पिछला भाग पढ़े:- दो गायें और दो सांड-4
सामूहिक चुदाई का अगला भाग-
चुदाई के पहले दौर के बाद सब लोग बैठे हुए थे। अचानक से रागिनी उठी और असलम के सामने बैठ कर असलम का लंड चूसने लगी। लगता था जैसे रागिनी को असलम का लंड कुछ ज्यादा ही पसंद आया था।
वैसे संदीप का लंड मोटा जरूर था, मगर मस्त चुदाई के लिए असलम का लंड ही बढ़िया था – कलाई जितना मोटा और आधे हाथ जितना लम्बा।
मैंने संदीप के तरफ देखा और सर का हल्का इशारा किया। संदीप समझ गया कि मैं भी लंड मुंह में लेना चाहती थी। संदीप आ कर मेरे सामने खड़ा हो गया और लंड मेरे मुंह में डाल दिया।
ये लंड चुसाई का चक्कर दस मिनट चला। दोनों सांडों के लंड तो तैयार ही थे, दोनों चूतें भी गीली हो चुकी थी।
असलम रागिनी के मम्मे दबाते हुए बोला, “चलिए रागिनी जी अब चूतड़ पीछे करके उल्टा लेट जाईये। आपकी चूत का रस तो पी लिया अब देखें गांड का स्वाद कैसा है।”
रागिनी तो उठी ही, संदीप ने मुझे भी उठा दिया और बोला, “आईये मैडम आप भी, चूतड़ चटवाईये।”
मैं सोच रही थी क्या है ये – “चूत का रस पी लिया – चूतड़ चटवाईये।” मगर मैंने सोचा मजे लेने के लिए लड़कियों को ऐसी ही चुदाई करवानी चाइये – “चूत का रस पी लिया – चूतड़ चटवाईये” जैसी।
मैं और रागिनी अगल-बगल में ही चूतड़ उठा कर उलटा लेट गयी। दोनों सांड संदीप और असलम बारी-बारी से हमारे चूतड़ खोल कर गांड के छेद पर जुबान फेर रहे थे। बड़ा ही मजा आ रहा था। तभी संदीप गया और अलमारी में रबड़ के दो लंड ले कर आ गया। एक लंड उसने मेरे सामने रख दिया, दूसरा रागिनी के सामने रख दिया। मैंने और रागिनी ने एक-दूसरे की तरफ देखा और मुस्कुरा दी।
अब असलम मेरे पीछे था और संदीप रागिनी के पीछे। असलम ने मेरे चूतड़ जरा से उठाए और अपना कलाई जितना मोटा लंड मेरी चूत में एक ही झटके के साथ डाल दिया। असलम ने मेरी कमर पकड़ी और जबरदस्त चुदाई शुरू कर दी। उधर रागिनी भी आगे-पीछे हो रही थी, मतलब उसकी चुदाई भी मस्त चल रही थी।
अब बातों में भी दोनों खुल चुके थे। अगर एक बार भी असलम ने रंडी और बोला, तो संदीप को भी चालू होने में वक़्त नहीं लगने वाला था।
असलम बोल पड़ा, “ले मेरे जान मालिनी ले, मेरी चुदक्कड़ मालिनी साली ले अपनी चूत में।” और फिर पूरा लंड बाहर निकाल कर एक झटके से लंड चूत में डालता हुआ बोला, ले मेरी रंडी चुदक्कड़ ले, देख कैसे गया अंदर।”
मेरे मुंह से भी फूल झड़ रहे थे, “चोद मेरे राजा और जोर से चोद, घुस जा आज मेरी चूत में। फाड़ दे मेरी चूत आज।”
मेरी ये बातें सुन कर क्या कोइ कह सकता था कि ये औरत कानपुर की मशहूर मनोचिकित्स्क है, जिसकी आधी दुनियां में धूम है? मगर मैं बता ही चुकी हूं कि मैं चुदाई करवाती हूं तो एक रंडी की तरह ही करवाती हूं। चुदाई का पूरा मजा लेती भी हूं और पूरा मजा देती भी हूं।
