पिछला भाग पढ़े:- कुणाल की मां की चुदाई-1
दोस्तों मैं धीरज अपने दोस्त को मां की चुदाई कहानी का अगला पार्ट लेके आया हूं। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि दोस्त की मां को देखते ही मैं उसका दीवाना हो गया, और फिर मैंने उसकी चुदाई करने का फैसला किया। फिर एक दिन मेरा दोस्त कुणाल अपने पापा के साथ कहीं जा रहा था, और पीछे उसकी मम्मी घर पर अकेली थी। इस चीज का फायदा लेके मैं उसके घर चला गया।
वहां उसकी मम्मी से मेरी बातें होने लगी, और उन बातों में गर्लफ्रेंड की बातें होने लगी। फिर मैंने बातों-बातों में सीधे ही आंटी को बोल दिया-
मैं: मेरा ये मानना है कि गर्लफ्रेंड बनाई है, तो उसकी जम के लेनी चाहिए।
ये बोल कर मैं चुप हो गया। आंटी मेरी तरफ देख रही थी। अब आगे की कहानी-
कुछ सेकंड्स तक तो आंटी मेरी तरफ देखती रही। फिर वो बोली-
आंटी: अच्छा तो तुम उन लड़कों में से हो जो लड़कियों को एक ही चीज के लिए अपना दोस्त बनाते हैं।
मैं: नहीं मैं उन लड़कों में से नहीं हूं, जो लड़कियों को एक ही चीज के लिए दोस्त बनाते है। मैं उन लकड़ों में से हूं, जो जब लड़की की दोस्त बनाते है, तो उनसे ये उम्मीद करते है कि वो उनको उस एक चीज की कमी ना आने दे।
आंटी: बातें तो अच्छी बना लेते हो।
मैं: आंटी इसमें बनाना क्या है। अब आप शादी-शुदा हो। अगर आप में और अंकल में वो एक चीज ना हो, तो क्या आप दोनों सिर्फ बातें करके खुश रह सकते है?
आंटी: तुझे क्या पता हमारे बीच कुछ बोता है कि नहीं?
मैं: ओह, मतलब अब आप दोनों के बीच कुछ नहीं होता?
आंटी बोली नहीं, लेकिन उन्होंने मुंह दूसरी तरफ कर लिया जिसका मतलब नहीं था।
फिर मैं बोला: तो क्या आप खुश है?
ये सुनते ही उन्होंने मेरी तरफ देखा। मैं उनको ही देख रहा था। हम दोनों की नजरें आपस में मिली हुई थी। आंटी अभी भी कुछ नहीं बोली।
फिर मैंने बोला: नहीं है ना आप खुश! तो अगर मैंने इस चीज के लिए गर्लफ्रेंड के साथ ब्रेकअप कर लिया, तो मैं कैसे गलत हो गया? और मैं कैसे उन लकड़ों में से हो गया जो एक ही चीज के लिए लड़कियों से दोस्ती करते है?
मेरी बातें सुन कर आंटी की बोलती बंद हो गई।
पर कुछ सेकंड्स बाद वो बोली: तो मैं क्या करूं? तेरे अंकल को छोड़ दूं?
मैं: अरे नहीं-नहीं आंटी, आप अंकल को मत छोड़ो। लेकिन जो उनसे आपको नहीं मिल रहा, वो कहीं और से लेलो।
आंटी: अब इस उमर में मैं किसको अपना बॉयफ्रेंड बनाऊं? और पता नहीं वो इसके लिए मुझे ब्लैकमेल करना शुरू कर दे।
मैं: आप ऐसे बंदे से फ्रैंडशिप करना ही मत।
आंटी: तो ऐसा कर, तू ही ढूंढ दे मुझे ऐसा कोई, जो इस बूढ़ी औरत का बॉयफ्रेंड बनने के लिए तैयार हो, और खुश करने के लिए भी।
मैं: अरे आंटी आप कहां बूढ़ी है। जरा अपने आप को देखिए। आज की जवान लड़कियां भी आपके सामने फीकी है। आप पर जवान लड़के मरते होंगे।
आंटी: अच्छा जी?
मैं: हां आंटी बिलकुल। आप अगर मेरे मेरे दोस्त की मम्मी ना होती, तो मैं ही…।
और ये बोल कर मैं चुप हो गया।
आंटी: बोल ना क्या बोल रहा था?
मैं: नहीं आंटी कुछ नहीं।
आंटी: बोल ना?
