बहन की दोस्त-2

मेरी माल अलका बड़ी सीधी और भोली लड़की थी। उसने तुरंत ही मेरा लंड हाथ में ले लिया और फेटने लगी। मैं उसी के बगल लेट गया था और वो मेरे बैठ गयी थी। मैंने अपने सर के नीचे दोनों हाथो को मोड़कर रख लिया जिससे मेरा सर थोडा ऊँचा हो जाए और अपनी माल से लंड चुस्वाने में मजा आये। मेरा लंड ८ इंच का और ३ इंच मोटा था। अलका मेरे मोटे लौड़े को देखकर आश्चर्य कर रही रही।

वो मुश्किल से मेरे लंड को पकड़ रही थी। फिर धीरे धीरे वो उपर नीचे हाथ चलाकर फेटने लगी। मुझे मजा आ रहा था। मैंने उसके दूध को हाथ में लेकर सहलाने लगा। कुछ देर बाद अलका मेरे लौड़े पर झुक गयी और पूरा का पूरा मुंह में ले गयी और मेरा लंड चूसने लगी।

“….आआआआअह्हह्हह… सी सी सी.. हा हा हा.. ओ हो हो….” मैं आवाजे निकालने लगा। कुछ देर बाद तो अलका किसी चुदक्कड़ लडकी की तरह मेरा लंड चूसने लगी। उसे भरपूर मजा आ रहा था।

“शाबाश……शाबाश…” मैंने उसकी नंगी और चिकनी पीठ पर हाथ से थप थपाकर कहा

अलका तो मस्त लड़की निकली। उसने बताया की उसने कई ब्लू फिल्मो में इसी तरह लड़की को लंड चूसते देखा था, वही से वो सीख गयी। कुछ देर बाद मेरी गर्लफ्रेंड के हाथो की रफ्तार बढ़ गयी और वो बिजली की रफ्तार से मेरा लंड फेटने लगी। मैं गर्म गर्म आवाजे निकाल रहा था।

अलका तेज तेज अपने सिर को उपर नीचे करके मेरा मोटा लंड चूस रही थी। मुझे बहुत मजा आ रहा था। उसके रसीले और गुलाबी होठ मेरे लंड को चूस रहे थे। मैं जन्नत में पहुच गया था। वो मेरे सुपाड़े को अच्छे से चूस रही थी। मैं उसकी चुचियों को दबा रहा था और निपल्स को अपनी ऊँगली से छेड़ रहा था। वो मेरे लौड़े से मंजन कर रही थी। आह …मुझे बहुत मजा आ रहा था।

हम दोनों इसी तरह अद्भुत रति क्रीड़ा करने लगे। आज मेरा बरसों का सपना पूरा हो गया था। कबसे मेरा मन था की वो मेरे लंड को चूसे और मुख मैथुन करे। उसके बाद हम दोनों सेक्स करे। अलका पर चुदाई का खुमार छाया हुआ था। उसके हाथ तो रुकने का नाम ही नही ले रहे थे और जल्दी जल्दी मेरे लंड को फेट रहे थे।ऐसा लग रहा था की वो लौड़े को खा जाना चाहती है।

मैं अलका के मखमली पेट को दिल लगाकर चूमने लगा और उसे प्यार करने लगा। इस दौरान वो भी बहुत जादा उत्तेजित हो गयी थी और मुझसे कसकर चुदवाना चाहती थी। उसके केक जैसे दिखने वाले गुलाबी पेट को चूमने के बाद मैं उसकी गहरी नाभि पर आ गया और उसमे अपनी जीभ डालने लगा।

मैंने खूब जी भरकर अलका की गहरी और सेक्सी नाभि चुसी। फिर उसकी गोरी चिकनी टांगो को मैं चूमने लगा और किस करने लगा। मेरी गर्लफ्रेंड की टाँगे बहुत खूबसूरत थी और जांघ का तो कहना ही क्या। गुलाबी रंग अलका की जांघे मुझे और जादा चुदासा कर रही थी। मैं हर जगह उसकी जांघ को चूम रहा था और दांत से काट रहा था। सच में दिल्ली की लड़कियाँ बड़ी गजब की माल होती है, मैं सोचने लगा।

अलका की चूत बिलकुल क्लीन सेव थी। उसने मुझे बताया की उसे झाटे बिलकुल पसंद नही है। इसलिए वो रोज अपनी झाटो को साफ कर देती है। चिकनी चमेली चूत को देखकर मेरी तबियत हरी हो गयी थी।

