पिछला भाग पढ़े:- मां को चोदने के लिए लोगों ने उकसाया-41
हेडमास्टर के घर के एक कमरे में अमित एक नई लड़की, कुंवारी लड़की नफ़ीसा को उसके बाप और संगीता के सामने चोद रहा था। इंदिरा को ये बात पसंद नहीं आई। उसने खाना खाया और उसके ही ज़िद करने पर हेडमास्टर ने उसे रेखा के घर पहुंचा दिया। हेडमास्टर वापस अपने घर लौट आया। अरविंद से चुदवाते हुए इंदिरा ने रेखा को धंधा करने के लिए तैयार कर दिया। दोनों ने फ़ैसला किया कि अगली रात दोनों अमित के रुम में जायेंगे।
हेडमास्टर जब वापस घर लौटा तो उसने देखा कि घर में सभी नंगे थे, और अमित सब के सामने उनकी घरवाली सुजाता को चोद रहा था।
सुजाता: हेडमास्टर साहब, संगीता ग़लत नहीं है। अमित का सिर्फ़ लंड ही सबसे बढ़िया नहीं है, ये असलम से कही बढ़िया से चोद रहा है। तभी तो असलम की छोटी बेगम नगमा हर दूसरी रात पूरी रात अमित के लंड को अपनी बूर में रखती है। अमित बेटा बहुत ही ज़्यादा मज़ा आ रहा है।
अपनी घरवाली की बात सुनते-सुनते हेडमास्टर नंगी खड़ी लड़कियों के बीच खड़े हो गये। उन्होंने एक-एक हाथ दोनों की कमर में लपेटा।
नफ़ीसा: हेडमास्टर साहब, मज़ा ही लेना है तो हम सब की तरह आप भी नंगे हो जाइए, ज़्यादा मज़ा आयेगा। अमित, जल्दी ख़त्म करो यार, मुझे एक बार और लेना है।
नफ़ीसा की कच्ची चूत ज़्यादा फड़क रही थी। असलम भी नंगा था। वो संगीता के दूसरी तरफ़ खड़ा हो गया और संगीता का एक हाथ पकड़ कर अपने टाइट लंड पर रखा। संगीता ने हाथ नहीं हटाया, मां-बाप के सामने लंड मसलने लगी।
संगीता: यार, मैंने कई बार तुमसे चुदवा लिया। लेकिन क्या करूं, ना तो मुझे तुम्हारे साथ ही कोई मज़ा आया, ना ही अरविंद के साथ। अब कभी उससे मेरे लिए पैसा मत लेना। अब मैं अरविंद सर से कभी नहीं चुदवाऊंगी। असलम मुझे मालूम हुआ है कि शहर में दो आदमी है, एक कोई फ़ॉर्च्यून होटल का मालिक है राजेंद्र और दूसरा कोई लाला है। दोनों के बारे में सुना है कि वे रंडियों को बढ़िया क़ीमत देते हैं, तो चुदाई भी बढ़िया करते हैं। हर दो घंटे का मुझे कम से कम 25 हज़ार चाहिए। मुझे सिर्फ़ रूपये नहीं बढ़िया चोदने वाला भी होना चाहिए। जब कभी मुझे ज़रूरत होगी तुम्हें बुला लूंगी।
संगीता ने अपने बाप हेडमास्टर का एक हाथ अपनी चूची पर दबाया।
संगीता: बाबू जी, हम सब खाना खा लेते हैं। उसके बाद आप रात भर नफ़ीसा को अपने साथ रखिए। अमित की मां आई है तो वो हमारे साथ रुकेगा नहीं। इसलिए, आप ही रात भर नफ़ीसा का मज़ा लीजिए।
अमित ने संगीता की मां को भी पूरा संतुष्ट किया। उसके बाद खाना खा कर अपने रुम में वापस आया तो ललन गार्ड ने फिर रोक लिया।
ललन: अमित साहब, लगता है कि आपके दोस्त ने पिछली रात रत्ना मैडम को बढ़िया चोदा था। इसलिए आज फिर विनोद के ही रूम है। उसे बोल दूं कि बाद में आपके पास भी आ जाए? साहब, बहुत बढ़िया माल है।
अमित: तुमने असलम की बेटी नफ़ीसा को कैसे पटाया, उसे चोद लिया क्या?
