पिछला भाग पढ़े:- दो गायें और दो सांड-7
हिंदी चुदाई कहानी अब आगे से-
रबड़ के लंड की मेरी और नसरीन की ये चुदाई तकरीबन पंद्रह मिनट चली। नसरीन मस्ती में चुद रही थी और रबड़ के लंड के टट्टे मेरी चूत से टकरा रहे थे। नसरीन के चुदाई और टट्टों का मेरी चूत से टकराना – मुझे भी मजा आ गया। तभी नसरीन की चूत एक बार और पानी छोड़ गयी, तो मैं नसरीन के पीछे से हट गयी।
फिर वही लंड नसरीन ने अपनी कमर से बांध लिया और मेरी गांड चुदाई की। इसी बारी बटाई वाली चुदाई में एक घंटा निकल गया। असलम के आने का वक़्त भी हो गया था। हमने कपड़े पहने और क्लिनिक में आ गये।
मैंने नसरीन से कहा, “नसरीन असलम आये तो तुम पीछे कमरे में चली जाना। मैं असलम से बात करके तुम्हें बुला लूंगी।”
नसरीन बोली, “ठीक है मालिनी जी समझ गयी।”
कुछ ही देर में असलम आ गया। असलम को मैंने पूरी बात बताई और कहा, “असलम नसरीन तो तैयार हो गयी है, बस उसकी झिझक थोड़ी दूर करनी है। वो मैं अभी दूर कर दूंगी।”
असलम ने पूछा, “वो कैसे मालिनी जी?”
मैंने कहा, “बस देखते जाओ। और हां याद रखना, मैंने नसरीन को नहीं बताया कि तुम दो गायें और दो सांड वाला खेल खेल चुके हो। एक बात और याद रखना संदीप को पता नहीं चलना चाहिए नसरीन तुम्हारी अम्मी है। बाकी सब मुझ पर छोड़ दो। अब बताओ तुम्हारे लंड का क्या हाल है?”
असलम बोला, “क्यों मालिनी जी फिर चुदवानी है क्या?” मैंने असलम से कहा, “देखते जाओ, चलो पीछे के कमरे में चलते है।”
असलम उठा, उसकी पैंट में उसके आधे खड़े लंड का उभार साफ़ दिखाई पड़ रहा था। असलम ने लंड को पैंट में ठीक से बिठाया और मेरे पीछे पीछे चल पड़ा।
पीछे कमरे में जा कर मैंने बिना किसी लाग-लपेट के नसरीन को बोला, “नसरीन मैंने संदीप वाली सारी बात असलम से कर ली है, बस इसे तुम्हारी इजाज़त चाहिए।”
नसरीन अभी भी हिचकिचा रही थी। असलम भी शर्मा रहा था। मैंने सोचा, मुझे ही कुछ करना होगा। मैंने असलम से कहा, “क्या हुआ असलम चुप क्यों हो। बाहर तो मुझसे बात करते-करते तुम्हारा लंड खड़ा हो गया था और तुम मुझसे पूछ रहे थे मालिनी जी चुदवानी है क्या? फिर अब क्या हुआ?”
असलम और नसरीन, दोनों को ये उम्मीद नहीं थी कि मैं ऐसा कुछ बोल दूंगी।
असलम सिर्फ इतना ही बोला, “जी…. जी?”
मैंने सोचा, ये ऐसे नही शर्म छोड़ेगा। इन दोनों मां बेटों की शर्म मुझे ही दूर करनी होगी। मैं उठी और अपने कपड़े उतार कर बेड के किनारे पर सीधी लेट गयी, टांगें उठा ली और दोनों हाथ नीचे करके अपनी चूत की फाकें चौड़ी कर दी। मेरी गुलाबी चूत असलम के सामने थी और असलम मेरी चूत को घूर रहा था। नसरीन भी मेरी तरफ ही देख रही थी।
मैंने असलम से कहा, “असलम बाहर पूछ रहे थे ना मालिनी जी चुदवानी है क्या। हां चुदवानी है। लो आओ अब मेरी चूत तुम्हारे लंड को बुला रही है।”
असलम कुछ नहीं बोला, ना ही अपने जगह से हिला, बस मेरी चूत को घूरता रहा।
तभी नसरीन बोली, “असलम क्या हुआ, मालिनी जी तुमसे कुछ बोल रही है। उनकी चूत को तुम्हारा लंड चाहिए, जा कर डाल लंड मालिनी जी की चूत में, सोच क्या रहा है?”
