मां को चोदने के लिए लोगों ने उकसाया-39

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अमित: दोनों संगीता और गार्गी ने बुलाया तब उनके घर गया। तुम बस दूर से मुस्कुराती हो। लेकिन बोलने के लिए कभी घर नहीं बुलाया। सच तो यह है कि मुझे मालूम नहीं कि तुम रहती कहां हो, किसकी बेटी हो।

रचना ने इधर-उधर देखा। उसने ध्यान दिया की सबकी नज़र इन दोनों के तरफ़ ही थी। फिर भी वो अमित के थोड़ा और नज़दीक आई और बहुत ही धीमी आवाज़ में कहा, “अगर शनिवार के पहले तुमने अपना घोड़े के जैसा लंड मेरी बूर में नहीं पेला, तो रविवार को तेरी आंखों के सामने दिन भर अरविंद से चुदवाती रहुंगी। मादरचोद रोज चोदने के लिए खुशामद करता है।”

इतना बोल कर रचना वहां से हट कर अपनी जगह पर चली गई। संगीता ने बताया ही था कि रचना एक लेसबियन थी, गार्गी की सेक्स पार्टनर थी। अमित को समझते देर नहीं लगी कि गार्गी ने अमित के साथ की चुदाई की पूरी बात रचना को बता दी थी।

क्लासेज़ ख़त्म होने के बाद अमित ने कैन्टीन में जा कर नाश्ता किया और रेखा के घर पहुंच गया। रेखा ने मुस्कुरा कर स्वागत किया लेकिन बेटे को देख कर इंदिरा खुश नहीं हुई। पिछले दिन की अमित की हिम्मत देख कर इंदिरा बहुत ही ज़्यादा डर गई थी। वो अब किसी और के सामने बेटे से नहीं चुदवाना चाहती थी।

रेखा: अभी थोड़ी देर पहले तेरी संपा रानी यहां से गई है। बहुत तारीफ़ कर रही थी तेरी। उसे भी चोद लिया!

अमित ने कुछ जवाब नहीं दिया।

इंदिरा: मुझे तुम्हारी छोटी मां बहुत पसंद आई है। मैं यहीं रहना चाहती हूं। अपने हेडमास्टर से कह दो कि मेरी तबियत ठीक नहीं है, हम बाद में उनके घर आयेंगे।

लेकिन अमित को यह बात पसंद नहीं आई। वह अपनी मां को एक गार्ड असलम से चुदवाना चाहता था।

अमित: मां, हेडमास्टर के घर तो जाना ही पड़ेगा। नहीं खाना है तो मत खाना, लेकिन जाना तो पड़ेगा ही।

अमित ने बहुत कहा, रेखा और अरविंद ने भी कहा तब इंदिरा तैयार हुई।

इंदिरा: ठीक है, तू बोलता है तो तेरे हेडमास्टर से भी मिल लूंगी और तेरी रंडी संगीता से भी। लेकिन याद रख, अगर होटल के जैसा वहां भी तुमने कुछ भी उल्टा-सीधा करने की कोशिश की, या हेडमास्टर को खुश करने के लिए मुझे नंगा होने कहा, तो तेरे ही सामने तेरे सारे दोस्तों से चुदवाऊंगी। कुछ भी हो जाये मुझे तेरी रेखा के पास रात दस बजे तक वापस आना है। और तू आज भी यहां नहीं रहेगा। रेखा को तुझसे चुदवाना है तो वहीं तेरे रुम में आ जायेगी।

रेखा: तेरे बेटे को यहां अभी बहुत दिनों तक रहना है। उससे चुदवाती ही रहूंगी लेकिन तुम्हारे साथ रहने का मौक़ा कब मिलेगा। अमित, जब तक दीदी यहां है, तुम मेरे सामने नहीं आओगे। तुम्हें अब एक नई माल मिल ही गई है, रात-दिन संपा को चोदते रहो।

अमित को लगा कि संपा को चोदने से रेखा खुश नहीं थी। लेकिन अमित को रेखा की नाराज़गी की कोई चिंता नहीं थी। उसके लिए संपा रेखा से हर तरह से बहुत बढ़िया माल थी। इंदिरा ने अमित को यह कह कर वापस होस्टल भेज दिया, कि वो आठ बजे तैयार रहेगी।

