पिछला भाग पढ़े:- दो गायें और दो सांड-13
मेरे और जवान निकहत में खूब चूत चुसाई और गांड चटाई हुई। चूसते-चूसते दोनों का मजा ही निकल गया।
मैं निकहत के ऊपर से उतरी और उसके साथ ही लेट गयी। निकहत बोली, “आंटी ये फुद्दी चूसने और चूतड़ों का छेद चाटने में तो बड़ा मजा आता है।”
मैंने पूछा, “क्यों निकहत असलम नहीं चूसता-चाटता तुम्हारी फुद्दी और गांड? और तुम? क्या तुम भी नहीं चूसती असलम का लंड? और असलम के चूतड़ों का छेद – क्या वो भी नहीं चाटती?”
निकहत बोली, “सच कहूं आंटी असलम तो ये सब करना चाहता है, मैं ही नहीं करती।”
फिर निकहत बोली, “मगर अब मैं जब आगरा वापस जाऊंगी तो असलम से खूब सारी फुद्दी चुसवाऊंगी, खूब सारी गांड चटवाऊंगी।
मैंने कहा, “और असलम का लंड? वो नहीं चूसोगी” उसके चूतड़ों का छेद? वो नहीं चाटोगी?”
निकहत बोली, “हां आंटी अब तो मैं असलम का लंड भी चूसूंगी, उसके लंड की गर्म-गर्म मीठी-मीठी मलाई भी पियूंगी, उसके चूतड़ भी चाटूंगी और उससे गांड भी मरवाऊंगी – सब कुछ करवाऊंगी असलम से।”
निकहत बोली, “मगर आंटी मुझे तो आपकी फुद्दी चूसने का ही बड़ा मजा आया। ये फुद्दी चुसाई भी कमाल की चीज़ है। अजीब सी मस्त कर देने वाली खुशबू – हल्का नमकीन स्वाद है। आगरा जा कर भी मैं आपकी फुद्दी चुसाई याद रखूंगी।”
ये कह कर निकहत चुप हो गयी। सोच रही होगी, अब आगरा में कोइ फुद्दी तो है नहीं चूसने चाटने के लिए।
मैंने कहा, “निकहत फुद्दी की खुशबू और उसके पानी को चूसने का मजा ही अलग होता है।” फिर मैं जरा से चुप हुई और बोली, “निकहत बेटा अगर फुद्दी चूसने में इतना ही मजा आया है तो आगरा में क्यों नहीं फुद्दी चूसती?”
निकहत हैरानी से बोली, “आगरा में आंटी? मगर आंटी में तो कहीं आती जाती ही नहीं, तो फुद्दी किसकी चूसूंगी?”
मैंने कहा, “एक फुद्दी तो है आगरा में – तुम्हारे घर में, तुम्हारे सामने।”
निकहत ने एक पल सोचा फिर बोली, “मेरे घर में, मेरे सामने? किसकी फुद्दी आंटी?”
फिर निकहत एक-दम से बोली, “क्या अम्मी की फुद्दी की बात कर रही हैं आप आंटी? मगर आंटी उनकी फुद्दी कैसे चूसूंगी, वो तो मेरी अम्मी है।”
मैंने कहा, “निकहत अम्मी है तो क्या हुआ फुद्दी तो फुद्दी ही है। मेरी फुद्दी हो या तुम्हारी, या तुम्हारी अम्मी की। फिर तुम्हारी अम्मी भी तो फुद्दी चूसने-चाटने का मजा लेना चाहती होगी। कौन देगा उन्हें फुद्दी चुसवाने का मजा, अगर तुम्ही नहीं दोगी तो?” इसके बाद मैं चुप हो गयी। निकहत कुछ सोचने लगी।
निकहत बोली, “मगर आंटी मैं अम्मी को कैसे बोलूंगी कि मुझे उनकी फुद्दी चूसनी है, चाटनी है?”
