मां को चोदने के लिए लोगों ने उकसाया-28

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मां अब बेटे के सामने दूसरे से चुदवा कर बेटे को शर्मिंदा करना चाहती थी। कोई भी असली मर्द अपने सामने कभी भी घर की किसी औरत को दूसरे के सामने नंगा भी नहीं करेगा, चुदवाना तो दूर की बात है। इंदिरा का घरवाला, अमित का बाप बढ़िया चोदता था। अमित के बापू को मालूम था कि उसकी घरवाली बाहर चुदवाने जाती थी। इंदिरा को मालूम है कि अमित का बाप कई दूसरी माल को चोदता था, लेकिन उसने अपनी पत्नी को कभी किसी के सामने नंगा करने की कोशिश नहीं की थी।

अमित के बाबू जी का लंड बेटे के लंड जैसा लंबा और मोटा नहीं था। लेकिन जो उससे एक बार चुदवाती थी, वो बार-बार चुदवाने आती थी। जिस समय इंदिरा अपने बेटे से चुदवा रही थी, उसी समय अमित का बाप सुरेन्द्र अपनी बेटी अनीता को घर में चोद रहा था। लेकिन वो कहानी बाद में।

अमित को अचानक कुछ याद आया। वो अपनी मां के बुर में लगातार धक्के मार ही रहा था।

अमित: मेरी प्यारी कुतिया मां, तू कहती हैं कि तू मुझसे चार-पांच साल पहले से ही चुदवाना चाहती थी। लेकिन मेरे मन में तेरी बूर में लंड पेलने का ख्याल तेरी गंदी चिट्ठी पढ़ने के बाद आया। साथ ही साथ रेखा और उसके अलावा जिस किसी भी रंडी को चोदा, सब ने मां को चोदने के लिए उकसाया ही, रेखा के घरवाले अरविंद और संगीता के दलाल असलम ने यहां तक कहा, कि इतना बढ़िया लंड है और अगर इस लंड को मां का बूर में नहीं घुसाया तो ऐसे लंड रखने का कोई मतलब नहीं।

तभी रुम के दरवाज़ा पर नॉक होने लगा।

इंदिरा: तू जैसा पेल रहा है पेलता रह। साला वहीं मैनेजर होगा। मेरी क़ीमत बढ़ाने आया है, अभी और बढ़ायेगा। रेखा ग़लत नहीं है। इससे पहले ना किसी ने इतनी देर चोदा था, जितनी देर से तू बूर में लंड घुसा कर बैठा है। ना ही किसी के साथ इतना मज़ा आया जितना तुझसे चुदवाने में आ रहा है। पिछले 7-8 दिनों में किस-किस को चोदा सब डीटेल में बता।

अमित की मां को अपने उपर, अपनी जवानी के उपर बहुत भरोसा था। कभी आराम से तो कभी पूरी स्पीड से चोदते हुए बेटे ने मां को पिछले दिनों की गई सभी चुदाई, विनोद के साथ हुई बातों को भी बताया। और बेटे की चुदाई की कहानी सुनते-सुनते मां ने बेटे को अपनी बाहों और जांघों में टाईटली बांधा और एक ज़ोर की मस्ती भरी आवाज़ के साथ झड़ गई,‌ “वाह बेटा मज़ा आ गया, मैं गई।”

अमित ने सात-आठ धक्के मारे और मां की बूर को अपने रस से भर दिया। दोनों ने एक दूसरे को बेतहाशा चूमा और फिर अगल-बगल लेट कर हांफने लगे।

अमित: कुतिया तुमने पूरा थका दिया। बाप रे इतनी देर तो कोई चार टांग वाली कुतिया भी नहीं चुदवाती होगी।

इंदिरा: रात भर ट्रेन में थी, आनंद ने एक मिनट भी सोने नहीं दिया। साले ने 20-25 मिनट कर तीन बार चोदा और बहनचोद तुमने कुछ खिलाने-पिलाने के बदले अपना मोटा लंड बूर में पेल दिया। आनंद ने तीन चुदाई में जितना समय लिया उससे ज़्यादा समय तुमने एक चुदाई में लिया। चल मुंह हाथ धोकर खाना खायेंगे, और उसके बाद एक और लंबी चुदाई करेंगे। रात में तुझे अपनी एक बचपन की सहेली से मिलवाने ले जाऊंगी।

अमित को अपनी मां की यह बात सुन कर ग़ुस्सा आया कि उसने रात में ट्रेन में किसी से चुदवाया। लेकिन रेखा ने कहा था कि अगर उसकी औरत किसी से चुदवाती है, तो उसके बारे में तब तक कुछ ना पूछे जब तक वो ख़ुद ना बताये। रेखा ने कहा था,

