हैलो दोस्तों, उम्मीद है आप सभी हवस से भरपूर, अपने-अपने लंड, गांड, चूत, चूचियां बाजू नाभि जिसमें आपका हवस का वास हो, वहां मसलते, मस्त, स्वस्थ और संतुष्ट होगें।
दोस्तों, हवस हर समय रहती है। बस जागने की देर रहती है। पर हवस की बुझन बड़ी ही टेढ़ी लुल्ली का खेल है। मेरी भी है छोटी से नुनु सी सिसी क्लिटी, या यूं कहें तो चकी लुल्ली, मैंने अपनी लुल्ली को बिस्तर में लंड के सपने देखते-देखते रगड़ रगड़-रगड़ के बर्बाद कर दिया है। बस अब किसी बहन के साथ चेस्टिटी केज पहन के चार लौड़ों के बीच बैठ के फोटो खींच लूं, तो अपनी नामर्दगी पे पूरा स्टैंप लग जायेगा।
सभी सीसी बहनों की तरह मुझे भी अब हवस अपनी लुल्ली नहीं अपनी गांड-चूत, अपने मुंह, अपने स्तनों में महसूस होती है, और उनमें एक खालीपन सा रहता हैं बिना लौड़े के।
जब कोई मस्त लौड़े वाला आशिक लाइफ में नहीं रहता, तो मुझे दारू और गांजा पी के थोड़ी राहत मिलती है। मुझे नशे में सी.डी. करना, और उस मदहोशी में लौड़ों से अपनी गांड-चूत अपना मुंह भरना, उन दरिंदो से अपनी चूची चूतड़ नुचवाना बहुत पसंद है। पर अगर ना भी मिले तो नशा करके टाइम पास हो जाता है।
मुझे घर में बैठ के नशा करना बोरिंग लगता था। क्योंकि घर वाले रहते थे तो बहुत रोक-टोक से कार्यक्रम चलता था। जब मेरा नशे और चुदास की रंगीनियत में डूबने का मन करता था, तब मैं अपने नॉर्मल कपड़ों के नीचे पैंटी पहन दारू गांजा पीने मेरे घर से आस-पास के छोटे जंगलों निकल जाती थी। वहां एक तो पेड़ों के बीच शुद्ध हवा में दुनियादारी की कच-कच से शान्ति मिलती थी, और आराम से नशा या लंड चुसाई का कार्यक्रम हो जाता था।
दो महीने पहले की बात है। ड्यूटी से जब मैं एक शनिवार शाम को छूटी, तब काम से और बाकी फैमिली, फ्रेंड्स सब के ताम-जाम में से पक गईं थी। मैंने घर आके अपनी अलमारी के सीक्रेट लॉकर में से अपनी एक हरे रंग की जी-स्ट्रींग पैंटी निकाली, और चिलम में माल भर कर ऊपर एक काले रंग की शर्ट और लोअर डाल के वोडका दारू ठेके से लेके अपनी स्कूटी पे पास के जंगल में चल पड़ी।
मेरी लुल्ली मेरी पैंटी से रगड़-रगड़ नाच रही थी, और मेरी गांड पे उस पैंटी का स्ट्रींग टकरा के और चुदने को पागल कर रही थी। खैर मैंने सोचा पहले कुछ नशा कर लेती हूं। फिर अपने किसी पुराने गांड प्यासे आशिक को मैसेज करती हूं। इन्हीं सब मस्ती और खयालों में डूबे मैंने अपनी स्कूटी थोड़ा अंदर पहुंच के रोड से कट कर एक पेड़ के पास लगा दी।
मैंने पहला पेग खींचा ही था, कि तभी वहां एक बाइक में आदमी आया, और थोड़ी दूर जा के रुक गया। मैं मन ही मन गाली दे रही थी, कि साला शांति से दारू भी पीने नहीं देते। खैर लग रहा था कि वह भी ऐसे ही बाहर पीने-खाने आया था, तो मैं भी झट से नहीं भागी, और मौसम का मजा लेते दारू पी रही थी।
बन्दा लगभग 5 फीट 10 इंच की हाइट का था, और एक-दम छरहरा बदन था उसका। एक-दम चॉकलेट समान काला रंग, उम्र में लगभग 30-35 के बीच का लग रहा था। 5-10 मिनट तक हम दोनों अपने-अपने जगह खड़े थे, और अपने काम से काम रखते दारू पी रहे थे। फिर वो धीरे-धीरे मेरी तरफ आने लगा।
मैं सोची अब इसको क्या दिक्कत हो गया करके। वो मेरे पास आया, और हल्की सी स्माइल देते हुए बोला, “भाई लाइटर होगा क्या? मैं बारूद तो ले आया, पर आग भूल गया।” मैं भी हंसते हुए बोला, “आजा भाई, मेरे से लेले, आग है मेरे अंदर भी और पास भी।” मूड लाइट हो गया और हम दोनों हंसने लगे, उसका नाम पंकज था।