रागिनी भी संदीप से चुदाई करवाते हुए बोल रही थी, “रगड़ संदीप और रगड़। यादगार बना आज की चुदाई। ऐसे धक्के लगा जैसे कुत्ता लगाता है कुतिया को चोदते वक़्त। ऐसे पकड़ लेता है कि कुतिया हिल भी नहीं पाती।” ये सुनते ही संदीप ने रागिनी की चूत में लंड की रफ़्तार बढ़ा दी और लम्बे-लम्बे धक्के लगाने लगा।”
रागिनी उसी मस्ती में बोली, “हां ऐसे ही संदीप। पूरा निकाल कर डाल संदीप, फुला दे मेरी चूत।”
असलम और संदीप बदल-बदल कर चुदाई कर रहे थे। जब संदीप का मोटा लंड चूत में जाता था तो चूत कुछ फ़ैल जाती थी और जब असलम का लंड जाता था तो पता चलता था कि कुछ-कुछ पूरी गहराई तक चूत में गया हुआ है।
मन कर रहा था ये चुदाई कभी बंद ही ना हो। बीस मिनट की चुदाई में मजा गया। हैरानी की बात थी संदीप और असलम अभी भी नहीं झड़े थे। मैंने सोचा इन मादरचोदों ने कही विआग्रा तो नहीं खा ली।
दोनों ने लंड हमारी चूतों में से निकाले और अपनी-अपनी जगह पर जा कर बैठ गए। संदीप कुर्सी पर बैठ गया और असलम सोफे पर बैठ गया। असलम ने अपना बियर का केन उठा लिया और संदीप ने अपना गिलास उठा लिया।
हम भी उठीं और जा कर सोफे पर बैठ गयी। रागिनी के मुंह से निकल गया, “कैसे चोदते हो सालो तुम लोग और ऊपर से झड़ते भी नहीं हो। मुझे तीन बार मजा आ भी चुका है।”
संदीप रागिनी की तरफ देखते हुए हंसते हुए बोला, “कैसे चोदते हैं? वैसे ही चोदते हैं जैसे तुम चुदवाना चाहती हो, कुत्ते की तरह – ऐसे पकड़ कर कि नीचे चुदाई कि वक़्त कुतिया हिल भी नहीं पाती।” संदीप की इस बात पर सब हंस दिए।
रागिनी जैसे अपने आप से बोली, “लगता है मेरी चूत तो फूलना शुरू हो गयी है।” फिर रागिनी मेरी और देखते हुए बोली, “आपकी चूत की क्या हालत है मालिनी जी।”
इससे पहले कि मैं रागिनी की बात का कोई जवाब देती, असलम बोला – मगर खुल कर बोला, “रागिनी अभी तो चूत फूलना शुरू हुई है, अभी तो फाड़नी बाकी है।”
मैंने असलम की तरफ देखते हुए कहा, वाह असलम ये हुई ना बात।” और फिर मैंने अपनी चूत को छूते हुए रागिनी की तरफ देखते हुए कहा, “मेरी चूत की भी वही हालत है जो तुम्हारी चूत की है।”
हम दोनों ने अपने-अपने गिलास उठा लिए और जिन की चुस्कियां लेने लगी। असलम और संदीप के लंड तो खड़े ही थे। हमारी चूतें भी पानी छोड़ ही चुकी थी। मैंने संदीप से पूछा, “अब संदीप?”
संदीप बोला, “मैडम अब मेरा इरादा तो अब पीछे से ही चूत और गांड चुदाई का है। और फिर आखिर में मुंह में।” फिर असलम की तरफ देखते हुए संदीप बोला, “असलम तुमने क्या करना है?”