नसरीन का इतना कहना था कि असलम ने अपने कपड़े उतार दिए और नीचे बैठ कर पागलों की तरह मेरी चूत चूसने लगा।
असलम के इस तरह चूत चूसने से मुझे बड़ा मजा मिल रहा था। अभी असलम मेरी चूत चूस चाट ही रहा था कि नसरीन ने भी अपने कपड़े उतार दिए और मेरी बगल में आ कर मेरी ही तरह टांगें उठा कर लेट गयी।
असलम को खड़े लंड के साथ मेरी चूत चूसते देख उससे रहा नहीं गया होगा। जैसे ही असलम ने अपनी अम्मी को भी नंगा लेटे हुए देखा, तो असलम नसरीन की चूत भी चूसने लगा। नसरीन के चूतड़ घूमने लगे। असलम उठा और नसरीन की टांगें पकड़ लंड एक ही झटके से नसरीन की चूत में डाल दिया और बोला, “लो अम्मी लो अपने बेटे का लंड अपनी फुद्दी में।”
नसरीन के मुंह से निकला, “आअह असलम मजा आ गया। एक बार फिर ऐसे ही कर। पूरा लंड निकाल कर ऐसे ही डाल।”
असलम ने आठ दस बार ऐसे ही लंड अपनी अम्मी की चूत में डाला। जल्दी ही नसरीन के चूत पानी छोड़ गयी। असलम फिर मेरे पास आ गया और वैसे ही मेरी चुदाई करने लगा। जल्दी ही मुझे भी मजा आ गया। मेरी चूत भी पानी छोड़ गयी।
असलम ने मेरी चूत से लंड निकाला और खड़ा हो गया। मैं उठ कर बैठ गयी। नसरीन भी उठ गयी। असलम मेरे सामने आया और लंड मेरे मुंह में डाल दिया।
थोड़ी चुसाई के बाद मैंने असलम का लंड मुंह से निकाला और कहा, “असलम जाओ अब, अपनी अम्मी को भी अपने लंड का मजा दो।” असलम नसरीन के सामने गया और नसरीन के मुंह में लंड डाल दिया। नसरीन असलम का लंड बहुत ही जोर-जोर से चूस रही थी।
असलम के मुंह से “आह अम्मी… बड़ा मजा आ रहा है आअह… अम्मी क्या चूसती हैं आप।” इतना सुनना था कि नसरीन चूसने के साथ-साथ मुंह में लंड को आगे-पीछे भी करने लगी।
जल्दी ही असलम का गर्म-गर्म लंड का पानी निकलने वाल हो गया। असलम नसरीन के मुंह में लंड जोर-जोर से आगे-पीछे करने लगा। असलम के मुंह से जोर के आवाज के साथ निकला, “आह मेरी प्यारी अम्मी, निकला। लो अम्मी पी लो मेरे लंड का गर्म-गर्म जूस… आअह… आह और असलम के लंड से मलाई निकली और नसरीन के मुंह में चली गयी। असलम का लंड जैसे जैनी पानी छोड़ता जा रहा था, नसरीन पीती जा रही थी।
असलम के लंड से आखरी बूंद भी निकल कर नसरीन के मुंह में चली गयी। जल्दी ही असलम का लंड ढीला हो गया और उसने लंड नसरीन के मुंह से निकाल मुंह से निकाल लिया। असलम जा कर सोफे पर बैठ गया। नसरीन उठी और बाथरूम की तरफ जाने लगी। मैंने असलम से कहा, “असलम सोच क्या रहे हो? जाओ अपनी अम्मी को अच्छे से मूत करवाओ।”
नसरीन ने हैरानी से पहले मेरी तरफ देखा और फिर असलम के तरफ देखा और खड़ी हो गई। सोच रही होगी, असलम कैसे पेशाब करवाएगा। असलम खड़ा हो गया और बोला, “चलिए अम्मी।” और असलम ने नसरीन के चूतड़ों की दरार मैं अपनी उंगलियां डाली और नसरीन को बाथरूम में ले गया। मैं उठी और जा कर सोफे पर बैठ गयी।
सात आठ मिनट के बाद दोनों बाहर आये। एक दुसरे के सामने के चुदाई से तो शर्म बिलकुल जा ही चुकी थी। नसरीन मेरे पास ही बैठ गयी और मेरी जांघ के ऊपर हाथ रख दिया। असलम भी आ गया और कपड़े पहनने लगा।
मैंने पुछा, “क्या हुआ नसरीन? असलम ने ठीक से मूत करवाया या नही?”