मैने कहा, “सब हो जाएगा निकहत जब वक़्त आएगा।”
फिर मैंने कहा, “एक तरीका हो सकता है निकहत। नसरीन बता रही थी असलम को कभी-कभी करनाल जाना पड़ता है जूतों वाले लिबर्टी के शोरूम के चक्कर में या यहां आना पड़ता है कानपुर। अब जब भी वो करनाल जाए या कानपुर आये तो तुम अपनी अम्मी के साथ सो जाया करना। बस उसके बाद कुछ ना कुछ हो ही जाएगा।”
निकहत कुछ सोचने लगी। मगर मैंने सोच लिया कि अभी जब नसरीन आएगी तो मैं नसरीन से इस बारे में जरूर बात करूंगी।
इसके बाद गांड चुदाई का सिलसिला शुरू हो गया। पहले मैंने बेल्ट वाला लंड निकहत की कमर से बांध दिया और लंड अपनी गांड में डलवाया। रबड़ के लंड के धक्के लगाते लंड के टट्टे निकहत की चूत से टकरा रहे थे, इतने से ही निकहत की फुद्दी गरम हो गयी थी और उसकी गांड में खुजली मच गयी थी। निकहत की गांड लंड मांगने लगी थी।
जब मुझे गांड का मजा आ गया तो मैंने निकहत से कहा, “बस निकहत मुझे मजा आ गया है। चलो अब ये लंड तुम्हारी गांड में डालते हैं।”
निकहत बोली, “आंटी इसे एक बार आपकी फुद्दी में डाल कर देखूं?”
मैंने कहा, “डाल ले। फुद्दी का छेद भी तो तुम्हारे आमने ही है।” ये कह कर मैंने अपने चूतड़ थोड़े से उठा दिए।
निकहत ने एक ही झटके कि साथ लंड मेरी फुद्दी मैं सरका दया। आठ दस धक्के लगाने कि बाद निकहत ने लंड मेरी चूत में से निकाल लिया और बोली, “लीजिये आंटी अब आप डालिये मेरी गांड और चूत मैं। मैं देख रही थी चूत में कैसे जाता है ये तो चूत गांड दोनों में मस्त जाता है।”
कुछ कहा, “ठीक है चलो अब तुम्हारी गांड में लंड डालते हैं।”
निकहत सोचते-सोचते उठ कर बेड के किनारे पर उल्टा हो कर चूतड़ उठा कर लेट गई। मैंने रबड़ का लंड अपनी कमर के साथ बांधा और थोड़ी क्रीम लगा कर लंड निकहत की गांड के छेद पर रखा। मैंने थोड़ा सा लंड धकेला। लंड अन्दर जा रहा था। इसका मतलब निकहत की गांड लंड ले सकती थी – वो बेकार में ही झिझकती थी।
मैंने एक डेढ़ इंच लंड गांड के अंदर डाला और रुक गयी। जब मुझे लगा के निकहत को कोइ प्रॉब्लम नहीं हो रही तो मैंने संदीप की तरह वाला एक झटका जगाया और लंड पूरा का पूरा निकहत की गांड में बिठा दिया।
निकहत इतना ही बोली, “आह आंटी, मजा आ गया।”
इसके बाद मैं थोड़ा रुक गयी। निकहत ने सर पीछे के तरफ मोड़ कर कहा, “आंटी ये तो बड़ा मजा देता है। लंड मेरी गांड में है और मजा मुझे फुद्दी में आ रहा है।”
बस ये इशारा था के निकहत गांड चुदवाने के लिए बिल्कुल तैयार थी। मैंने निकहत की कमर पकड़ी और जोर-जोर से लम्बे धक्के लगाने शुरू कर दिए। लंड के नीचे लटकते दो टट्टे निकहत की फुद्दी की साथ टकराते हुए ठप्प ठप्प ठप्प की आवाजें कर रहे थे। निकहत के चूतड़ आगे-पीछे हो रहे थे और मेरी फुद्दी भी गरम हो रही थी।
