फिर मैं सो गई। अगले दिन मैं उठी, और तैयार हो कर नाश्ता करने चली गयी। दीदी और जीजू अपने काम पर जाने के लिए तैयार हो रहे थे। जीजू पहले जाते थे, क्योंकि स्कूल जाने का समय ऑफिस जाने के समय से पहले होता है। आज मैंने शॉर्ट्स और टी-शर्ट पहनी थी, और मैं जान-बूझ कर जीजू के सामने झुक रही थी, ताकि उनको मेरी गांड दिखे। जीजू भी बार-बार मेरी गांड देख रहे थे। किसी ने सच ही कहा है, कि मर्द कैसा भी हो, औरत जब उसको फसाने पर आ जाए तो फंस ही जाता है।
अब अगले दिन रविवार था, और यहीं वो दिन था जब मुझे अपनी चूत में जीजू का लंड लेना था। क्योंकि रविवार को स्कूल की छुट्टी रहती है, इसलिए जीजू घर पर होने वाले थे। लेकिन प्रॉपर्टी सेक्टर में शनिवार और रविवार की छुट्टी नहीं होती, तो दीदी काम पर जाने वाली था। घर पर जीजू के साथ अकेले होने का फायदा उठाने वाली थी मैं।
फिर रविवार का दिन चढ़ गया। दीदी अपना नाश्ता करके ऑफिस के लिए निकल गई, और मैं और जीजू घर पर थे। मैं अभी तक नहाई नहीं थी। और नहाने से ही मेरा प्लान शुरू होने वाला था। जीजू बाहर हॉल में बैठे थे, और मैं उनको बोल कर नहाने चली गई। बाथरूम में जा कर मैंने अपने कपड़े उतार दिए, और पूरी नंगी हो गई।
फिर मैंने 3-4 मिनट इंतेज़ार किया, और फिर अपने शरीर को पानी से गीला करके चीखने लगी।
मैं: आह मर गई, आह आह।
मेरी आवाज काफी ऊंची थी, जो जीजू को हॉल में भी सुनाई दी। वो जल्दी से मेरे कमरे में आए, और बाथरूम के बाहर खड़े रह कर पूछा-
जीजू: क्या हुआ दृष्टि?
मैं: जीजू मैं फिसल कर गिर गई हूं। अब उठा नहीं जा रहा मुझसे।
जीजू: मैं अंदर आऊं तुम्हारी मदद करने?
मैं: लेकिन जीजू मैंने कुछ नहीं पहना है।
जीजू: कोई बात नहीं मैं तुम्हें टॉवेल दे देता हूं।
मैं: टॉवेल भी अंदर ही है, तो आप आ जाओ।
फिर जीजू बाथरूम के अंदर आए और सबसे पहले उनकी नज़र मेरे नंगे सेक्सी जिस्म पर पड़ी। एक बार के लिए तो वो मुझे देखते ही रह गए। फिर उन्होंने दरवाजे से टॉवेल उतारा और मेरे शरीर पर दिया। जब उन्होंने मुझे खड़ा करने की कोशिश की, तो मैं जान-बूझ कर उनकी बाहों में लिपट गई।
कोई और रास्ता नहीं दिखा, तो जीजू ने मुझे अपनी बाहों में उठा लिया, और कमरे में ला कर बिस्तर पर लिटा दिया। मैं जीजू के इतने करीब थी, कि हमारी सांसे भी टकरा रही थी। मैंने मौके का फायदा उठा कर उनके होंठों से होंठ चिपका दिए, और उनके होंठों को चूसने लगे।
जीजू अचानक से किए गए मेरे इस हमले को समझ नहीं पाए, और मुझसे दूर हो गए।
फिर वो बोले: ये क्या कर रही हो दृष्टि।
मैं: वहीं तो आप सोच रहे है जीजू।
जीजू: ये गलत है दृष्टि। मैं तुम्हारी दीदी का पति हूं।
मैं: कुछ देर के लिए मेरे ब्वॉयफ्रैंड बन जाओ ना जीजू।
जीजू: नहीं ये गलत होगा।
मैं: जीजू किसी को पता नहीं चलेगा। ये सिर्फ अभी के लिए है। मेरी चूत बहुत तड़प रही है, और आपका लंड ही इसको शांत कर सकता है।
ये बोल कर मैंने अपना टॉवेल खोल दिया। मेरा बदन देख कर जीजू मुझे ऊपर से नीचे घूरने लगे।
फिर मैं बोली: जीजू खा जाओ ना अपनी साली को। ये मेरी तरफ से गिफ्ट होगा आपके लिए।
बस फिर क्या था। जीजू ने अपने कपड़े उतारे, और अंडरवियर में मेरे ऊपर आ गए। हम दोनों पागलों की तरफ किस्स करने लगे। जीजू मेरे होंठों को चूसने लगे, और पूरे चेहरे को चाटने लगे फिर वो मेरी गर्दन चाटने लगे, और चूचों को दबा कर चूसने लगे। मुझे मजा आने लगा, और मेरे मुंह से आह आह की आवाजें निकलने लगी।
जल्दी ही जीजू मेरी चूत तक पहुंच गए, और उसको चाटने लगे। मैं पागल हो रही थी, और जीजू के सर को अपनी चूत में दबाने लगी। जीजू चूत का मुंह खोल-खोल कर उसमें जीभ डाल रहे थे। कुछ देर चूत चुसाई के बाद जीजू ने अपना अंडरवियर उतारा, और सीधे लेट गए। फिर मैं किसी रंडी की भांति उनका लंड चूसने लगी। मुझे लंड का स्वाद बहुत अच्छा लग रहा था।
लंड जब चिकना हो गया, तो जीजू ने मुझे अपने नीचे लिटाया, और चूत पर लंड सेट करके जोर का धक्का मारा। मेरी चीख निकली, और दर्द देते हुए जीजू का लौड़ा मेरी चूत में समाने लगा। मैं चीखती रही, और जीजू लंड पेलते रहे। जब लंड पूरा अंदर चला गया, तो जीजू मुझे चूसने लगे। वो कभी होंठ चूसते तो कभी चूचे।
जब मेरा दर्द थोड़ा कम हुआ, तो जीजू ने मेरी चुदाई शुरू कर दी। कुछ देर बाद मुझे इतना मजा आने लगा, कि मैं जीजू की गांड पर हाथ रख कर अपनी तरफ दबाने लगी। चुदाई का असली आनंद तो जीजा का लंड ही देता है साली को। फिर जीजू ने मेरी टांगें पूरी मोड़ ली, और तेज़ी से चोदने लगे। मैं आह आह आह करे जा रही थी। आधा घंटा मेरी चूत पेलने के बाद जीजू ने अपना माल मेरी अंदर ही निकाल दिया। मैं अब तक 3 बार झड़ चुकी थी।
उस पूरे दिन हम नंगे रहे, और जीजू ने मेरी चूत का भोंसड़ा बना दिया। फिर दीदी के आने से पहले हमने कपड़े पहन लिए। उसके बाद हमें कभी मौका ही नहीं मिला। लेकिन हम मौके की तलाश में जरूर है।
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