नसरीन हंसी और बोली, “मालिनी जी चुदाई में ये सब भी होता है क्या? असलम ने पहले मुझे बिठा कर मुझे कहा कि मैं अपनी टाँगें उठा कर चूत की दरार को चौड़ी कर दूं। फिर असलम ने मेरी चूत पर पेशाब किया फिर अपने लंड पर बिठा कर मुझसे मुतवाया।”
मैंने भी हंसते हुए कहा, “नसरीन हमारी चुदाई में सब कुछ होता है। वो तुमने सुना नहीं – मोहब्बत और जंग में सब जायज़ होता है। लेकिन ये बात अधूरी है। असल में मोहब्बत, जंग और चुदाई में सब जायज़ होता है।”
नसरीन भी उठी और कपड़े पहनने लगी। मैं भी उठी और बाथरूम में चली गयी। पेशाब करके बाहर आयी तो असलम नसरीन के होंठ चूस रहा था। मुझे बाहर आया देख कर दोनों मां-बेटा अलग हुए, और हम सब बाहर क्लिनिक में आ गए।
नसरीन बोली, “असलम निकहत की चूत पर भी मूतना और उससे अपने लंड पर मुतवाना।”
असलम बोला, “अम्मी निकहत गांड में तो लंड लेती नहीं चूत पर कैसे मुतवायेगी?”
मैंने नसरीन की चूत छूते हुए कहा, “हां तो नसरीन, अब तो असलम भी मान गया है, अब क्या इरादा है, लेना है मोटा लंड चूत में?”
नसरीन की शर्म और झिझक जा चुके थी। नसरीन असलम की तरफ देखते हुए बोली, “तुम क्या कहते हो असलम? ले लूं संदीप का मोटा लंड चूत में?”
असलम बोला, “बिलकुल अम्मी, चूत ही क्यों गांड में भी लेना, मुंह में भी लेना। मैं आप, मालिनी जी और वो संदीप। मजा आ जाएगा चुदाई का।”
मैंने कहा, “तो ठीक है मैं संदीप को फोन कर दूंगी। कल तो तुम लोग बिज़ी हो, परसों का प्रोग्राम बनाते हैं। संदीप से बात करके मैं असलम को फोन कर दूंगी।”
असलम और नसरीन खड़े हो गए। मैंने कहा, “एक मिनट देखती हूं शंकर अगर है तो तुम लोगों को छोड़ देगा। कल कितने बजे निकलोगे तुम लोग? मैं शंकर को भेज दूंगी।”
असलम बोला, “अरे मालिनी जी रहने दीजिये।”
मैंने कहा, “अरे असलम कोइ बात नहीं। कहां इतनी बढ़िया चूत को कहां ऑटो के झटके खिलवाओगे। कानपुर की सड़कों की हालत बड़ी खस्ता है।” मैं बाहर गयी शंकर अभी वहीं था। मैंने शंकर को असलम और नसरीन को होटल छोड़ने को कह दिया।”
नसरीन बाथरूम में अपने बाल ठीक करने गयी तो मैंने असलम से पूछा, “असलम दो वियाग्रा हैं ना तुम्हारे पास? एक आज खा कर अपनी अम्मी को चोदना, दूसरी दो गायें हुए दो सांड वाले दिन खा लेना। लंड सख्त बना रहेगा।
असलम ने हां में सर हिला दिया। नसरीन चेहरा और बाल ठीक करके आ गयी। मैंने दोनों को बाहर तक छोड़ा और जब वो चले गए तो मैं सीधे ऊपर चले गयी।
अगले दिन मैंने संदीप को फोन मिलाया। संदीप छूटते ही बोला, “मैडम जी क्या हाल हैं। अब कब दर्शन होंगे आपके? बड़ा मन कर रहा था आपकी गांड चोदने का।”