आंटी पूछती रही, लेकिन मैं कुछ नहीं बोल रहा था। फिर आंटी उठ कर मेरे पास आके बैठ गई।
फिर वो बोली: तू नहीं बताएगा तो मैं नाराज़ हो जाऊंगी तुझसे।
मैं: चलो ठीक है। अगर आप मेरे दोस्त की मम्मी ना होती, तो मैं ही आपको खुश कर देता। और इतना करता कि आप सुबह शाम मेरा नाम जपती रहती।
ये बात मैंने आंटी की आंखों में आंखें डाल कर कही। आंटी भी कम नहीं थी। उन्होंने उसी वक्त अपनी नाइटी को आगे से खोल दिया। नीचे उन्होंने काले रंग की ब्रा और पैंटी पहनी थी, जो अब मुझे दिखाई दे रही थी।
फिर वो मुझे बोली: तो अभी के लिए तुम भूल जाओ कि मैं तुम्हारे दोस्त की मां हूं।
मैं समझ गया कि वो तैयार थी। फिर मैं उनकी तरफ बढ़ा और वो मेरी तरफ बढ़ी, और हम दोनों के होंठ आपस में मिल गए। मैं पागलों की तरह उनके होंठ चूसने लगा। वो भी उसी जोश के साथ मेरा साथ देने लगी। आज मेरा सपना सच होने वाला था।
कुछ देर ऐसे ही होंठ चूसने के बाद हम अलग हुए। हम दोनों की सांसे तेज़ थी। फिर आंटी खड़ी हुई, और अपने कमरे की तरफ चली गई। मैं वहीं बैठा था। कमरे के दरवाजे के पास रुक कर उन्होंने पीछे देखा, और अपनी नाइटी उतार कर नीचे गिरा दी, और मुस्कुराती हुई अंदर चली गई।
ये खुला न्योता पा कर मैंने भी अंडरवियर छोड़ कर बाकी सारे कपड़े उतारे, और अंदर चला गया। आंटी अंदर बिस्तर पर सीधी लेटी हुई थी। मैं जाते ही उन पर कूद पढ़ा, और उनको हर जगह चूमने लगा। कभी मैं उनके होंठ चूमता, तो कभी गर्दन, कभी पेट चूमता, तो कभी क्लीवेज। पूरे बिस्तर पर घूम-घूम कर हम दोनों चुम्मा-चाटी कर रहे थे।
फिर मैं आंटी की चूत को पैंटी के ऊपर से चूमने लगा और उनकी पैंटी उतार दी। आंटी की चूत को सर्विस चाहे नहीं मिल रही थी, लेकिन चूत बिल्कुल साफ और चिकनी थी। मैंने उस जन्नत के द्वार को देखते ही चाटना शुरू कर दिया। आंटी पागल होके मेरे सर को अपनी चूत में दबाने लगी। बहुत स्वाद था उनकी चूत का पानी जिसे मैं चाट-चाट कर पी रहा था। वो आह आह करते हुए सिसकियां ले रही थी।
फिर अचानक के आंटी को पता नहीं क्या हुआ, कि वो मुझे धक्का देके नीचे लिटा दी, और मेरे ऊपर आकर, अंडरवियर से लंड निकाला, और उसको चूसना शुरू कर दी। वो किसी प्यासी रंडी की तरह मेरा लंड चूस रही थी, जैसे बरसों की प्यासी हो। मैं भी उनके मुंह में धक्के मार रहा था, जिससे उनकी सांस रुक रही थी।
कुछ देर बाद हमारे मिलन का वक्त आ गया था। आंटी मेरे चिकने लंड पर अपनी चूत रख कर बैठ गई। फिर टोपा चूत पर सेट करके धीरे-धीरे अंदर लेने लगी। वो आह आह करते हुए पूरा लंड अंदर लेली। मुझे तो जन्नत का मजा मिल रहा था। फिर मेरी छाती पर हाथ रख कर मेरे लंड पर उछलने लगी। साथ में वो लगातार आह आह कर रही थी। लंड चूत के मिलन से थप थप की आवाजें माहौल को और कामुक बना रही थी।
कुछ देर ऐसे ही चुदाई चलती रही। फिर मैंने आंटी को नीचे लिया, और मिशनरी पोजीशन में उनकी जोर-जोर से चुदाई करने लगा।
आंटी: आह आह आह, और जोर से करो। बहुत मजा आ रहा है आह। इतना मजा आज तक तेरे अंकल ने भी नहीं दिया आह। चोद साले चोद मुझे।
मैं आधा घंटा ऐसे ही आंटी को चोदता रहा। अब आंटी की बस हो चुकी थी। वो तीन बार झड़ चुकी थी, और उनकी चूत सूज चुकी थी। फिर मैंने लंड चूत से निकाला, और उनके पूरे बदन पर अपने माल की पिचकारी छोड़ दी। उस दिन से आंटी जब मैं चाहूं मेरे लंड पर चढ़ जाती थी। मजे ही मजे है बॉस।
कहानी की फीडबैक authorcrazyfor@gmail.com पर दें।