मैं दादा जी की दीवानी हूँ-2

इतने में दादा जी नीचे सरक कर मेरे शॉर्ट्स और पैंटी को खींच कर मुझे पूरी नंगी कर दिए। अब वो मेरी चूत को निहारने लगे। मैं अभी तक 3 लड़कों से चुदी थी, लेकिन आज भी मेरी चूत बिल्कुल टाइट और गुलाबी थी।

दादा जी: बिटिया, तेरी चूत तो बिल्कुल गुलाबी है। किसी गुलाब की पंखुड़ी जैसी लग रही है।

मैं ये सुन कर शर्मा गयी। अब वो सीधा अपना मुंह मेरी चूत पर ला कर मेरी चूत पर अपनी जीभ घुमाने लगे, और मेरी चूत चांटने लगे और मैं कराहने लगी।

मैं: ओह माँ, दादा जी, सी सी सी इस उफ़ ईश आह काट दीजिये मेरी पुसी को दादा जी। आह आह उफ़ मेरे पुसी में अपनी जीभ घुसा दीजिये दादू, और ज़ोर-ज़ोर से चाटिये दादू। मेरा पानी निकाल दीजिये।

और फिर 15 मिनट दादा जी मेरी चूत चाँटते रहे, और मेरा पूरा पानी निकल गया। दादा जी मेरा पूरा रस चाट कर पी गए। अब मैं उठी, और दादा जी को धक्का देकर बिस्तर पर लिटा दिया।

मैं: दादू, आईये, अब मैं आपके इस जानवर को प्यार करुँगी।

और दादा जी के लंड को लेकर सहलाने लगी।

मैं: दादू, आपका ये डिक इतना बड़ा कैसे हो गया? ये तो बिल्कुल किसी घोड़े का डिक लगता है। आप क्या खाते थे?

दादू: हा हा हा हा हा। कुछ नहीं गुड़िया। ये तो खानदानी है। और तू ये क्या इंग्लिश में डिक-विक बोल रही है? चुदाई का मज़ा अपनी भाषा में ही आता है। इसे लंड बोल, लौड़ा बोल, हथौड़ा बोल।

और मुझे छूते हुए कहा।

दादा जी: और इसे बूब्स नहीं चूचियां बोल, इसे तेरी चूत और ये पीछे वाला तेरी गांड।

ये कह कर उन्होंने मेरी गांड पर एक थपकी मारी।

मैं: ठीक है दादा जी, अब मैं आपके लंड को चूसूंगी।

और ये कह कर मैं उनका लंड लेकर चूसने लगी। मैं उनके लंड को बिल्कुल एक सोफ्टी आइसक्रीम के तरह चूसने और चाटने लगी। उनके बड़े लंड को लेने में मेरी सांसें फूली जा रही थी।

अब मेरे दादा जी खुलने लगे और उनके अंदर की आर्मी अफसर वाली मर्दानगी जागनी लगी, और वो अब कमांड देने लगे।

दादा जी: चूस, नीचे से चाट। पूरा लो मुंह में। और अंदर लो। ट्टटों को चूसो।

मैं दादा जी के लंड को ज़ोर-ज़ोर से चूस रही थी। चूसते-चूसते उनका लंड सूख गया तो उन्होंने मुझे उनके लंड पर थूकने को कहा। मैंने थूक कर गीला किया, और फिर चूसने लगी।

अब मेरे चूत में खुजली बढ़ गयी।

मैं: दादा जी, अब मेरी चूत में भयानक आग लगी हुयी है। अब रहा नहीं जा रहा। प्लीज मेरे चूत में डाल दीजिये अपना ये बड़ा सा लंड। फाड़ दीजिये मेरी चूत को दादू।

इतने में दादा जी मुझे बिस्तर पर पटक दिए और अपना लंड मेरी चूत में सेट करके रगड़ने लगे।

मैं: अब डाल दीजिये दादू। मत तड़पाइए।

दादा जी: पहले बोल तू मेरी रंडी है।

मैं: हाँ दादू, मैं आपकी ही रंडी हूँ। आप से रोज़ चुदवाउंगी। रोज़ आपके जानवर के ऊपर कूदूंगी। रोज़ आपका लंड चूसूंगी दादू। अभी बस डाल दीजिये अपना लंड।

बस, दादा जी ने मेरी कमर को पकड़ा, और ज़ोर से अपना लंड मेरी छोटी सी चूत में घुसा दिया, और मैं दर्द से चीख उठी।

मैं: हाय दादू। आपने तो फाड़ दी मेरी चूत।

दादा जी: मेरी प्यारी रंडी गुड़िया, तू ही तो मचल रही थी मेरे लंड को लेने के लिए। अब चुपचाप मज़े ले।

