कपड़े की दुकान पर हुई मेरी चुदाई

मैं अपने पति के जाने के बाद अपनी चूत में उंगली या मोटा पैन डाल कर शांत करती थी। और जब बहुत ही दिल हो, तो पूरी नंगी हो कर फोन पर गंदी फिल्म देख कर चूत की आग शांत कर लेती थी। अब अपनी सच्ची कहानी पर आती हूं।

हमारे घर के थोड़ी दूर एक कपड़े की नई दुकान खुली। मुझे भी किसी ने बताया तो मैं भी दुकान में कपड़ा देखने चली गई। एक बात अपने बारे में बताना भूल गई मैं।

मुझे खुले गले वाले सूट पहनना अच्छा लगता है। कही भी जाती हूं तो खुले गले वाले सूट पहन कर ही जाती हूं। दुकान में जब मैं पहुंची तो काफी भीड़ थी। मैं एक जगह बैठ गई और अपना फोन देखने लगी।

कुछ टाइम बाद मुझे एक लड़के ने आवाज दी ‘भाभी जी उपर आ जाओ आप’। मैं ऊपर चली गई। वहां 3-4 ही औरतें थी। मैं उस लड़के के पास चली गई।

वो मुझे बोला: भाभी जी कैसा सूट दिखाएं आपको?

मैं: कोई अच्छा सा दिखाओ।

उसने मुझे गोदाम के साथ बैठने को बोला। मैं भी बैठ गई। वो मुझे खड़ा हो कर सूट दिखाने लगा। मैं जब भी सूट देखने के लिए झुकती, तो उसको मेरी चूची दर्शन हो जाते।

ऐसा काफी देर तक चलता रहा। मैं भी उसके ऊपर नज़र रख रही थी। उसकी पेंट में उसका खड़ा हुआ लंड साफ दिखाई दे रहा था। अब मेरी भी नज़र उसके खड़े हुए लंड से हट नहीं रही थी।

फिर मेरा दुपट्टा नीचे हो गया, तो मैं उसका नजारा खराब नहीं करना चाहती थी। तो मैंने दुपट्टा हटा कर नीचे रख दिया, और सूट के साथ उसके लंड का भी मन में नाप लेने लग पड़ी।

अब हम दोनों की नज़र भी मिलने लग पड़ी थी। अब हम दोनों बात कम और आंखों से ज्यादा बात कर रहे थे। हम दोनों सब से बेखबर जैसे हो गए थे। अब वो अपनी पेंट के ऊपर से अपना लंड सहलाने लगा था। हम दोनों को काफी देर हो गई थी, तो वो मुझे धीरे से बोला-

वो: भाभी कल दोपहर को आना आप। तब आपको अच्छे सूट दिलाऊंगा। पर भाभी आना ज़रुर।

मैं उसको हां बोल कर घर आ गई। रात को उसके लंड के बारे में सोच कर अपनी चूत शांत की। दूसरे दिन मैं दोपहर के समय फिर से दुकान की तरफ चली गई। मैंने देखा वो दुकान के बाहर ही खड़ा हुआ था। मुझे देख कर उसकी आंखो में चमक आ गई, और मुझे हाथ से इशारा किया कि ऊपर आ जाना। और वो अंदर चला गया।

मैं भी कुछ देर दुकान के नीचे घूम कर ऊपर चली गई। वो सामने ही खड़ा हुआ था। उसने एक दम से मेरा हाथ पकड़ा और मुझे वहां से दूसरी तरफ ले गया। यहां एक बड़ा गोदाम था। हर जगह कपड़े भरे हुए थे। उसने मुझे गले से लगा लिया। मैं थोड़ा गुस्सा होते हुए उससे पीछे हट गई और बोली-

मैं: यह क्या कर रहे हो तुम?

उसने मुझे फिर से पकड़ लिया और बोला: भाभी आप बहुत सुन्दर हो। जब से आपको देखा है आपसे प्यार हो गया है मुझे।

मैं कुछ बोल सकती, उससे पहले ही उसने मुझे फिर से बाहों में भर लिया, और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये। अब वो मेरे होंठों को चूसने लगा। कुछ देर बाद ही मुझे भी पता नहीं क्या हुआ। मैंने भी उसके गले में अपनी बाहें डाल दी, और उसका साथ देने लगी।

कुछ ही देर में उसके हाथ मेरे पूरे बदन पर चलने लगे। वो मेरी गांड को दबाने लगा, और मेरी सलवार के ऊपर से ही मेरी चूत तक अपने हाथ ले जाने लगा। मुझे अपने आप पर काबू‌ पाना मुश्किल हो रहा था, और डर भी लग रहा था कोई आ गया तो। मैं उसको धक्का देकर अलग हुई।

वो मुझे बोला: भाभी क्या हुआ? आप कयूं मेरे से अलग हो गई?

