मेरे बचपन का प्यार रूबी – भाग 6 – दिन में क्लब में रूबी से लंड चुसाई

पिछला भाग:- मेरे बचपन का प्यार रूबी – भाग 5

शिमले का तीसरा दिन वीरवार,

रूबी की चुदाई शुरूहो चुकी थी.

पांच मिनट की और चुदाई के दौरान रूबी झड़ गयी – ऊंची ऊंची आवाजों के साथ आआह विक्की आआह विक्की आह आह उह उह विक्की ओह ओह आअह विक्की विक्की आअह आअह विक्की । रितु रूबी के पास आ कर बैठ गयी और उसकी चूचियां चूसने लगी। रूबी रितु की पीठ पर हाथ फेर रही थी। तभी एक आअह रूबी आह रूबी की आवाजों के साथ मेरा भी लेसदार गाढ़ा गर्म वीर्य निकल कर रूबी की चूत में भर गया।

हम दोनों झड़ चुके थे। मैंने अपने लंड के ढीला होने का इंतज़ार किया। जैसे ही रूबी ने अपनी मस्ती भरी आंखें आधी खोली, मैंने लंड रूबी की फुद्दी में से निकाल लिया। मेरे हटने की देर थी की रितु ने रूबी की फुद्दी से सब चाट लिया – मेरा लेसदार गाढ़ा पानी, रूबी का हल्का नमकीन पानी – रितु ने रूबी की चूत कदम साफ़ कर दी – एकदम सूखा दी ।

मैं बाथ रूम गया, पेशाब किया। मुंह धोया लंड धोया और आ कर सोफे पर बैठ गया। रितु कपड़े पहन रही थी। रूबी अभी लेटी ही हुए थी।

रितु चली गयी। रूबी उठी और मेरे सामने बैठ कर मेरा लंड चूसने लगी। चूसते चूसते बीच बीच में नजर उठा कर मेरी ओर भी देख लेती थी।

” प्यार जताने का ये उसका अपना तरीका था “।

मेरा लंड खूब चूसने के बाद रूबी उठी मेरे होठों को अपने होठों में लिया चूसने लगी।

कुछ देर की इस चुसाई के बाद रूबी मुझसे अलग हुई और बाथ रूम में चली गयी। मैंने कपड़े पहने और सोफे पर बैठ गया। रूबी भी फ्रेश हो कर आयी और कपड़े पहनते पहनते बोली, विक्की क्या मस्त चुदाई करता है तू।

कपड़े पहन हम डाइनिंग हॉल में आ गए। रितु ने डाइनिंग टेबल पर खाना लगा दिया था। रूबी ने रितु को भी कल की ही तरह साथ ही बैठा लिया और हम सब ने डिनर खत्म कर लिया।

थोड़ी गपशप के बाद सब को नींद की सुस्ती आने लगी। मैं और रूबी, हम दोनों तो कुछ ज़्यादा ही थके हुए थे। जाखू पहाड़ की चढ़ाई, फिर मस्त दो दो चूतों की चुदाई और अब अच्छा खासा डिनर।

सब से पहले रूबी उठी और बोली, मैं चलती हूं ,नींद आ रही है। विक्की तूने आज पूरा जिस्म हिला दिया – गुड नाईट। फिर रितु की तरफ देख कर बोली, “रितु आज तो नहीं चूसना विक्की का लंड “?