असलम ने अपना हाथ मेरी चूत पर रखा और कहा, “जो ये कहें। हमें तो आज इनकी ही सेवा करनी है।”
संदीप उठते हुए बोला, “सही बोला असलम। तो फिर चलें?”
मैंने और रागिनी ने एक-दूसरे की तरफ देखा, और मैं बोली, “गांड में ही डालो अब।” फिर रुक कर बोली, “बारी-बारी से।” ये कह कर मैंने रागिनी की तरफ देखा और पूछा, “क्यों रागिनी?”
रागिनी ने भी हां में सर हिला दिया। हम दोनों फिर से चूतड़ उठा कर बेड के किनारे पर लेट गयी। संदीप मेरे पीछे आ गया और असलम रागिनी के पीछे चला गया। संदीप ने मेरे चूतड़ उठाए और एक झटके से लंड मेरी चूत में डाल दिया।
कुछ देर चूत की रगड़ाई करने के बाद संदीप ने क्रीम मेरी गांड के छेद पर लगाई और धीरे-धीरे पूरा लंड गांड में बिठा दिया। मैंने रागिनी के तरफ देखा और बोली, “रागिनी संदीप ने तो लंड बिठा दिया मेरी गांड में, तुम कहां तक पहुंची?”
रागिनी ने जवाब दिया, ” मालिनी जी चूत तो चुद गयी अब असलम का पूरा लंड मेरी गांड में है। मालिनी जी सच बोलूं तो बड़ा मजा आ रहा है। मस्त है दूसरे सांड का लंड।”
जैसे ही दोनों सांडों ने लंड गांड में बिठा दिए हमने रबड़ के लंड उठा कर अपनी अपनी चूतों में डाल लिए। चूतों के बाद गांड रगड़ाई हो रही और इन भोसड़ी वालों के लंडों ने एक बार भी पानी नहीं छोड़ा था।
कुछ देर की गांड चुदाई बाद संदीप असलम से बोला, “असलम करें अदला-बदली?”
असलम बोला, “चलो।”
ये कह कर संदीप ने अपना मोटा लंड मेरी गांड में से बाहर निकाल लिया और रागिनी के पीछे चला गया। असलम मेरे पीछे आया। संदीप के मोटे लंड ने मेरी गांड का छेद फैला ही दिया था। असलम का लंड फिसल कर अंदर चला गया।
संदीप के मोटे लंड से गांड चुदाई का मजा तो आता था मगर असलम के लम्बे लंड का जलवा ही कुछ अलग था।
संदीप के मोटे लंड के चार-पांच धक्कों ने ही रागिनी को स्वर्ग दिखा दिया था। मैं तो पहले भी संदीप का लंड गांड में ले चुकी थी, मगर रागिनी की गांड में संदीप का मोटा डंडा पहली बार गया था। रागिनी जोर-जोर से सिसकारियां ले रही थी, “आह संदीप मजा आ गया। तुम्हारा लंड तो गांड में भी बड़ा मजा देता है। अब रगड़ो मेरी गांड को भी। पहले क्यों नहीं चोदी मेरी गांड।”
संदीप ने रागिनी की कमर पकड़ी और गांड में जोरदार धक्के लगाने लगा। रागिनी मस्ती में बोली,” हां संदीप ऐसे ही ही… और जोर से रगड़ो… फुला दो मेरी गांड।”
मैंने रागिनी के तरफ देखा। रागिनी की आखें बंद थी और वो जोर-जोर से चूतड़ आगे-पीछे कर रही थी। रागिनी की सिसकारियों से संदीप और भी मस्ती में आ गया और जोर-जोर से लम्बे-लम्बे धक्के लगाने लगा। तभी रागिनी एक जोर की सिसकारी ली , “आह संदीप… मेरी चूत फिर पानी छोड़ गयी… आह संदीप छोड़ना मत, मुझे चोद लो जितनी चोदनी है मेरी गांड… आह संदीप बड़ा मजा आ रहा है।”
मैं सोच रही थी ये क्या हो गया है रागिनी को। संदीप के मोटे लंड का इतना मजा आ रहा है इसको?
