रजनी की चुदाई उसी की जुबानी भाग-13 – करनाल के जलवे

करनाल में पहला दिन

“कमर पकड़े पकड़े ही चोदता रहा दीपक मुझे। कभी लंड चूत में कभी गांड में”।

पंद्रह मिनट की धुआंधार चुदाई के बाद आखिर मैं झड़ गयी – निकल गया मेरा पानी।

जैसे ही मैंने एक लम्बी सिसकारी ली “ओह आह ओह ओह आ आ आह ”, दीपक समझ गया मेरा काम हो गया है।

उसने भी आठ दस तगड़े धक्कों के बाद अपना लेसदार सफ़ेद गर्मागर्म वीर्य मेरी चूत में उड़ेल दिया। मुझे साफ़ पता लग रहा था की मेरी चूत गर्म पानी से भर गयी है।

कुछ देर ऐसे ही खड़ा रहने के बाद दीपक ने लंड चूत से बाहर निकाला और मैं वही ढेर हो गयी। थोड़ी देर में मैं उठी और बात रूम गयी, चूत और गांड की धुलाई की और बाहर आयी। देखा तो दीपक बेड पर लेटा हुआ था नंगा।

मैं भी उसके साथ नंगी ही लेट गयी।

बहुत तक गयी थी मैं। सफर की थकान, फिर सरोज और रजनी के साथ चूत चटाई और ऊंगली बाजी का खेल – और अब ये मस्त चुदाई। और चुदने की हिम्मत नहीं बची थी।

दीपक समझदार था। वो समझ गया की सफर की थकान और मस्त चुदाई ने मुझे थका दिया है, आज और नहीं चुद पाऊंगी।

वो खड़ा हुआ और बोला, “आभा कल का क्या प्रोग्राम है ? रजनी तो आज राकेश से चुद रही है। सरोज बताती है है मस्त गांड चोदता है” ।

मैंने सोचा, “यहां तो सब एक दुसरी की चुदाई के बारे में जानते हैं ”

मैंने कहा, “रजनी और सरोज ही बताएंगी कल के प्रोग्राम के बारे में “।

“सही बात है, सरोज को यहां का सब कुछ मालूम है।उससे कुछ नहीं छुपा “। दीपक कपड़े पहनते पहनते बोला। “चलो चलता हूं, देखते हैं कल कौन किससे चुदाई करवाती है “। वो मेरे पास आया, मेरे होंठ चूमे और चूसे – मेरी फुद्दी की चुम्मी ली, थोड़ी सी अपनी जुबान मेरी चूत में घुसाई और चूत चाट कर चला गया।

दीपक चला गया – मैं लेटे लेटे आने वाले दिनों की चुदाई के बारे में सोच रही थी। किसकी चूत में किसका लंड जाएगा और किसकी गांड बजेगी। वैसे मेरा तो मन कल भी दीपक से ही चुदवाने का था I दीपक के लंड के फूले हुए सुपाड़े से ध्यान हट ही नहीं रहा था – और फिर रजनी ने जो बताया था की कैसे वो नीचे लेटा था और कैसे रजनी उसके खूंटे जैसे लंड पर बैठी थी और पूरा लंड अंदर ले लिया था – वो सीन तो अभी बाकि था ।

मैं ख्यालों में ही थी की रजनी आ गयी। कपड़े हाथों में ही थे। कपड़े एक तरफ फेंक कर मेरे पास ही लेट गयी, “क्या गांड चोदता है साला राकेश – बिना रुके। गांड का भुर्ता बना दिया “।

मैंने पूछा, “क्या हुआ बता तो”।

रजनी ने बताया की एक तो राकेश का लंड बड़ा मोटा है, दुसरे वो जब पेलता है तो नीचे वाली की परवाह नहीं करता। बहुत ज्यादा चूत चाटने, गांड चाटने जैसे रस्म अदायगी में विश्वास नहीं करता। मगर जितनी भी चाटता है मस्त चाटता है। चूत खाली आखिर के पांच मिनट चोदता है वो भी पीछे से। लंड खूब चुसवाता है।

मेरी गांड में तो खुजली मच गयी, “अरेअच्छे से बता ना”।

रजनी बोली, ” तेरे दीपक के कमरे में जाने के बाद मैं और सरोज उनके कमरों की तरफ चल पड़े। राकेश अंदर ही था। सरोज ने मेरा परिचय करवाया – राकेश ये रजनी है जिनके बारे में मैंने तुम्हें बताया थ। बीबी जी की बेटी। शहर में पढ़ाई करती है हॉस्टल में रहती है। कुछ महीने पहले छुट्टियों में आयी थी, खूब मस्ती कर के गयी थी। तुम से नहीं मिल पाई। अब ये और इसकी सहेली आभा आई है मौज मस्ती करने। जब से मैंने भी तुम्हारी तारीफ़ की तब से ये तुम से मिलने को बेताब थी”।

