नमस्ते दोस्तों, मेरा नाम दीपक पाल है। मैं 7000 रुपये की प्राईवेट नौकरी करता हूं। मैं मध्यप्रदेश के छोटे से कस्बे कैमोर का रहने वाला हूं। मेरी शादी दस साल पहले हुई थी। मेरी बीवी स्कूल टीचर है। दूध सा गोरा चिकना सुडौल नपा-तुला बदन, और दिखने में मन्दाकिनी की तरह बहुत खूबसूरत है वो।
हमारे शहर से 40 किलोमीटर दूर उसका स्कूल है। एक दिन किसी काम से मैं वहां गया, तो सोचा चलो ललिता को भी अपने साथ ले आता हूं। ये सोच कर मैं उसके स्कूल के बाहर खड़ा हो गया। 5:30 हो गये पर वो नहीं आयी। जिस बस से वो अप-डाउन करती थी, वो भी निकल गई।
मुझे चिन्ता हुई तो मैं स्कूल के गेट पर गया और पूछा-
मैं: मैं ललिता पाल मैम को लेने आया हूं।
तो गार्ड ने बताया: आज तो मैडम आयी ही नहीं। उन्होंने आज की छुट्टी ले रखी है।
मैं सोच में पड़ गया स्कूल जाने के लिए तो मेरे सामने निकली थी, फिर ये गई कहां? मैंने हेलमेट लगाया और मोटर-साइकिल बस के पीछे दौड़ा दी। मगर मैं बस को नहीं पा सका। फिर शॉर्टकट से में कैमोर जल्दी पहुंच गया, और बस का इन्तजार करने लगा। कुछ समय बाद बस आकर कैमोर स्टाप पर रुकी, और उसमें से ललिता मैम उतरी। वो मुझे देख कर बोली-
ललिता: यहां क्या कर रहे हो?
मैं: तुमको लेने आया हूं।
ललिता मुस्कुराकर: अच्छा, इतनी फिक्र है तो स्कूल आ जाते लेने।
फिर हम घर आ गए। मेरे दिमाग में सवालों का बवंडर चल रहा था। स्कूल नहीं गई तो कहां थी। पर जवाब नहीं था मेरे पास, और पूछने पर सही जवाब की उम्मीद भी नहीं थी। पर मेरा नाम भी दीपक है, पता तो करके ही रहना था।
कुछ दिन बाद ललिता ने मुझे बताया: स्कूल का केयर टेकर आबिद खान मुझ पर गलत नज़र रखता है, और मेरे नजरंदाज करने पर मेरे हर काम में गलतियां निकलता है, और नौकरी से हटाने की धमकी देता है। मैं क्या करुं?
मैंने कहा: तुम्हारा मैटर है, तुम जानो तुम्हारे लिए क्या जरुरी है, नौकरी या सम्मान।
उसने मुझे खा जाने वाली नजरों से देखा और कहा: तुम कहना क्या चाहते हो?
मैंने मुस्कुराते हुए कहा: देखो जान, आजकल किसी भी नौकरी में ये सब समझौते करने पड़ते है। 90% लड़कियों को ये सब करना ही पड़ता है। तुम करोगी तो क्या गलत है? हर लड़की कई लोगों से चुदती है, तुम भी चुदा लो।
वो गुस्से से उबल पड़ी: क्या बात करते हो? शर्म है या नहीं? मैं तुम्हारी पत्नी हूं।
मैंने मुस्कुराते हुए कहा: मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि तुम किसके साथ सो रही हो। मैं तुम्हें पत्नी नहीं दोस्त समझता हूं। मेरे सामने भी तुम चूत मरवाओगी, तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है।
उसकी हंसी निकल गई, फिर भी गुस्सा दिखाते हुए बोली: भड़वे तू बीवी का दल्ला बन सकता हे, पर मैं रंडी नहीं हूं, जो किसी का भी लेलूं।
मैंने कहा: तुम्हारी मर्ज़ी।
उसके बाद मेरी बीवी मुझे जब भी बुलाती, तो भड़वा कह कर बुलाती। मैं भी पलट कर रंडी ही कहता, और रोज फोन पर और सामने पूछता कि भाईजान ने लंड खिलाया की नहीं।
एक दिन वो गुस्से से बोली: तुम्हें शर्म नहीं आती मेरे बारे में इस तरह की बात करते हुए?
