मां को चोदने के लिए लोगों ने उकसाया-30

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होटल का 65 साल का मालिक और 43 साल की अमित की मां इंदिरा ने एक चुदाई के बाद ही एक-दूसरे को बहुत पसंद कर लिया था। बेड पर अमित एक नई माल रेणु को लंड चुसवा रहा था, और थोड़ी ही दूर पर राजेंद्र ने इंदिरा को सोफ़ा पर लिटाया और उसकी बूर को चूसने और चाटने लगा। वो इंदिरा को उस दिन की चौथी चुदाई के लिए गर्म कर रहा था।

दोनों मां-बेटे दस बजे के क़रीब होटल में आये। तीन बजे के पहले ही मां और बेटे ने 2 राउंड चुदाई कर ली थी। पहली राउंड की चूदाई किसी और ने नहीं देखी। लेकिन दूसरी बार जब मां को कुतिया बना कर चोद रहा था, तो क़रीब आधे घंटे की चूदाई के बाद होटल का मालिक राजेंद्र रुम में आया, और मां-बेटे की चूदाई देखने लगा। इंदिरा उसे इतनी बढ़िया लगी, कि ख़ुद तो नंगा हुआ ही, अपनी एक रिसेप्शनिस्ट रेणु जो उसके भाई की बेटी थी, उसे 2 लाख लेकर रुम में आने कहा।

रेणु 2 लाख लेकर आ गई। अमित कुतिया बनी मां को एक घंटा चोद चुका था। राजेंद्र ने रेणु को नंगा किया, और अमित से कहा कि मां की बूर से लंड निकाल कर रेणु को चोदे। नई माल सामने थी अमित देरी क्यों करता। इंदिरा की बूर से लंड निकाला। राजेंद्र ने इंदिरा को सीधा किया, और बिना किसी ओरल मस्ती के बेटे के सामने मां को चोदने लगा। अमित ने रेणु को मां के बग़ल में लिटाया। क़रीब 15 मिनट बूर को चूस चाट कर लड़की को गर्म किया, और उसे चोदने लगा।

राजेंद्र ने 25-30 मिनट की चूदाई के बाद इंदिरा की बूर में रस गिराया। इंदिरा ने उसकी चुदाई की तारीफ़ की और यह कहा कि उसने चोद कर उसे बहुत थका दिया था। राजेंद्र ने चॉकलेट ड्रिंक मंगाया, और इंदिरा को नंगी रहने कहा। एक फिरोज़ नाम का वेटर ड्रिंक लेकर आया। राजेंद्र ने पूछा कि इंदिरा कैसी माल है तो उसने इंदिरा की बूर, चूची, और जांघों को दबा कर कहा कि ये औरत रुम में चुद रही रेणु और राजेंद्र की बहु समिरा से कहीं ज़्यादा बढ़िया माल है। उसने यह भी कहा कि रुस्तम सेठ इंदिरा को चोदने के लिए पांच लाख देगा। इंदिरा ने होटल से बाहर जा कर चुदवाने से मना कर दिया।

अमित को पसंद नहीं आया कि उसकी मां ने राजेंद्र से चुदवाया। और जब उसने वेटर को एक बार भी मना नहीं किया, ना उसे रोका, और वेटर ने सब के सामने बूर और चूचियों को मसला, तो अमित को बहुत बुरा लगा ही, उसे अपनी मां पर बहुत ग़ुस्सा भी आया। उसने सोचा कि मां को रेखा, नगमा और संगीता के सामने असलम से चुदवायेगा। अमित अपनी मां की गंदी हरकतों के बारे में सोचते हुए रेणु को लंड चुसा रहा था।

राजेंद्र: बेटा अमित, तेरी मां तो बहुत ही मस्त माल है ही, तू भी ग़ज़ब का मर्द है। मैंने सैकड़ों मर्दों का लंड देखा है। किसी का भी लंड तेरे जैसा नहीं है। तुमने अपनी मां को क़रीब एक घंटा चोदा, रेणु को एक घंटा चोदा, और अब क़रीब 15 मिनट से उसे लंड चुसा रहे हो। इतना स्टैमिना कहां से आया?

अमित ने रेणु के माथे को लंड पर दबाया और तेज़ी से आगे-पीछे करने लगा।

अमित: राजेंद्र साहब, जिस बूर से आप खेल रहे हैं मैं वहीं से निकला हूं। अपनी कुतिया से पुछिए की किस घोड़े से चुदवा कर मुझे पैदा किया था।

अमित बहुत ग़ुस्सा में था और तेज़ी से रेणु के माथे को अपने लंड पर आगे-पीछे कर रहा था। अमित की बात सुन कर इंदिरा समझ गई कि उसके बेटे को पसंद नहीं आया कि उसने राजेंद्र से चुदवाया, और वेटर को भी नंगी जवानी की मस्ती लेने दी।