जल्दी ही हम दोनों की मजा आ गया।
निकहत जोर से चूतड़ पीछे की तरफ किये और बोली, “आंटी निकल गया मेरा।” उधर मेरे मुंह से भी निकला, “तेरा ही नहीं निकहत मेरा भी निकल गया।”
तीन-चार मिनट के बाद मैंने लंड निकहत की गांड में से बाहर निकाला और बिस्तर पर लेट गयी। निकहत भी उठी और मेरे साथ ही लेट गयी। फुद्दी का मजा उतरने के बाद निकहत बोली, “आंटी मैं नाहक ही असलम का लंड गांड में लेने से डरती रही। गांड चुदवाने में तो बड़ा मजा आता है।” मेरे लिए इतना ही काफी था।
अब मेरा रबड़ का लंड गांड में लेने का मन नहीं था। दो-दो तीन बार चूत का मजा आने की बाद थकान से होने लगी थी। निकहत भी निढाल सी लेटी हुई थी।
लेटी-लेटी निकहत बोली, “आंटी आज तो मजा आ गया।” कह कर निकहत ने मेरी चूत पर हाथ रखा और उंगली चूत में ऊपर-नीचे करने लगी।
अचानक से निकहत बोली, “आंटी आपकी फुद्दी तो सामने से ही दिखाई देती है। देखने वाले का लंड तो ऐसे ही खड़ा हो जाता होगा।”
मैंने कहा, “निकहत हर फुद्दी के अपनी एक खासियत होती है। मेरी फुद्दी ऊपर की फुद्दी है, तुम्हारी फुद्दी नीचे की है, मगर फुद्दी चुदवाने का मजा नीची फुद्दी वाली लड़कियों को ही ज्यादा आता है – मगर पीछे से चुदवाने का।”
मैं निकहत का ज्ञानवर्धन कर रही थी, “एक तो फुद्दी का छेद और गांड का छेद पास पास होते हैं, लंड जब चाहो फुद्दी में से निकाल कर गांड के छेद में डाल दो। दूसरे फुद्दी का छेद और फुद्दी का दाना भी पास पास ही होते हैं। फुद्दी के छेद में लंड अंदर बाहर होते हुए लंड फुद्दी के दाने पर भी रगड़ा लगाता है।”
निकहत बोली, “मेरी नीचे की फुद्दी है तभी आंटी मुझे भी पीछे से ही फुद्दी मरवाने का मजा आता है। असलम जब भी पीछे से मेरी फुद्दी मारता है, मेरी गांड के साथ छेड़खानी जरूर करता है। कभी गांड में उंगली डालता है, कभी लंड गांड के छेद पर रख देता है। आंटी अब तो मैं असलम को बोलूंगी जब फुद्दी में लंड डाले, तब साथ ही चाहे तो गांड में भी लंड डाल ले।”
ऐसे ही बातें करते-करते एक-दूसरी की फुद्दी में ऊंगली-बाजी करते-करते हम दोनों सो गयी। अगली सुबह सात बजे नींद खुली।
मैं और निकहत इकट्ठे ही नहाने के लिए बाथरूम में चले गए। रात भर का रुका हुआ मूत था, खूब मूता हमने एक-दूसरे के ऊपर।
नहा कर तैयार हो कर हम बाहर ड्राईंग रूम में आ गए। प्रभा चाय बना कर और साथ में बिस्कुट ले आयी। चाय की ट्रे मेज पर रखते हुए बोली, “मैडम नाश्ते में क्या बनाऊं?” मैंने कहा, “आमलेट बना लो साथ ब्रेड सेंक देना और जूस निकाल लेना।
प्रभा जी अच्छा बोल कर चली गयी।
मैंने निकहत से पूछा, “निकहत सच बताना, कल दिन में और रात में कैसा मजा आया?”
