उस मंडली में पांच औरतें हैं, जिसमें एक मेरी मम्मी है, और वह सबसे सुंदर औरत है। मेरी मम्मी जब भी पंचायत भवन में जाती है, तब वह अपना काम करवा कर ही आती है। क्योंकि उनकी सुंदरता और उनकी प्रखर बुद्धि होने की वजह से, और बात करने की तरीकों की वजह से, उनसे कोई भी वहां का लोग मुंह नहीं लड़ा पाता, और वह काम कर ही देता है।
मेरी मम्मी पढ़ी लिखी है, और वह शुरुआत से ही बोलने में बहुत ही माहिर है। वह किसी से भी फर्राटेदार बात करती है, बिना डरे हुए। मम्मी से अच्छे-अच्छे लोग डर जाते हैं, और उनकी सुंदरता के आगे तो कोई टिक ही नहीं पाता।
एक बार गांव में विधवाओं का पैसा निकलवाने के लिए मंडली की औरतों ने पंचायत भवन में जाकर धरना दे रही थी। परंतु वहां का सरपंच जो था वह पैसा देने को तैयार ही नहीं था। तब मेरी मम्मी गई और वहां पर जाकर जब बोलना शुरू की, तो पंचायत ऑफिस के सभी लोग डर गए थे।
उनमें से एक डरता हुआ बोला कि, “सारा पैसा जो है सरपंच के पास है, और वही दे सकता है। हमारे हाथ में कुछ भी नहीं है।”
फिर मम्मी बोली कि, “या तो तुम अपने सरपंच को बुलाओ, नहीं तो हम पुलिस को बुलाएंगे।”
बस इतना ही सुनना था कि उसने तुरंत सरपंच को फोन करके यहां आने को बोला। सरपंच तो पहले बोला कि उन्हें ही उनके घर पर भेजें, परंतु मम्मी जिद पर अड़ी थी।
फिर सरपंच को खुद ही आना पड़ा। जब सरपंच यहां पर आया तो मंडली की सारी औरतें घबरा गई। क्योंकि सरपंच बहुत ही बदमाश था। सरपंच की उम्र लगभग 50 से 55 की रही होगी, और वह दिखने में मोटा ताजा और बड़ी-बड़ी मूंछों वाला था। चौड़ी छाती और बलिष्ठ शरीर था।
जब सरपंच ने मम्मी को देखा तो देखा ही रह गया। मम्मी ने भी सरपंच को देखी तो थोड़ी आहत हुई, परंतु उन्होंने डट कर सरपंच से अपने काम निकलवाने की कोशिश की।
सरपंच: देखिए संजना जी, मैं विधवाओं का पैसा खाया नहीं हूं। यदि मैं चाहूं तो दे सकता हूं। परंतु आपको मेरे घर आना होगा। कुछ प्रक्रिया है कागज पत्र की, यदि आप मेरे घर आ जाएं, तो हम दोनों मिल कर पूरा कर लेंगे।
मम्मी उसकी बात सुन कर उसके मनसूबे को भाप गई थी। इसलिए मम्मी साफ मना कर दी और बोली-
मम्मी: माननीय सरपंच जी पंचायत का काम करने के लिए पंचायत भवन बनाया गया है, ना कि आपका घर। जो भी कागज पत्र का काम होगा, आप यही पंचायत भवन में कीजिए। हम कल फिर आएंगे, और यदि आप नहीं करते हैं तो साथ में अगली बार पुलिस भी आएगी।
यह धमकी देते हुए मम्मी वहां से जाने लगी। तब सरपंच ने बाकी महिला मंडली को समझाते हुए कहा-
सरपंच: अरे यह किसकी बहुरिया है? लगता है इसको अभी मेरे बारे में पता नहीं है। खैर जो भी है। है बड़ी कातिल। कल फिर आओ, कल देखते हैं क्या करना है? और हां, केवल अकेले उसे ही भेजना। तुम लोग मत आ जाना। मैं कल सब ठीक कर दूंगा (और यह कह कर मुस्कुराने लगा)।
सरपंच की धमकी से महिला मंडली डर गई थी। परंतु मेरी मम्मी ने अपना दम दिखा कर यहां से चली गई थी। मंडली उठ कर मेरे घर आ गई, और मम्मी को समझाने लगी।
मंडली की एक महिला: अरे संजना बहन यह क्या कर दिया आपने! आप नहीं जानते हो सरपंच कितना दोगला आदमी है। आपके साथ और आपके परिवार के साथ कुछ भी कर सकता है। अरे हम पैसे तो वैसे भी किसी ना किसी तरह निकलवा लेते। सीधे आपको लड़ने की क्या जरूरत थी? और वैसे भी आपको अकेले ही बुलाया है, पता नहीं कल क्या करेगा?
मम्मी, उन महिलाओं की बात सुन कर थोड़ी घबरा गई। परंतु उन्होंने कहा कि-
मम्मी: चाहे जो कुछ भी हो। मैं महिलाओं को पैसा दिला कर रहूंगी, और मैं अकेले ही कल जाऊंगी। आप लोगों को डरने की कोई बात नहीं है। सब ठीक कर दूंगी।
दूसरे दिन सुबह को मम्मी और मैं दोनों पंचायत भवन के लिए निकल गए। पंचायत भवन के पास सरपंच की गाड़ी लगी हुई थी। हम अंदर चले गये। पंचायत भवन बहुत बड़ा था। पहले तो बाउंड्री करी हुई थी। उसके अंदर बरामदा टाइप बना हुआ था, और उसके अंदर कमरे थे। मैं बरामदे में बैठा रहा, और मम्मी को सरपंच ने अंदर बुला लिया।
सरपंच: कहिए संजना जी, आपके ऊपर कहां-कहां साइन और मोहर मारना है (और यह कह कर हंसने लगा)?
मम्मी: ज़ुबान संभाल कर सरपंच जी। आप इस गांव के सरपंच हो। इसलिए मैं आपकी इज्जत कर रही हूं। और आपको भी इस गांव की नागरिक होने के नाते मेरे इज्जत करनी चाहिए।
इस पर सरपंच ने क्या बोला, और आगे क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा। ये पार्ट आपको कैसा लगा कमेंट करके जरूर बताएं।
अगला भाग पढ़े:- मां चुदी पंचायत भवन में-2