इंदिरा: बेटा, तू बेकार में ग़ुस्सा कर रहा है। कोई भी शरीफ़ औरत कितनी भी चुदासी हो, मर जायेगी लेकिन किसी भी हालत में अपने बेटे से नहीं चुदवायेगी। जो मेरी जैसी रंडी, छिनार होगी वहीं बेटे से चुदवायेगी। जिस बूर से तू बाहर निकला है उसके अंदर घुसने का मैंने तुझे मौक़ा दिया तो तुझे मेरे पांव धो धो कर पूजा करनी चाहिए।

इंदिरा एक हाथ से राजेंद्र के लंड को सहला रही थी, और अपनी कहानी भी सुना रही थी।

इंदिरा: मैं जवान हुई और एक साथ तीन-तीन अपने बाप से भी बड़े उम्र के मर्दों की गोदी में नंगी बैठने लगी। तीनों मेरी नंगी जवानी से खेलते थे। लेकिन किसी के लंड में इतना दम नहीं था कि मेरी चूत में लंड पेल सके। मेरा घरवाला ही पहला आदमी था जिसने मेरी चूत में लंड पेला। राजेंद्र, मेरा घरवाला बहुत बढ़िया चुदाई करता है। उसने अपने घर की सभी औरतों को चोदा है, अपनी मां को भी।

इंदिरा: मैं छिप-छिपा कर देखती थी और वो दूसरे कमरे में अपनी मां, बहन, भतीजी, चाचियों को चोदता था। शादी के 2 साल बाद एक शाम ससुर जी मेरे सामने आये, और मेरे देखते-देखते नंगे हो गये। मैं उन्हें नहीं रोक पाई, और वे रोज़ मुझे चोदने लगे। कुछ दिन के बाद मैंने अपने पति से कह दिया तो पति ने कहा कि उसे मालूम था कि उसका बाप मुझे चोदता था। मैं आगे और क्या बोलती? एक दोपहर ससुर जी यह कह कर मुझे बाहर ले गया कि “चलो तुम्हें एक बहुत ही बढ़िया लंड दिखाता हूं”। मैं उनके साथ बाहर निकल गई। ससुर जी मुझे एक स्टेबल में ले गये। वहां कुल मिला कर 17 जानवर थे। उसमें 14 घोड़ियां थी और तीन घोड़े।

इंदिरा: ससुर जी ने मुझे वहीं बैठने कहा और यह कह कर चले गये कि “रानी यहां बैठ कर तमाशा देखो मैं कुछ देर में आता हूं।” और बेटा मेरे देखते-देखते एक घोड़े का लंड फैलता गया। देखते-देखते वो पूरा लंबा हो गया। उधर घोड़े का लंड एक घोड़ी के बूर में घुसा और एक बिल्कुल अनजान आदमी ने उन जानवरों के बीच मुझे नंगा किया और सीधा चोदने लगा।

इंदिरा: वे चुदाई तब तक की मेरी सबसे बढ़िया चुदाई थी। इधर वो आदमी मुझे चोद रहा था, और मेरी आंखों के सामने तीनों घोड़े अपनी-अपनी घोड़ियों को चोद रहे थे। पूरी चुदाई के दौरान मैं घोड़ियों की बूर के अंदर-बाहर होते लंड को देखते हुए यही सोचती रही, भगवान से प्रार्थना करती रही, कि उस दिन की चुदाई से मेरे पेट में बेटा रह जाये, और बेटे का लंड घोड़ों के लंड जैसा ही लंबा और मोटा हो। उस आदमी ने मेरी बूर में अपना रस गिराया और बोला, “मैं रोज़ तुम्हारे ससुर को ऐसा काम दे दूंगा कि वो तुमसे डेढ़-दो घंटे अलग रहे और हम दोनों खूब मस्ती मार सके। इंदिरा मैं कल इसी समय पर तुम्हारा इंतज़ार करूंगा। ज़रूर आना।”

इंदिरा: वो आदमी रविंद्र सेन था कोलकाता रेसकोर्स का मैनेजर। मेरे ससुर उसके नीचे काम करते थे। रात को चोदते समय ससुर ने पूछा तो मैंने कह दिया कि घोड़ा-घोड़ी की चुदाई देखना मुझे बहुत ही बढ़िया लगा। मैं रोज़ देखना चाहती हूं। और बेटा, अगले 30 दिनों तक तेरे दादा जी रोज़ मुझे वहां ले जाते रहे। वो मुझे छोड़ कर जाते थे, और रविंद्र मुझे जम कर चोदता था। हर चुदाई के समय मैं वहीं प्रार्थना करती थी कि मेरे बेटे का लंड घोड़ा के जैसा ही हो।

इंदिरा: रविंद्र ने पहली बार चोदा और उसके ठीक 270 वें दिन तुम मेरी बूर से निकले। नर्स ने तेरा लंड दिखाते हुए कहा था “मैडम तैयार रहिए आपके बेटे का लंड सबसे पहले आपकी ही बूर में घुसेगा। 1000 से ज़्यादा बेटों को देखा है, लेकिन इतना लंबा और मोटा लंड पहले किसी का नहीं देखा”।

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