रितु ने शर्मा कर ना में सर हिला दिया। पांच मिनट बाद मैं भी चला गया।

अगले दिन वीरवार की शुरूआत भी पिछले दिन की ही तरह हुई।

चाय पीते पीते रूबी ने पूछा, “आज का प्रोग्राम है विक्की “? मैंने कहा, “कुछ प्रोग्राम भी बना ले, मैंने तो सारा शिमला ही देखा हुआ है।

रूबी बोली , “ठीक है तो चल आज तुझे क्लब ले चलती हूं। क्लब ग्यारह बजे खुलता है। अभी तो नौ ही बजे हैं। आराम से तैयार हो कर नाश्ता कर के चलेंगे। लंच वहीं करेंगे और शाम को लौट आएंगे – और डिनर घर पर – रितु के साथ”, रूबी ने हंस कर कहा।

ग्यारह बजे हमने सुबह का नाश्ता किया। फिर थोड़ा आराम करके साढ़े बारह बजे तैयार हो कर नीचे माल रोड की तरफ निकल पड़े। मॉल रोड से क्लब का रास्ता लगभग पंद्रह मिनट का है।

रूबी ने चलते चलते रितू से कहा, “रितू आज खाना मत बनाना, चाइनीज़ मंगवा लेंगे, बस कुछ सलाद काट लेना। थकना नहीं है तुझे ” I

मैं समझ गया आज भी ये जवान फुद्दी चोदने को मिलेगी।

“रूबी की बदौलत मैं 37 की उम्र में उन्नीस बीस साल की कुंवारी लड़की चोद रहा था। कितना विशाल ह्रदय था रूबी का “।

क्लब में केवल मेंबर और उनके गेस्ट ही जा सकते थे । शिमला के सबसे मेंहगे क्लबों में इसका नाम आता था। इसकी मेम्बरशिप भी आसानी से नहीं मिलती। रूबी के पति लेफ्टिनेंट कर्नल राघव चड्ढा, और रूबी के रुआब के कारण उन्हें इसकी मेम्बरशिप मिली थी।

क्लब की खासियत ये है की खासा बड़ा क्लब का खासा बड़ा हाल था। मेजें बड़ी दूर दूर थी किसी एक टेबल पर बैठे को किसी दुसरे से कोइ परेशानी नहीं होती। कोइ वेटर मेज पर नहीं आता जब तक किसी को बुलाया ना जाये। क्लब में पहुंचते ही अगर मांगी जाये तो एक कमरे की चाबी दे दी जाती है और वहां किसी किस्म की कोइ परेशनी नहीं होती।

हम भी एक कोने में बैठ गए। रूबी ने मशरूम सूप आर्डर किया और हम धीरे धीरे सूप पीने लगे।

इसके बाद शुद्ध शाकाहारी पहाड़ी खाना मंगवाया। आलू पालक, शिमला मिर्च पनीर की सब्ज़ी, उड़द की दाल और प्याज टमाटर और हरी मिर्च का रायता – साथ में तंदूरी रोटी। सारा खाना शुद्ध देसी घी में बना था। खाने का जवाब नहीं था। पहाड़ी लोग खाना बहुत उम्दा बनाते हैं। खाने के बाद कॉफी कमरे में भिजवाने का आर्डर कर के रूबी बोली आओ तुम्हें कमरा भी दिखती हूं।

काउंटर से कमरे की चाबी ले कर हम लिफ्ट से तीसरी मंजिल पर गए – रूबी ने कमरा खोला और धीमी वाली लाइट जला दी। कमरे में सुविधा का हर सामान मौजूद था। कुछ ही देर में रूम सर्विस वाला कॉफी दे गया। कॉफी पी कर रूबी ने अपने सेंडिल उतारे और बेड पर लेट गयी। मुझे भी उसने अपनी बगल में ही लिटा लिया।

मेरे सीने पर हाथ फेरते हुए बोली, “विक्की रात चुदाई का मजा आया ? कैसी है रितु की चूत”। मैंने कहा ठीक है – टाइट है I अभी शादी भी नहीं हुई इस लिए उम्र के हिसाब से चूत टाइट है । लगता है चुदाई भी बहुत नहीं होती”। फिर मैंने पूछा, रूबी तुम इस तरह कमरे में अक्सर आती हो “?