राकेश बोला, ” भाभी आप भी कई बार झूठी तारीफ कर देती हो “। फिर रजनी की तरफ देख कर बोला, “रजनी जी वहाँ क्यों बैठी हो आप, यहां आओ ” अपनी जांघों की तरफ इशारा कर के बोला।

“मैं तो उसके हौंसले की कायल हो गयी”।

सरोज ने मुझे इशारा किया और मैं उठ कर राकेश की गोद में बैठ गयी। राकेश मेरी चूचियां दबाने लगा। मेरा मुंह उठा कर मेरे होठ अपने होठों में ले लिए। थोड़ी ही देर में उसने मुझे उठाया और अपने सामने ही नीचे बिठा दिया। अपना लंड निकला और मेरे मुंह के आगे लहराने लगा। “क्या लंड था आभा। मैं तो सोच रही थी मुंह में कैसे जाएगा – चलो मुंह में तो चला भी गया गांड में कैसे जाएगा”।

रजनी ने आगे बताया – मैंने सरोज की तरफ देखा। सरोज मेरी दुविधा समझ गयी और बोली, “अरे चिंता ना करो जीजी, राकेश सब जानता है। जब मेरी शादी राकेश के भाई संतोष से हुई थी, और पहली पहली बार इसने मेरी ‘खातिरदारी’ की थी तो मैं भी बहुत डरी थी। अब तो चस्का ही पड़ गया है। अच्छा चलो जीजी, पहले मैं ले लूंगी इसका और आप देखना – आपका डर निकल जाएगा। क्यों राकेश ” ?

“अरे भाभी इसमें डरने की क्या बात है ये आगे पीछे वाले छेद तो बने ही इसी काम के लिए हैं। कुछ नहीं होगा”।

राकेश ने मेरा सर पकड़ कर अपने लंड की तरफ खींचा और लंड मेरे मुंह में डाल दिया। पहले तो मुझे लगा की क्यों आ गयी मैं यहाँ, मगर फिर राकेश का लंड चूसने लगी – मजा आने लगा।

“राकेश ने खूब लंड चुसवाया मेरे से ” I

राकेश ने अपने कपड़े उतरने शुरू किये तो सरोज आ गयी और मेरे कपड़े उतरने लगी। राकेश अपने कपड़े उतारने लगा। राकेश का खिलाडियों जैसा शरीर और ज़बरदस्त लंड देख कर गांड में झुरझुरी होने लगी। अब तो पिलवाने का मन करने लगा।

उधर सरोज ने भी अपने कपड़े उतार दिए।

अब तीनो नंगे खड़े थे।

राकेश बोला, “अब ” ?

सरोज बोली “अब जरा मेरी गांड में ये खूंटा डाल और जीजी देखेगी। थोड़ी मेरी गांड चोद ले, तब तक इनका भी डर निकल जाएगा”। कह कर वो चूतड़ पीछे की तरफ कर के खड़ी हो गयी I

मैंने पहली बार किसी लड़की को इस तरह चूतड़ चौड़े किये लंड की इंतज़ार करते देखा था, हालाँकि हम दोनों (रजनी और मैं) भी ऐसी ही गांड चुदवा चुकीं थी।

राकेश सरोज के पीछे खड़ा हो गया। तना हुआ लंड सरोज की गांड के बिलकुल सामने था।

तभी राकेश मुझसे बोला, “रजनी ये लो जैल क्रीम, भाभी की गांड पर लगाओ। थोड़ी गांड में उंगली डाल कर अंदर भी लगा देना”।

राकेश ने अब मेरे नाम के साथ ‘जी’ नहीं लगाया। सही भी था जहां चूत गांड की चुदाई हो रही हो वहाँ इन फालतू की औपचारिता का क्या काम।

मैंने दो उँगलियों पर जैल क्रीम ली और सरोज की गांड के छेद पर मल दी। फिर एक उंगली से गांड के अंदर भी गहराई तक जैल लगा दी। जैसे ही मैंने ऊँगली सरोज की गांड में डाली उसकी सिसकारी निकल गयी। फिर मैंने जैल क्रीम राकेश के लंड पर डाली और पूरी हथेली से लंड पर मल दी।