निकहत बोली, “आंटी सच कहूं, तो बहुत से चीजें जो मुझे असलम से चुदाई के वक़्त करनी चाहिए थी, मैं तो करती ही नहीं थी। असलम का लंड भी अच्छे से नहीं चूसती थी, उसके लंड की गर्म-गर्म मलाई तो कभी मुंह में डलवाई ही नहीं। असलम का लंड भी गांड में नहीं लेती थी। उल्टा एक बार असलम ने मेरी गांड में लंड डालने की कोशिश की तो मैंने अम्मी से असलम के शिकायत ही लगा दी।” ये कह कर निकहत हंसने लग गयी।
फिर निकहत बोली, “मैं उससे फुद्दी भी नहीं चुसवाती थी। मुझे लगता था मेरा पेशाब लगा हुआ होगा फुद्दी में। अब पता लगा आंटी ये फुद्दी का पानी और पेशाब ही तो हैं, जिससे फुद्दी में एक अजीब सी खुशबू आती है, जो फुद्दी चूसने वाले को मस्त कर देती है।”
ये कह कर निकहत ने अपनी फुद्दी खुजला दी और बोली, “आंटी ये तो मेरी फुद्दी लगता है फिर से पानी छोड़ रही है।”
मैंने कहा, “छोड़ने दो, भर जाने दो अपनी चूत पानी से, अभी ब्रेकफास्ट करके नीचे जाएंगे तो एक बार और तुम्हारी फुद्दी का शहद चाटूंगी।”
निकहत बोली, “आंटी मैं भी चूसूंगी आपकी फुद्दी। मुझे भी बड़ा मजा आने लग गया है फुद्दी चूसने का।”
मैं हंसने लग गयी और फिर से बोली, “और तुम्हारी अम्मी को कौन मजा देगा फुद्दी चूसने का और चुसवाने का?”
निकहत बोली, “आंटी आपका वो तरीका मुझे समझ में आ रहा है। अब जब असलम करनाल जाया करेगा या यहां कानपुर आया करेगा, तो मैं अम्मी के साथ सो जाया करूंगी। फिर देखूंगी अम्मी क्या करती है और कैसे बात फुद्दी चुसाई तक जाती है। मगर आंटी मुझे फुद्दी चूसने का मजा बहुत आया है।”
तभी प्रभा ब्रेकफास्ट के लिए बुलाने आ गयी। ब्रेकफास्ट करके हम लोग नीचे क्लिनिक में आ गए। कुछ देर बैठने के बाद निकहत बोली, “आंटी चलें अंदर? मेरी फुद्दी पानी-पानी हुई पड़ी है।”
मैंने कहा, “क्या बात है निकहत, बड़ा मन कर रहा है फुद्दी चुसवाने का?”