रेखा से ज़्यादा अमित अपनी मां को चोदना चाहता था। लेकिन इंदिरा एक दिन में ही बेटे से परेशान हो गई थी। होस्टल वापस आते समय रास्ते भर अमित यही सोचता रहा। आख़िरकार उसे महसूस हुआ कि उसकी मां को दोनों बातें पसंद नहीं आई। इंदिरा को यह तो बिल्कुल पसंद नहीं आया कि बेटे ने मां को दूसरे के सामने चोदा। इंदिरा को यह भी पसंद नहीं आया कि दूसरों के साथ की चूदाई भी बेटे ने देखी।

अब इंदिरा को अपने आप से बहुत नफ़रत होने लगी थी। उसने अमित से झूठ नहीं कहा था। जब चार साल पहले उसने अमित को नहाते हुए देखा था, तभी पहली बार उसके घोड़े जैसे लंबे और मोटे लंड को देखा था। उसके बाद से हर पल वो बेटे के लंड को अपनी बूर के अंदर रखना चाहती थी। लेकिन बेटे के सामने आते ही वो शर्म से पानी-पानी हो जाती थी। चार साल गुजर गये, लेकिन दुबारा बेटे के लंड को देखने का मौक़ा ही नहीं मिला।

इंदिरा की हिम्मत तब बढ़ी, जब उसे बेटे की चिट्ठी मिली, जिसमें लिखा था कि बाप-बेटी को चोदना चाहता है। और उस चिट्ठी के मिलने के एक महीने के अंदर ही बेटे ने उसे दुनिया की सबसे बेशर्म औरत बना दिया। इंदिरा ने बहुत सोचा और आख़िर में इसी नतीजे पर पहुंची कि वो ख़ुद बेटे से चुदवाना चाहती थी।

उसने ख़ुद ही राजेंद्र और लाला से बेटे के सामने चुदवाया। इंदिरा को याद था कि उसने एक बार भी ना ही अमित को रोका ना ही अमित को रुम से बाहर जाने बोला। लेकिन इंदिरा ने फ़ैसला किया कि ना अब वो किसी और के सामने बेटे से चुदवायेगी, ना ही बेटे के सामने ही किसी दूसरों से चुदवायेगी।

दोनों मां और बेटे की सोच एक ही जैसी थी। लेकिन अब ऐसी सोच से क्या फ़ायदा था? बहुतों को मालूम हो गया था कि इंदिरा बेटे से चुदवाती थी, और बहुत ऊंची क़ीमत पर धंधा भी करती थी। अमित अब अपनी मां को अपने सामने गार्ड असलम और दोस्त विनोद से चुदवाना चाहता था, और इंदिरा ने फ़ैसला कर लिया था कि ना ही वो बेटे के सामने किसी और से चुदवायेगी। ना ही किसी और के सामने बेटे से चुदवायेगी।

अमित ने अपने रुम का दरवाज़ा खोला तो देखा कि रूम में एक लाल रंग का ख़ुशबूदार स्लिप था। अमित ने उठा कर पढ़ा और उसके चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आ गई। स्लिप पढ़ कर वो अपनी मां को ही नहीं रेखा को भी भूल गया। अमित ने बार-बार स्लिप को पढ़ा, बार-बार किस किया। स्लिप पर लिखा था, “मेरे प्यारे अमित, आज रात कहीं बाहर मत जाना, रुम में ही रहना, मुझे तुम्हारी ज़रूरत पड़ेगी। तुम्हारी प्रेमिका संपा।”

औरत ने ना अपना नाम छिपाया ना ही अपने प्रेमी का। स्लिप पढ़ कर अमित हद से ज़्यादा खुश हो गया। एक बार तो सोचा कि हेडमास्टर के घर भी ना जाये। लेकिन मां को हेडमास्टर से मिलाना था। अमित साढ़े सात के बाद अपने रुम से निकला, और रेखा के घर से हेडमास्टर के घर की ओर पैदल ही चला। रेखा ने बार-बार कहा कि खाना खा कर यहीं, रेखा के घर आ जाये। बहुत समय के बाद मां और बेटा अकेले थे।

