पिछला भाग पढ़े:- दोस्त की कामुक मां-1
जैसे ही वो लंड को छूने वाली होती है, मैं तभी उठ जाता हूं।
फिर मैं बोलता हूं-
मैं: लता चाची आप!
लता (अपने होश को संभालते हुए): बेटा तुझे उठाने आई थी। जा नहा ले पानी तयार है तेरे लिए।
मुझे उनकी साड़ी और बैकलेस ब्लाउज को देख कर और मजा आ रहा था। फिर मैं गया नहाने। नहाना चालू किया लेकिन मेरे पास टॉवेल नहीं था। फिर मैंने लता चाची को आवाज दी-
मैं: चाची टॉवल लाएंगी, मेरे पास नहीं है।
लता: हां विवेक, अभी लाती हूं।
जब वो टॉवेल लाई तभी मैंने बाथरूम का दरवाजा पूरा खोल दिया। जिसकी वजह से मेरा लंड उसे पूरा दिख गया। अब इस बार वो मेरा लंड देखती है, लेकिन मैं नंगा था पूरा। मैं शर्माने की एक्टिंग करता हूं।
लता: विवेक शर्मा क्यों रहा है? जब तू छोटा था, तब मैंने भी तुझे नहलाया है। और आज तू शर्मा रहा है। चल मैं तुझे नहलाती हूं।
मैं: अरे नहीं लता चाची (मन में पूरी तरीके से हां कहता हूं मैं)।
जैसे ही वोह अंदर आई मैं तो नंगा था पूरा। उसने साड़ी पहनी थी। फिर वो साबुन से मेरे शरीर पे हाथ फेरने लगी।
मैं: चाची थोड़ा नीचे।
वो भी मेरी कमर के नीचे साबुन लगाने लगी। मेरे शरीर मैं बिजली सी दौड़ने लगी थी। अब वो मेरे लंड को साबुन लगाने लगी।
मैं: आ आह चाची, मजा आ रहा है उमम।
लता: हां बेटा।
मैं समझ गया अब चाची को भी मजा आ रहा था। मैंने फिर शावर चालू किया, और चाची को पूरा भिगा दिया।
लता: विवेक तूने भिगा दिया मुझे पूरा।
मैं: लता चाची आप जल्दी से साड़ी उतार दो, वरना आपको ठंड लग जायेगी।
लता: अच्छा बेटा, तुझे इतनी फिकर है अपनी लता चाची की? तो तू ही उतार दे।
मैंने जरा भी देर ना करते हुए उसकी साड़ी निकाली (अब लता चाची ने बस ब्रा और पैंटी पहनी थी, और उसके हाथों में चूड़ियां थी। उसका मंगलसूत्र उसकी गर्दन पर था जिसमें वो माल लग रही थी। मैंने फिर उसका बैकलेस ब्लाउज निकाल कर बाहर फेंक दिया। उसके बाद मैंने उसे अपनी तरफ खींचा।
मैं: लता चाची आप बहुत कमाल हो। आपका ये बदन कमाल है।
लता: मुझे भी इस लंड की बहुत जरूरत है। आज सब भूल जा मैं कोन हूं। मैं बस तेरी हूं।
मैं फिर उसे अपने पास खींच कर किस करने लगता हूं जोर-जोर से, कभी गर्दन पर, कभी होंठों पर। उसके रसीले होंठ बहुत मुलायम थे। मेरा एक हाथ लता चाची के बदन पर घूम रहा था, और एक हाथ उसके गाल पर था।
मैं: चाची ये ब्रा और पैंटी भी निकाल दो।
उसने जल्दी से मेरी बात मानते हुए ब्रा और पैंटी निकाली। क्या नजारा था। उस दिन हम दोनों भूल चुके थे कि हम कौन थे। लता चाची भूल चुकी थी कि उसको एक बच्चा था, और पति भी। और मैं भूल चुका था कि मैं अपने दोस्त की मां की ले रहा था। जैसे ही उसके बूब्स दिखे, मैं किसी भूखे बच्चे की तरह टूट गया उन पर।
लता: आह आह ओह।
