हेलो दोस्तों, मेरा नाम मनीष है। मैं अभी ग्रेजुएशन का सेकंड ईयर में पढ़ रहा हूं। मेरे साथ ही मेरा एक बहुत ही बिगड़ैल दोस्त राहुल पढ़ता है, जो हमेशा लड़कियों और आंटियों की चुदाई के फिराक रहता है।
राहुल दिखने में बहुत ही हैंडसम है। मैंने उसका लंड भी देखा है, करीब 8 इंच का होगा, और भरपूर, मुट्ठी में भी नहीं आता है। उसके सामने मेरा लंड 4 इंच का ही है। राहुल हमेशा ही किसी ना किसी लड़की या आंटी की चुदाई करते रहता था, और आकर कॉलेज में मुझे बताता था। मैं उनकी चुदाई सुन कर मुठ मारता था।
मेरी इन्हीं गलतियों के कारण मेरा लंड का साइज 4 इंच ही रह गया, और मैं लड़कियों की चुदाई के बारे में सुनता हूं तो बहुत जल्दी उत्तेजित हो जाता हूं, और मेरा बहुत जल्द पानी निकल जाता है।
वहीं राहुल का खड़ा होने में ही समय लगता था, और जब एक बार खड़ा हो जाता था, उसको अपने हाथ से हिलाते रह जाता था, पर उसका निकलता ही नहीं था, और ना ही उसका लंड बैठता था।
तब वह मुझे विनती करने लगता: मनीष प्लीज इसे हिला दो अपने मुंह में लेकर। इसे निकाल दो, नहीं तो यह नहीं बैठेगा। मुझे घर जाना है, मैं ऐसे कैसे जाऊंगा?
फिर मुझे उसे पर दया आती थी, और मैं अपने हाथ में उसके लंड को लेकर हिलाने लगता था। परंतु बहुत देर हिलाने के बाद भी जब उसका लंड बैठने का नाम नहीं ले रहा था, तब मैं उसके लंड को मुंह में लेकर चूसने लगा। वह अपनी आंखें बंद करके मेरे मुंह को चोदना शुरू कर देता, और फिर झड़ जाता।
मेरे दोस्त के मोबाइल में कई सारी हमारी सोसाइटी की महिलाओं की तस्वीर थी, जिसमें से एक तस्वीर मेरी मां की भी थी। मैंने उसे अपनी मां की फोटो डिलीट करने को कहा।
तब उसने बोला: प्लीज रहने दे ना यार, कौन सा तुम्हारी मां को जाकर मैं चोद दूंगा। मुझे तुम्हारी मां बहुत पसंद है। यहां की सबसे सुंदर महिला तुम्हारी मां ही है?
मेरी मां का नाम कंचन है। दिखने में बहुत ही गोरी, भोली-भाली और संस्कारी है। वह घर से बहुत ही कम निकलती है, और जब निकलती है तो लोगों की नज़र मां की गांड और चूचियों पर ही होती है। मां अपने सर झुका कर चुप-चाप काम से निकलती है।
मेरे पापा काम के सिलसिले में विदेश में रहते हैं, जहां से सिर्फ एक महीने के लिए साल भर में आते हैं, और मेरी मम्मी की चुदाई सिर्फ एक महीने में ही हो पाती है। उसके बाद पूरे साल मेरी मम्मी अपने घर के काम और मेरे पढ़ने में समय व्यतीत कर देती है।
मम्मी की कुछ महिला दोस्त भी थी, जो पराय मर्दों से चुदाती थी, और मम्मी को भी चुदवाने की सलाह देती थी। पर मेरी मम्मी संस्कारी थी। वह बाहर किसी के सामने नहीं खुलना चाहती थी। वह जानती थी कि बाहर लोग अच्छे नहीं है, उनकी बहुत बदनामी होगी। इसलिए मेरी मम्मी अपने दोस्तों से साफ मना कर देती थी, कि उन्हें चुदवाने की कोई प्यास नहीं थी, और वह अपने पति से बहुत संतुष्ट थी।
