पिछला भाग पढ़े:- दो गायें और दो सांड-8
सामूहिक चुदाई की कहानी अब आगे-
संदीप की पांच मिनट की चूत चुसाई में ही नसरीन के चूतड़ हिलने लगे। संदीप उठा, टांगें थोड़ी और फैलाई, और लंड नसरीन की चूत पर रख कर एक जोर का धक्का लगाया और लंड एक ही झटके से नसरीन की चूत में बिठा दिया। नसरीन के मुंह से निकला “आअह संदीप” और नसरीन ने संदीप को कस कर पकड़ लिया।
संदीप ने भी नसरीन के होंठ अपने होठों में ले लिए और जबरदस्त चुदाई करने लगा। नसरीन भी चूतड़ उठा-उठा कर चुदाई में संदीप का साथ देने लगी।
उधर असलम मेरे ऊपर आ चुका था और मेरी चुदाई कर रहा था। मैंने नसरीन को चूतड़ झटका-झटका कर चुदाई करवाते देख असलम के कान में कहा, “असलम लगता है नसरीन को संदीप के मोटे लंड से चुदाई का बड़ा मजा आ रहा है।”
असलम ने भी एक बार नसरीन की चुदाई देखी और बोला, “हां मालिनी जी, लगता तो ऐसा ही है। आज रात को जब अम्मी को चोदूंगा, तो अम्मी से पूछूंगा कैसी चुदाई हुई।”
मैंने पुछा, “क्या? इतनी चुदाई के बाद फिर नसरीन को चोदोगे?”
असलम बोला, “मालिनी जी अगर अम्मी जरूर चोदने के लिए कहेगी। पूरा एक साल हो गया अम्मी ने ढंग के मर्द से चुदाई का मजा नहीं लिया। तभी तो अम्मी संदीप से भी इतने मस्ती से चुदाई करवा रही है। चुदाई की लिए पागल हुई पड़ी है अम्मी।” ये बोल कर असलम मेरी चूत में लंड के धक्के लगाने लगा।
तभी नसरीन ने एक जोर की सिसकारी ली, “आअह संदीप निकला गया मेरा, मजा आ गया। क्या मस्त चुदाई थी।” और नसरीन ढीली हो गयी। संदीप ने खड़ा गधे जैसा लंड नसरीन की चूत में से निकाला और नसरीन की चूत का एक चुम्मा लेकर मेज से अपना गिलास उठाया और जा कर सोफे पर बैठ गया।
मेरी चूत भी पानी छोड़ चुकी थी, मगर असलम का लंड अभी खड़ा ही था। असलम ने भी लंड मेरी चूत में से निकाला और संदीप के पास की जा कर बैठ गया। संदीप ने गिलास में से घूंट भरते हुए असलम से कहा, “असलम बड़ा मस्त चुदवाती है यार तुम्हारी ये नसरीन। तुम तो खूब मजे लेते होंगे नसरीन की चुदाई के?”
फिर असलम से संदीप ने पूछा, “असलम गांड चोदते हो नसरीन की?”
असलम ने कहा, “ज्यादा तो नहीं, मगर कभी-कभी, क्यों?”
संदीप बोला, “ऐसे ही पूछ रहा था। अब मैंने पीछे से चोदना है, इसलिए पूछ रहा था के मेरा लंड झेल लेगी नसरीन गांड में?”