मैंने कहा, “भोसड़ी वाले लंगोट का बड़ा कच्चा है तू। पक्का गांडू लगता है मुझे तू। हर वक़्त चूत गांड के बारे में सोचता रहता हैं। अच्छा ये बता कल खाली है? असलम के साथ दूसरी गाये आयी है आगरा से। रागिनी की उम्र की ही है। घरेलू औरत है। गांड और चूत दोनों कसी हुई हैं। रिश्ते में असलम की मौसी लगती हैं। यहां कानपुर में किसी से मिले आयी हैं असलम के साथ। असलम से चुदवाती है।”
फिर मैं हंसते हुए बोली, “चोदते-चोदते असलम कई बार उसे अम्मी ही बोल देता है।”
संदीप भी हंस दिया, “इसमें क्या बात हैं मालिनी जी। यहां तो सगी मां-बेटे और सगी बाप-बेटी में भी चुदाई होना कोई बड़े बात नहीं रह गयी, फिर ये तो मौसी ही है। आप तो मनोचिकित्स्क हैं, आपके पास तो ऐसे बहुत केस आते होंगे?”
मैंने संदीप की इस बात का जवाब नहीं दिया मगर उससे बोली, “तो फिर बता कितने बजे आएं – और हां नसरीन को नहीं पता चलना चाहिए कि असलम दो गायें और दो सांड का खेल-खेल चुका है। और जिन भी मैं और तू ही पिएंगे, असलम बियर भी नहीं लेगा और नसरीन भी नहीं पीती।”
संदीप बोला, “ठीक हैं मैडम, सब समझ गया।”
फिर संदीप बोला, “मैडम असल में मुझे रबड़ के लंड खुद कहीं ले कर जाने हैं, न्यू कानपुर एरिया में। थोक का आर्डर है। ग्यारह लंडों का और ग्यारह ही गांड और चूत में लेने वाले लंडों का। इनका चलन बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। आप लोग साढ़े बारह एक बजे तक पहूंच जाईये। मैं इंतजार करूंगा। नई चूत की बात सुन कर मेरा तो लंड खड़ा भी हो गया।”
मैंने हंसते हुए कहा, “साले तेरा लंड बैठता ही कब है। और सुन, अब मुठ मत मार लेना। कल फिर चार घंटे चुदाई करनी हैं तूने।” संदीप इस बात पर हंसा और मैंने फोन काट दिया।
कुछ देर बाद मैंने असलम को फोन किया और बता दिया के दोपहर एक बजे संदीप के यहां पहुंचना हैं। और फिर मैंने पूछा, “नसरीन का क्या हाल हैं। चुदाई हुई रात को।”
असलम बोला, मस्त चुदाई हुई मालिनी जी। अम्मी ने मस्त हो कर चुदाई करवाई और चूत पर मुतवाया भी, साथ ही ये भी कह दिया के जब निकहत अपने मायके गयी हो तो मैं पूरी-पूरी रात अम्मी की चुदाई कर सकता हूं।”
मैंने कहा, “असलम ये तो अच्छी बात है। कम से कम अब नसरीन भी टेंशन में तो नहीं रहेगी। चल फिर कल सुबह आती हूं, होटल से तुम लोगों को ले लूंगी। इस बार कहां रुके हो।”
असलम बोला, “मालिनी जी उसे होटल में जहां पिछली बार रुका था।”
मैंने असलम से कहा, “और सुनो असलम संदीप के यहां से चुदाई के बाद तुम दोनों भी यही मेरे पास ही आ जाना और रात यहीं रुक जाना। कहां होटल में जाओगे। खाना ही तो खाना और फिर सोना है। ऊपर मेरे यहां बहुत से कमरे हैं मजा आ जाएगा।”
असलम हंसते हुए बोला “ठीक है मालिनी जी जैसा आप ठीक समझें। अब तो अम्मी भी खुल कर चुदाई करवाएगी – वो रंडी रांड वाली चुदाई।”
