पिछला भाग पढ़े:- जीजू ने मेरी काली चूत की चुदाई की-1
मैं दीपिका अपनी हिंदी सेक्स स्टोरी का अगला पार्ट लेके आई हूं। अगर आपने पिछला पार्ट अभी तक नहीं पढ़ा है, तो उसको ज़रूर पढ़ लें।
पिछले पार्ट में आपने पढ़ा, कि मेरे जीजू मुझे गलत तरीके से छूने लगे थे। पहले-पहले मुझे लगा ये मेरा वहम था, लेकिन फिर जो हरकतें उन्होंने की, उससे मुझे यकीन हो गया कि वो ये जान-बूझ कर कर रहे थे। जब इस बारे में मैंने उनसे बात की, तो उन्होंने मेरे बहुत तारीफ कर दी, और मेरी तुलना ताज महल से कर दी। अब आगे-
चाहे मुझे जीजू पर गुस्सा था, लेकिन अपनी इतनी तारीफ सुन कर मुझे अच्छा भी लगने लगा था। आज तक मेरी इतनी तारीफ किसी ने नहीं की थी। जिस लड़के को मैं पसंद करती थी, उसने भी मुझे सिर्फ इसलिए माना किया था क्योंकि मेरी रंग काला है। फिर मैंने जीजू से कहा-
पिछले पार्ट में आपने पढ़ा, कि मेरे जीजू मुझे गलत तरीके से छूने लगे थे। पहले-पहले मुझे लगा ये मेरा वहम था, लेकिन फिर जो हरकतें उन्होंने की, उससे मुझे यकीन हो गया कि वो ये जान-बूझ कर कर रहे थे। जब इस बारे में मैंने उनसे बात की, तो उन्होंने मेरे बहुत तारीफ कर दी, और मेरी तुलना ताज महल से कर दी। अब आगे-
चाहे मुझे जीजू पर गुस्सा था, लेकिन अपनी इतनी तारीफ सुन कर मुझे अच्छा भी लगने लगा था। आज तक मेरी इतनी तारीफ किसी ने नहीं की थी। जिस लड़के को मैं पसंद करती थी, उसने भी मुझे सिर्फ इसलिए माना किया था क्योंकि मेरी रंग काला है। फिर मैंने जीजू से कहा-
मैं: जीजू, क्या सच में मैं आपको इतनी पसंद हूं?
जीजू: हां तुम मुझे बहुत पसंद हो दीपिका। तुम्हारी एक अलग ही खूबसूरती है, जो हर किसी को नहीं दिखती।
उनकी इस बात से मेरे चेहरे पर स्माइल आ गई, और मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा।
फिर जीजू ने कहा: क्या तुम मेरी दोस्त बनोगी?
मेरे पास ना कहने की कोई वजह नहीं थी। तो मैंने हां बोल दिया। उस दिन के बाद से जीजू मुझे हर रोज मैसेज करने लगे। वो अक्सर मेरी बहुत तारीफ करने लगे। मुझे ये बहुत अच्छा लगता था। धीरे-धीरे मुझे उनसे प्यार होने लगा। एक बार तो मुझे लगा कि ये सब करके मैं अपनी दीदी को धोखा दे रही थी। लेकिन फिर मैंने सोचा कि धोखा तो तब होता अगर मैं दीदी को जीजू से अलग करने की कोशिश कर रही होती।
फिर एक दिन जीजू ने मुझसे पूछा कि क्या मैं उनके साथ फिल्म देखने चलूंगी। मैं तो उनके प्यार में पड़ चुकी थी, तो मैंने हां बोल दी। जीजू ने अगले ही दिन की टिकट बुक करवा ली। मैं उस दिन बहुत खुश थी। मैंने जींस और टी-शर्ट पहनी थी। मेरे कपड़े टाइट थे, क्योंकि मैं सेक्सी दिखना चाहती थी।
फिर मैंने अपनी स्कूटी ली, और जीजू की बताई जगह पर पहुंच गई। वहां वो गाड़ी लेके खड़े थे। उन्होंने मेरी स्कूटी एक जगह पार्क करवाई, और मुझे गाड़ी में बिठा लिया। फिर उन्होंने मुझसे हाथ मिलाया। उनका हाथ मेरे हाथ में आते ही मेरे शरीर में करेंट सा दौड़ गया। उन्होंने थोड़ा जोर से मेरा हाथ दबाया, और जब मैंने उनकी तरफ देखा, तो उन्होंने मुझे स्माइल पास की।
फिर वो गाड़ी चलाने लगे, और साथ-साथ हम बातें करने लगे। गाड़ी का गियर बदलते हुए उनका हाथ मेरी जांघ को बार-बार छू रहा था। ये मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
अब हम थिएटर पहुंच चुके थे। मैंने अपने स्कॉफ से अपना मुंह ढक लिया। अंदर जाके हम अपनी सीटों पर बैठ गए। मूवी शुरू हो गई, लेकिन मेरा ध्यान था जीजू की तरफ। मुझे लग रहा था कि वो कुछ ना कुछ तो जरूर करेंगे मेरे साथ, और इसके लिए मैं भी बहुत उत्सुक थी। फिर कुछ देर बाद जीजू ने मेरी जांघ पर अपना हाथ रख दिया। इससे मेरी धड़कने तेज हो गई।
जब मैंने कोई रिएक्शन नहीं दिया, तो वो धीरे-धीरे मेरी जांघ पर हाथ फेरने लगे। मैं उत्तेजित होने लगी, और एक औरत के अंदर जो मर्द के लिए प्यास होती है, मेरी वो प्यास जागने लगी। फिर जीजू अपना हाथ मेरी चूत की तरफ लाने लगे। जैसे ही मेरी जींस की ज़िप पर उनका हाथ पहुंचा, मैंने उनका हाथ पकड़ लिया। वो मेरी तरफ देखने लगे, और मैं उनकी तरफ देखने लगी। तभी मैं बोली-
मैं: जीजू आप ये क्या कर रहे हो?