“लंड पूरी तरह सख्त और गरम था “। मैं एक तरफ खड़ी हो गयी। राकेश ने सरोज को कमर से पकड़ा, लंड का टोपा ,,,,,,,”, मैंने बीच में ही टोक दिया ,”टोपा नहीं रजनी सुपाड़ा”।

“हां सुपाड़ा, राकेश ने लंड का सुपाड़ा सरोज की गांड के छेद पर रखा और अंदर धकेला। लंड का आधा ही सुपाड़ा अंदर गया”। राकेश सुपाड़ा बाहर निकल लिया और मुझे बोला, “रजनी जैल और लगाओ “।

मैंने जैल लगाई। गांड का छेद खुला हुआ था। अंदर का गुलाबी नजारा दिखाई दे रहा था।

“सच आभा मेरा तो तभी मन हुआ अपनी जुबान ही घुसेड़ दूँ सरोज की गांड के छेद में”।

रजनी ने बात जारी रक्खी, “राकेश ने फिर सुपाड़ा सरोज की गांड पर रक्खा और इस बार पूरा सुपाड़ा अंदर कर दिया और फिर थोड़ा रुक गया “।

राकेश ने फिर लंड बाहर निकाला और मुझे एक बार फिर सरोज की गांड में जैल लगाने को कहा।

“मैं सोचने लगी गांड चोदना गांड चुदवाने से मुश्किल है”।

चुदवाने के लिए तो घोड़ी की तरह गांड उठा कर खड़ी हो जाओ, “आओ जी डालो अपना लंड मेरी गांड में और करो चुदाई “।

मगर चोदने वाले को तो बहुत चीजों का ध्यान रखना पड़ता है।

मुझे लगा राकेश लंड पर भी जैल और लगानी चाहिए। मैंने उसके लंड पर भी जैल मल दी।

राकेश ने लंड का सुपाड़ा सरोज की गांड पर रक्खा और एक धक्के में सुपाड़ा अंदर डाल दिया।

“लग ही रहा था की इस बार सुपाड़ा आसानी से अंदर गया है”।

राकेश थोड़ा रुका और धीरे धीरे लंड अंदर धकेलने लगा। थोड़ा धकेलने के बाद वो रुक जाता था। पांच छे बार ऐसा करने बाद लंड पूरा जड़ तक सरोज की गांड में बैठ चुका था।

अब राकेश पूरे एक मिनट के लिए रुका और लंड पूरा बाहर निकल लिया और मेरी और देखा।

”मतलब था की एक बार जैल और लगाऊं “।

सरोज की गांड पर जैल लगाते हुए मैंने देखा गांड का छेद खुल चुका था और अंदर का गुलाबी भाग दिखाई दे रहा था। राकेश ने अपने लंड की तरफ इशारा किया और मैंने ढेर सी जैल राकेश के लंड पर भी मल दी।

“मैं सोचने लगी देखें अब राकेश क्या करता है “।

राकेश ने लंड सरोज की गांड पर रखा और एक ही बार में पूरा जड़ तक बिठा दिया। सरोज के गले से एक लम्बी सिसकारी नकली “आआआआह”।

अब राकेश केवल कुछ सेकेंड्स के लिए ही रुका और सरोज की गांड की चुदाई शुरू कर दी।

जब राकेश लंड बाहर निकलता था तो गांड के छेद की नरम नाजुक चमड़ी बाहर की तरफ आ जाती थी। जब लंड अंदर धकेलता था तो चमड़ी अंदर की तरफ चली जाती थी।

ऐसे ही राकेश सरोज को चोदता रहा। राकेश कस कस कर धक्के लगा रहा था। बीच बीच में पूरा लंड भी निकल लेता था और एक झटके से अंदर करता था। जब जब राकेश ऐसा करता था तो सरोज एक सिसकारी भरती थी आआआआह आआआआह।

“सच में पूछो तो आभा तो मुझे डर भी लग रहा था और गांड चुदाई का मन भी कर रहा था – बिलकुल वैसे ही जैसे दो साल पहले कुणाल से पहली बार चुदवाई थी। तब भी चूट की सील फटने से दर्द भी हुआ था और फिर मजा भी आया था “।

“मुझे पंकज से करवाई पहली चुदाई याद आ गयी ”

थोड़ी देर चुदने के बाद सरोज बोली “बस करो राकेश अब जीजी को चोदो, अगर थोड़ी देर तुम ऐसे ही मेरी गांड मारते रहे तो मैं पूरी चुदाई करवा के ही हटूंगी”।

राकेश ने लंड बाहर निकल लिया और खड़ा हो गया।

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