हेलो दोस्तों, मैं आज आपको मेरी पहली चुदाई की कहानी बताने जा रहा हूं। यह कहानी लगभग 10 साल पुरानी यानी 2013-14 की है। अरे, आपको मैं मेरा नाम बताना भूल ही गया। मेरा नाम महेंद्र है। मैं पुणे का रहने वाला हूं।
जब मैं कॉलेज में था तब की बात है। मेरे साथ एक लड़की पढ़ती थी, जिसका नाम बालिका था। वो मुझसे बहुत प्यार करती थी, पर मैं उससे प्यार नहीं करता था। क्योंकि मेरा ध्यान सिर्फ पढ़ाई में था। वो मुझे बार-बार बोला करती थी कि उसे मैं अच्छा लगता था। पर मेरा एक ही जवाब था, कि नहीं।
फिर जब दिवाली के पहले के एग्जाम हुए, उसके बाद हम ज्यादा बात और साथ वक्त बिताया करते थे। जैसे-जैसे एक दो महीने बीत गये, तब मुझे लगा कि सच में हम एक-दूसरे के लिए ही बनाए गए थे। फिर मैंने भी उसे अपने दिल की बात बताई, और वो पागल लड़की मुझसे जोर से लिपट गई।
फिर हम मिलते गये, बात आगे बढ़ती रही, और वो दिन आ ही गया जिसका कभी मैंने सोचा भी नहीं था। उस समय हम दोनों की उम्र 19-20 साल की होगी। वो वर्जिन थी और मैं भी वर्जिन था। हम दोनों वर्जिन थे।
हुआ ऐसा कि उसकी एक फ्रेंड के घर वाले बाहर कहीं गये हुए थे। तब बालिका उसकी दोस्त के घर रहने को गई थी। तब उसकी दोस्त ने हम दोनों को उसके घर में मिलाया। जब मैंने पहली बार किस किया, तो क्या मजा आ रहा था क्या बताऊं। उसके गुलाबी होंठ, उसकी तेज़ चलती सांसें, बालिका एक-दम मादक लग रही थी।
फिर मैंने बालिका के बूब्स के उपर हाथ रखा। क्या बूब्स थे उसके 34″ साईज के। मैं बालिका को किस करके उसके बूब्स दबा रहा था। बालिका एक-दम गरम हो चुकी थी। मैंने मन बना लिया था कि आज जो भी हो बालिका की कुंवारी चूत चोदनी थी। धीरे-धीरे मैंने बालिका की टी-शर्ट निकाल दी, और बाद में उसकी ब्रा उतार दी।
क्या गजब के बूब्स थे बालिका के, एक-दम सफ़ेद, जैसे कि सोने का बदन संगमरमर का। फिर मैंने बालिका की एक चूची को मुंह में ले लिया, और उसे चूसने लगा। बालिका की चूचियां दबाने और चूसने में क्या मजा मिल रहा था मैं आपको बता नहीं सकता। बालिका उसके बूब्स मेरे मुंह में डाल कर दबा रही थी, और बार-बार चूसने को बोल रही थी।
फिर मैंने बालिका को कहा: मुझे आज तेरी चूत चोदनी है।
पहले तो बालिका घबरा गई और बोली: नहीं दर्द होगा।
और वो वैसे भी कुंवारी थी।
तब मैं बोला: कुछ नहीं होगा, उल्टा मजा आ जायेगा।
तब बालिका मान गई। जब मैंने बालिका की पैंटी को उतारा, तो देखा कि क्या गजब की चूत थी यार उसकी। सफेद रंग, और एक भी बाल नहीं था चूत पर। एक-दम शेव किया हुआ था। ऐसी कसी हुई चूत मैंने कभी कही देखी नहीं थी। मैंने बालिका की चूत को जी भर के चाट लिया। क्या चूत थी यार, सफेद रंग और उसके गुलाबी होंठ।
जैसे-जैसे मैं उसकी चूत चूस रहा था, बालिका और गरम होती जा रही थी, और बोली रही थी-
बालिका: और चूसो, और चूसो, मजा आ रहा है।
फिर थोड़ी देर बाद बालिका बोली: अब बस भी करो, मेरी चूत में आग लगी है। उसकी प्यास बुझा दो।