अमित: मां, तुम तो मुझसे ही चुदवाने आई हो, लेकिन अब देख रहा हूं कि तुम मुझे अपने पास आने ही नहीं दे रही हो।

इंदिरा ने ज़बाब देने में देरी नहीं की।

इंदिरा: तुमने मुझे दूसरे के सामने क्यों चोदा? मैं बहक गई थी, ट्रेन में आनंद से, फिर राजेंद्र और लाला से चुदवाना मेरी गलती थी। लेकिन तुम्हें मालूम है कि उतने लोगों के सामने मुझे, अपनी मां को चोद कर तुमने मुझे दुनिया की सबसे घटिया रंडी बना दिया है। यहां पर तुम्हारे दोस्त और टीचर को मालूम होगा, उधर तुम्हारे बाबू जी या दीदी को मालूम होगा, रिश्तेदार को मालूम होगा, तो हमारे पास मरने के अलावा और कोई रास्ता नहीं रहेगा। मैं अब तुमसे, अपने बेटे से कभी नहीं चुदवाऊंगी। मैं तो ये सोच रही हूं कि तुम लोगों से रिश्ता ही तोड़ दूं। छी, तुमने मुझे कितना गंदा कर दिया है।

मां का फ़ैसला सून अमित को दुख नहीं हुआ। अमित को पूरा विश्वास था कि ज़िंदगी में उसे कभी बढ़िया चूत की कमी नहीं महसूस होगी। लेकिन उसने एक बार कोशिश की।

अमित: में देख रहा हूं कि तुम और रेखा, दोनों ने एक-दूसरे को बहुत पसंद कर लिया है। तुमने कहा कि चार साल पहले से ही तुम मुझसे चुदवाना चाहती थी। लेकिन मेरे दिल में तुम्हें चोदने की पहली चाहत जगाने वाली तुम्हारी नई दोस्त रेखा ही थी। अपनी चूदाई की चाहत देने वाली कुतिया रेखा ही है। उसी ने मुझे तुम्हें, अपनी मां को चोदने के लिए उकसाया। और उसके बाद से जब भी रेखा या दूसरी औरतों को चोदा सब ने तुम्हें, अपनी मां को चोदने के लिए उकसाया।

बातें करते-करते हम हेडमास्टर के घर पहुंच गये।

अमित: मां, तुम्हें अब कभी किसी दूसरे के सामने नहीं चोदूंगा। लेकिन एक बार तुम्हें और रेखा को एक-दूसरे के सामने चोदना चाहता हूं। बस एक रात। मुझसे रिश्ता नहीं रखना है तो मत रखना, मैं लाला से शादी करने में भी तुम्हें मदद करूंगा, रंभा को मना लूंगा। लेकिन बस एक बार और मुझसे चुदवा लो। जिस औरत ने तुम्हें चोदने के लिए उकसाया, मैं उसे भी तुम्हारे सामने चोदना चाहता हूं।

इंदिरा: तेरा चेहरा देखने का भी मन नहीं कर रहा है, लेकिन तुमने जो कहा है उसके बारे में सोचूंगी। उस रंडी ने तेरा दिमाग़ ख़राब किया है ना। मैं उसे भी रंडी बना दूंगी।

मां की बात सुन मैं बहुत खुश हुआ। एक हाथ से मां के मस्त चूत्तड़ को दबाया, और दूसरे हाथ से कॉलबेल बजाया। तुरंत ही डोर खुला और संगीता दरवाज़े पर ही मुझ से चिपक गई। मुझे बांहों में लेकर होंठों को चूमा। मैंने उसकी दोनों चूचियों को दबाते हुए धकेला, “संगीता रानी, अपने को संभालो, मेरी मां इंदिरा से मिलो। मां ये हेडमास्टर की बेटी संगीता है। मेरी क्लास में पढ़ रही है, लेकिन मेरी सबसे बड़ी दुश्मन है।”

इंदिरा: देख रही हूं कितनी बड़ी दुश्मन है। बहुत ही प्यारी हो बेटी, सदा सुखी रहो।

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