मम्मी: साले भड़वे, इतनी कौन सी जल्दी थी तुझे झड़ने की। अभी तो चूत अच्छे से गरम हुई थी, और तू अपना माल निकाल कर ठंडा हो गया। अब मैं कैसे ठंडी करी अपनी तड़पती हुई चूत को?
प्रिंसिपल: मुझे माफ कर दे मेरी जान। लेकिन तेरी चूत में गर्मी ही इतनी है, कि किसी का भी अंदर डालते ही निकल जाए। मैं तो फिर थोड़ी देर तुझे चोद लेता हूं।
मम्मी: हां अब तो यहीं कहेंगे, टाइम से पहले जो निकल गया।
प्रिंसिपल: तू बस थोड़ी देर रुक जा, अभी मेरा डंडा फिर से सख्त हो जाएगा। फिर देखना कैसे तेरी चूत का भोंसड़ा बनाता हूं।
मम्मी: हां, बस-बस, बड़े आए भोंसड़ा बनाने वाले।
मेरी मां नंगी थी। और लंड के लिए तड़प रही थी। वो सोफा पर टांगें पूरी चौड़ी करके बैठ गई, और अपनी चूत के दाने को रगड़ने लगी। उसके मुंह से आह आह की आवाजें आने लगी। मां का ये रूप मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था। मैंने सोचा कि क्यों ना मैं ही मां की प्यास बुझा दूं, और खुद के लंड को भी उसकी चूत का मजा दूं।
फिर मैंने जरा भी नहीं सोचा, और सीधे ऑफिस का दरवाजा खोल कर अंदर चला गया। मैं धीरे से अंदर गया था, ताकि उन दोनों को पता ना चलें। प्रिंसिपल का मुंह ऑफस के दरवाजे की तरफ ही था, तो उसने मुझे देख लिया। जैसे ही वो कुछ पूछने के लिए बोलने लगा, मैंने उसको इशारे से चुप रहने को कहा। प्रिंसिपल चुप हो गया।
मेरी मां सोफा पर बैठी अपनी टांगे खोल कर अपना चूत सहला रही थी, और उसमें उंगलियां डाल कर अंदर-बाहर कर रही थी। उसके मुंह से कामुक सिसकारियां निकल रही थी। मैंने अपने भी कपड़े उतार दिए, और सोफे के पास जा कर नीचे घुटनों पर बैठ गया। अपनी चूत की आग को शांत करने में मम्मी इतनी बीजी थी, कि उनको कोई अंदाजा नहीं था कि क्या हो रहा था उनके आस-पास।
फिर मैं आगे हुआ, और मम्मी की दोनों जांघों पर हाथ रख कर उनकी चूत पर अपना मुंह लगा दिया। अब मैं उनकी चूत को चाटने लगा। मम्मी को लगा कि प्रिंसिपल ही ये सब कर रहा था, तो उसने आँखें नहीं खोली, और मेरे सर पर अपना हाथ रख कर चूत पर दबाने लगी। वो आह आह की सिसकारियां भर रही थी। मैं अपनी जीभ मम्मी की चूत के अंदर घुसा रहा था, और उनकी चूत के उत्तेजित दाने को जीभ से छेड़ रहा था।
फिर मैंने अपनी एक उंगली मम्मी की चूत में डाली, और अंदर-बाहर करने लगा। साथ में मैं उनकी चूत के दाने को जीभ से छेड़ता रहा, और उसको मुंह में लेके चूसता रहा। मम्मी को बहुत मजा आ रहा था। वो ज्यादा देर इस मजे को सह नहीं पाई, और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। मैं मम्मी की चूत का सारा पानी पी गया।
तभी मम्मी ने आँखें खोली। जैसे ही उनकी आँखें खुली, मुझे सामने देख कर मम्मी के चेहरे का रंग ही उड़ गया। पहले कुछ सेकंड्स तो उनको कुछ समझ नहीं आया। फिर वो बोली-
मम्मी: उदित तू यहां क्या कर रहा है? और तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरे साथ ऐसा करने की?
