पिछला भाग पढ़े:- भोली रानी की सुहागरात-1
हिंदी सेक्स कहानी अब आगे-
तब पिंकी भाभी खाना गरम करके ले आई और मुझे देख के बोली-
पिंकी भाभी: अरे वाह नंदोई जी, आप तो काफ़ी अच्छे लग रहे हो।
मैंने उन्हे थैंक यू बोला और मैंने भी कहा: आप भी काफ़ी अच्छी लग रही है इस सफेद सारी में।
उन्होने कहा: क्या नंदोई जी, एक विधवा के जीवन में ये सफेद रंग के इलावा होता ही क्या है? वो तो भगवान की कृपा है कि आपकी और रानी की शादी हो गयी, नहीं तो पता नहीं हम दोनों का क्या होता। खैर रहने दीजिए, ये सारी बात फिर कभी। अभी तो आप खाना खाइए।
मैं बोला: आप दोनों ने खाना खाया?
तो वो बोली: मैंने रानी को उपर खाना दे दिया है। वो खाना खा रही है, और मैंने अभी नहीं खाया।
तो मैंने कहा: हम दोनो साथ में खाना खा लेते है।
फिर हम दोनों खाना खाए और कुछ देर बाद 8 बजे उन्होंने मुझे दूध का ग्लास दिया पीने के लिए। मुझे दूध का टेस्ट काफ़ी अजीब लगा तो मैंने पूछा-
मैं: आपने दूध मैं क्या डाला है?
तो उन्होने बोला: मैंने दूध में बादाम, काजू खजूर, इलाइची, जयफल डाली है, ताकि आप को ताक़त मिले।
फिर मैंने दूध ख़तम किया और पिंकी भाभी से मज़ाक करते हुआ कहा: ताक़त क्यूँ? आज मुझे इतने ताक़त क्यूँ चाहिए?
पिंकी भाभी बोली: क्या नंदोई जी, क्यूँ भोले बन रहे हो, जैसे आप को पता ही नहीं। नंदोई जी, अभी रानी काफ़ी छोटी है। तो थोड़ा संभाल कर।
मैंने मज़ाक में भाभी से कहा: संभाल कर पर क्यूँ? ऐसे क्या होने वाला है कि संभालने को बोल रही हो भाभी?
पिंकी भाभी बोली: अरे नंदोई जी आप तो ऐसे सीधे बने रहे हो कि आपको कुछ पता ही नहीं।
मैं हसा और कमरे मैं चला गया। मेरा कमरा गुलाब के फूलो से सजा हुआ था, और उसकी खुशबू पूरे कमरे में महक रही थी। कैंडलस चारों तरफ जल रही थी और मेरी प्यारी भोली बीवी रानी सारी में घूँघट करके पलंग पर बैठी हुई थी।
मैं रानी के पास गया और बोला: तुमने घूँघट क्यूँ करा है?
तो वह बोली: भाभी ने बोला।
मैं: अच्छा और क्या कहा भाभी ने?
रानी: यहीं कि आप मेरा घूँघट उठाएँगे। फिर ही मैं अपना चेहरा आपको दिखा सकती हूं।
फिर मैंने रानी का घूँघट उठाया: वाह, क्या खूबसूरत बीवी मिली है मुझे।
फिर मैंने उसे थोड़ा सहज करने के लिए इधर-उधर की बातें की जैसे वो कहाँ तक पढ़ी लिखी है। उसने बोला कि वो सिर्फ़ 10वीं तक ही पढ़ी थी गांव के सरकारी स्कूल में। उसके बाद वो मुझसे थोड़ा घुलने-मिलने लगी। फिर मैंने उसे नॉटी बात पूछना शुरू किया।
मैंने रानी से पूछा: क्या तुम्हें सुहागरात के बारे मैं पता है?
तो उसने सर थोड़ा शर्म से नीचे झुका लिया और कुछ देर चुप रही।
फिर मैंने रानी से कहा: अगर तुम कुछ नहीं बोलोगी तो मैं बाहर चला जाऊंगा।
तब फिर रानी शरमाते हुए बोली: ज़्यादा तो नहीं, पर भाभी ने मुझे एक बार बताया था कि सुहागरात में क्या होता है।
मैं: अच्छा भाभी ने क्या बताया?