रागिनी के इस सिसकारी से मेरी अपनी चूत भी झड़ गयी और मुझे भी मजा आ गया। मैंने असलम से कहा , “असलम मेरी चूत का मजा फिर निकल गया। क्या जादू है सालो तुम लोगों की चुदाई में?” असलम ने ये सुना और जोर-जोर से धक्के लगाने लगा।
रागिनी की सिसकारियों के बीच संदीप ने रागिनी को कस कर कमर से पकड़ा हुआ था। संदीप और असलम को अदला-बदली का मौक़ा ही नहीं मिल रहा था। लेकिन मुझे असलम से ही गांड चुदवाने में ज्यादा मजा आ रहा था।
गांड चोदते हुए अब संदीप और असलम भी “आअह… आह… अब क्या चुदाई है। चुदाई क्या है या जन्नत है” जैसी बातें कर रहे थे।
संदीप बोल रहा था, “क्या मस्त गांड है रागिनी आपकी। एक-दम लंड जकड़ा पड़ा है।”
उधर असलम बोल रहा था, “मालिनी जी आपकी चूत तो मजा देती ही देती है, गांड भी कम नहीं है।”
फिर असलम ने मेरे चूतड़ों पर जोर का धप्प लगाते हुए कहा… आह मालिनी जी बस अब निकलने ही वाला है… आअह… आह।
मैं समझ गयी अब इन दोनों के लंड मलाई छोड़ने वाले है। मैं जोर-जोर से चूतड़ आगे-पीछे करने लगी। और वही हुआ। पंद्रह बीस जोरदार धक्कों से असलम का लंड पानी छोड़ गया। उसके मुंह से एक जोर की आवाज निकली, “ले मेरी मालिनी ले… गया तेरी गांड में।” और इसके साथ ही असलम के लंड की गर्म मलाई से मेरी गांड भर गयी।”
इतनी देर से घुटनों के बल लेटे मैं थक चुकी थी। जैसे ही असलम के लंड से पानी निकला और उसका लंड थोड़ा ढीला होना शुरू तो मैं आगे की तरफ ढेर हो गयी। असलम जा कर सोफे पर बैठ गया।
इसके पांच मिनट के बाद ही संदीप भी जोर से चिल्लाया, “ले रागिनी मेरी जान ले गया तेरी गांड में।”
चुदाई के मस्ती मैं असलम और संदीप हमें “जी” बुलाना ही भूल गए।
कुछ देर में संदीप ने भी लंड रागिनी की चूत में से निकाला और जा कर कुर्सी पर बैठ गया।
पहले रागिनी ही उठी और उठ कर बाथरूम की तरफ जाने लगी। तभी असलम भी उठ गया और रागिनी के चूतड़ों पर हाथ रख कर उंगली रागिनी की गांड में डाली और रागिनी के साथ साथ बाथरूम चला गया।
कुछ देर में मैं भी उठी और असलम और रागिनी को वहा ना देख कर मैंने संदीप से पूछा, संदीप कहां गए दोनों?”
संदीप हंसते हुए बोला, “मैडम दोनों बाथरूम गए हैं – इक्क्ठे।”
मैं भी हंसी और बोली, “लगता है असलम मुतवायेगा रागिनी से अपने लंड पर।”
संदीप ने पूछा , “मैडम आपने बताया था उनको कि मैंने आपसे अपने लंड पर मुतवाया था?”
