फिर उसने मुझे रास्ते से लिया, और हम थिएटर चले गए। हमारी सीटें कोने वाली थी। मेरी धड़कन बढ़ती जा रही थी कि आज कुछ करने का मौका मिलेगा। फिल्म आधी निकल गई, लेकिन उसने कुछ नहीं किया। फिर मैंने अपना हाथ उसकी जांघ पर रखा, और खिसकाते हुए उसके लंड पर ले गई। लंड पर हाथ रखते ही मैं हैरान हो गई। उसका लंड सोया हुआ था। मतलब उसको मेरे से कोई आकर्षण नहीं हो रहा था। फिर मैंने उसकी तरफ देखा। वो भी मेरी तरफ देख रहा था।
मैं बोली: ये क्या विक्रम?
विक्रम रोने लग गया, और बोला: दृष्टि मैंने तुमसे एक बात छुपाई है।
मैं: क्या?
विक्रम: मुझे लड़कियों से आकर्षण तो होता है, लेकिन खड़ा नहीं होता। डॉक्टर ने कहा है थोड़े इलाज के बाद ये ठीक हो जाएगा।
ये सुन कर मैं हैरान हो गई। मैंने सोचा अगर इसका खड़ा ना हुआ तो मेरी तो लाइफ खराब हो जाएगी। मैंने उससे वहीं ब्रेकअप किया, और वापस आ गई। घर आई तो मेरे नाम की पोस्ट आई हुई थी। कुछ दिन पहले जिस सरकारी नौकरी के लिए मैंने आवेदन किया था, उसकी परीक्षा के लिए मेरा रोल नंबर आया हुआ था।
मेरी परीक्षा गुड़गांव में होने वाली थी। ये देख कर मैं खुश हो गई, क्योंकि वहां मेरी दीदी और जीजू रहते थे। वो दोनों वहां नौकरी करते थे। जीजू टीचर थे, और दीदी प्रॉपर्टी सेक्टर में थी।
फिर मैंने उनको ये बताया। दीदी बहुत खुश हुई, और उन्होंने कहा कि मैं वहां कुछ दिन पहले ही आ जाऊं। क्योंकि काफी वक्त से हम मिले भी नहीं थे। मैंने अपना बैग पैक किया, और उनके घर के लिए निकल पड़ी।
वहां पहुंची तो वो दोनों बड़े खुश हुए। जीजू पहले से ज्यादा स्मार्ट लग रहे थे, और दीदी पहले से ज्यादा खूबसूरत। उन दोनों की शादी अभी डेढ़ साल पहले ही हुई थी, और अभी तक उनका कोई बच्चा नहीं था। हमारी बहुत बातें हुई। फिर हमने साथ में रात का खाना खाया। उसके बाद उन्होंने मुझे मेरा कमरा दिखाया, जहां मैं सोने के लिए चली गई।
रात को मुझे नींद नहीं आ रही थी, तो मैं कानों में हेडफोन लगा कर गाने सुनने लगी। गाने सुनते हुए मुझे कब नींद आ गई मुझे पता ही नहीं चला। फिर आधी रात को मेरी नींद खुली, तो मैंने हेडफोन उतारे और सोने लगी। तभी मुझे बाहर से कुछ आवाजें आने लगी। मैंने सोचा देखती हूं कि क्या आवाजें आ रही थी।
मैं कमरे से बाहर आई, और आवाज का पीछा करने लगी। पता चला आवाज दीदी और जीजू के कमरे से आ रही थी। जैसे-जैसे मैं कमरे के नजदीक जाने लगी, तो मुझे आह ओह उफ्फ ह्म्म्म ह्म्म्म की आवाजें आने लगी। ये आवाजें सुन कर मेरे रोंगटे खड़े हो गए। मैं समझ गई कि ये किस चीज़ की आवाजें आ रही थी।
पहले तो मैं वापस अपने कमरे में जाने लगी। लेकिन फिर मैंने सोचा कि क्यों ना उनको चुदाई करते हुए देख ही लूं। मैंने कभी किसी की चुदाई नहीं देखी था। हां मोबाइल फोन में तो बहुत देखी थी, लेकिन असली चुदाई कभी नहीं। फिर मैं उनके कमरे की तरफ धीरे-धीरे बढ़ती गई, और उनके दरवाजे के बाहर जाके खड़ी हो गई। सौभाग्य से उनका दरवाजा अंदर से बंद नहीं था। मैंने थोड़ा सा दरवाजा खोला, और अंदर मुझे वो दोनों दिखने लगे।
उनको देखते ही मेरे शरीर में करेंट सा दौड़ गया, और मेरी सांसे तेज़ होने लगी। दीदी और जीजू दोनों बिस्तर पर नंगे थे। दीदी नीचे लेटी थी, और जीजू उनके ऊपर थे। वो उनकी चूत में धक्के मार रहे थे। साथ में दोनों एक-दूसरे के होंठ चूस रहे थे। दोस्तों इतना कामुक नजारा था, कि उसको देखते ही मेरी चूत गीली होने लगी। मेरा हाथ अपने आप ही मेरी चूत पर चला गया, और मैं उसको सहलाने लगी।
उनके कमरे की हल्की रोशनी में सब कुछ साफ दिखाई दे रहा था। कुछ देर होंठ चूसने के बाद जीजू दीदी के चूचे चूसने लगे। नीचे से धक्के लगातार लगते जा रहे थे। जीजू का लंड दीदी की चूत के अंदर-बाहर होता हुआ साफ दिखाई दे रहा था। काफी बड़ा और मोटा था जीजू का लंड जिसको देख कर मेरे मुंह में पानी आने लगा।
कुछ देर उनकी चुदाई वैसे ही चलती रही। फिर दीदी जीजू के ऊपर आ गई, और उनका लंड चूत में लेके उस पर बैठ गई। अब दीदी लंड पर उछलने लगी और आह आह करने लगी। जीजू नीचे से उनकी चूत में धक्के दे रहे थे। वो उनके चूतड़ों पर थप्पड़ मार रहे थे। यहां मेरी स्पीड तेज होती जा रही थी चूत सहलाने की। कुछ देर में दीदी का शरीर झटके मारने लगा, और वो आह आह करते हुए जीजू के ऊपर गिर गई। यहां मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया। लेकिन जीजू का लंड अभी भी टाइट था।
फिर दीदी ने जीजू का लंड चूसना शुरू किया, और आधे घंटे की कड़ी मेहनत के बाद उनके लंड ने पानी छोड़ा।
इसके आगे क्या हुआ, वो आपको कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा। यहां तक की कहानी की फीडबैक authorcrazyfor@gmail.com पर दें।
अगला भाग पढ़े:- जीजू ने मुझे चरमसुख दिया-2