मम्मी मुझे बहुत ही प्यार करती थी। मैं जब भी मम्मी से मिलता तो उनके गले लग जाता, और उनकी छातियां मेरे छाती में धंस जाती थी। कभी-कभार तो मैं मम्मी के होंठों पर किस्स भी कर देता, और मम्मी मेरे प्यार से बाल को सहला देती, और फिर मेरे सर को पकड़ कर वह मेरे होठों को हलका होंठ में दबा के चूस लेती। फिर वो हंसने लगती।
हम दोनों को लगता था कि यह मजाक था। पर प्यार हम दोनों के भीतर बढ़ जाता था, और मेरा तो लंड खड़ा हो जाता था। मेरा दोस्त राहुल अक्सर मेरे घर मेरी मां के लिए ही आता था मुझसे मिलने का बहाना करके, और मेरी मां को हमेशा ही वह घूरता रहता। कभी उनकी चूचियों को देखता, तो कभी-कभार तो मां की गांड को भी टच कर देता। फिर मां हैरानी से उसे देखने लगती, परंतु वह कुछ नहीं बोलती थी।
अक्सर राहुल मेरी मां के इधर-उधर टच कर देता मजाक-मजाक में ही, और मां बेचारी गर्म होकर रह जाती। वह नहीं चाहती थी कि बाहर के लोग कोई भी उनके साथ संबंध बनाएं। इसलिए मां हमेशा राहुल से दूर रहती, और मुझे भी दूर रखने की कोशिश करती। परंतु राहुल तो मेरी मां के पीछे ही पड़ गया था।
उसने घूमने का योजना बनाई, और मुझे और मां को भी साथ चलने को कहा। मां थोड़ी देर तो मना करती रही, परंतु राहुल मां को इधर-उधर टच करके पूरी तरह से गर्म कर दिया था, और मां अब मना भी कर रही थी तो ऐसा लग रहा था जैसे उनके मुंह से मादक सिसकारियां निकल रही हो। फिर मां मेरे कहने पर मान गई।
हमारे शहर के पास में ही एक ऊंचा पहाड़ है जहां पर झरना बहता है। लोग घूमने के लिए अक्सर वहां जाया करते थे। राहुल अपनी बाइक लेकर दूसरे दिन मेरे घर आया, और मुझे और मां को इसी बाइक पर बैठने को बोलने लगा। मां थोड़ी देर तो मना करती रही, पर फिर वह मेरे कहने से मान गई, और वह बीच में बैठी और मैं पीछे बैठा।
मम्मी की चूचियां राहुल की पीठ में दब गई और हम तीनों निकल गए पहाड़ पर। मम्मी की चूचियों का आनंद राहुल पूरा अपनी पीठ से रगड़ कर उठा रहा था। मम्मी अपने दोनों हाथ को आगे करके राहुल को पकड़ी हुई थी। पहाड़ का रास्ता काफी पथरीला था, तो वह धीरे-धीरे गाड़ी को चला रहा था, और जैसे-जैसे मम्मी चलती उनकी चूचियां राहुल की पीठ में दब रही थी। मैं पीछे बैठ कर मम्मी को पकड़ा हुआ था। मम्मी अपने एक हाथ से मेरे हाथ को पकड़ कर अपने पेट पर रख दी और बोली, “अच्छे से पकड़ लेना बेटा, कहीं गिर मत जाना।”
मां उस दिन सटी हुई सलवार कमीज पहनी हुई थी, जिसे देख कर राहुल का मन डोल गया था। वह सोच रहा था कि कब पहुंचे और मेरी मां के जवानी का वह दर्शन कर सके।
फिर हम वहां पर पहुंचे। झरने के पास वहां पर जंगली इलाका था, तो हमने एक अच्छी जगह देख कर अपना टेंट लगा लिया, और फिर बाइक खड़ा करके सामान टेंट के अंदर रख दिया। उसके बाद मैं, मम्मी, और राहुल तीनों झरने में नहाने चले गए।