मैं बाहर की तरफ देख रही थी तो उसने मुझे फिर से पकड़ लिया और बोला: भाभी डरो मत, यहां पर कोई नहीं आता है। और ना आएगा ।

अब फिर से हम दोनों एक-दूसरे को चूमने लग पड़े। कब उसने मेरी कमीज उतार दी मुझे भी पता नहीं चला। अब वो मेरी ब्रा के ऊपर से ही मेरे चूचों को पीने लगा। मैं भी उसके सर को चूचों पर दबाने लगी।

फिर उसने मेरी सलवार को भी नीचे कर दिया। मैं उसके सामने ब्रा-पेंटी में हो गई। वो मेरा सफेद बदन देख कर पागल सा हो गया। मुझे उसने नीचे लिटा दिया, और पूरे बदन को चूमने लगा। मेरी पेंटी के ऊपर से ही मेरी चूत चूमने लगा।

मैं भी ऐसा करने से मदहोश हो गई थी। उसने मेरी पेंटी अपने दातों से निकाल दी, और मेरी चूत को देख कर टूट पड़ा। कभी चूमता तो कभी जीभ डाल कर चाटने लगता। मैं उसके ऐसा करने से तड़प उठती। इसी बीच मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। वो मेरी चूत से निकलते हुए पानी को चाट कर पी गया, और ऊपर आकर मुझे चूमने लगा। ऐसे मेरे पति ने भी कभी नहीं किया मेरे साथ।

उसने अपने उतार दिये। वो सिर्फ अंडरवियर में आ गया और मेरे पास आकर लेट गया। मैंने एक हाथ उसके अंडरवियर के अंदर डाल दिया, और लंड को हाथ में ले लिया। मैं उसके लंड को हिलाने लगी।

फिर उसने मुझे बोला: हिलाती ही रहोगी, अपने होंठो से रस नहीं पिलाओगी?

मैं समझ गई वो लंड को मेरे से चुसवाना चाहता था। फिर मैं उठी और उसका अंडरवियर नीचे किया। जैसे ही उसका लंड सामने आया, मैं डर गई।

उसके लंड पर चमड़ी नहीं थी। पर लंड बहुत मोटा और लम्बा था। देख कर ही मेरे मुंह में पानी आ गया था।

मुझे लंड को देखते हुए वो बोला: मैं रशीद खान हूं। अगर तुम्हें लग रहा है मेरे साथ नहीं करना है, तो कोई बात नहीं है।

मैंने मन में सोचा अब इन सब बातों से क्या लेना है मुझे। बस यह अच्छे से मुझे चुदाई का सुख देदे। यहीं सोच कर मैंने उसके लंड के ऊपर अपने होंठ रख दिये, और धीरे-धीरे लंड को मुंह में भर लिया।

रशीद आहें भरने लगा। मैं लंड को पूरा मुंह में लेने की कोशिश करने लगी। मैंने उसका लंड चाट-चाट कर पूरा गीला कर दिया। रशीद मेरे सर को पकड़ कर लंड पर जोर लगाने लगा। मैंने सोच लिया था आज अब कुछ भी हो जाये चुदाई का पूरा मजा लेकर रहूंगी।

रशीद ने मुझे लंड के ऊपर से हटा दिया, और मेरी टांगो के बीच आ गया। उसने फिर से मेरी चूत को चाटा और लंड को चूत पर रगड़ते हुए बोला-

वो: थोड़ा दर्द होगा, सह लेना।

मैंने हां में सर हिला दिया। फिर रशीद ने लंड को रगड़ते हुए एक-दम से चूत में डाल दिया। मेरी हल्की चीख निकल गई। रशीद ने मेरा मुंह अपने हाथ से बंद कर दिया, और थोड़ा रूक गया। मैं थोड़ी नोर्मल हुई तो उसने फिर से झटका मारा।‌ इससे पूरा लंड मेरी चूत में चला गया।

रशीद अब मेरे उपर झुक गया और मेरे होंठो को चूमने लग गया, और नीचे से लंड को अंदर-बाहर करने लगा। रशीद के हाथ मेरी चूचियों से खेल रहे थे। रशीद ने अब लंड की स्पीड तेज कर दी। मुझे भी मजा आ रहा था, तो मैं भी गांड उठा कर रशीद के लंड का स्वागत अपनी चूत में कर रही थी। रशीद लगातार मुझे चोदे जा रहा था मैं भी रशीद के मुंह को चूम रही थी।

कुछ समय बाद मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया, पर रशीद मुझे चोदता रहा। मैंने चुदाई के दौरान रशीद को बोल दिया था कि मेरी चूत में अपना पानी मत निकालना। रशीद तेज झटकों से मुझे चोद रहा था।

रशीद की चुदाई से मेरा हर अंग हिल रहा था। आज सच में मेरी असली चुदाई हो रही थी। रशीद के धक्कों ने मुझे हिला कर रख दिया था। कुछ देर बाद रशीद ने लंड को चूत से बाहर निकाल लिया।

मैं समझ गई उसका लंड पानी छोड़ने वाला है, तो मैं उठी और लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी। रशीद भी मेरे सर को पकड़ कर मेरे मुंह को चोदने लगा। कुछ ही झटकों के बाद रशीद के लंड ने पानी छोड़ दिया।

मैं उसका सारा पानी पी गई, और लंड को चाट कर साफ कर दिया। मैं बहुत खुश थी रशीद के साथ हुई चुदाई से। रशीद ने फिर से मेरे होंठों को चूमा। फिर हम दोनों अलग हुए, और मैं अपने कपड़े पहनने लगी।

रशीद ने मेरे एक चूचे पर बहुत जोर का चुम्मा दिया, जिससे चूची पर निशान बन गया। अब हम दोनों ने कपड़े पहने और फिर अपने फोन नंबर एक-दूसरे को दिये, और एक लम्बा चुम्मा देकर अलग हुए।

रशीद ने मुझे 2 बहुत ही सुंदर सूट दिये। फिर मैं घर के लिए निकल गई। कैसी लगी मेरी असली चुदाई की कहानी जरूर बताना। आप सब की सपना।

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