असलम बोला, “डाल कर देख लेना, जाता हो तो ठीक, नहीं तो मत चोदना। देखना कचरा ही मत कर देना इनकी गांड का।”
संदीप हंसते हुए बोला, “नहीं-नहीं मैं गांड में जबरदस्ती नहीं करता। मैडम मालिनी से भी मैंने पूछ कर ही गांड में डाला था। फ़िक्र मत करो, जैसी नसरीन को तुम यहां लाये हो वैसी ही वापस जाएगी कोइ जोर जबरदस्ती नहीं। आगे भी तो चोदनी है नसरीन की चूत और गांड।”
तब तक मैं और नसरीन उठ चुकी थी। नसरीन जा कर संदीप के आगे बैठ गयी और उसक लंड मुंह में ले लिया। मैं कुर्सी पर बैठ कर जिन के घूंट भरने लगी। नसरीन जोर-जोर से संदीप का लंड चूस रही थी। असलम का लंड तो खड़ा ही था। नसरीन को इस तरह संदीप का लंड चूसते देख असलम का मन भी लंड चुसवाने का हो गया। असलम मुझसे बोला, “मालिनी जी आप भी तो आईये।”
मैंने गिलास मेज पर रखा और बैठ कर असलम का लंड चूसने लगी। उधर संदीप का लंड नसरीन की चुदाई से सख्त हो चुका था। संदीप ने लंड नसरीन के मुंह से निकाला और बोला, “चलिए नसरीन जी अपनी चूत का रस पिलवाईये, चूतड़ चटवाईये अपने। चलिए चूतड़ पीछे करके बेड पर उल्टी लेट जाईये।”
नसरीन ने ऐसा ही किया और बेड के किनारे पर लेट उल्टी हो कर चूतड़ पीछे करके लेट गयी। संदीप ने नसरीन के चूतड़ खोले और जुबान से गांड का छेद चाटने लगा। फिर संदीप ने चूतड़ थोड़े ऊपर उठाए और अपना मुंह नसरीन की चूत में घुसेड़ दिया।
असलम ने भी मुझे वैसे ही लिटा दिया, और मेरे चूतड़ और चूत चाटने लगा। संदीप असलम से बोला, “असलम आओ तुम भी नसरीन जी की चूत और गांड चुसाई के मजे कर लो। मुझे मैडम के चूतड़ चाटने है।
संदीप अब मेरे पीछे आ गया और असलम नसरीन के पीछे चला गया। कुछ देर चूसने के बाद संदीप फिर नसरीन के पीछे चला गया। मगर इस बार संदीप नसरीन की चूत और गांड चूसने चाटने नहीं चोदने गया था।
संदीप अलमारी में से गांड चोदने वाली क्रीम छोटा तौलिया ले आया। मैंने सोचा साला नसरीन के चूत सुजायेगा। संदीप ने नसरीन के चूतड़ थोड़ा ऊपर उठाए, चूत को थोड़ा सा साफ़ करके थोड़ा सा चूत का पानी पोंछा। मगर चूत पूरी तरह सुखाया नहीं। और फिर संदीप ने नसरीन के चूतड़ थोड़े ऊपर उठाये, दोनों हाथों से नसरीन की कमर पकड़ी और और अपना लंड चूत के छेद पर रख कर एक ही झटके में चूत के अंदर डाल दिया।
नसरीन की चूत पूरी नहीं सूखी थी। चूत का थोड़ा-थोड़ा चिकना पानी चूत में ही था। मगर फिर भी संदीप का मोटे लंड जब झटके के साथ चूत में बैठा तो नसरीन चिहुंकी और सर मोड़ कर सदीप को देखा, मगर बोली कुछ नहीं।
शायद नसरीन कह रही थे इतना मोटा लंड है थोड़ा आराम से डालो संदीप। या शायद कह रही थी आह मजा आ गया फिर से ऐसे ही डालो संदीप।
इधर असलम का लंड मेरी चूत में था। कमर पकड़ कर असलम दबा-दबा कर, जोर-जोर के धक्के लगा रहा था। नसरीन की और मेरी चुदाई फुल स्पीड से चालू हो चुकी थी। अब हमारे चूतड़ हिलने लग गए थे और अपनी जुबान पर से हमारा कंट्रोल खत्म हो चुका था। हमारे मुंह सी आवाजें और सिसकारियां होने आप निकल रही थी।
नसरीन चूतड़ हिलाते-हिलाते बोल रही थी, “आअह संदीप मजा आ गया आअह क्या रगड़ कर चुदाई हो रही है। लगाओ संदीप, रगड़ो मेरी चूत आअह फुला दो मेरी फुद्दी आआह। ये है असली चुदाई आअह।”
यही हाल मेरा भी था। मैं भी यही कुछ बोली जा रहे थी। साला ये चुदाई का मजा भी क्या मजा होता है। नसरीन की चूत चुदाई करके खड़े लंड के साथ संदीप सोफे पर बैठ गया। उधर असलम ने भी लंड मेरी चूत में से निकाला और जा कर संदीप के पास ही बैठ गया। संदीप जिन की चुस्कियां ले रहा था। संदीप असलम से बोला, “असलम यार मस्त चुदवाती है तेरी ये नसरीन। क्या चूतड़ झटकाती है चुदाई करवाते हुए। चूत कसी हुई है, मालिनी मैडम की तरह। लगता है अभी तक ज्यादा नहीं चुदी। चूत तो चोद ली, अब गांड में डालूंगा नसरीन की।”
बेड पर मैं और नसरीन अभी उल्टा लेटी ही हुई थी – चूतड़ उठा कर। मैंने नसरीन की तरफ मुंह घुमाते हुए पोछा, “नसरीन कैसा मजा आया संदीप के मोटे लंड की चुदाई का?”