मैंने उसे लाइटर दिया, और उसने जैसे ही अपनी सिगरेट जलाई, मैं उसकी सिगरेट के रंग और खुशबु से समझ गया कि ये गांजा था। मैंने उसको पूछा, “क्या बात है, अकेले-अकेले।” तो वो भी खुश होके बोला, “अरे आप भी पीते हो क्या?” मैंने उसे हंसते हुए कहा, “मैं हर चीज जो मजा दे पीता हूं।” वो और खुश हो गया और मुझे भी कश मारने को दिया।
बात करते-करते पता चला कि वो बाहर से आया था जॉब में और अपने दोस्त के साथ रह रहा था। उसके दोस्त की फैमिली आई थी, तो आज बाहर पीने आ गया। जब मैंने उससे पूछा उसकी फैमिली के बारे में, तो उसने कहा कि उसकी फैमिली उसके गांव में ही थी। मैंने पूछा याद नहीं आती तो उसने हंसते हुए कहा, “बीवी को याद करके तो हाथ दुख गया है। लेकिन अब क्या करूं मजबूरी है।”
उसके फ्रेंडली नेचर, गांजे और दारू का नशा और मेरे चूतड़ों की बीच पैंटी की स्ट्रींग अब मेरी हवस को बहुत बढ़ा रही थी। मैंने उसको बोला, “जब इतनी जरूरत है तो कोई जुगाड़ कर लो।” वो बात करते करते थोड़ा साइड में मूतने के लिए गया और बोला, “यार इतना कमाता नहीं कि रंडी रोज-रोज ला सकूं, और अंजान शहर में लड़की के ऊपर ट्राई मारना मतलब चूत के चक्कर में दुनिया से टक्कर लेना हो जाएगा।”
मेरी नज़र उसके चड्डी में सोए सांप पे पड़ी तो मैं दंग रह गई। उसका सफेद चड्डी में लंड ऐसा फुफकार मार रहा था, कि मेरी गांड की दरारों में जो फड़फड़ाहट हुई, और मेरे गले के पीछे मुझे थूक के गुब्बारे बनने महसूस हुए।
उसने जैसे ही मूतने के लिए अपनी चड्डी से अपने सांप को आजाद किया, और उसके गुस्साए मोटे रसीले लौड़े ने पता नहीं कब की दबी रोकी गरम पेशाब की धार छोड़ी। सोए में लगभग 3.5-4 इंच का था उसका मोटा मांबा। मैं खो गई कि वो क्या बोल रहा था, और मैं सीधे मुड़ी और गांजे का कश लगाते हुए मूतने हिसाब से अपने लोअर को नीचे किया, और अपनी पैंटी चढ़े चूतड़ उसके नंगे लौड़े को दिखाते अपनी लुल्ली को निकाल के उससे पूछा, “लौंडे की गांड से तुम्हारे लौड़े का हो जायेगी शांति?”
उसके अंदर भी शायद ऐसा लगा कि मेरे यही लफ्ज़ कहने की देरी थी। वो सीधा आया, और अपना मूत का फव्वारा बहाता लौड़ा मेरी पैंटी चढ़े चूतड़ों पे ला के सटा दिया। मैं चुदास मुतास दारू गांजे के नशे में सारा होश खो बैठी। मेरी चुदक्कड़ चिनरैल गांड उसकी गरम मूत के छूते ही पिघल सी गई। जैसे ही उसने अपना लौड़ा मेरी गांड की दरार में फंसाया, मैं जैसे स्वर्ग में ही पहुंच गई।
उसके हाथों ने मेरी मोटी कमर और चूचियों को नोचते मेरे कानो में कहा, “मैं बस मना ही रहा था भगवान से कि तू गांड़ू हो। बहुत दिन से घर नहीं गया हूं। ना कोई मिल रहा इस मादरचोद चुतिये शहर में। ये लौड़ा मरा जा रहा है गांड़ू तेरी गंजेड़ी गांड़ में घूमने के लिए, और तू तो पूरी तैयारी से निकला है रण्डी, कि बस लिखा ही था किस्मत में तेरी चुदासी पैंटी चढ़ी गांड को मेरे शराबी लंड की मूत और मलाई पीने को।”
मैं मुड़ी और बिना कुछ बोले सीधे उसके तने मूतते लौड़े को मुंह में लेके पप्पी देते चुस्की मारते, उसके अंडों पे अपनी जीभ से चाटते, उसके लौड़े की सारी मूत निगल गई। ऐसी जलन ऐसी उल्टी आ रही थी, कि क्या बोलूं। लेकिन वो ज़ालिम अब मेरा सर पकड़ कर मेरा मुंह और अंदर घसीट रहा था। अब उसका लंड मूत से हलका होने के बाद धीरे-धीरे मेरे मुंह में बड़ा होता जा रहा था।