मैं: हाँ दादू। चोदो मुझे, ज़ोर-ज़ोर से चोद। फाड़ दो मेरी चूत को।

और दादा जी मुझे बेरहमी से चोदने लगे। मेरे दादा जी 70 वर्ष के करीब पहुँचने वाले थे। लेकिन उनमे इतना स्टैमिना होगा अभी भी, इसका कोई अंदाज़ा नहीं था। दादा जी मुझे बिल्कुल एक जवान लड़के की तरह चोद रहे थे।

अब वो मुझे पकड़ कर गोद में उठा लिए और मुझे अपनी गोद में लेकर चोदने लगे और मैं दादा जी की गोद में ही कूद-कूद कर चुदवा रही थी।

कुछ देर इसी पोजीशन में चोदने के बाद दादा जी मुझे फिर से बिस्तर पर पटक दिए।

दादा जी: चल मेरी रंडी परी। अब कुतिया बन जा।

और मैं डॉगी पोजीशन में आ गयी, और उन्होंने मेरी चूत पे पीछे से लंड डाल दिया।

दादा जी: रंडी, क्या मस्त माल है तू मेरी गुड़िया। विश्वास ही नहीं होता तू मेरी ही पोती है। अपने ही खून को चोदने का मज़ा ही अलग है। बहुत तड़पाया है तूने शिखा बेटा। तुझे रोज़ मैं देखता था जब तू योगा के बाद बाथरूम में अपनी चूत मसलती थी।

तुझे छोटे-छोटे कपड़ो में देख कर मेरा ये लंड खड़ा हो जाता था। कई बार मन किया तुझे पकड़ कर तेरी चूचियां मसल दूँ, जब तू मुझे हग करती थी। डर भी लगता था क्यूंकि तू मेरी प्यारी परी है।

मैं: ये परी-वरी बाद में बोलना दादा जी। अभी आप मेरे आशिक़ हो, और मैं आपकी रखैल, आपकी रंडी हूँ। मुझे एक बाज़ारू रंडी के तरह चोदो।

दादा जी मेरे बालों को पकड़ कर ज़ोर-ज़ोर से धक्के देने लगे। और मैं दर्द से चिल्ला रही थी। मेरे तीनो बॉयफ्रेंड का लंड मेरे दादा जी के बड़े से घोड़े वाले लंड के सामने तो बिल्कुल ही लुल्ली था। तीनो का लंड मिला कर दादा जी का एक लंड बनेगा।

दादा जी: बिटिया, तूने पहले कभी गांड मरवाई है?

मैं: नहीं दादा जी। और मुझे मरवानी भी नहीं है। सुना है बहुत दर्द होता है।

दादा जी: अरे नहीं बिटिया, जैसा चूत में दर्द होता है, बस वैसा ही होता है।

मैं: रहने दीजिये दादा जी। आप मेरी चूत को फाड़ दीजिये। लेकिन मैं आपका इतना खतरनाक लंड अपने पीछे नहीं ले पाऊँगी।

दादा जी: चुप रंडी। अभी मेरी रंडी है तू। तुझसे पूछ नहीं रहा। चुप चाप तैयार हो जा। तेरी गांड मारूंगा अभी। ज़माना हो गया सील पैक गांड को चोदे हुए।

और ये कह कर उन्होंने मेरी गांड के छेंद में थूका, और अपने लंड को गांड में धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगे। मुझे महसूस हो रहा था, कि मेरा छेंद बड़ा हो रहा था। और अचानक उन्होंने अपना लंड मेरे गांड में घुसेड़ दिया और मैं दर्द के मारे बहुत ज़ोर से चिल्ला उठी।

मैं: दादा जी मैं मर गयी। प्लीज़ प्लीज़ प्लीज़ निकाल दीजिये। मैं नहीं ले पाऊँगी। मैं मर जाउंगी दादा जी। प्लीज़ निकाल दीजिये। प्लीज़ प्लीज़।

और मैं लगभग बेहोश सी हो गयी।

दादा जी मेरे दर्द को समझ गए और वो बस वैसे ही कुछ देर अपने लंड को मेरी गांड में रख कर ठहर गए। 10-15 मिनट वो लंड बिल्कुल वैसे ही रखे, और मुझे चूम रहे थे और मेरे माथे को सहला रहे थे। फिर 20 मिनट के बाद वो धीरे-धीरे मेरे गांड को मारने लगे, और अब मुझे भी मज़ा आने लगा।

दादा जी: अब अच्छा लग रहा है ना मेरी गुड़िया ?