रानी: यहीं कि तुम्हारा पति अपना औजार तुम्हारे छेद मैं घुसाएगा, तो तुम्हे तोड़ा दर्द होगा। उस दर्द को बर्दाश्त करना। ज़्यादा चीखना-चिल्लाना मत, नहीं तो बड़ी बदनामी होगी।
फिर मैं उसके गालों को चूमते हुए बोला: हाँ मेरी जान, थोड़ा दर्द तो होगा, पर तुम चिंता मत करो, मैं तुम्हे ज़्यादा दर्द नहीं दूंगा।
मेरी इस हरकत पर रानी शरमाई और मुंह दूसरी तरफ कर लिया। फिर मैंने उसके ठुड्ढी अपनी तरफ घुमाते हुए पूछा-
मैं: क्या तुमने किसी का औजार देखा है?
तो उसने शरमाते हुआ बोला कि-
रानी: मैंने आज तक औजार नहीं देखा है। ये औजार क्या होता है?
मैंने कहा: तुमने आदमियों को पेशाब करते समय कभी उनकी नुन्नी देखी है?
उसने कहा: हां, गांव में तो सारे मर्द कभी भी कहीं भी पेशाब करने लगते हैं। आते-जाते समय मैंने कई बार देखा है। लेकिन उसे तो गांव में लंड कहते हैं।
मैंने कहा: उसी को औजार भी कहते हैं।
वो बोली: मैंने तो देखा है कि किसी-किसी का औजार तो बहुत बड़ा होता है।
मैंने कहा: जैसे आदमी कई तरह के होते हैं, ठीक उसी तरह उनका औजार भी कई तरह का होता है। मेरा औजार देखोगी?
वो बोली: मुझे शर्म आती है।
मैंने कहा: अब तो तुम्हें हमेशा ही मेरा औजार देखना पड़ेगा। उसे हाथ में भी पकड़ना पड़ेगा। बोलो तुम देखोगी मेरा औजार?
वो बोली: ठीक है, दिखा दो।
मैं पहले से ही जोश में था। मैंने अपनी शेरवानी निकाल दी। उसके बाद मैंने सलवार भी उतार दी और मैं सिर्फ़ चड्डी में था। मेरा 8″ लम्बा और खूब मोटा देसी लंड मेरी चड्डी में पूरी तरह खड़ा था, और रानी मुझे बस देखे जा रही थी। तभी मैंने रानी का हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रखते हुआ बोला-
मैं: पकड़ लो मेरी रानी।
रानी शरमाई और अपना हाथ हटा लिया।
तभी मैं बोला: अरे तुमने ही तो बोला कि तुम्हें औजार देखना है। तो अब क्यूँ शर्मा रही हो?
मैंने दुबारा हाथ पकड़ा और लंड पर दिया।
फिर बोला: ये औजार अब तुम्हारा है मेरी जान। जब देखना है देख सकती हो।
फिर उसने मेरे लंड को अपने हाथ में महसूस करने लगी। उसके नरम सॉफ्ट हाथ के स्पर्श से मुझमें जोश पैदा होने लगा। मुझे लगा कि कहीं मेरा लंड चड्डी ही ना फाड़ के निकल जाए। अब उसने अपना हाथ हटाया फिर मैंने अपना चड्डी उतार दिया।
मैंने अपना लंड उसके चेहरे के सामने कर दिया और लंड हिलाते हुए उससे कहा: लो देख लो मेरा औजार।
उसने तिरछी निगाहों से मेरे लंड को देखा और शर्माते हुए बोली: आपका तो बहुत बड़ा है।
इतना कह कर उसने अपने हाथों से अपने चेहरे को ढक लिया। मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसके चेहरे पर से हटा दिया और कहा: शर्माती क्यों हो मेरी जान? जी भर कर देख लो इसे। अब तो सारी जिन्दगी तुम्हें मेरा औजार देखना भी है, और उसे अपने छेद के अन्दर भी लेना है। मैंने तो अपने कपड़े उतार दिए हैं। अब तुम भी अपने कपड़े उतार दो।
वो बोली: मैं अपने कपड़े कैसे उतार सकती हूं? मुझे शर्म आती है।
मैंने कहा: अगर तुम अपने कपड़े नहीं उतारोगी, तो मैं अपना औजार तुम्हारे छेद में कैसे घुसाऊंगा?
वो कुछ नहीं बोली। फार मैंने खुद ही अपनी भोली बीवी रानी के कपड़े उतारने शुरू कर दिए, तो वो शर्माने लगी। धीरे-धीरे मैंने उसे एक-दम नंगी कर दिया। मैं उसके संगमरमर जैसे खूबसूरत बदन को देख कर दंग रह गया। उसकी चूचियां अभी बहुत छोटी-छोटी थी।
आगे क्या हुआ ये अगले भाग में पढ़िए।
अगला भाग पढ़े:- भोली रानी की सुहागरात-3