मैंने प्रभा को बुला कर बोला, “प्रभा कल रात को मेहमान यहीं रुकेंगे। आगरा से आये है असलम और उसकी अम्मी नसरीन। तुम ऐसा करना चिकन बिरयानी, रायता और चने की दाल बना देना साथ में थोड़ी सी चपातियां भी बना लेना।”
प्रभा, “जी ठीक है” बोल कर चली गयी।
अगले दिन मैं ठीक साढ़े बारह बजे मैं होटल बजे होटल पहूंच गयी। मैंने फोन किया और असलम और नसरीन बाहर आ गए। नसरीन आगे मेरी बगल में ही बैठ गयी। मैंने नसरीन से पूछा, “नसरीन असलम ने रात को तंग तो नहीं किया?”
नसरीन पीछे असलम के तरफ देखती हुई बोली, “तंग मालिनी जी? इसने मुझे पूरे दो घंटे रगड़ा। गांड सुजा दी इसने मेरी चोद चोद कर। मुझे ही हटाना पड़ा इसे, बड़ी मुश्किल से चूस-चूस कर इसके लंड का पानी छुड़ाया।”
सच में ही नसरीन अब चुदाई की मामले में असलम की साथ खुल चुकी थी। मैंने समझ गयी कि असलम ने विआग्रा खाई होगी। मैंने असलम से पूछा, “क्या बात है असलम, ऐसी चुदाई क्यों की तूने अपने अम्मी की?”
असलम बोला, “क्या करता मालिनी जी, पूरे एक साल तरसाया है अम्मी ने मुझे। चुदाई ही नहीं करवाती थी। पूरे साल में बस एक बार ही चुदवाई। पूछ लीजिये आप अम्मी से ही। अब मुझे मौक़ा मिला तो रहा नहीं गया।”
नसरीन बोली, “चल अब तो चोद लिया ना तूने अच्छी तरह। अब आगे जब भी निकहत मायके जाए मेरे साथ ही सो जाया करना और चोदते रहना पूरी रात? ये कह कर नसरीन हंस दी और मेरी भी हंसी छूट गयी।
मैं समझ गयी की आज खुल कर मस्त चुदाई करवाने वाली है नसरीन। ऐसे ही हंसी मजाक में हम संदीप के निजी ऑफिस पहुंच गए। संदीप हमारा ही इंतजार कर रहा था। संदीप के ऑफिस पहुंच कर मैंने नसरीन का परिचय करवाया असलम को तो संदीप जानता ही था।
मैंने संदीप से कहा, “संदीप ये असलम है और ये इसकी दूर के रिश्तेदार नसरीन है। नसरीन यहां कानपुर अपने किसी रिश्तेदार को मिलने आयी है। मेरे पास आयी तो मैंने तुम्हारे मोटे लंड का बहुत गुणगान किया। अब ये भी तुम्हार मोटे लंड का मजा लेने यहां आयी है।”
संदीप नसरीन की तरफ देखता हुआ बोला, “मेरी किस्मत जो आप मुझे सेवा का मौक़ा देने यहां आयी हैं। मैं भी आपकी हर तरह से हर तरह से तरफ से – आगे से, पीछे से पूरी सेवा करूंगा। आईये बैठिये। आओ असलम, आईये मैडम।”
संदीप की बात सुन कर नसरीन शर्मा गयी। अब इतनी भी चुदक्कड़ वो नहीं थी। संदीप पिछली बार की तरह ही कुर्सी पर बैठ गया, मैं और नसरीन सोफे पर बैठ गए और असलम दूसरी कुर्सी पर बैठ गया।
संदीप बोला, “मैडम आप तो जिन ही लेंगी। असलम तुम क्या लोगे और नसरीन जी आप क्या लेंगी। नसरीन बोली, “पेप्सी या कोला।” फिर संदीप असलम की तरफ देखते हुए बोला, “और असलम तुम?”