निकहत बोली, “आंटी चुसवाने का भी और चूसने का भी। आज मस्त पानी पिलवाऊंगी आपको अपनी फुद्दी का। भरी पड़ी है मेरी फुद्दी आज तो।”
मैं उठते हुए बोली, “चल बेटा देखें कितनी भरी पड़ी है तुम्हारी फुद्दी। कितना नमकीन नमकीन पानी है तुम्हारी खुशबूदार फुद्दी में।”
हम पीछे के कमरे में गए तो निकहत ने एक-दम ही अपने कपड़े उतार दिए। निकहत मुझसे बोली, “चलिए आंटी लेटिए आप। आज आप नीचे और मैं ऊपर।”
में लेटी तो निकहत ने मेरे चूतड़ों के नीचे तकिया लगा कर मेरी चूत उठा दी। मेरी फुद्दी तो वैसे ही ऊपर की फुद्दी है, चूतड़ उठाने का मतलब निकहत चूतड़ भी चाटना चाहती थी। फिर निकहत ने अपने घुटने मोड़े और पैरों और घुटनों के बल बैठ कर मेरे मुंह पर अपनी फुद्दी रख दी। निकहत की फुद्दी का छेद बिलकुल मेरे मुंह के ऊपर था। मैंने अपने हाथों से जरा सी निकहत की फुद्दी खोली और अपनी जुबान अंदर घुसाई ही थी कि मेरा पूरा मुंह ही निकहत की चूत के पानी से गीला हो गया। मैंने सपड़-सपड़ करके निकहत की फुद्दी का पूरा पानी चाट लिया।
पंद्रह मिनट मैंने और निकहत ने एक-दूसरी की फुद्दी और चूतड़ खूब चूसे चाटे। इसी चुसाई-चटाई में दोनों की चूतें पानी छोड़ गयी। निकहत उठते हुए बोली, चलिए आंटी। मैं समझ गयी निकहत बाथरूम चलने के लिए बोल रही थी – एक-दूसरी की फुद्दी पर मूतने के लिए।
बाथरूम में जा कर एक-दूसरे के ऊपर मूता, कपड़े पहने और आगे क्लिनिक में आ गए। चूसने-चाटने के साथ अब मूतने में भी निकहत को मजा आने लगा था।
मैंने निकहत को कहा, “निकहत तुम्हारी अम्मी आये तो कुछ देर के लिए तुम पीछे कमरे में चली जाना। मैं तुम्हारी अम्मी से वो चूत चूसने चाटने वाली बात करने की कोशिश करूंगी।” निकहत ने हां में सर हिला दिया।
पंद्रह मिनट के बाद ही नसरीन आ गयी। जैसे ही नसरीन ने कदम रखा, निकहत की फिर से हंसी छूट गयी। नसरीन बोली, “क्या बात है निकहत इतना क्यों खुश हो रही हो? लगता है मालिनी जी के साथ बहुत मजा आया तुम्हें।”
निकहत बोली, “अम्मी आंटी तो बहुत ही अच्छी हैं, बहुत अच्छी बातें करती हैं।
कुछ देर बातें करने के बाद नसरीन बोली, “मालिनी जी अब चलेंगे। निकहत को थोड़ा कानपुर घुमा दूं, फिर होटल जा कर सफर की तैयारी भी करनी है।”
मैंने निकहत से कहा, “चलो बेटा फ्रेश हो आओ, तब तक मैं और तुम्हारी अम्मी कुछ बाते करते हैं।”
निकहत मुस्कुराती हुई मटकती-मटकती पीछे की कमरे में चली गयी।
उसके जाते ही नसरीन बोली, “मालिनी जी आपने तो लड़की पर जैसे जादू ही कर दिया है। कहां तक पहुंची ये निकहत”?
मैंने नसरीन की चूत दबाते हुए कहा, “नसरीन निश्चिन्त हो जाओ। अब सब कुछ करेगी निकहत। गांड भी चुदवायेगी, असलम की लंड का पानी मुंह में भी छुड़वाएगी। असलम से खूब फुद्दी भी चुसवायेगी और उसके चूतड़ भी चाटेगी – और तो और असलम से अपनी चूत पर मुतवायेगी भी और असलम की लंड पर मूतेगी भी।”
नसरीन हंसते हुए बोली, “मालिनी जी आपने तो कमाल ही कर दिया। अब ये बताईये अपने निकहत की फुद्दी चूसी या नहीं? बहुत पानी छोड़ा हुआ होगा जवान फुद्दी ने?”
मैंने कहा, “नसरीन निकहत की फुद्दी चूतड़ चाटे भी और चटवाये भी। सच में ही निकहत की फुद्दी बहुत पानी छोड़ती है। गीली तो उसकी फुद्दी हमेशा ही रहती है। हमेशा लंड लेने को तैयार – अभी जवान भी तो है। निकहत को उन सब बातों ले लिए तैयार करने की लिए मुझे सब कुछ करना पड़ा। हां नसरीन एक बात और भी है।”
नसरीन बोली, “जी वो क्या बात?”