मैं: हाँ दादा जी, अब बहुत अच्छा लग रहा है। बिल्कुल धीमे-धीमे चोदते रहिये। आराम मिल रहा है।

दादा जी: हाँ मेरी बिटिया। तू चिंता मत कर। तेरा दादू जब तक है, तुझे सिर्फ मीठा दर्द मिलेगा।

अब दादू कुछ देर धीरे-धीरे चोदने के बाद अपनी तेज़ी बढ़ाने लगे और अब फुल स्पीड में मेरी गांड मारने लगे।

अब मुझमे वापस से ताकत आ गयी। दादा जी ने अपना लंड निकाला, और मुझे खिंच कर टेबल के तरफ ले आये और मेरी एक टांग उठा कर टेबल पर रखवा दी।

फिर वो पीछे से अपना लंड एक बार मेरी चूत में घुसाते, और एक बार मेरी गांड में, और ये सिलसिला कुछ देर जारी रहा। अब वो मुझे नीचे झुका कर मेरी चूचियों को पकड़ कर फुल स्पीड में मेरी गांड मारने लगे। करीब 10 मिनट ऐसे चोदने के बाद दादा जी कराहने लगे।

दादा जी: आजा रंडी, मेरे सामने आकर बैठ जा, और अपनी जीभ निकाल ले।

मैं दादा जी के कमांड को मान कर उनके सामने आकर बैठ गयी। और दादा जी ज़ोर से चिल्लाते हुए अपना पूरा रस मेरे मुंह के अंदर झाड़ दिए, और मैं उनका सारा रस पी गयी।

मैं: दादू, आपका सीमन तो काफी मीठा था।

दादा जी: हाँ गुड़िया। इसीलिए तो मैं हर दिन एक पूरा बाउल फ्रूट्स खाता हूँ।

और मैं अब उठ कर अपना हाथ दादा जी के गले में जकड़ कर उनके होंठों को चूमने लगी। और उन्हें खींच कर उनके बिस्तर पर ले आयी और नंगे ही उनसे लिपट कर बातें करने लगी।

मैं: दादू, दादी आपका इतना बड़ा जानवर कैसे ले लेती थी?

दादा जी: अरे बिटिया, सिर्फ तेरी दादी थोड़ी थी जो मेरे लंड के इशारो पे नाचती थी।

मैं: मतलब?

दादा जी: अभी रहने दे, मेरी रंडी परी। जब वक़्त आएगा तब बताऊंगा।

मैं दादा जी को चूमते हुए उनसे लिपट कर सो गयी। चुदाई के बाद बहुत ही खूबसूरत नींद आती है।

अब मैं और दादा जी रोज़ चुदाई करने लगे। दादा जी तो अब मुझपे और भी ज़्यादा जान लुटाने लगे। मुझे कुछ भी ज़रूरत होती, मुझे बस दादा जी से कहने की देर होती। दादा जी कभी-कभी डिमांड करते की मैं नयी-नयी लॉन्जरी पेहनु, नयी ड्रेस पहन के उनके पास आऊं।

जब मैं उन्हें शॉपिंग पे ले जाती तो कभी-कभी मॉल में चेंजिंग रूम में चुदाई करते, बाथरूम में चुदाई करते, पार्किंग लॉट में कार में भी करते। क्यूंकि वो मेरे दादा जी थे, तो किसी को कोई शक भी नहीं होता।

मुझे अब किसी बॉयफ्रेंड की ज़रूरत नहीं थी क्यूंकि दादा जी मुझे बहुत अच्छे से समझते थे। वो मुझसे लगभग 45 साल बड़े थे पर एक मर्द एक औरत को समझता है चाहे किसी भी उम्र के हों। मेरे दादा जी बेहद रोमांटिक थे। मुझे स्पेशल फील करवाने के लिए कभी-कभी सरपराईसेज़ भी देते थे।

मैं उनसे अपने सारे मन की बातों को शेयर करती थी। और उनसे बात करना मुझे बहुत रोमांटिक लगता था। उनसे बात करते हुए लगता ही नहीं था कि वो मेरे दादा जी हैं। लगता था वो मेरी उम्र के ही मेरे बॉयफ्रेंड हैं।

जब घर पे माँ आ जाती तो हमें नार्मल व्यवहार करना पड़ता था, पर जब भी मौका मिलता हम किस कर लेते थे।

मुझे जब शरारत करने का मन करता तो मैं चुपके से उनके लंड को दबा देती और वो शर्मा जाते। मुझे बड़ा मज़ा आता था उन्हें तंग करने में।

पर मुझे लग रहा था दादा जी सिर्फ मेरे थे, क्यूंकि मुझे पूरी कहानी का अंदाज़ा ही नहीं था। अगले भाग में बताउंगी कि कैसे मुझे कुछ सीक्रेट्स के बारे में पता चला।

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