नसरीन बोली, “मस्त लंड है मालिनी जी संदीप का। मस्त रगड़ाई होती है चूत की।”
मैंने पूछा, “अब? अभी नहीं उठना? क्या अभी भी चूत में मजा आ रहा है?”
नसरीन बोली, “नहीं मालिनी जी चूत का मजा तो निकल गया। मैं तो अब गांड चुदाई का इंतजार कर रही हूँ। संदीप का लंड तो खड़ा ही है। अभी तक झड़ा भी नही संदीप का। बस उसके लंड का गांड में जाने का ही इंतजार कर रही हूं।”
नसरीन ने सर घुमा कर संदीप की तरफ देखा, जैसे कह रही हो, “आओ संदीप, डालो मेरी गांड में।” संदीप ने जब नसरीन को पीछे के तरफ देखते हुए देखा तो उठ कर खड़ा हो गया। अलमारी में से रबड़ के दो मोटे का लंड और क्रीम निकाल कर ले आया और नसरीन की पीछे चला गया। एक लंड उसने नसरीन के हाथ में दी दिया, दूसरा उसने मुझे दी दिया।
नीचे बैठ कर संदीप ने नसरीन के चूतड़ खोले और गांड का छेद चाटने लगा।
नसरीन आह आह कर रही थी। संदीप खड़ा हो गया। रबड़ का लंड संदीप ने नसरीन के हाथ में पकड़ा दिया। संदीप ने क्रीम नसरीन की गांड के छेद पर मल अच्छे से दी और उंगली से थोड़ी क्रीम गांड के अंदर भी लगा दी।
जैसे ही नसरीन की गांड में संदीप की उंगली गई तो नसरीन ने पीछे सर करके कहा, “आह संदीप मजा आ गया। थोड़ी उंगली ऐसे ही बाहर करो।”
संदीप जोर-जोर से उंगली उसकी गांड में अंदर-बाहर करने लगा। नसरीन आह आअह कर रही थी और साथ ही चूतड़ घुमा रही थी। मैंने नसरीन की सिसकारियां सुनी तो मैं समझ गयी के नसरीन चुदाई का पूरा मजा ले रही थी। तब तक असलम भी मेरे पीछे आ चुका था।
ऊंगली-बाजी और चूतड़ चटाई के बाद चुदाई का वक़्त आ गया। मैं अपनी चुदाई से ज्यादा नसरीन के चुदाई का लुत्फ़ उठा रही थी। संदीप ने नसरीन की गांड पर लंड रक्खा और हल्का सा अंदर धकेल दिया। नसरीन ने “आअह” की आवाज की और चूतड़ थोड़ा पीछे के तरफ किये। नसरीन का ये संदीप को इशारा था कि संदीप थोड़ा और डालो।
उधर असलम का लंड पूरा मेरी गांड में जा चुका था और चुदाई चालू थी। संदीप ने लंड नसरीन की गांड में थोड़ा और धकेला और रुक गया। ये एक तजुर्बेकार गांडू की निशानी थी। संदीप रुका था कि लंड नसरीन की टाइट गांड में अपने जगह बना ले।
संदीप ने असलम की तरफ देखा और बोला, “असलम नसरीन की गांड बहुत टाइट है। या तो ये ज्यादा चुदती नहीं या गांड में लंड बहुत दिनों से नहीं गया नहीं है।” फिर संदीप हंसते हुए बोला, “डर लग रहा है गांड कहीं फट ही ना जाये।”
असलम संदीप के लंड की तरफ देखते हुए बोला, “थोड़ा रुक जाओ लंड को जगह बनाने दो। आधा लंड तो चला ही गया है, थोड़ा रुक कर एक जोर का झटका लगाओ और डाल दो पूरा लंड इनकी गांड में। अगर गांड आधा लंड जाने तक नहीं फटी तो अब क्या फटेगी।”
संदीप बोला, “हां असलम गांड का छेद तो खुल गया है। मैं इस लिए रुका हुआ हूं कि लंड अपने जगह बना ले। अब क्रीम से गांड चिकनी करके अब पूरा ही डालूंगा।”
ये कह कर संदीप ने लंड नसरीन की गांड में से निकाल लिया। ढेर सारी क्रीम संदीप ने नसरीन की गांड पर लगाई और कुछ क्रीम उसने अपने लंड पर भी लगा दी। संदीप ने नसरीन की कमर पकड़ एक करारा झटका लगाया और चुदाई चालू कर दी। नसरीन हल्के से चिल्लाई, “संदीप ये तो दर्द कर रहा है।” मगर संदीप नहीं रुका तो मतलब नहीं रुका।
एक बार नसरीन दर्द के कारण आगे की तरफ हुई, मगर संदीप ने नसरीन की कमर पकड़ी हुई थी। उसने नसरीन को हिलने ही नहीं दिया। संदीप थोड़ा रुका, फिर नसरीन के चूतड़ पर एक धप्प लगा कर बोला, “नसरीन पूरा ले लिया तुमने मेरा लंड अपनी गांड में। कोइ प्रॉब्लम तो नहीं है?”