“रूबी बोली नहीं विक्की अक्सर नहीं। क्लब वालों को मालूम है की मैं एक वकील हूं कभी कभी वकील को केस हाथ में लेने से पहले अपने मुव्वकिल से ऐसे मिलना होता है जिससे जब तक केस अदालत में ना चला जाये, किसी को पता नहीं चलना चाहिए। इन क्लब वालों को इतना ही मालूम है। आज में यहां आठ महीने के बाद आई हूं। पिछली बार कसौली मर्डर केस के सिलसिले में अपने एक मुवक्किल के साथ आई थी।

फिर पेण्ट के ऊपर से मेरे लंड पर हाथ फेर कर बोली, “विक्की आज का क्या प्रोग्राम है “?

मैंने कहा, “जैसा भी बना लो, चुदाई तो एक सी ही होती है”।

रूबी मेरे लंड पर हाथ फेरती रही। फिर पूछा, “विक्की कभी गांड चोदी है “?

मैंने “कहा हां चोदी है”। रूबी चुप रही – पेण्ट के ऊपर से लंड पर हाथ फेरती रही। मैंने पूछा, “क्यों पूछ रही हो, तुमने नहीं चुदवाई कभी”?

“चुदवाई है, पर डर डर कर, वो भी पूरी तरह नहीं “, फिर उसने कहा, “आज तुम भी हमारी गांड चोदना “।

हमारी मतलब रूबी और रितु, दोनों की। मैंने पूछा “रितु मान जाएगी” ?

रूबी बोली, “नहीं मानेगी तो मत चोदना, ये तो हर एक की अपनी मर्ज़ी है “I

मैंने पूछा “जैल है घर पर”?

रूबी बोली, “हां है, वो रबड़ के लंड और वाइब्रेटर इस्तेमाल करने के लिए भी चाहिए होती है”।

“मैंने पूछा तो फिर केमिस्ट से लाता कौन है “?

“केमिस्ट से क्यूं लानी है ? आज कल तो सब ऑन लाइन आ जाता है। इंटरनेट पर आर्डर करो, की घर पहुँच जाती है”।

अब तक बात करते करते रूबी मेरा लंड पेण्ट से बाहर निकाल चुकी थी। वो उठी और लंड चूसने लगी। आधा घंटा लंड चूसती रही। मुझे लग रहा था की अगर ऐसे ही चूसते रही तो मेरा लेसदार पानी निकल जाएगा।
मैंने कहा, “रूबी मेरा लंड कभी भी पानी छोड़ सकता है “।

रूबी ने “हूं हूं” किया सर हिलाया मगर लंड मुहंसे बाहर नहीं निकाला I मेरी तरफ देख कर बोली “इसी लिए तो चूस रही हूं विक्की मेरी जान” I मतलब मुंह में हे मेरा लसदार वीर्य लेना चाहती थी।

पंद्रह मिनट की और चुसाई के बाद मेरे लंड से गर्म पानी की धार रूबी के मुंह में सीधी चली गयी। मेरी मुंह से एक बार ही निकला, “आआह रूबी मेरी जान, निकल गया मेरा “।

रूबी बिना रुके,लंड से निकला गर्म सफ़ेद पानी पीती गयी।

मेरे लंड से पानी निकलना बंद हो चूका था, पर रूबी ने लंड चूसना बंद नहीं किय। लंड अब बैठ चुका था , मगर रूबी लंड चूसती जा रही थी। फिर रूबी ने लंड चूसना बंद कर दिया मगर लंड मुंह से निकाला नहीं। मैंने रूबी के पीठ पर हाथ फेरा और रूबी ने मुंह में से लंड निकाल लिया और मेरे सीने पर सर रख कर लेट गयी।

पता नहीं कितनी देर वो ऐसे ही लेटी रही। मैं उसके बालों में हाथ फेरता रहा।

फिर रूबी उठी , एक बार और मेरे लंड को मुंह में ले कर चूसा और उठ कर बाथ रूम में चली गयी। मुंह धो कर अपना मेकअप ठीक कर के बाहर आई। एकदम फ्रेश लग रही थी। मैं भी बाथ रूम गया और फ्रेश हो कर बाहर निकला। रूबी चलने के लिए तैयार थी।