मेरे सर पे अब सारा नशा सिर्फ मेरे थूक और उसकी मूत से सने उसके मोटे काले रसीले लौड़े पे था। वो भी अब आहें भरते हुए शाम के अंधेरे में बेशर्मी से मेरा मुंह चोद रहा था। मुझे सांस भी नहीं आ रहीं थी, पर अब सांस लेने का, कुछ कहने, कुछ सोचने का मन भी नहीं कर रहा था। बस लग रहा था वो इसी बेरहमी से मेरे अंदर अपने लौड़े को लेके बैठा रहे।
उसने अपना फनफनाता लौड़ा मेरे मुंह से बाहर निकाला और बोला, “साले कहां था तू? ऐसी हवस तो किन्नर, लौंडी रंडियों में कभी-कभार लाखों में एक में मिली होगी। अब जब मिलेगी कुतिया, तुझे ऐसे ही अपना लौड़ा खिलाऊंगा और तेरी चुदक्कड़ छमिया गांड का भी भोसड़ा बनाऊंगा गांड़ू रांड मेरी।”
मैं भी उसका लौड़ा हाथ में पकड़े अपने होंठो पे सटा के बोली, “मैं भी जब मौका मिले आपको और आपके चुदासे, मुतासे, मोटे, रसीले, हवसी लौड़े को प्यार करना चाहूंगी मेरे राजा। अब बस अपना ये गीला पागल लौड़ा मेरे अंदर फिसला दो, रहा नहीं जा रहा अब।”
उसने सुन के मेरे मुंह पे खुशी के मारे एक थप्पड़ मारा, और मेरे मुंह में फिर से अपना टनटनाया लौड़ा मेरे गले में घुसेड़ दिया। 2-3 मिनट मेरा गले चोदने के बाद जब उसका लौड़ा पूरा गीला हो गया, उसने मुझे उठा के स्कूटी की सीट पर फेंक दिया, और अपना फनफनाता लौड़ा मेरी चुदक्कड़ उसकी मूत में सनी गांड-चूत में ला के सटा दिया।
मैं बिलबिला उठी दोस्तों। जब बहुत दिन बाद कोई बेताब लौड़ा गांड में फंसता है, ऐसा लगता है आंखे बाहर आ जाएगी। लेकिन मैंने अपनी गांड को उसके लिए रिलैक्स किया, ताकि उसका मोटा मस्ताना लौड़ा फंस जाए। जब उसका लंड फंस गया, उसने धीरे-धीरे मुझे झटके देने शुरू किए। मुझे इतना दर्द हो रहा था कि क्या बताऊं। लेकिन मुझे पता था थोड़ी देर का ही दर्द था।
फिर जैसे ही मेरी गांड उसकी लौड़े की मोटाई से एडजस्ट हो गई, हाय क्या बताऊं मैंने भी सारी शर्म लाज भूल उसके लौड़े पे गांड पीछे धकेल-धकेल के चुदवाना शुरू कर दिया। उसके मोटे रसीले लौड़े को अपने चूतड़ों अंदर के इर्द-गिर्द गिरते जब उसके आंड मेरी नंगी गांड को अंधेरी शाम में हवा चलते पेड़ो के बीच उछाल रहे थे, मैं सिर्फ मादक मधु सिसकियों के अलावा कुछ ना बोल सोच पा रहीं थी।
सिर्फ उसके लंड की मेरी लुल्ली बहा देने वाली गांड चुदाई के स्वर्ग में डूबी हुई थी। अब तो ऐसी मदहोशी थी, कि पूरा जंगल रात के अंधेरे में उसके आंड और मेरी गांड के मिलन से होने वाली फच फच की आवाज से गूंज रहा था। लग रहा था कि कोई आ भी गया तो शायद हम दोनों रुकेंगे नहीं, और शायद रुक पाते भी नहीं। क्योंकि उसका लंड ऐसा अंदर तक फंसा था।
फिर वो मेरी गांड में अपने आंड-रस खाली करने लगा। वो मेरे ऊपर निढाल हो के गिर गया, और मुझे पीछे से थामे मेरी चूचियां मसलते धीरे-धीरे अपने लौड़े को मेरी गांड से निकाला। मैंने झुक के उसके लंड से अपनी गांड और उसका मलाई का कॉकटेल चटखारे मार-मार के साफ किया।
हम दोनों ने अपनी अपनी चड्डी, पैंटी, लोअर, पैंट चढ़ाए और चुदास की जन्नत से नीचे जंगल में आके एक और चिलम पी, और एक-दूसरे का नंबर लेके दोबारा और अच्छे से मिलने का वादा करके अपने-अपने घर चल दिए। ऐसे ही जब शौकीन ठरकी जंगल में चलते-फिरते मिलते रहे। यही दुआ है मेरी खुद के लिए, और सभी प्यारे हवसी चोदने चुदाने वालों के लिए।