वहां पर कुछ लोग थे जो पहले से नहा रहे थे। पर जैसे ही हम वहां गए, वह लोग नहा धोकर वहां से निकल गए। फिर हम तीनों बड़े मजे लेकर नहा रहे थे। राहुल मम्मी से दूर हटने का नाम ही नहीं ले रहा था। वह बार-बार मम्मी की गांड में अपने लंड को टच करा रहा था, और मम्मी बार-बार मेरे पास ही आ जाती, और वह मुझे पकड़ कर झरने में नहाने का आनंद लेती।
वह मेरे बालों को सहलाती और झरने का पानी इतना तेज गिर रहा था, कि मम्मी की चूचियां ऊपर से साफ नज़र आ रही थी। मम्मी मुझे पकड़े हुई थी, और खूब चिल्ला कर इंजॉय कर रही थी। राहुल पीछे से मम्मी को पकड़ कर कभी उनकी कमर दबा देता, तो कभी उनकी सलवार में हाथ डालने लगता है।
पानी ऊपर से इतना गिर रहा था कि मम्मी को होश नहीं था और राहुल उनकी सलवार में हाथ डाल कर उनकी पेंटी को सहलाने लगा था, और मम्मी तो मुझे पकड़ के मेरे गाल को सहलाती, और कभी मेरे पेट को सहलाती।
तभी राहुल ने अपने हाथ को मम्मी के पेंटी में डाल दिया। मम्मी झट से राहुल के हाथ को पीछे करती हुई वहां से भागी, और पलट कर मुस्कुराते हुए बोली, “बहुत नॉटी है तुम्हारा दोस्त राहुल।”
फिर मम्मी टेंट के पास आई, और अपने कपड़े बदलने लगी। राहुल भी वहां से निकल गया और मुझे बोला कि, “तुम थोड़ा और इंजॉय करो, मैं आता हूं।” मैं वहीं पर नहाने लगा, परंतु मुझे होश आया कि मम्मी कपड़े बदल रही होगी, तो यह कहीं उन्हें नंगा ना देख ले। मैं जब गया तो देखा कि वह पेड़ के पीछे से छिप कर मम्मी को देख रहा था, और मम्मी अपने कपड़े लेकर टेंट के पीछे जाकर पूरी नंगी होकर बदल रही थी। मम्मी का गोरा बदन देख कर तो मेरा लंड पूरा टाइट खड़ा हो गया।
मेरे लंड से चिपचिपा पानी निकलने लगा। मैं अपने लंड को हल्के हाथों से रगड़ा ही था, कि मेरे लंड ने मम्मी का गोरा बदन नंगा बदन देख कर पानी छोड़ दिया। फिर मम्मी सलवार-सूट पहन कर टेंट में चली गई, और फिर राहुल भी वहां आया, और मम्मी से अपने कपड़े अंदर से मांगने लगा। फिर मैं भी वहां पहुंच गया। मम्मी ने हम दोनों को हमारे कपड़े दिये और हम दोनों टेंट के पीछे जाकर कपड़े बदलने लगे। मेरा तो लंड मुरझा गया था, परंतु राहुल का लंड और खड़ा हुआ पूरा 8 इंच का टाइट खड़ा था।
फिर हमने अपने कपड़े बदले। शाम हो चुकी थी और अंधेरा होने लगा था। तब राहुल ने वहां पर बाइक की लाइट जलाई, और हमारे खाने का इंतजाम वहीं पर था, पहले से ही राहुल लेकर आया था। हमने खाना खाया और फिर टेंट में गाने बजाया और बजा कर नाचना शुरू कर दिया।
राहुल भोजपुरी के अश्लील गाने बजाने लगा, और वह मम्मी को भी हमारे साथ नाचने के लिए बोलने लगा। पर मम्मी मुस्कुराते हुए बोली कि, “तुम लोग नाचो, मैं नहीं नाचूंगी।” पर राहुल नहीं माना और मम्मी के हाथ पकड़ कर उन्हें भी नचाने लगा, और खूब इंजॉय कर रहे थे। वह अपना लंड उनकी गांड में लगा कर रगड़ रहा था, मम्मी मदहोश हुए जा रही थी।
पर वह उसके साथ कुछ करना नहीं चाहती थी। वह इसलिए मुझे भी अपने से सटा ली, और वह हम दोनों के बीच सैंडविच बनी हुई थी। मेरा तो लंड अब काम ही नहीं कर रहा था। मैं इतना ज्यादा मुठ मारता हूं, कि एक बार से ज्यादा खड़ा ही नहीं होता। हम सब वैसे ही कुछ देर नाचते रहे। फिर मम्मी थक गई और वहां जाकर टेंट के अंदर बैठ गई।