मैंने कहा: जान जब तुम्हें करते शर्म नहीं आयी, तो मुझे कहते हुए क्यों आएगी?
ललिता भड़क गई और बोली: मैंने क्या किया है?
मैंने अंधेरे में तीर मारा: मेरी जान, एक महीने पहले मैंने तुमको किसी के साथ होटल से निकलते देखा था। फिर भी मैं चुप हूं। क्योंकि मैं तुमसे प्यार करता हूं।
ललिता मुझे ऐसे देख रही थी जैसे चोरी पकड़ी गई हो।
मैंने कहा: अब बता भी दो किसके लंड की मालिश कर रही थी?
वो नज़र झुका कर बोली: वो मेरा बॉयफ्रेंड था। हमारा स्कूल टाइम से चल रहा है। पर कसम से तुम दोनों के अलावा मेरी ज़िंदगी में और कोई नहीं है।
मैं बोला: क्या फर्क पड़ता है गिनती से, एक दो तीन चार पाँच। फर्क नियत से पड़ता है। मुझे कोई दिक्कत नहीं है। तुम्हारी बुर है, किसी को भी दो। एक को दो या दस को, पर मुझसे झूठ बोल कर नहीं।
वो बोली: तुम्हारी कसम तुमसे कभी कुछ नहीं छुपाऊंगी.
मैंने मज़ाक के मूड में फिर पूछ लिया: भाईजान ने लंड खिलाया कि नहीं?
ललिता बोली: हां।
मैं आवाक रह गया और बोला: क्या कह रही हो, कब?
वो बोली: रोज मुझे ऑफिस में बुला कर लुंड चुसवाता है।
मेरे मुंह से निकला: रंडी।
ललिता: बहुत काला लंड है साले का।
मैं: चुदी क्यों नहीं?
ललिता: जगह नहीं है। सारे लोग उसे जानते है, इसलिए होटल भी नहीं जा सकते।
मैं: घर ले आओ। मैं दूसरे कमरे में सो जाऊंगा।
ललिता: वो क्या सोचेगा तुम्हारे बारे में?
मैं: उसे मत बताना कि मैं घर पर हूं।
ललिता: ठीक है, पर तुम्हें बुरा तो नहीं लगेगा?
मैं: पागल हो क्या? मुझे बुरा नहीं लगेगा। लाइफ के मज़े लो।
फिर मैंने तैयारी की। बैडरूम के दरवाजे और खिड़की में होल बनाए। शराब की बोतल ला कर रखी, और समय का इंतज़ार करने लगा। एक दिन ललिता ने फोन किया और बताया कि आज वो लेट आएगी, और साथ में आबिद भी आएगा, आप खाना खाकर दूसरे बैडरूम में सो जाना।
मैंने उसे कहा ठीक है, और फिर तैयारी में लग गया। बाज़ार से गुलाब की पंखुड़ियां लाकर बैडरूम में रख दी। शराब की बोतल और गिलास भी रख दिया। बेड पर नई चादर बिछाई, हल्का स्प्रे डाला, और घर पर ताला डाल कर पीछे के दरवाजे से अंदर आ गया।
रात 10 बजे ललिता आबिद के साथ आयी। आबिद काली रंगत का हट्टा-कट्टा आदमी था। मैं उनके बैडरूम का दरवाजा बंद होने का इंतज़ार करने लगा। कुछ देर बाद दरवाजा बंद होने की आवाज आयी। मेरी धड़कने तेज़ चल रही थी। मैं धीरे-धीरे दरवाजे के पास पहुंचा, और छेद पर आंख लगा दी। अंदर का नजारा साफ दिख रहा था।
ललिता पेटीकोट और ब्लाउज़ में आबिद के सामने खड़ी थी। आबिद अपने कपड़े उतार रहा था। वो सिर्फ चढ्ढी में था। आबिद ने ललिता को बिस्तर पर पटक दिया, और उसके ऊपर चढ़ कर पागलों की तरह ललिता के दूध मसल रहा था, और ललिता के गोरे-गोरे गाल पर चुम्मे पर चुम्मा लिए जा रहा था। ललिता उसके बालोंं को सहला रही थी।