मैं: चाची आपके दूध बड़े ही मस्त है।
लता: तू बस पीता रह, ये तेरे लिए ही है।
मैं कभी उनके बूब्स को किस करता, कभी बूब्स दबाने लगता। फिर मैंने लता चाची को झुकाया, और अपना लंड उसकी गांड की तरफ चुभाने लगा। वो सिसकियां लेने लगी।
लता: बेटा डाल दे अंदर, अब रहा नहीं जाता आह उमम।
मैंने अचानक से लंड डाल दिया। पूरे बाथरूम में सिसकियों की आवाज़ें आने लगी। लेकिन विशाल अपने कमरे में सो रहा था, और यहां उसकी मां मैं चोद रहा था।
मैं: लता चाची आपकी चूत कितनी टाइट है। बहुत गीली भी है आह आह। आई लव यू चाची। आई लव यू लता चाची।
लता: आह बेटा, मैं भी इसी दिन का इंतजार कर रही थी। आह आ आ आह उम्म्म उम्म मुझे बस लता बुलाया कर अब से।
उसके हाथो की चूड़ियां बजने लगी। उसका मंगलसूत्र लटक रहा था, जब मैं उसको पेलता। मैंने फिर उसे नीचे झुकाया, और वो मेरा मोटा खड़ा लंड मुंह में लेने लगी।
मैं: लता मेरी जान, लेती रह अंदर मेरा लंड आहा।
वो मेरे लंड को किसी आइसक्रीम की तरह चाटने लगी। मैं तो स्वर्ग में था। उस समय कभी मैं उसे उठा कर अपनी गोद में लेकर पेलता। कभी बाथरूम की दीवारों पर मेरे हाथ उसके शरीर पर घूमते रहे, कभी बूब्स, कभी उसकी चूत, कभी उसकी गांड, कभी उसकी कमर, कभी उसकी टांगों पर हाथ घूमते।
लता भी मेरे शरीर को टटोलने लगी और चाटने लगी। कभी मेरी छाती, कभी मेरी उंगलियां, कभी मेरी पीठ। हम दोनों किसी कपल की तरह लगे हुए थे। बाथरूम से हम दोनों की आवाजें आ रही थी।
लता: आह आह विवेक, और जोर से बेटा आह।
मैं: लता मेरी रानी, आह उम्म उम्म।
ऐसा कोई पोजीशन नहीं होगी, जो हमने नहीं की। हमने डॉगी स्टाइल किया, मिशनरी, लोटस, कोगर्ल किया। कभी मैं उसके बाल पकड़ कर लेता, तो कभी उसके दोनो हाथ पकड़ कर करता। जैसे-जैसे वक्त बीता, हम दोनों की ऊर्जा खतम होने लगी। मैंने अपना सारा माल उसके बूब्स और उसके मंगलसूत्र पर डाल दिया।
लता: विवेक मुझे तुम्हारी हर एक बूंद चाहिए। हर एक आखरी बूंद बेटा।
मैं: हां मेरी रानी आह आह। मेरा होने वाला है आह लता।
लता: आह आह आह भिगा दे मुझे। भिगा दे अपने पानी से। डाल दे सारा मेरे मंगल सूत्र पर आह।
जैसे ही मैं झड़ गया पूरा, मैंने लता चाची को उठाया। उसक वजन था, लेकिन मेरी हवस की ताकत ने उसे उठा ही लिया, और उसे अपने कमरे मैं जाकर बिस्तर पे पटका। फिर मैंने उससे किस किया।
लता: आज का दिन मैं कभी नहीं भूल सकती मेरे राजा।
मैं: मैं भी। अब मैं यहां रोज आया करूंगा आपके लिए।
लता: मेरे बेटे और पति को नहीं पता चलना चाहिए।
तभी मैंने उसे किस किया और घर से निकला। उस दिन से मैं अपने दोस्त विशाल के घर पे रोज जाने लगा।
ये मेरी सच्ची कहानी है। तो कैसी लगी आपको ये कहानी कमेंट करो। अगर आपको भी आपकी कहानी बतानी है तो मुझे बताइए, मैं उसे और मजेदार तरीके से बताऊंगा।