“मैं किसी और से कितना और कैसे चुदवाती हूं, उसकी चिंता तू क्यों करता है? बस तू यही देख की तू मेरे साथ कितना ज़्यादा मज़ा ले सकता है।”

और इंदिरा ने ख़ुद कहा कि अमित ने आनंद से ज़्यादा देर तक ही नहीं चोदा उससे कहीं ज़्यादा मज़ा भी दिया। अमित ने फ़ैसला किया कि अगर मां ख़ुद बतायेगी तो बताये, वो अपनी मां की दूसरों के साथ की चूदाई के बारे में कुछ नहीं पूछेगा।

दोनों बाथरूम में साथ घुसे। एक-दूसरे को खूब रगड़-रगड़ कर नहलाया। दोनों तैयार होकर, दूसरा सेट कपड़ा पहन कर रुम से बाहर निकले। रिसेप्शन से रेस्टोरेंट के बारे में पूछा तो काउंटर लेडी ने कहा कि वे सिर्फ़ बिल पर साईन कर दें, उन्हें पेमेंट करने की ज़रूरत नहीं है। लेडी ने उनके सामने रेस्टोरेंट में फ़ोन कर के कहा कि रुम 301 के दो गेस्ट हैं। लेडी ने कहा, “दोनों हमारे आनंद साहब के ख़ास गेस्ट हैं, इनका बढ़िया से ध्यान रखें और इनसे पेमेंट ना लें।” समिरा ने ही आनंद से कहा था कि अपने ही होटल में इन्हें रखें।

मां और बेटा रेस्टोरेंट आये। वहीं के मैनेजर और वेटर ने इनका बढ़िया ध्यान रखा। भर पेट खाना खा कर दोनों क़रीब एक घंटे के बाद वापस रुम में आये। रुम में आते ही इंदिरा ने एक-एक कर अपने सारे कपड़े उतार दिए, और नंगी ही बेड पर लेट गई।

इंदिरा: अपने दोस्त विनोद से बोलना कि अगर 25 हज़ार देगा तो मैं उसके सामने एक घंटा नंगी रहूंगी, और अगर एक लाख देगा तो चुदवा भी लूंगी। तुमने अब तक रेखा या दूसरी रंडियों को कितना दिया है?

अमित अपनी मां की नंगी जवानी को निहारता रहा। इंदिरा 5 फ़ीट 5 इंच लंबी थी। रेखा या नगमा की तरह उसका चेहरा खूबसूरत नहीं था, लेकिन अपने आप में काफ़ी सुंदर थी। भरा-पूरा बदन था।

गोलाई लिए हुए चौड़े कंधे, आकर्षक और हेल्दी उपरी बाहें, 36 इंच से भी थोड़ी बड़ी गुदाज़ और मांसल चूचियां, निपल्स का साइज़ बढ़िया बड़ा था। निपल्स के चारों तरफ़ का गहरे रंग का घेरा संगीता के घेरे से बड़ा और रेखा के घेरे से छोटा था। पेट में उभार नहीं था, ना ही कहीं कोई सिलवट थी। कमर क़रीब 28 इंच की थी, और प्यूबिक एरिया बड़ा था। सालों से लंड का धक्का खाते-खाते बूर पर हल्का कालापन आ गया था। लेकिन बूर फिर भी बहुत ही आकर्षक था। लंबी, मोटी और चिकनी जांघें बहुत ही प्यारी लग रही थी।

इंदिरा समझ गई कि उसका बेटा अपनी मां की जवानी का रस पी रहा था। अमित को सामने से अपनी जवानी दिखाने के बाद वो पलट गई, और कुतिया के पोज़ में आ गई। धीरे-धीरे खिसकते हुए घुटनों को बेड के किनारे तक ले आई और चूत्तड़ों को मटकाने लगी। अमित नज़दीक पहुंचा और दोनों हाथों से चूत्तड़ों को सहलाने लगा। चूत्तड़ कसे हुए और बहुत कड़क थे।

36 इंच से बड़े-बड़े चूत्तड़ थे, लेकिन ना ढीलापन था, ना ही एक-दूसरे से अलग ही हुए थे। कुछ देर सहलाने के बाद अमित ने चूत्तड़ों पर पूरी ताक़त से चांटे मारना शुरु किया। इंदिरा हर चांटे पर आह, उफ़ करती रही, लेकिन उसने बेटे को रोका नहीं। अमित तब तक चांटे मारता रहा, जब तक दोनों चूत्तड़‌ लाल नहीं हो गये।