नसरीन ने ना में सर हिला दिया और बोली, “संदीप चोदो भी अब। फाड़ दो आज मेरी गांड।”
बस इसके बाद संदीप ने नसरीन की ऐसी गांड चुदाई चालू कर दी, जैसे शायद संदीप ने मेरी भी नहीं की होगी।
असलम भी मेरी मस्त गांड चुदाई कर रहा था। मैं नसरीन की तरफ ही देख रही थी। नसरीन के आंखें बंद थी। तभी नसरीन ने रबड़ का लंड उठाया और अपनी चूत में डाल लिया। मेरा रबड़ का लंड पहले ही मेरे चूत में था।
क्या सीन था। बेटा एक गैर औरत की गांड चोद रहा था और उसकी अम्मा उसी बेड पर उसके सामने ही किसी और मर्द से गांड चुदवा रही थी।
इसी गांड चुदाई में एक घंटा निकल गया। हमें संदीप के घर आये हे साढ़े तीन घंटे हो चुके थे। पहले का आधा घंटा छोड़ दो तो बाकी के ढाई घंटे हमारी रगड़ाई ही हुई थी। मतलब शाम के पांच बजने वाले थे।
संदीप तगड़े रगड़े लगा रहा था नसरीन की गांड में। नसरीन भी मस्त हो कर संदीप के मोटे लंड से गांड चुदवा रही थी। तभी संदीप बोला, “नसरीन जी मेरा निकलेगा अब। थोड़ा रोकूं या निकल जाने दूं। आपका मजा पूरा हुआ या कुछ और गांड चुदाई करवानी है?”
नसरीन बोली, “बस संदीप गांड दुखने लग गयी है। डालो अपने लंड की गर्म-गर्म गाढ़ी मलाई मेरी गांड में।”
इतना सुनते ही संदीप ने नसरीन की कमर को पकड़े हुए चार-पांच ऐसे धक्के लगाए कि नसरीन की चीख निकल गयी, “आह संदीप क्या कर रहे हो फाड़ोगे क्या?”
संदीप बोला, “नहीं फटेगी मेरी जान नसरीन, पूरा तो लंड ले रखा है तुमने अपनी गांड में। ऐसे ही ताबड़-तोड़ चार-पांच और धक्कों में संदीप के मुंह से दहाड़ सी निकली – ले गया मेरी जान नसरीन गया तेरे गांड में आअह – ये निकला। साली क्या मस्त गांड है, क्या मस्त गांड चुदवाती है।” और ये कहते ही संदीप ढीला हो गया।
संदीप का लंड नसरीन की गांड में ढीला हो गया। संदीप लंड नसरीन की गांड में से निकला और सोफे पर बैठ गया। असलम का लंड भी मेरी गांड में मलाई निकाल चुका था। असलम भी लंड मेरी गांड में से निकाला और जा कर संदीप के पास ही बैठ गया। कुछ देर में पहले नसरीन उठी और गांड को हाथ लगाया तो हाथ पूरी तरह संदीप के लंड की मलाई से भर गया।
नसरीन उठी और बाथरूम की तरफ जाने लगी। नसरीन को बात रूम जाते देख संदीप भी उठ गया और नसरीन के चूतड़ों पर हाथ फेरता हुई बाथरूम की तरफ चल पड़ा। नसरीन ने एक बार संदीप की तरफ देखा, फिर असलम के तरफ देखा और संदीप के आगे-आगे बाथरूम में चली गयी।
मैं भी उठी और तौलिये से गांड पांच कर असलम के पास जा कर बैठ गयी। मैंने असलम से कहा, “असलम, संदीप को तो लगता है जैसे नसरीन को चोदने का बहुत मजा आया। वो तो आज ज्यादा उसी की चूत और गांड चोद रहा था। अब लगता है उसकी चूत पर मूतेगा और अपने लंड पर मुतवायेगा।
असलम बोला, “मालिनी जी अम्मी भी तो संदीप का चुदाई में पूरा साथ दे रही थी। लगता है साल भर मर्द का लंड ना मिलने की कसर आज ही पूरी करना चाहती थी। एक बात है मालिनी जी अब अम्मी मुझसे फिर चुदाई शुरू कर देगी।”