फिर आबिद ने ललिता का ब्लाउज खोल दिया। इसके पहले आबिद कुछ करता, ललिता उठ कर बैठ गई, और खुद से अपना ब्लाउज और ब्रा उतार कर ऊपर से आधी नंगी हो गई। आबिद एक टक ललिता के उजले बदन को निहार रहा था। उसका लंड चढ्ढी के अंदर फनफना रहा था। आबिद ने ललिता के पेटीकोट के नाड़े को पकड़ कर खींच दिया। ललिता ने अपने चेहरे को शर्म से ढक लिया।
आबिद ने फिर ललिता का पेटीकोट उतार दिया। फिर ललिता को धक्का देकर बेड पर गिरा दिया। उसने एक झटके में ललिता की चढ्ढी को उतार दिया। अब ललिता पूरी मादरजात नंगी बिस्तर पर पड़ी थी। आबिद उसके संगमरमर से चिकने गदराए बदन को आंखों से चोद रहा था।
आबिद को इस तरह निहारता देख शर्म से लाल ललिता उठी, और आबिद के पास जाकर उसकी चढ्ढी को नीचे सरकाया। फिर उसके मोटे काले लौड़े को हाथ में पकड़ कर सहलाने लगी। सेक्स की आग में जल रहे आबिद ने ललिता को अपने सीने से चिपका लिया। ऐसा लग रहा था मानो ललिता पिघल कर आबिद में समा जाना चाहती हो। इधर मेरे लंड का हाल इतना बुरा था कि लग रहा था अभी झड़ जाऊंगा।
मुझे नहीं पता था कि बीवी को चोदने से ज्यादा चुदवाने में मज़ा आता है। आबिद ने ललिता को बिस्तर पर लिटा दिया, और खुद भी उसकी बगल में लेट गया। फिर उसको चूमते हुए उसकी फूली हुई चूत पर हांथ फेरने लगा। ललिता उत्तेजना में सिसकारियां लेने लगी। आबिद इस तरह से मेरी बीवी की चूत को सहला रहा था, मानो चूत की चमड़ी छिल देगा।
ललिता ने उसका हाथ हटाया और बैठ गई। ललिता की आंखो में अजीब सी मादकता भरी हुई थी। वो आबिद के मोटे लुल्ले को हाथों में पकड़ के खेलने लगी और बीच-बीच में आबिद के लंड को चूम भी लेती थी
तभी आबिद बोला: मादरचोद चूस मुल्ले का लुल्ला।
ललिता ने बिना देर किये लंड को मुंह में भर लिया, और धीरे-धीरे उसका लंड चूसने लगी। इधर मैं झड़ चूका था। मैं अपने कमरे में आया, और लंड को साफ किया, और फिर जाकर छेद से आंख लगा दी। इस वक्त आबिद मेरी बीवी की दोनों टांगो के बीच बैठा था, और ललिता की चूत के छेद में लंड का सुपाड़ा घिस रहा था।
ललिता के बदन में सुरसुरी हो रही थी। आबिद ने सुपाड़े को होल से मिलाया, ललिता की दोनों टांगो को ऊपर किया, और ललिता के उपर चढ़ गया। उसका पूरा लुंड चूत में समा गया। आवाज आई “उई मां मर गई रे!” आबिद लंड को बाहर लेकर फिर अंदर डालते हुए बोला-
आबिद: बहन की लौड़ी, चुदने से आज तक कोई मरा है जो तू मरेगी।
ललिता कराहती हुए बोली: सच में बहुत दर्द हो रहा है।
आबिद फिर जोर-जोर से चोदने लगा, तो ललिता मैडम की स्टाईल गांड में घुस गई, और अपनी मातृभाषा में मुंह से बोल फूटने लगे-
ललिता: अरे मादरचोद धीरे कर, मार ही डालेगा क्या आह आह आह।
मगर आबिद को कुछ फर्क नहीं पड़ रहा था। वो तो दोनों टांगे कंधे में फसा कर जोर-जोर से मेरी बीवी को चोद रहा था। फट फट फट फट की आवाज तेज होती जा रही थी। फिर पूरी रात चुदाई हुई, कभी घोड़ी बना के तो कभी टांग उठा के। कभी खड़े-खड़े, कभी ऊपर बिठा के। आबिद ने रात में चार बार चोदा मेरी बीवी को रंडी की तरह।
इसके बाद भी मेरी बीवी बहुत बार चुदी, जो मैं आने वाली कहानियों में बताऊंगा।