मोहन 31 साल का, 6 फीट 7 इंच लंबा, चौड़ा और सावला मर्द था। जब वह अपनी गुर्रत से किसी की तरफ देखा था, तो सामने वाले को पसीने आ जाते थे। बहुत ही दमदार मर्द था। गांव के सभी लड़के और आदमी उससे डरते थे। क्योंकि वह बहुत ही दबंग और गुंडा टाइप आदमी था। जब से वह जेल से बाहर आया था, तब से गांव के लड़के और आदमी मेरी तरफ आंख उठा कर भी नहीं देखते थे।
मोहन का घर मेरे घर के ठीक सामने था, और उसके घर में उसके अलावा और कोई नहीं था। जब से वह बाहर आया था, तब से मुझे और मेरी मां को थोड़ा लोगों से सुरक्षित महसूस होने लगा था।
दिखने में भले ही वह अच्छा नहीं लगे, लेकिन शरीर से इतना दमदार था, कि सभी लोग उससे डरते थे, और इज्जत करते थे। मेरी मां बूढ़ी होने की वजह से बीमार रहती थी, तो मोहन ही उसे अस्पताल लाने ले-जाने में मेरी मदद करता, और वह खाना-पीना भी हमारे घर पर ही करता था।
मैं भी 19 साल की हो गई थी, और मेरे शरीर पर जवानी दिखने लग गई थी। मेरे चूचे 32″ साइज के हो चुके थे, और गांड भी थोड़ी मोटी होने लग गई थी, और लंबी और पतले होने की वजह से बहुत ही कमसिन लगने लग गई थी।
अब जब भी मोहन घर पर आता, तो मुझे अजीब सी नजरों से देखने लग गया। उसके इस तरह से देखने से मेरे शरीर में भी अजीब सी झुनझुनाहट होती, और मेरी चूत में मुझे गीलापन महसूस होता। लेकिन उसका इस तरह से मुझे घूरना कहीं ना कहीं मुझे भी थोड़ा-थोड़ा अच्छा लगने लगा था।
एक दिन शाम को मैंने एक टाईट सलवार-सूट पहना हुआ था, जिसमें मेरे शरीर का शेप साफ दिख रहा था। रात के करीब 8 बजे मोहन हमारे घर पर खाना खाने के लिए आया, तो वह थोड़ा नशे में लग रहा था। शायद उसने आज थोड़ी बहुत शराब पी ली थी। जैसे ही वो खाना खाने बैठा, तो मैं उसके लिए खाना लगा दिया, और उसके सामने ही कुर्सी पर बैठ गई।
वह मुझे अजीब सी तरीके से घूरने लग गया, जिससे मेरे शरीर में अजीब सी झनझनाहट होने लग गई, और मेरी चूत गीली होने लग गई। फिर मैं वहां से उठ कर मेरी मां के पास जाकर बैठ गई। वह खाना खा कर सामने अपने घर में चला गया।
करीब 10-15 मिनट बाद उसने मुझे आवाज़ लगाई: मीनाक्षी मुझे थोड़ा पानी चाहिए पीने के लिए, तो पानी लेकर आओ।
जैसे ही मैं जग में पानी लेकर उसके पास जाने लगी, तो मेरी चूत में एक अजीब सा गीलापन और शरीर में झुनझुनाहट महसूस होने लग गई। जैसे ही दरवाजा खोल कर उसके कमरे में गई, तो वह लूंगी और बनियान में एक बड़े से लकड़ी के बिस्तर पर सीधा लेटा हुआ था। सीधा लेटा होने की वजह से उसकी लूंगी में एक बहुत ही बड़ा उभार नज़र आ रहा था। उसका भारी-भरकम और लंबा-चौड़ा शरीर देख कर मुझे बहुत ही अजीब सा महसूस हो रहा था।
मैं पानी का जग उसे देकर मुड़ कर जाने लगी, तो उसने आवाज़ देकर मुझे रोका और कहा: तेरी मां को दवाई देकर उसको सुला कर वापस मेरे पास आना, तेरे से कोई बात करनी है।
मैं गर्दन से हां कि इशारा करके वहां से अपने घर आ गई, और मां को दवाई देकर सुला दिया। फिर सोचने लगी कि उसके पास जाना चाहिए या नहीं जाना चाहिए। अगर नहीं जाती हूं तो वह नाराज़ होगा, और उसके अलावा हम मां-बेटी का कोई सहारा भी नहीं है। इसलिए मैं उसको नाराज़ नहीं करना चाहती थी, और उसके पास जाने का फैसला करती हूं।
जैसे ही मैं उसके घर के अंदर जाती हूं, तो मेरा दिल बहुत ही जोर से धड़कने लग जाता है, और मेरे चूचे और निपल टाईट होने लगते है, जो मेरी कमीज में से साफ-साफ दिखने लग जाते हैं। मेरी चूत फिर से गीली होने लग जाती है।
मैं दरवाजा खोल कर उसके कमरे के अंदर चली जाती हूं जहां उसने इस बार अपना बनियान भी उतार रखा था। वह केवल एक लूंगी में सीधा लेट हुआ था, और बहुत ही भयानक नज़र आ रहा था। उसका उभार बहुत ही बड़ा और साफ-साफ नज़र आ रहा था।
मैं जा कर उसके सामने खड़ी हो जाती हूं। वो बेड से खड़ा होता है, और जा कर दरवाजे को अंदर से बंद कर देता है, और मेरे पीछे आकर खड़ा हो जाता है। जैसे ही वह मेरे करीब आता है, उसके शरीर से एक अजीब सी पसीने और शराब की मिली-जुली गंध आती है।
इससे मेरी धड़कन बहुत तेज हो जाती है, और मेरा सीना ऊपर-नीचे होने लगता है। वह अपने दोनों हाथ फैला कर मुझे अपनी बाहों में भर लेता है, और मेरे पीछे से बिल्कुल चिपक कर खड़ा हो जाता है। इससे मुझे मेरी गांड पर एक बहुत ही बड़ी चीज चुभने लगती है, और शरीर में बहुत ही तेज झनझनाहट महसूस होने लगती है। अपने आप मेरी आंखें बंद हो जाती है, और मैं अपने दांतो से अपने निचले होंठों को काटने लगती हूं। मेरे मुंह से अपने आप एक आह निकल जाती है।
बाकी कहानी अगले पार्ट में…