जीजू: मुझे तुमसे प्यार हो गया है दीपिका। मैं तुम्हें बहुत चाहता हूं।
उनके मुंह से ये सुन कर मेरी आत्मा प्रसन्न हो गई। जिस प्यार की तलाश में मैं थी, आज वो खुद चल कर मेरे पास आया था। पर फिर भी मैंने उनसे पूछा-
मैं: लेकिन दीदी?
जीजू: तुम्हारी दीदी से मैं प्यार करता हूं, और हमेशा करता रहूंगा। लेकिन मैं तुम्हें भी प्यार करता हूं। उसको कभी इस बारे में पता नहीं चलेगा।
उनके मुंह से ये सुन कर मैं खुद को रोक नहीं पाई, और मैंने अपनी आँखें बंद करके अपने होंठ आगे कर दिए। जीजू मेरा इशारा समझ गए, और उन्होंने मेरी गर्दन में हाथ डाल कर अपने होंठ मेरे होंठों के साथ चिपका दिए।
आज मैंने अपनी जिंदगी का पहला किस्स किया था। एक मर्द के होंठो का स्पर्श पाते ही औरत के जिस्म में जो तरंगें पैदा होती है, वो तरंगें मैं आज महसूस कर पा रही थी। जीजू मेरे होंठों को अपने मुंह में लेके चूसने लगे। मुझे कोई अनुभव नहीं था, तो मैं भी वहीं करने लगी जो वो कर रहे थे। मुझे इतना मजा आने लगा जितना मैंने कभी महसूस नहीं किया था। उनके होंठों का नमकीन स्वाद मुझे और उत्तेजित कर रहा था।
हम लगातार किस्स करे जा रहे थे। हम दोनों में से कोई भी रुक नहीं रहा था, और रुकना चाहता भी नहीं था। फिर किस्स के दौरान जीजू ने मेरी पीठ पर हाथ फेरना शुरू कर दिया। अब वो जहां भी हाथ रखते, हर बार एक नईं लहर मेरे जिस्म में बहने लगती। फिर वो हाथ आगे लेके आए, और मेरे चूचे पर रख दिया। मां कसम गजब का करेंट लगा। फिर जीजू ने मेरा चूचा दबाना शुरू किया। इससे मेरी किस्स और उत्तेजना वाली हो गई। मैं जीजू के होंठों पर अपने दांत मारने लगी।
तकरीबन 15 मिनट लगातार मेरे होंठ चूसने के बाद जीजू मुझसे अलग हुए। मेरे होंठ मुझे सूखे-सूखे लग रहे थे, जैसे उन्होंने होंठों का सारा रस चूस लिया हो। फिर वो मेरी गर्दन पर किस्स करना शुरू कर दिए। मेरे मुंह से आह आह की सिसकियां निकलनी शुरू हो गई थी। मैं उनके बालों में हाथ डाल कर उनका सर सहला रही थी। अभी ये सब कर ही रहे थे, कि तभी मध्यांतर हो गया, और थिएटर की लाइट्स जल गई। हम जल्दी से अलग हो गए, और बाहर जाने लगे।
इसके आगे इस कामुकता कहानी में क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा। यहां तक की कहानी आपको कैसी लगी, मुझे [email protected] पर मेल करके ज़रूर बताएं।