मैंने कहा, “नसरीन निकहत को मेरी चूत चूसने में बहुत मजा आया है।”
फिर मैंने नसरीन से कहा, “नसरीन तुम्हें याद है जब तुम पहली-पहली बार मेरे यहां आयी थी और बातों-बातों में मैंने तुमसे कहा था नसरीन चूत चूसने का मन करता है? और तुमने जवाब दिया था, मन तो करता है मालिनी जी मगर चूसने के लिए कोइ चूत भी तो होनी चाहिए।”
नसरीन बोली, “मालिनी जी वो बात मुझे बड़ी अच्छी तरह याद है। और उसके बाद मैंने आपकी चूत चूसी थी – और आपने मेरी।”
फिर नसरीन कुछ रुक कर बोली, “और वो सिलसिला आज भी तो चालू ही है।” ये कह कर नसरीन ने मेरी चूत पर हाथ रखा और मेरी चूत दबा दी।
मैंने नसरीन से कहा, “नसरीन निकहत को भी चूत चूसने का बहुत मजा आया है। इतना ज्यादा की मेरी चूत चूसते-चूसते मुझे से ही निकहत ने पूछ लिया, आंटी ये फुद्दी चूसने में बहुत मजा आता है। आगरा जा कर भी मैं आपकी फुद्दी चुसाई याद रखूंगी।”
“नसरीन फिर मैंने सोचा के अगर निकहत को चूत चूसने का इतना ही मजा आया है तो मुझे भी निकहत को इस चुसाई का मजा लेने के लिए कुछ सुझाना चाहिए। निकहत को चूत चुसाई के मजे लेने का एक मझे ही रास्ता सुझाई दिया।
नसरीन ने हैरानी से पूछा, “एक ही रास्ता? वो क्या मालिनी जी?”
मैंने नसरीन से कहा, “नसरीन निकहत को फुद्दी चूसने में बहुत मजा आया था, और उसकी वो आगरा वाली बात पर मैंने कह ही दिया कि निकहत फुद्दी की खुशबू और उसके पानी को चूसने का मजा ही अलग होता है। फिर मैं जरा से चुप हुई और बोली, निकहत बेटा अगर फुद्दी चूसने में इतना ही मजा आया है तो आगरा में क्यों नहीं फुद्दी चूसती चुसवाती?”
“नसरीन निकहत मेरी बात पर हैरानी से बोली, आगरा में आंटी? मगर आंटी में तो कहीं आती जाती ही नहीं, घर में ही रहती हूं, तो फुद्दी किसकी चूसूंगी?”
“इस पर मैंने निकहत से कहा, एक फुद्दी तो है आगरा में – तुम्हारे घर में, तुम्हारे सामने। मेरी इस बात पर निकहत ने एक पल सोचा फिर बोली, “किसकी फुद्दी आंटी?”
“फिर निकहत को एक-दम से कुछ ख्याल आया और एक-दम से बोली, क्या अम्मी की फुद्दी की बात कर रही हैं आप आंटी? मुझे मुस्कुराते हुए देख कर निकहत बोली कि आंटी अम्मी की फुद्दी कैसे चूसूंगी, वो तो मेरी अम्मी है।”
मैं नसरीन को बता रही थी, “मैंने निकहत से कहा, निकहत अम्मी है तो क्या हुआ फुद्दी तो फुद्दी ही है। मेरी फुद्दी हो या तुम्हारी, या तुम्हारे अम्मी की। फिर तुम्हारी अम्मी भी तो फुद्दी चूसने चाटने का मजा लेना चाहती होगी। कौन देगा उन्हें फुद्दी चुसवाने का मजा, अगर तुम्ही नहीं दोगी? इसके बाद मैं चुप हो गयी। निकहत कुछ सोचते हुए निकहत बोली, मगर आंटी मैं अम्मी को कैसे बोलूंगी कि मुझे उनकी फुद्दी चूसनी है, चाटनी है?”