मैंने कहा, “मैंने रागिनी को तो नहीं असलम को बताया था। असलम बोला था मजा आता होगा तभी कोइ मुतवाएगा अपने लंड पर। लगता है वही मजा लेने गया होगा।” मेरी फिर हंसी छूट गयी।
दस मिनट हो गए। वो दोनों अभी अंदर ही थे। मुझे भी पेशाब लगने लगा था।
मैंने संदीप से कहा, “संदीप बड़ी देर हो गयी इनको। मुझे भी पेशाब लग रहा है।”
संदीप बोला, “चूत में उंगली कर रही होंगी रागिनी जी। मजे लेने दीजिये उन्हें और पेशाब रोक कर रखिये। आपने भी तो मूतना है मेरे लंड पर।”
तभी रागिनी हंसती-हंसती बाथरूम से बाहर निकली। पीछे-पीछे असलम भी आ गया। मैंने पूछा, “क्या हुआ रागिनी, किस लिए इतनी हंस रही हो?”
“इसी से पूछ लीजिये।” रागिनी ने उसी तरह हंसते हुए असलम की तरफ इशारा कर दिया।”
असलम भी हंसने लगा, मगर बोला कुछ नहीं।
मैं उठी और बाथरूम की तरफ जाते-जाते बोली, “मुझे भी जोर का पेशाब लग रहा है।” फिर मैं संदीप की तरफ देखते हुए बोले, “चलो संदीप।”
संदीप खड़ा हो गया और रागिनी दोनों हंस दिए। बाथरूम में जा कर मैं टॉयलेट सीट पर बैठ गयी। संदीप बोला, “क्या हुआ मैडम आज मूतना नहीं लंड पर?”
संदीप से बोली, “संदीप पहले मेरी चूत पर मूत की धार डालो।” ये कह कर मैंने अपनी टांगें घुटनों से मोड़ी और उठा कर फैला दी। और टांगों के नीचे से हाथ डाल कर मैंने चूत की फांकें खोली और चूत भी फैला दी।
संदीप ने लंड पकड़ा और निशाना लगा कर मेरी चूत पर पेशाब की धार डालने लगा। गरम-गरम पेशाब जब मेरी चूत पर गिरने लगा तो मैंने दोनों हाथों से चूत की फांकें और चौड़ी कर दी। मूत की धार सीधी खुली चूत पर पड़ रही थी। अजीब सा ही मजा आ रहा था।
संदीप पेशाब कर के हटा तो मैं खड़ी हो गयी और संदीप बैठ गया, और टांगें चौड़ी कर के संदीप की गोद में बैठ गयी। पहले ही की तरह संदीप ने मेरे होंठ अपने होंठों में ले लिए और हाथ नीचे करके मेरी चूत मैं उंगली डालने लगा। मैने संदीप को कस कर पकड़ लिया और चूत ढीली छोड़ दी। मेरा पेशाब निकला और संदीप मेरी चूत थपथपाने लगा। छप छप की आवाज के साथ पेशाब निकल रहा था।
मेरा पेशाब निकला बंद हुआ तो मैं उठने लगी, मगर संदीप ने मुझे फिर बिठा दिया और मेरी चूत में उंगली से चूत का दाना रगड़ने लगा। मुझे लगा अगर संदीप ऐसा ही करता रहा तो मेरी चूत दुबारा गरम हो जाएगी। नीचे संदीप का लंड खड़ा हो कर मेरी चूतड़ों को छूने लगा।
तभी संदीप ने मुझे छोड़ दिया और मैं खड़ी हो गयी। संदीप उठा तो मैंने देखा उसका लंड फिर खड़ा ही चुका था। मैंने संदीप के लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा, ”क्या हुआ संदीप ये फिर तैयार है?”