ललन 35-40 साल का ही था। आर्मी में शॉर्ट सर्विस कमीशन में सिपाही था। फ़ौज की नौकरी छोड़ने के बाद यहां गार्ड की नौकरी कर रहा था।
ललन: साहब, मेरी घरवाली चंद्रा मुझे बहुत प्यार करती है। जब से चोदना शुरू किया है सिर्फ़ अपनी घरवाली को ही चोदा है। साहब, आप सभी के पास लुटाने के लिए बहुत रुपया है। लेकिन मैं औरत के बारे में एक ही बात पर विश्वास करता हूं कि खूबसूरत हसीना रेखा हो या जवान लड़की नफ़ीसा हो, या कोई बहुत ही बदसूरत औरत हो, जब औरत कुंवारी नहीं रहती है तो फिर सब की बूर एक जैसा ही मज़ा देती है।
ललन: मेरी पत्नी मेरे लंड से, मेरी चूदाई से बहुत खुश रहती है। फिर मैं किसी भी दूसरी बूर में लंड पेलने के लिए रुपया क्यों बर्बाद करुं। असलम के पास सबसे ज़्यादा रंडीयां है लेकिन उसे कमीशन से एक पैसा भी नहीं मिलता है। मैंने तीन साल पहले ही रंडियों की दलाली शुरु की है, और मैं हर महीने अपनी तनख़्वाह से तीन-चार गुना कमीशन से कमाता हूं।
ललन: मेरी पत्नी मुझसे चुदवाने के लिए हमेशा तैयार रहती है। चंद्रा ने ही नफ़ीसा को दलाली के लिए कहा था लेकिन अभी तक वो किसी के रूम में नहीं आई है। बहुत ही ज़्यादा सुंदर है साहब, उसे देख कर ही आप का दिल ख़ुश हो जायेगा। अभी उसने अपना कोई रेट नहीं बताया है। आपके लिए ले आऊं?
अमित: जब मुझे लड़की की ज़रूरत होगी, मैं बताऊंगा।
अमित ने उसे 200 रुपया दिया और अपने रुम में आ गया। सुबह में संपा को चोदा और रात में तीन माल को संतुष्ट किया। अमित को किसी माल की ज़रूरत नहीं थी। फिर भी उसे याद था कि चिट में संपा ने क्या लिखा था। अमित संपा के आने का इंतज़ार करने लगा। इंतज़ार करते-करते अमित से भी गया।
दरवाज़ा पर लगातार नॉक की आती आवाज़ सुन कर अमित ने दरवाज़ा खोला। दरवाज़ा पर उसका क्लासमेट आसिफ़ था।
आसिफ़: सौरी अमित, लेकिन अभी मेरे कमरे में चलो, बहुत ज़रूरी काम है।
आसिफ़ ने पाजामा कुर्ता पहना था। जबकि अमित सिर्फ़ एक अंडरवियर में ही था। अमित के दिमाग़ में यह बात कैसे आती कि उसकी खाश माल संपा ने अमित से चुदवाने के लिए ही उसे बुलाया था।
अमित: लेकिन बोलो तो क्या ज़रूरी काम है?
आसिफ़: बस पूछो मत। कपड़े पहनो और मेरे साथ चलो।
अमित ने टेबल क्लॉक में समय देखा। साढ़े बारह बजे थे। उसने मन ही मन सोचा कि अब संपा नहीं आयेगी। अमित ने पाजामा कुर्ता पहना और रुम को लॉक कर आसिफ़ के साथ चल दिया। चार कमरे के बाद ही आसिफ़ का रुम था। आसिफ़ ने दरवाज़ा को धकेला। रुम में अंधेरा था। आसिफ़ ने स्विच ऑन किया और अमित बेड पर लेटी औरत के क़रीब जा कर खड़ा हो गया था। बेड पर संपा ही लेटी थी, लेकिन उसने चादर से अपने को कवर कर रखा था। अमित ने खुश होते हुए आसिफ़ को गले लगाया, उसके गालों को चूमा।
अमित: उफ़ आसिफ़, मैंने जब पहली बार अपनी वार्डन की पत्नी संपा मैडम को देखा तभी से इस खूबसूरत औरत को प्यार करने के लिए तड़प रहा हूं। आज अपनी प्यास बुझाऊंगा, संपा मैडम को प्यार करूंगा।
संपा: ज़्यादा खुश होने की ज़रूरत नहीं। आसिफ़ को 3-4 हज़ार में दूसरी कुतिया मिल सकती थी, लेकिन इसने 25 हज़ार देकर मुझे बुक किया है। असलम ने कहा था कि आसिफ़ की पर्सनालिटी बढ़िया है, बढ़िया चोदेगा, लेकिन आसिफ़ ने बहुत निराश किया। लंड अंदर भी नहीं घुसा पाया। तुम स्विमिंग चैम्पियन हो ना? पूल में तैरने में और औरत की बूर के अंदर तैरने में बहुत फर्क़ है। अमित, मुझे चोद पाओगे? ठंडा कर पाओगे, तभी कपड़े खोलना।
