मेरे दोस्त की मां पुष्पा की रंडी की तरह चुदाई-2

पिछला भाग पढ़े:- मेरे दोस्त की मां पुष्पा की रंडी की तरह चुदाई-1

अगले दिन आंटी को फिर से स्कूल छोड़ने के लिए मैंने गाड़ी निकाली पर आंटी पहले ही अंकल के साथ चली गई। फिर मैं आंटी के घर आने के टाइम पर स्कूल के गेट के पास खड़ा रहा। आंटी बाहर आयी, तो उनको सॉरी बोला। आंटी ने माफ़ी स्वीकार की और मेरे साथ घर आ गई। अगले 2-3 दिन मैंने उनको स्कूल छोड़ा। आज शाम को हम हर्ष के घर पे जाने वाले थे, क्यूंकी मैच था।

शाम को मैं, हर्ष, और प्रेम मैच देखने के लिए हर्ष के घर गये। आंटी कोल्ड ड्रिंक लेके आयी, लेकिन इस बार मैंने आंटी को भी मैच देखने के लिए बिठा लिया। अब 2 बड़े सोफ़े पे हर्ष और प्रेम बैठे थे और दूसरे पे मैं और पुष्पा आंटी। अब मैं थोड़ी देर बाद ही आंटी की जांघ को सहलाने लगा। आंटी कुछ नहीं बोली तो मैंने अपना हाथ चूत के ऊपर रखा और सहलाने लगा।

आंटी ने मेरा हाथ वहां से हटाया और बेडरूम में चली गई। आज मैं कोई भी मौक़ा नहीं छोड़ने वाला था। आंटी के पीछे पीछे मैं भी बेडरूम में गया और आंटी की गांड सहलाने लगा। वो इसका विरोध कर रही थी, पर अब मैंने आंटी के गर्दन पे किस करना चालू किया और पीछे से दोनों हाथों से आंटी के चूचे दबाने लगा।

थोड़ी देर बाद आंटी भी मूड में आने लगी। अब वो विरोध नहीं कर रही थी। मैंने इसका फ़ायदा उठाया। मैं आंटी के लिप्स को किस करने लगा, एक-दम फ़्रेंच किस टाइप। मैं आंटी के ऊपर का लिप्स चूस रहा था। आंटी भी साथ दे रही थी। अब मैंने आंटी की पैंटी में हाथ डाला, और उनकी चूत सहलाने लगा। आंटी की सिसकारियां निकल रही थी।

फिर मैंने बेडरूम का दरवाज़ा बंद कर दिया। अब आंटी की साड़ी निकाली। आंटी बस पेंटी में ही थी। मैंने आंटी की पैंटी निकाली और अपनी जीभ से आंटी की चूत चाटने लगा। आंटी को मज़ा आ रहा था वो आह आह की आवाज़ें निकाल रही थी।

हर्ष और प्रेम मैच देख रहे थे, तो उनको आवाज़ नहीं आयी होगी। मैंने 5 मिनट तक आंटी की चूत चाटी। आंटी अब पूरी गीली हो चुकी थी, लेकिन अभी मैं आंटी को तड़पता देखना चाहता था। तो मैंने अपना लंड बाहर निकाला, और आंटी की चूत में डालने की बजाय आंटी को चूसने के लिए बोला।

आंटी मेरा 6 इंच लंड देख के पहले ही चौक गई। पर मैंने उनके मुंह में लंड दे ही दिया। अब वो बड़े मज़े से मेरा लंड चूस रही थी, और अलग-अलग आवाज़ें निकाल रही थी। पूरे 10 मिनट उन्होंने मेरा लंड चूसा।

अब मैंने उनको बेड पे लिटा के उनकी चूत में उंगली करनी चालू करी। जैसे ही वो गीली हो गई, मैंने मेरा 6 इंच लंड डाल दिया।

पुष्पा आंटी: हाए मर गयी, इतना बड़ा लंड! आह प्राश आराम से कर ना प्लीज़।

मैं: तुझे चोदने के लिये कब से राह देख रहा था। आज हाथ लगी है तू। साली रंडी, तुझे तो मैं कुतिया की तरह चोदूंगा।

मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी‌। अब आंटी और जोर-जोर से चिल्लाने लगी, “आह प्राश मर गई रे।” मैंने धक्के चालू रखें। 10 मिन में वो झड़ गयी। थोड़ी देर बाद उसको फिर से चोदना चालू किया। अब वो मज़ा ले लेके चुद रही थी। लेकिन अभी भी चिल्ला रही थी।

पुष्पा आंटी: प्राश और ज़ोर से चोद। आह आह मेरे चूतिए पति ने मुझे आज तक ऐसा नहीं चोदा। चोद मुझे, ज़ोर-ज़ोर से चोद, मेरे पति का लंड बस 3 इंच का है। आज तक मैं प्यासी थी आह,‌ मेरी प्यास बुझा दे।‌

ये सुनके मैं आंटी को जोर-जोर से चोदने लगा। लेकिन अब आवाज़ बहुत ज़्यादा हो रही थी, इसलिए मैंने आंटी के मुंह में उनकी पेंटी डाल दी।

मैं: आज से तुझे प्यासा रहने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। आज से तू मेरी रंडी है।

धक्के बढ़ा दिये, और अब मैं झड़ गया। पूरा रस मैंने उसकी चूत में डाल दिया, और वो भी कुछ नहीं बोली। इधर हर्ष और प्रेम मैच देख रहे थे। उनको कुछ पता नहीं चला। फिर मैं शावर लेके मैच देखने गया, और उनको बोला कि गर्मी लग रही थी, इसलिए शावर लेने गया था। फिर मैच ख़त्म हो गई, और हम अपने-अपने घर आ गये।

अगले हफ़्ते मेरी पूरी फ़ैमिली बाहर घूमने जाने के लिए निकली। मैं नहीं जा सकता था क्यूंकी मुझे एग्जाम के लिये जाना था। तो मुझे हर्ष के घर 3 दिन के लिए रुकना था। मैं पहले ही खुश था क्यूंकी मैं हर्ष की मम्मी के साथ रहने वाला था।

मैं हर्ष के कमरे में सो गया, और हर्ष मेरे बाज़ू में ही सोया था, और आंटी के बेडरूम में आंटी और अंकल दोनों सोये थे।‌

रात को मुझे लगा आंटी को देख लेता हूं। आंटी बेड पे सोयी थी, और एक नाईट गाउन पहना हुआ था काले रंग का। अंकल सोये थे, तो मैं हल्के से आंटी के पास गया और आंटी का गाउन निकाल के आंटी की चूत चाटने लगा। आंटी नींद में थी, लेकिन मेरी चूत चटाई से उठ गयी, और मुझे इशारे में डांटने लगी कि यह क्या कर रहे हो।लेकिन मैंने आंटी की चूत को चाटना चालू रखा। अब आंटी भी मूड में आ गई, और मुझे बाहर चलने का इशारा किया। फिर मैं और आंटी हॉल में आ गये

मैंने आंटी को किस किया‌। फिर क़रीब 5 मिनट बाद आंटी के कपड़े उतार के उनकी चूत को सहलाने लगा, और मेरा लंड डाल दिया। आंटी की चीख निकली आह। मैंने शांत रहने को बोला, और आराम से उनकी चूत को धक्का मारने लगा। आंटी अब धीमी-धीमी आवाज़ में सिसकारियां ले रही थी। मैंने धीरे-धीरे करके उनको 20 मिनट तक चोदा। आंटी धीमी-धीमी आवाज़ में आह आह कर रही थी।

फिर आंटी झड़ गई, और फिर मैंने सारा माल आंटी के मुंह में डाल दिया। फिर मैं बाथरूम में गया तो आंटी भी मेरे पीछे-पीछे बाथरूम में आ गई। हम दोनों ने एक साथ शावर लिया, और हम सो गये।

अगले दिन सुबह-सुबह ही हर्ष के घर पे उसके पापा को बाहर जाना पड़ा, और हर्ष भी कॉलेज जाने के लिए निकल गया। अब घर में बस मैं और आंटी ही थे। मैंने आंटी को स्कूल से छुट्टी लेने को कहा, और वो मान गई।

इसके आगे क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा। फीडबैक देने के लिए [email protected] पर मेल करें।

अगला भाग पढ़े:- मेरे दोस्त की मां पुष्पा की रंडी की तरह चुदाई-3