रात बहुत ज्यादा हो गई थी। तब हम लोग भी अंदर गए, और अब सोने लगे। मम्मी को मैंने बोला कि, “मम्मी आप बीच में सो जाओ।”
फिर मम्मी ने मुझे बीच में कर दिया, और वह खुद मेरे बगल में लेट गई, और दूसरी साइड राहुल लेटा हुआ था। टेंट में अच्छी-खासी जगह थी। राहुल एक चादर लेकर वहां मुह फिरा कर सो गया। मम्मी और मैं एक चादर लेकर दोनों एक-दूसरे से सट कर सो गए। मम्मी बहुत ही ज्यादा गर्म थी। मैं मम्मी को बाहों में भर कर उनके गाल और होंठ को सहला रहा था। मम्मी मेरे पेट और बालों को सहला रही थी।
हम दोनों के गर्म सांसे आपस में टकरा रही थी। थोड़ी देर में मम्मी उठी और राहुल को देखी। वह मुंह फेर कर सो रहा था। तब मम्मी मेरे बगल में लेटी, और अपना एक पैर को मेरे पैर पर रखा। फिर अपने सर को मेरे सीने से लगा कर अपने होंठों मेरे होंठों के करीब लाई, और हम दोनों एक-दूसरे की आंखों में देखते रहे।
देखते ही देखते हमारे होंठ एक हो गए और मम्मी मेरे होंठ को धीरे-धीरे चूसना शुरू कर दी। मैं भी अपनी आंखें बंद करके मम्मी के मुलायम गुलाबी होंठों को चूस रहा था, और उनके गाल और बाल को सहला रहा था। मम्मी मेरे पेट को सहलाते हुए अपने हाथ को धीरे-धीरे मेरे पेंट में लेकर चली गई, और मेरे लंड को जो अभी मुरझाया हुआ था, अपने हाथ में लेकर सहलाने लगी।
दोनों बहुत ही उत्तेजित हो गए थे। हमारी गर्म सांस पूरे टेंट में गुंज रही थी, और मम्मी मेरे होंठ को चूसते हुए मेरे लंड को हिलाने लगी। अब धीरे-धीरे मेरा लंड अपने आकार में आ रहा था। मेरे लंड से चिपचिपा पानी निकल रहा था।
फिर मम्मी चादर के अंदर ही नीचे गई, और मेरी पेंट को नीचे सरका कर मेरे लंड को अपने मुंह में भर के चूसना शुरू कर दी। मेरी मम्मी के मुंह में मेरा लंड जाते ही टाइट खड़ा हो गया। फिर मम्मी मेरी जांघ को और पेट को चूमते हुए ऊपर की ओर आई, और मेरी छाती को चूम कर मेरे होंठों में होंठ दबा कर चूसने लगी।
फिर वह उठ कर एक बार फिर से राहुल को देखी। वह मुंह फेर कर सो रहा था। तब मम्मी अपनी सलवार का नाड़ा खोली, और अपनी सलवार घुटने तक उतार दी। उनकी गोरी चूत मेरे सामने थी। वह मेरे सामने लेट गई।
उनकी गोरी चूत देख कर मेरे लंड से चिपचिपा पानी गिरने लगा। मैं उठा और चादर के अंदर अपने लंड को मम्मी की चूत पर रखा। फिर धीरे से लंड अंदर कर दिया। लंड अंदर जाते हि मेरे मुंह से आआह्ह्ह निकला। मैं बर्दाश्त ना कर पाया और मम्मी के गर्म चूत में पिघल गया।
मम्मी पूरी तरह से गर्म थी। उन्हें यह बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा। वह मुझे थोड़ी गुस्से भरी नज़रों से देखी, और मुझे बगल में लिटा दी। मम्मी राहुल और मेरे बीच में सोई थी, और मैं झड़ कर हांफ कर सो गया।
अगले भाग में मिलते है।
अगला भाग पढ़े:- मेरी नामर्दी के कारण मां चुदी दोस्त से-2