संपा ने रुपया आसिफ़ से लिया। आसिफ़ को उसने बहुत उकसाया। अपने नंगे बदन को खूब सहलाने और दबाने दिया। बहुत देर तक बूर भी चुसवाया। बेचारा, एक बार तो बूर चूसने के समय ही झड़ गया था। संपा ने सहला कर लंड को दुबारा टाइट किया। आसिफ़ ने बूर के अंदर लंड घुसाया ही था कि जैसा उसने अमित के साथ पहली बार की चूदाई में किया था, संपा ने अपनी मस्त मोटे जांघों और बाहों से आसिफ़ को इतना टाइटली बांधा कि बेचारा एक धक्का भी नहीं मार पाया लेकिन झड़ गया। संपा ने उसे अपने उपर से उतारा।
संपा: तुम बहुत ही ज़्यादा एक्साइट हो गये थे। किसी दूसरे को चोदते देखोगे तो तुम भी मुझे बढ़िया से चोद पाओगे। ख़ुद चोदना तो बढ़िया लगता ही है, दूसरों को चोदते देखने भी बढ़िया लगने लगता है। असलम बता रहा था कि अमित बहुत बढ़िया चोदता है, उसे बुला कर ले आओ, देखें वो भी मुझे चोद पाता है कि नहीं। नहीं बुलाना चाहते हो तो मत बुलाओ। सुबह चार बजे तक रहूंगी, तुम जो करना चाहते हो करो। आज रात मैं तुम्हारी हूं लेकिन अब कितना भी दोगे तुम्हारे पास फिर नहीं आऊंगी।
अमित की तरह ये आसिफ़ भी संपा को बहुत पसंद करता था। वो ख़ुद चोदना चाहता था, लेकिन घुसाने के बाद भी नहीं चोद पाया तो उसने सोचा कि क्यों ना किसी दूसरे से ही चुदवाते देखूं। भले ही वो उसे चोद नहीं पाया लेकिन आसिफ़ औरत की नंगी जवानी से आगे भी खेलता रहना चाहता था।
आसिफ़: मैडम, अगर अमित को बुला दूं, तो फिर जब बुलाऊंगा तब आओगी ना? आपको नंगा देख लिया, आपने मेरा लंड पकड़ा तो मेरा पैसा वसूल हो गया।
संपा समझ गई कि ये आसिफ़ भी उसे अमित की तरह ही पसंद करता था।
संपा: तुम बहुत प्यारे हो। अमित को बुला कर लाओ, अगर वो भी नहीं चोद पायेगा तब भी तुम दोनों का लंड चूस दूंगी और जब भी बुलाओगे आऊंगी लेकिन हर बार मुझे मेरी…
आसिफ़ समझ गया कि संपा क्या बोलना चाहती थी।
आसिफ़: आप जब भी चाहो मेरे रुम में आ जाओ। आज मैं आपसे एक वादा करता हूं। आप मेरे सामने भी अमित या किसी और से चुदवाओ मैं कभी मना नहीं करुंगा। लेकिन जब तक यहां हूं मेरे रुम में आपके सिवा और कोई दूसरी औरत या लड़की नहीं आयेगी। आप जब भी आओगी, आपको आपकी पूरी क़ीमत मिलेगी। मुझे नहीं बोलना चाहिए लेकिन अगर कभी भी रुपयों की ज़रूरत हो बेझिझक मुझसे बोलिए। आपको दूंगा।
संपा: ओह आसिफ़ तुम बहुत प्यारे हो।
संपा लेटी रही। उसने हाथ बढ़ा कर लंड को पकड़ कर अपनी ओर खींचा। आसिफ़ की आंखों में देखती हुई लंड को चूसने लगी। और डेढ़ घंटा के अंदर आसिफ़ तीसरी बार झड़ गया। संपा ने लंड चूसा, इस बात से आसिफ़ बहुत खुश था। संपा बेड पर लेटी रही। पाजामा कुर्ता पहन कर आसिफ़ रुम से बाहर निकल गया। 15 मिनट भी नहीं हुए, और अमित ने संपा के उपर से चादर खींच नीचे फेंक दी।
अमित: उफ़ संपा मैडम, जितना सोचा था आप उससे कहीं ज़्यादा खूबसूरत हो। अब मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता।
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