मैं उसकी चूत पर झुक गया और मजे से पीने लगा। मैं जोर जोर से उसकी चूत चाटने लगा। मेरी जीभ के स्पर्श से अलका की चूत फूलकर कुप्पा हो गयी। कुछ देर बाद उसे भी चूत पिलाने में मजा आने लगा। मैं उसके चूत के छेद में ऊँगली करने लगा। अलका तड़पने लगी। मैंने उनके यौवन को पीने लगा। अलका के सीने की धड़कन मैं सुन सकता था।

वो मेरा पूरा सहयोग कर रही थी और बिना किसी नखड़े के मजे से मुझे अपनी बुर पिला रही थी। कहीं से किसी भी तरह का विरोध नही था। वो पुरुष ही होता है जिसकी छुअन से एक स्त्री मोम की भांति पिघल जाती है और अपना सब कुछ एक पुरुष को न्योछावर कर देती है। ठीक इसी तरह मुझे अपनी रसीली चूत पिलाने से अलका बहुत गर्म हो गई।

वो मुझसे जल्द से जल्द चुदवाना चाहती थी। उसकी आँखों और हाव भाव में काम की मूक सहमती मैं अच्छे से पढ़ सकता था। धीरे धीरे अलका खुद ही अपनी चूत और उसके दाने को सहलाने लगी। हम दोनो किसी नवविवाहित जोड़े की प्यार करने लगे। आज इस माल को चोदकर मैं अपनी सुहागरात मनाऊंगा, मैंने सोचा। मैं उसकी चूत में ऊँगली करने लगा।

अलका उछल पड़ी। उसकी चूत में सनसनी हो रही थी। मैं हाथ से जोर जोर से चूत में ऊँगली करने लगा। वो मुझे रोकने लगी। पर मै नही रुका। जब अच्छी तरह चूत का रास्ता बन गया तो मैंने जरा थूक हाथ में लिया और लौड़े पर लगाया और अलका की चूत में डाल दिया।

वो चुदने लगी। मैं उनको चोदने लगा। मैंने उसका चेहरा अपने सामने कर लिया जिससे वो मुझसे नजरे ना चुरा सके। मैं उनको पेलते पेलते ही उस पर लेट गया। अपना मुंह मैंने अलका के मुँह पर रख दिया और उसके रसीले ओंठ चूसते चूसते उनको ठोकने लगा।

“….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ. हमममम अहह्ह्ह्हह.. अई…अई….अई……” वो चिल्लाने लगी।

मैं उसको पेलने खाने लगा। अलका मेरे सामने किसी खुली किताब की तरह पड़ी थी। बिलकुल नंगी और बिना कपड़ों के। ये दिसम्बर का महीना था और सर्दियां पड़ रही थी। मैंने उसके बूब्स पर हाथ रख दिए और दबाते दबाते उसे लेने लगा। वो सीधा मेरी आँखों में देखने लगी।

उसकी नजरों में नजरे डालकर मैं उसे ठोंक रहा था। कुछ देर बाद मैंने उसे जोर जोर के धक्के मारे और आउट हो गया। फिर मैंने उसे पलट दिया। मैं अच्छी तरह जानता था की अब कौन सी पोज में उसको चोदना है। मैंने अलका को फर्श पर खड़ा कर दिया। वो नीचे की तरह झुक गयी और उसने झुककर अपने दोनों हाथ अपने पैरों पर रख दिए। जैसे हम पीटी करते है। मैंने उसके पीछे चला गया और उनकी कमर को दोनों हाथों से मैंने पकड़ लिया।

कुछ देर बाद मैंने फिर से उसको नीचे झुका दिया पीटी वाले पोज में और फिर से लंड अंदर डाल दिया। मैं फिर से उसे चोदने लगा। अलका देसी रंडियों की तरह जोर जोर से चिल्लाने लगी। उसकी चीखे मुझे और जोर जोर से उसे लेने को विवश कर रही थी।

अलका ने झुके झुके ही मेरे दोनों पैर पकड़ लिए। जिससे उसकी चूत और जादा कसी होने लगी और मैं जोर जोर से उसे पेलकर जिन्दगी के सुख लेने लगा। कुछ देर बाद मैंने लौड़ा उसकी बुर से निकाल लिया और अलका की गांड में ऊँगली डाल दी। दोस्तों, वो सिसक गयी।

चुदाई खत्म होने के बाद हम दोनों नीचे आ गये। मेरी कसिन बहन पलक बहुत नाराज लग रही थी। वो केक काट चुकी थी और हम दोनों को ढूढ़ रही थी। मेरा तो गला ही सुख गया था।

“वो अचानक अलका के सिर में दर्द होने लगा था, मैंने उसे पास के डॉक्टर को दिखाने ले गया था!!” मैंने जूठ बोल दिया। किसी तरह मेरी जान बची। पर आज भी दोस्तो उस सर्दी के मौसम में अपनी गर्लफ्रेंड को चोदने वाली बात मुझे बार बार याद आ जाती है।

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