मैं: चुप कर हरामजादी। रंडी है तू, नौकरानी है। तो चुप-चाप वहीं कर जो कर रही थी।
ये बोल कर मैं खड़ा हुआ। मेरा लंड मम्मी के मुंह के बिल्कुल सामने था। मैंने मम्मी के बाल पकड़े, और उनके मुंह को अपने लंड की तरफ धकेला। मम्मी अचानक से हुए इस हमले को समझ नहीं पाई, और लंड की तरफ आगे बढ़ता हुआ उनका मुंह अपने आप खुल गया। मैंने अपना लंड पूरा एक ही बार में उनके मुंह में घुसा दिया, और मुंह चुदाई करने लगा।
मम्मी के गरम मुंह में लंड देके बहुत मजा आ रहा था। मैं धक्के पर धक्के देके मम्मी को चोक कर रहा था। उनके मुंह की थूक मेरे लंड को चिकना कर रही थी। फिर मैंने लंड उनके मुंह से निकाला, और सोफे पर उनको धक्का दे कर लिटा दिया। मां लेटते हुए बोली-
मम्मी: बेटा ये गलत नहीं है। हम मां बेटा है।
मैं: हम मां बेटा सिर्फ घर में है। यहां तू नौकरानी है, और मैं तेरा मालिक।
फिर मैं मम्मी के ऊपर आया, और उनकी चूत पर लंड रगड़ते हुए अंदर डालने लगा। मेरे मोटे लंड से मम्मी को दर्द होने लगी, और वो आह आह करने लगी। लेकिन मैं रुका नहीं, और प्रेशर डाल कर पूरा लंड अंदर डाल दिया। फिर मैं उनके होंठ चूसते हुए उनको चोदने लगा। बड़ा मजा आ रहा था। मां की चूत तो बिल्कुल गर्म भट्टी की तरह थी।
कुछ देर में मां को मजा आने लगा, और वो गांड उठा-उठा कर चुदने लगी। थप थप की आवाजें आ रही थी, और मैं मम्मी के होंठ और चूचे चूसता जा रहा था।
तभी मेरी नज़र प्रिंसिपल पर पड़ी, जिसका लंड खड़ा हो चुका था। मैंने ये देख कर मां की चूत से लंड निकाला, और उसको खड़ी करके गोद में उठा लिया। फिर मैंने दोबारा लंड चूत में डाला और मम्मी को हवा में उछालते हुए चोदने लगा। मैंने इशारा करके प्रिंसिपल को लंड गांड में डालने को कहा। प्रिंसिपल खुश हो गया, और पास आके पीछे से लंड मम्मी की गांड में डाल दिया। मम्मी फिर से चीखने लगी, लेकिन मैंने उनका मुंह बंद कर दिया अपने मुंह से।
अब हम दोनों मिल कर मां की चूत और गांड चोद रहे थे। 15 मिनट हमने ऐसे ही मम्मी की चुदाई की। फिर प्रिंसिपल झड़ गया। मैंने फिर मां को वहीं जमीन पर लिटाया, और मिशनरी पोजीशन में चोदने लगा। 10 मिनट बाद मेरा भी माल मम्मी की चूत में निकल गया। मैंने देखा, मम्मी बड़ी खुश और संतुष्ट लग रही थी।
फिर मैंने अपने कपड़े पहने और मम्मी को बोला: तुझे जितनी चुदाई चाहिए होगी मैं करूंगा। लेकिन बाहर मुंह मारना बंद कर दे हरामजादी।
मम्मी ने मुस्कुरा कर हां कहा।
उस दिन के बाद से मेरी मम्मी मेरी नौकरानी है। आपको कहानी कैसी लगी [email protected] पर मेल करके बताएं।