फिर उसके बाद चूत्तड़ों को सहलाते हए क्लिट से गांड के छेद तक जीभ से कई बार रगड़ा। फिर पीछे से ही बूर को पूरा फैला कर अमित ने अंदर-बाहर से बूर को खूब चाटा, क्लिट को चूसा, बूर की पत्तियों को चबाया। जितना हो सकता था जीभ को बूर के अंदर घुसा कर अंदर इधर-उधर घुमाता रहा। कई बार नाक को भी बूर के अंदर घुसा कर लंबी-लंबी सांसे लेता रहा।

आख़िरकार इंदिरा को बर्दाश्त करना मुश्किल होने लगा। बार-बार ज़ोर से बोलने लगी, “पेलो बेटा, बूर में लंड पेलो, बूर में आग लगी है, जल्दी ठंडा करो”।

बहुत देर की और‌ मस्ती के बाद अमित फिर अपनी मां को चोदने लगा। कई धक्के लगाने के बाद अमित ने बताया कि उसने सिर्फ़ उन्हीं औरतों को रुपया देकर चोदा हैं जिन्हें गार्ड लेकर आया था।

अमित: तू रुपया लेकर चुदवाती है लेकिन मैंने अब तक जितनी शरीफ़जादीयों को चोदा है, चाहे रेखा हो, संगीता हो, संपा हो, या गार्गी, मैंने अब तक उन्हें एक रुपया भी नहीं दिया है, ना आगे दूंगा।

इंदिरा: बेटा, एक बार की चुदाई से मालूम हो गया कि तू बहुत बढ़िया चोदता है। लेकिन पत्नी भी जब पति से चुदवाती है तो वो पति से हर हमेशा कुछ ना कुछ चाहती है। पति देता भी है। जिन्हें रुपया देकर चोदता है उन्हें कुछ भी देने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन जो औरतें, संगीता और रेखा जैसी औरतें जो तुमसे प्यार करती है, मुफ़्त में चुदवाती हैं, वे कुछ बोलती नहीं लेकिन बीच-बीच में तुमसे गिफ़्ट की उम्मीद करती हैं।

इंदिरा: औरतों को बस कुछ ही चीज़ है जो पसंद है, वो है कपड़े, गहने, या फिर श्रिंगार की चीजें। बीच-बीच में उन्हें गिफ़्ट देते रहो। फिर देखो वो तुमसे कितना प्यार करने लगेंगी। इस चुदाई के बाद मैं तुम्हारी रंडियों के लिए गिफ्ट ख़रीदूंगी।

इंदिरा खुद तो बेटे से चुदवा ही रही थी। वो बेटे को यह भी समझा रही थी कि अपनी औरतों को कैसे खुश रख सकते हैं।

मां बेटे मस्ती से बातें कर रहे थे। क़रीब आधे घंटे की चुदाई हो गई थी। टेलीफोन की घंटी बजी। बेड के नज़दीक ही रिसीवर रखा था। इंदिरा ने हाथ बढ़ा कर रिसीवर उठाया और बातें करने लगी।

इंदिरा: उन्हें अकेले भेजो, साथ में कोई भी दूसरा होगा तो मैं बात नहीं करूंगी।

इतना बोल कर इंदिरा ने फ़ोन रख दिया।

इंदिरा: रात में बेटे ने चोदा और अभी उसका बाप चोदना चाहता है। आनंद का बाप आ रहा है।

मां की बात सुन कर बेटा बहुत ही एक्साइट हो गया, और ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा। कुछ ही देर बाद दरवाज़ा पर नॉक हुआ।

इंदिरा: जा बेटा, अगर बुढ़ा अकेले होगा तो उसे अंदर ले आना, और उसके सामने भी मुझे चोदते रहना। और अगर साथ में कोई दूसरा भी हो दरवाज़ा बंद कर देना। ऐसे ही नंगा जा, मैं भी ऐसे ही रहती हूं।

इंदिरा बहुत ही खेली खाई औरत थी। अमित पहले भी दूसरे आदमी के सामने चुदाई कर चुका था। अरविंद के सामने रेखा को चोदा था, असलम का सामने संगीता को चोदा था। ना संगीता को ही मालूम था और ना अमित को ही, हेडमास्टर ने संगीता और अमित की पूरी चुदाई देखी थी।

मां की बूर से लंड निकाल कर अमित दरवाज़े के पास गया। दरवाज़ा खोला तो देखा कि सामने एक बढ़िया मज़बूत बदन बाला आदमी खड़ा था। आदमी मज़बूत कद काठी का था। लेकिन माथे के सारे बाल सफ़ेद हो गये थे।

अमित ने प्रणाम किया और उसे अंदर आने कहा। आदमी अंदर आया।

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