शाम के छः बज चुके थे। वक़्त का पता ही नहीं चला, शाम हो भी गयी थी

हम लोग नीचे आये और एक कोने वाली टेबल पर बैठ गए। रूबी बोली, “विक्की, तू बैठ मैं क्लब का मैनेजर क्लब मैनेजर को हैलो बोल कर आती हूं।

रूबी दस मिनट बाद आयी और हम क्लब से निकल आकर घर की तरफ चल पड़े।

कुछ टाइम हम ने रिज पर बिताया। रूबी बड़ी खुश थी।

क्या ऐसा क्लब की लंड चुसाई के कारण था ? एक बात तो थी की रूबी ने क्लब में मेरा लंड बड़ी ही तस्सली से चूसा था। कोइ खलल नहीं किसी का दखल नहीं।

“शायद इसी लिए चुदाई अक्सर रात में ही की जाती है “।

साढ़े सात के करीब हम घर पहुंचे। रितु सोफे पर ही बैठी थी – बिलकुल तरो ताजा लग रही थी। रूबी बोली ,”रितु चायनीज़ आर्डर कर दे”। फिर मेरी तरफ देख कर बोली, “क्या मंगवाना है विक्की “?

“कुछ हल्का मंगवा ले रूबी। फ्राइड राइस और चिल्ली चिकन। साथ कोइ सूप मंगवा ले। सलाद तो रितु ने बना ही लिया है “।

रूबी ने रितु से कहा, “फोन कर दे रितु फ्राइड राइस, चिल्ली चिकन और कॉर्न सूप “।

मेरी तरफ मुड़ कर बोली, “तू फ्रेश हो ले विक्की, मैं भी जाती हूं – फ्रेश हो के बार में आ जा “।

चलते चलते मेरी नजर रितु पर पड़ी। खुश थी, मुस्कुरा रही थी। “क्या चुदाई के ख्याल से “?

गरम पानी से स्नान कर के दिन की सारी थकान दूर हो गयी। बार में पहुंचा तो रूबी पहले ही बैठी थी। रूबी ने झीनी नाईटी पहनी हुई थी – नीचे ना ब्रा पहनी थी ना चड्डी पहनी थी। “शर्माना भी किससे था – ना मेरे से ना रितु से “। चूचियां, निप्पल, चूत और चूतड़ों की लाइन सब दिखाई दे रहे थे – क्या सेक्सी – उत्तेजित करने वाला सीन था ।

मेरे पीछे पीछे रितु भी आ गयी ट्रे लेकर। भुने काजू रखे थे एक प्लेट में। रितु ने दो गिलासों में ड्रिंक डाले – जॉनी वॉकर मेरे लिए और वोडका प्लस रूबी के लिए।

रात के नौ बजने वाले थे। “कल तो इस समय तक हमारी चुदाई भी शुरू हो चुकी थी”।

साढ़े नौ बजे तक हम दो दो पेग लगा चुके थे। “हम लोगों को चुदाई की जल्दी थी क्या “?

तीसरा पेग गिलास में डाल कर रूबी उठ खड़ी हुई और मुझसे बोली, “चलें क्या विक्की “?

“शायद चुदाई की जल्दी ही थी”।

बार वाले कमरे से निकलते हुए अपने कमरे की तरफ बढ़ते रूबी ने रितु को आवाज लगाई, “रितु आजा तू भी “।

रितु ने जवाब दिया, “मैडम खाना आया नहीं अभी तक, आने ही वाला होगा वो आ जाये तो आती हूं “।

हम कमरे में पहुंच गए। बिना देर किये रूबी ने मेरे नाइटसूट के पायजामे में से मेरा लंड निकाला और सोफे पर बैठ कर चूसना शुरू कर दिया।