तब मैंने सोचा कि लोहा गर्म था, तो हथोड़ा मार दूं। जैसे ही मैंने मेरा 7 इंच का काला लंड उसकी चूत के मुंह पर रगड़ना शुरू कर दिया, बालिका और ज्यादा गर्म हो गई। फिर उसने मेरे लंड पर चूत का दबाव बढ़ाया। तभी मैंने देर करना मुनासिब नहीं समझा, और एक धक्का लगाया, तो मेरा लंड बालिका की टाईट चूत की वजह से फिसल कर गिर गया।
फिर से मैंने बालिका की चूत के मुंह पर लंड का सुपाड़ा रखा, और एक जोरदार धक्का लगाया। तब जाकर 2 इंच लंड बालिका की चूत के अंदर गया, और बालिका चीख उठी।
बालिका: ओह मां, मर गई! निकालो! निकालो! फाड़ दी मेरी चूत। प्लीज निकाल दो। मुझे नहीं चूत चुदवाना है।
तब मैंने कहा: दर्द थोड़ी देर होगा, बाद में मज़ा ही मज़ा आ जायेगा।
फिर भी बालिका रो रही थी और चीख रही थी। बालिका की दोस्त सब बाजू में बैठ कर देख रही थी। जब मैंने देखा कि बालिका का दर्द कम हुआ, तो मैंने और एक जोरदार धक्का लगाया। तब मेरे लंड का 5 इंच हिस्सा अंदर गया, और बालिका फिर एक बार चीख उठी, और मेरे हाथों से छूटने की कोशिश कर रही थी। पर मेरी पकड़ उसके उपर भारी थी।
फिर मैंने बालिका के दर्द को अनदेखा करा और एक धक्का लगाया। अब मेरा लंड 6″ अंदर गया। बालिका रो रही थी, और मैं मजे लेकर धक्के लगा रहा था। फिर मैंने आखरी लास्ट एक जोरदार धक्का लगाया, और अब मेरा पूरा का पूरा 7 इंच लम्बा लंड अंदर चला गया। फिर मैं बालिका के होंठों को जोर-जोर से किस करने लगा, और उसको मजे देने लगा।
अब बालिका को मजा आने लगा। तब मैं धीरे-धीरे से लंड को आगे-पीछे करने लगा। बालिका चीखती और खुश होती थी। अब बालिका को मजा आने लगा, और वो मुझे बोल रही थी-
बालिका: और जोर से, और जोर से करो। फाड़ दो मेरी चूत को, आह।
जब मैं बालिका को चोद रहा था बालिका के बूब्स जोर-जोर से हिल रहे थे। उसके कारण मेरे लंड की ताकत और बढ़ रही थी। मजा आ रहा था बालिका के बूब्स हिलते हुए देखने में, और उसकी गुलाबी होंठों वाली चूत को मेरे काले लंड से चोदते हुए।
बालिका को बहुत मज़ा आ रहा था। वो पागल हो रही थी, और बार-बार बोल रही थी कि और चूसो बूब्स, और मेरी चूत को चोदो। हम दोनों की चुदाई की सीमा पार हो गई थी, और पूरे कमरे में पच-पच की आवाज गूंज रही थी। मेरा लंड बालिका की चूत की गेहराई तक जा रहा था।
मेरा लंड जैसे ही अंदर जाता था, और उसके बाद जो फिलिंग मिल रही थी, वो कही भी नहीं मिल सकती है।
“क्या चीज है बालिका तू?”, ऐसा मैंने बालिका को बोल दिया। तो वो शरमा गई, और बोली, “हट बेशर्म कही के”।
लगभग एक घंटा जोरदार चुदाई के बाद मेरा लंड पानी छोड़ने वाला था। तब मैंने बालिका से पूछा, तो उसने कहा कि चूत के अंदर ही छोड़ दें। अब मेरे धक्के पे धक्के लग रहे थे, और मैंने उसके बूब्स हिलते हुए देख-देख के मेरे लंड का पानी उसकी चूत में ही छोड़ दिया।
मैंने मेरा लंड बालिका की चूत में ही डाल कर रख दिया। क्योंकि मैं मेरे लंड का एक बूंद भी पानी बाहर नहीं छोड़ना चाहता था। करीब एक घंटे बाद मैंने मेरा लंड बालिका की चूत से निकाल दिया। सच में बहुत मज़ा आ गया बालिका की कुंवारी चूत को चोदने में। बालिका आय लव यू।
तो कैसी लगी मेरी और बालिका की पहली चुदाई की कहानी? जरूर कमेंट करे।