मैंने कहा, “असलम वो तो नसरीन कह ही चुकी है कि आगे से जब निकहत अपने मायके जायगी तब तुम उसके साथ ही सो जाया करना। चलो अच्छा है चुदाई भी अपनी जगह जरूरी है।”
दस मिनट से ऊपर हो गए थे। संदीप और नसरीन अभी तक बाथरूम में ही थे। मैंने असलम से कहा, “असलम क्या हो गया? मूतने में इतना टाइम तो नहीं लगता। मुझे भी पेशाब आया हुआ है।”
असलम उठा और बाथरूम का दरवाजा खोला और अंदर झांक कर मुझे बुला लिया। नसरीन टॉयलेट सीट पर बैठी थी और संदीप नसरीन के सामने खड़ा था। संदीप का लंड नसरीन के मुंह में था और संदीप लंड नसरीन के मुंह में आगे-पीछे कर रहा था। संदीप नसरीन का मुंह चोद रहा था।
मैं अंदर गयी और मैंने संदीप से कहा, “संदीप सोफे पर बैठ कर आराम से चुसवाओ, नसरीन भी तो आराम से बैठे।”
दोनों उठ गए। मैं टॉयलेट सीट पर बैठ गई और असलम से बोली, “आओ असलम चलो मूतो मेरी चूत पर, नहलाओ मेरी चूत को।” संदीप तो बाहर चला गया मगर नसरीन वहीं रुक गयी। जैसे ही असलम ने मेरी चूत पर मूतना शुरू किया तो नसरीन आ गयी और बड़े गौर से ये नजारा देखने लगी।
असलम मेरी चूत पर मूत कर हटा और टॉयलेट सीट पर बैठ गया। मैं असलम की टांगों पर असलम की तरफ मुंह करके बैठ गयी और मूतने लगी। नसरीन आयी और पीछे से मेरी चूत पर हाथ रख कर मेरी चूत को थपथपाने और एक-दम से मेरी गांड में पूरी उंगली डाल दी। नसरीन आज की दो गायें और दो सांडों के चुदाई के पूरे मजे ले रही थी।
मूत मुताई से फारिग हो कर हम तीनों बाहर आये। संदीप का लंड खड़ा था। नसरीन सोफे पर बैठ गयी और संदीप की तरफ देखने लगी। संदीप समझ गया कि नसरीन लंड मुंह में डलवाना चाह रही थी।
संदीप ने लंड नसरीन के मुंह में डाल दिया। संदीप और नसरीन की लंड चुसाई को देख कर असलम का लंड भी खड़ा हो गया। मैं नसरीन के पास ही बैठ गयी और असलम ने अपना लंड मेरे मुंह में डाल दिया।
नसरीन अपना मुंह संदीप के लंड पर आगे-पीछे कर रही थी। कुछ ही देर में संदीप और असलम के लंड हमारे मुंह में मलाई छोड़ गए। संदीप के मुंह से निकला, “लो नसरीन निकला मेरे लंड का पानी। अब पी लो मेरे लंड की मलाई चूस लो पूरी मलाई।” संदीप नसरीन के साथ चुदाई का पूरा मजा ले रहा था।
मैंने तो असलम के लंड का पानी पी लिया। नसरीन ने भी संदीप के लंड का पानी पी लिया होगा, क्योंकि संदीप का लंड अभी भी नसरीन के मुंह में ही था। दोनों के लंड ढीले हुए तो दोनों ने लंड हमारे मुंह में से निकाल लिए और जा कर कुर्सियों पर बैठ गए।
मैं सोफे से उठी और कपड़े उठा कर बाथरूम की तरफ जाते हुए संदीप से बोली, “संदीप आज की चुदाई का तुमने और नसरीन ने पूरा-पूरा मजा लिया है।”
संदीप बोला, “सच में ही मैडम, नसरीन मस्त चुदवाती है मजा आ गया आज।”
नसरीन ने भी अपने कपड़े उठाये और मेरे साथ ही बाथरूम में आ गयी। तौलिया गीला करके हमने अपने चूत गांड और टाँगे साफ़ की, मुंह धोया, कुल्ला किया और कपड़े पहन लिये।
मैंने नसरीन से पूछा, “नसरीन चुदाई के तसल्ली हो गई या एक बार संदीप का मोटा लंड और लेना है?”