असलम बोला, मैं भी पेप्सी या कोला ही ले लूंगा।” जब संदीप उठा तो असलम भी साथ ही उठ गया। संदीप तले हुए काजू और जिन की बोतल ले आया और दो गिलासों में दो पेग बना दिए। असलम ने पेप्सी गिलासों में डाल दी और एक गिलास नसरीन के हाथ में दे दिया।”
संदीप ने एक ही घूंट मैं अपना गिलास खाली कर दिया। पांच मिनट में नसरीन का गिलास भी खाली हो गया। जैसे ही नसरीन का गिलास खाली हुआ, संदीप उठ कर नसरीन के आगे आ कर खड़ा हो गया और बोला, “नसरीन जी निकालिये मेरा लंड पैंट से बाहर और दिखाईये अपने होठों का जलवा।”
नसरीन ने एक बार मेरी और देखा फिर असलम के तरफ देखा और संदीप की पैंट की ज़िप खोल कर लंड बाहर निकाल दिया। संदीप का मोटा लंड देख के नसरीन ने अपनी चूत खुजलाई और मेरी तरफ देख बोली, “मालिनी जी आप ठीक ही बोल रही थी।” इतना कह कर नसरीन ने लंड मुंह में ले लिया।
संदीप के मुंह से निकला, “आह क्या नाम नाजुक होंठ है।”
उधर असलम का लंड भी तैयार हो चुका था। असलम भी मेरे आगे आ कर खड़ा हो गया मगर लंड बाहर नहीं निकाला। मैं समझ गयी कि असलम भी चाहता था कि मैं भी नसरीन की तरह उसका लंड पैंट में से बाहर निकालूं।
मैंने भी असलम की पैंट की ज़िप खोली और लंड बाहर निकाल कर मुंह में ले लिया। लंड चुसाई शुरू हो चुकी थी। अब अगले चार घंटों तक चुसाई चटाई और चुदाई का खेल चलने वाला था।
संदीप ने नसरीन को खड़ा किया और कमीज उठा कर सलवार का नाडा खोल दिया। नसरीन ने उस दिन मेरी तरह चड्ढी भी नहीं हुई थे। चुदाई के दिन औरतें अक्सर चड्ढी और ब्रा नहीं पहनती। कौन उतारने पहनने का झंझट करे।
संदीप ने नसरीन की टांगें फैलाई और उसकी चिकनी चूत में उंगली डाल दी। नसरीन के मुंह से निकला “आआह’। फिर संदीप ने नसरीन की कमीज भी उतार दी और नसरीन का मम्मा मुंह में लेकर चूसने लगा। नसरीन मस्त होने लगी थी। नसरीन ने संदीप का सर अपने मम्मे पर दबा दिया।
कुछ देर ऐसे ही संदीप नसरीन का मम्मा चूसता रहा फिर नसरीन को बोला, “चलिए नसरीन जी अपनी चूत का स्वाद चखाइये मेरे लंड को। लेटिए बेड पर। नसरीन बेड पर सीधी लेट गयी और संदीप ने नसरीन की चूतड़ों के नीचे तकिया लगा कर नसरीन की चूत ऊपर उठा दी। संदीप ने नसरीन की टांगें फैलाई और अपना मुंह नसरीन की चूत में घुसेड़ दिया। नसरीन के मुंह से आह आअह की सिसकारियां निकले लगी।
अगला भाग पढ़े:- दो गायें और दो सांड-9