दस मिनट तक रूबी लंड चूसती रही। तभी घंटी बजी। “शायद खाना आ गया था”।

पांच मिनट के बाद रितु भी आ गयी। रूबी अभी भी मेरा लंड चूस ही रही थी।

रूबी को शायद पेशाब आ गया। वो उठी और रितु से बोली, “रितु अब थोड़ा तू चूस, गर्म कर सर को। मैं आती हूं”। कह कर वो बाथ रूम में चली गयी।

रूबी की जगह अब सोफे पर बैठी रितु मेरा लंड चूस रही थी। इसमें कोइ शक नहीं की रितु लंड की चुसाई रूबी से बढ़िया करती थी। लंड फनफनाने लगा – कड़ा हो गया।

रूबी आ गयी – नंगी। नाईटी भी उतार कर आयी थी। “क्या जिस्म था रूबी का – एकदम कड़क”।

रूबी को आया देख रितु ने मुंह में से लंड निकला और एक तरफ खड़ी हो गयी खड़ी हो गयी।

रूबी मेरे पास आयी और मेरा लंड हाथ में ले कर बोली, “क्या करना है विक्की – आगे या पीछे”। मतलब चूत या गांड।

“जो तेरी मर्जी, मैं कोइ सी भी चोदने के लिए तैयार हूं – कोइ एक या फिर दोनों “।

“वाह क्या बात है – मर्द हो तो ऐसा “। फिर रितु की तरफ मुड़ कर बोली, “रितु वाइब्रेटर के बॉक्स में जैल की ट्यूब होगी ले आ”।

रितु गयी और ट्यूब ला कर मेरे हाथ में दे दी। “रितु की समझदारी का जवाब नहीं। रितु जानती थी की मैडम की गांड में जैल तो मुझे ही लगानी है “।

रूबी बेड के किनारे पर कुहनियों और घुटनों के बल, चूतड़ पीछे कर के थोड़े ऊपर उठा कर उकडू हो कर लेट गयी और सर घुमा कर रितु से बोली, रितु थोड़ा गांड को चाट “।

रितु ने चूतड़ फैलाये, और गांड का छेद चाटना शुरू कर दिया। रूबी हल्की हल्की सिसकारियां ले रही थी आह… आअह… आह …आआह। रितु छेद चूसती चाटती रही जब तह रूबी ने “बस” नहीं कहा।” बस रितु , मजा आ गया। आ जाओ विक्की, अब अपना काम शुरू करो “।

मैंने गांड के छेद पर जैल लगाई और अपने लंड पर भी। थोड़ी जैल उंगली से गांड के अंदर भी लगाई। रूबी की सिसकारी निकल गयी “आआह विक्की मजा आ गया, एक बार और उंगली कर गांड में “।

मैंने उंगली पर जैल लगा कर सात आठ बार उंगली को अंदर बाहर किया, हर बार रूबी सिसकारी लेती थी आआह… आ..आह … आआह।

जब खूब जैल लग गयी और उंगली फिसल कर अंदर जाने लग गयी तो मैंने अपना लंड रूबी की गांड के छेद पर रखा और हल्का सा धक्का लगाया। मोटा लंड गया नहीं मगर रूबी हल्के दर्द से कराही…… “उईई”।
मैंने थोड़ी और जैल रूबी की गांड और अपने लंड पर लगाई और लंड को हल्के हल्के धकेलना शरू किया – थोड़ा अंदर फिर बाहर, फिर थोड़ा अंदर और फिर बाहर। आठ दस बार ऐसे हे करने से लंड का सुपाड़ा अंदर बैठ गया। अब मैंने सुपाड़े को वहीं हिलाया डुलाया। सुपाड़े ने अब अपनी जगह बना ली थी।

मैंने लंड को बाहर निकाल लिया। एक बार और जैल लगाई। सुपाड़े को गांड के अंदर बिठाया और थोड़ा रुका। फिर लंड को आधा अंदर किया और फिर से रुका। अब एक धक्का लगाया और लंड जड़ तक रूबी की गांड के अंदर था।

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