नसरीन बोली, “बस मालिनी के बाकी चुदाई असलम से करवाएंगे आज रात को आपके घर में।” फिर नसरीन ने पूछा, “मालिनी जी एक बात बताएं ये जो आप जिन पी रही थी, ये शराब थी?”
मैंने कहा, “हां नसरीन, औरतें अक्सर यही पीती हैं। मैं भी चुदाई से पहले पीती हूं। इसका हल्का नशा चुदाई के मजे को बढ़ा देता है।”
नसरीन बोली, “मालिनी जी आपके घर पर है ये जिन?”
मैंने कहा, “हां नसरीन है, मैं तो थोड़ी से रोज़ ही पीते हूं। क्या तुमने भी पीनी है?”
नसरीन बोली, “हां मालिनी जी मन तो कर रहा है। आज रात असलम से चुदाई से पहले थोड़ी सी पीने का।”
हम बाहर आये तो संदीप और आलम भी कपडे पहन चुके थे। संदीप हंसते हुए बोला, “क्या हुआ मैडम इतना टाइम कैसे लग गया? क्या आप लोग भी एक-दूसरे के ऊपर मूतने लग गए थे?”
मैं और नसरीन दोनों हंस दी। मैं बोली, “हम नहीं मूत रहे थे, हम तुम्हारा मूत साफ़ कर रहे थे जो हमारी चूतों की आस-पास गिरा था। लंड की मलाई साफ़ कर रहीं थी जो तुमने हमारी गांड में डाली था।”
सब लोग बैठ कर हल्की-फुल्की बातें करने लगे। संदीप असलम से बोला, “असलम अब कब लाओगे नसरीन जी को? मस्त चुदाई करवाती हैं ये तो, चूतड़ झटक-झटका कर। करके मजा आ गया। और इनकी गांड तो एक-दम लाजवाब है मुलायम और कसी हुई।”
असलम बोला, “मैं तो आगरा की अपनी दुकान के सिलसिले मैं आता ही रहूंगा, इनका पता नहीं। लेकिन अगर प्रोग्राम बना तो मालिनी जी को बता दूंगा।”
संदीप बोला, “चलो तुम ही आ जाया करना। मालिनी जी दूसरी गाये ढूंढ ही लेंगी।”
मैंने सोचा चुदाई के मामले में संदीप एक-दम सुलझा हुआ है। असलम मेरी और रागिनी की चुदाई का जिक्र नहीं किया। संदीप फिर मुझसे बोला, “मैडम कभी आप ही दर्शन दे दो – “वैसी” वाली मस्त चुदाई करेंगे मैं और आप।”
मैंने हंस कर कहा, “सब्र करले संदीप। इतनी चुदाई तूने मेरी और ख़ास कर नसरीन की कर ली, अभी भी चुदाई का ही सोच रहा है। साले अब आज तो तेरा लंड भी खड़ा नहीं होने वाला।”
संदीप हंसते हुए बोला, “ऐसी बात नहीं है मालिनी जी। ये संदीप का लंड है। हमेशा ही तैयार रहता है।” ये कह कर संदीप ने लंड पैंट से बाहर निकाल लिया।
सच ही कहा था संदीप ने। उसका लंड अगर पूरा खड़ा नहीं था तो पूरा बैठा भी नहीं था। मोटा लंड देख कर नसरीन से रहा नहीं गया और उसने झुक कर संदीप का लंड मुंह में ले लिया।
मैंने कहा, “बस कर नसरीन, तुझे लंड चूसता देख कर कहीं मेरा भी मन लंड चूसने का हो जाये। तुझे चुदाई करवानी है क्या?”
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