“नसरीन मैने निकहत से कहा, सब हो जाएगा जब वक़्त आएगा। नसरीन मेरे दिमाग में तो सब कुछ बिलकुल साफ़ ही था। फिर बात आगे बढ़ाते हुए निकहत से कहा, एक तरीका हो सकता है निकहत।”
“फिर मैंने अंधेरे में तीर चलाते हुए निकहत से कहा, निकहत नसरीन बता रही थी असलम को कभी कभी करनाल जाना पड़ता है जूतों वाले लिबर्टी के शोरूम के चक्कर में, या कानपुर भी आना पड़ता है, अब जब भी असलम काम कि सिलसिले आगरा से बाहर जाए तुम अपनी अम्मी के साथ सो जाया करना, बस उसके बाद कुछ ना कुछ हो ही जाएगा।”
मेरी सारी बातें सुन कर नसरीन कुछ सोच में पड़ गयी और बोली, “मालिनी जी क्या ये ठीक रहेगा?”
मैंने कहा, “देखो नसरीन अगर तुम्हारा मन निकहत की फुद्दी चूसने का मजा लेने या निकहत को फुद्दी चूसने का मजा देने के लिए नहीं मानता तो बात को यह खत्म कर दो। मैंने ये बात इस लिए की क्योंकि निकहत को मेरी चूत चूसने में बहुत ज्यादा मजा आया था और उसने वो जो बात कही थी “आगरा जा कर भी मैं आपकी फुद्दी चुसाई याद रखूंगी”, तब मुझे तुम्हारी फुद्दी का ख्याल दिमाग में आया था।”
नसरीन कुछ सोचती रही फिर बोली, “मालिनी जी अगर निकहत को चूत चूसने में इतना ही मजा आया है तो फिर ठीक है। अगर निकहत असलम को चुदाई का पूरा मजा देने कि लिए इतना सब करने को तैयार हो गयी है, तो फिर निकहत को मजा देने कि लिए ये चूत चुसाई करवाने और उसकी चूत चूसने कि लिए मैं भी तैयार हूं। उल्टा निकहत की जवान चूत चूसने का मजा मुझे ज्यादा आएगा।”
और फिर कुछ सोचते हुई नसरीन जैसे अपने आप से ही बोली, “और मालिनी जी अपने बेटे से भी तो मैं चुदवाती ही हूं, उसकी बीवी से चूत चुसवा लूंगी तो कोइ पहाड़ नहीं टूट जायेगा।”
मैंने नसरीन की चूत से अपना हाथ हटा लिया। मैंने कहा, “चलो नसरीन जब तुम्हारी ये चुसाई शुरू हो जाये तो मुझे फोन करके बताना। मैं भी ख्यालों-ख्यालों में निकहत कि खुशबू वाली चूत के मजे ले लूंगी।”
नसरीन बोली, “ख्यालों में क्यों मालिनी जी, आगे से जब भी हम आएंगे तो निकहत को भी ली आया करेंगे। आप जितना चाहे चूसना निकहत की खुशबूदार फुद्दी।”
मैंने कहा, “नसरीन मैंने तो पहली ही कहा है कि आगे से तुम लोग जब भी कानपुर आओ मेरे यहां ही रुका करना। ऊपर बहुत कमरे हैं। दिन में तुम और असलम अपना काम करना, मैं और निकहत अपना काम करेंगे, रात को निकहत और असलम एक कमरे में मौज मस्ती करेंगे और दूसरे कमरे मैं और तुम रबड़ के लंडों से मजे लेंगी।”
नसरीन हंसने लग गयी। हंसी की आवाज सुन कर निकहत भी आ गयी। मैंने नसरीन से कहा, “चलो नसरीन शंकर तुम्हे कानपुर की दो तीन अच्छी जगह दिखा देगा।”
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