड मारी जा रही थी।
मैं दर्द से कराह रहा था, और बुआ ने वो मोटे लंड को अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। असली लंड तो एक बार पिचकारी मार कर रुक जाता है, पर ये तो नकली था। इसे तो बुआ जितनी देर चाहे उतनी देर चला सकती है। उसके बाद बुआ ने तब तक मेरी गांड मारी, जब तक वो खुद थक के चूर नहीं हो गई। उसके बाद भी बुआ ने मुझे नहीं छोड़ा।
बुआ कई घंटे तक रुक-रुक कर मेरी गांड मारे जा रही थी। मेरी गांड फट कर बड़ी हो चुकी थी। बुआ ने मुझे एक-दम सस्ती रांड की तरह चोदा। रंडी का भोसड़ा भी इतना बड़ा नहीं होता होगा जितना मेरा हो चुका था। पीछे से लंड लेते समय कई बार मेरा लंड भी खड़ा हो जाता, और उत्तेजित हो कर पिचकारी निकल देता। आखिरकार कई घंटे की सजा के बाद बुआ ने बोला-
बुआ: बोल, रुक जाऊं या करती रहूं?
राजू: बुआ प्लीज रुक जाओ, बहुत दर्द हो रहा है।
बुआ: मुझे भी ऐसा ही दर्द हुआ था, तब तो नहीं रुका तू। अब सजा से भी बच रहा है।
राजू: नहीं बुआ मुझे सबक मिल गया।
बुआ: अगर तू मुझसे प्यार करता है तो पूरी सजा लेगा।
बस बुआ ने यह बोलते ही मैं बोल पड़ा-
राजू: बुआ आपके लिए तो कुछ भी करूंगा। आपको और जितनी सजा देनी है दो। मैं नहीं रोकूंगा।
बुआ: सच्ची बोल, एक बार मैं शुरू हो गई तो रुकूंगी नहीं।
राजू: आपके लिए कुछ भी बुआ। आई लव यू।
बुआ ने फिर से मेरी गांड में लंड डाला, और मुझे चोदना शुरू कर दिया। मैं इस बार चुप-चाप सब सह रहा था। बुआ को लगा कि मैं थोड़ी देर में मना कर दूंगा। पर मैं चुप-चाप सहता रहा। यह देख बुआ को मुझ पर प्यार आ गया, और वो बोली-
बुआ: इतना प्यार करता है तू मुझसे?
राजू: आप ही मेरा सच्चा प्यार हो।
बुआ ने मुझे आकर चूम लिया, और गले लगा लिया। फिर मुझे खोल दिया और हम एक-दूसरे की बाहों में पढ़े-पढ़े एक-दूसरे को चूमते हुए सो गए। इतनी चुदाई से हम दोनों ही खूब थक गए थे।
अगले दिन जब हम उठे, तो हॉस्पिटल से कॉल आया कि फूफा जी नहीं रहे। बुआ यह सुन कर जमीन पर बैठ कर रोने लग गई। मैंने भी उन्हें संभाला, और आगे के सारे कामों में उनकी पूरी मदद करी। मेरी प्यारी बुआ विधवा हो चुकी थी। अब मेरा उन पर पूरा हक था। अब वो सिर्फ मेरी थी।
सब काम समेटने की बाद मैं अपना सारा सामान लेकर बुआ के यह चला गया, और उनके साथ ही रहने लग गया। अब से मैं ही उनका पति भी था। फूफा जी के जाने के बाद वो घर बुआ के नाम हो चुका था, और बुआ मेरी हो चुकी थी।
ये बुरा वक्त भी निकल ही गया और मैं और मेरा बचपन का प्यार मेरी बुआ पति-पत्नी की तरह साथ रहते और घूमते-फिरते थे। जब कभी घर जाते तो सब के सामने एक-दम सीधे बन जाते और बेंगलुरु आते ही हमारी चुदाई शुरू हो जाती।
मेरी बुआ की चुदाई कहानी के बारे में आपने विचार जरूर साँझे करें।