संदीप बोला, “मालिनी जी आपकी चूत की खुशबू ही इतनी मस्त है, मेरा लंड उसे सूंघते ही फिर हरकत में आ गया है।”
मैं हंसी और, हम बाहर आ गए। बाहर देखा तो असलम लेटा हुआ थी और रागिनी उसके ऊपर लेटी हुई थी। असलम का लंड रागिनी के मुंह में था और रागिनी की चूत असलम के मुंह पर थी। असलम ने रागिनी के चूतड़ पकडे हुए थे और अपना मुंह आगे पीछे करते हुए रागिनी की चूत चाट रहा था।
मैंने संदीप की तरफ देखते हुए कहा, “संदीप लेट जाओ।”
संदीप लेट गया। मैं रागिनी की ही तरह संदीप के ऊपर लेट गयी और संदीप का मोटा लंड अपने मुंह में ले लिया। संदीप ने मेरी चूत खोली और अपनी जुबान से मेरी चूत का छेद चाटने लगा।
रागिनी ने एक पल के लिए असलम का लंड अपने मुंह में से निकाला और मेरी तरफ मुंह करके बोली, “मालिनी जी आज की चुदाई मैं कभी नहीं भूल पाऊंगी।”
इतना कह कर रागिनी ने फिर से असलम का लंड मुंह में ले लिया।
मैं सोचने लगी, “रागिनी सच ही बोल रही है। आज की चुदाई सच में ही यादगार चुदाई ही रहेगी।”
पंद्रह मिनट इस चुसाई चटाई में मेरी चूत पानी छोड़ गयी। मेरे मुंह से संदीप का लंड निकाला और मैंने एक सिसकारी ली, “आह संदीप मेरी चूत फिर पानी छोड़ गयी, मेरा फिर ने निकल गया।” इतना कह कर मैंने संदीप का लंड फिर मुंह में ले लिया।
कुछ ही देर मैं रागिनी भी जोर-जोर से हिलने लगी और हूं-हूं करने लगी। लगता था रागिनी को भी मजा आ गया था।
दस-पंद्रह मिनट ये चुसाई और चली। अचानक संदीप ने मेरे चूतड़ कस कर पकड़ लिए। मैं समझ गयी अब किसी भी वक़्त संदीप का लंड मलाई छोड़ सकता था। में संदीप के लंड की गर्म-गर्म मलाई पीने की लिये तैयार हो गयी।
तभी संदीप ने जोर की दहाड़ लगाई, “ले मालिनी ले मेरी रंडी साली चुदक्कड़।” और मेरा मुंह संदीप के लंड से निकली गरम-गरम मलाई से भर गया। मैंने संदीप की मलाई की एक एक बूंद गटक ली।
कुछ देर मैं ऐसे ही लेटी रही। जब संदीप का लंड ढीला हो हो गया तो मैं उसके ऊपर से उठी और जा कर सोफे पर बैठ गयी।
संदीप भी उठा और मेरे पास ही बैठ गया। संदीप ने मेरे मम्मे दबाते हुए कहा, “मैडम आज तो मजा ही आ गया। अब कब बनेगा ऐसा प्रोग्राम?”
मैंने कहा, “संदीप ये तो दुसरे सांड से पूछना पड़ेगा।” उस वक़्त मेरे ज़हन में नसरीन दूसरी गाये की तरह घूम रही थी।
तभी असलम के मुंह से एक जोरदार सिसकारी निकली, “आह भोसड़ी वाली रागिनी मेरी जान, मरी रंडी, ये लो निकला तेरे मुंह में।” असलम के चूतड़ जो से हिले और वो ढीला हो गया। रागिनी कुछ देर ऐसे ही असलम के ऊपर लेटी रही। मतलब उसने भी असलम के लंड से निकला सारा माल पी लिया था। रागिनी उठी और आ कर हमारे पास ही बैठ गयी।
रागिनी ने संदीप के होठों का एक चुम्मा ले कर कहा, क्या मस्त चोदते हो तुम लोग। झड़ने का नाम ही नहीं लेते तुम लोगों के लंड। मैं उठी और कपड़े पहनने लगी।
संदीप बोला, “क्या हुआ मालिनी जी, अभी तो साढ़े चार ही हुए हैं।”
साढ़े चार मतलब पांच घंटे चुदाई चली थी हमारी। मैंने कहा, “बस संदीप अब आज चुदाई के लिए और दम नहीं है।” फिर मैंने रागिनी की तरफ देखते हुए पूछा, “रागिनी तम्हें चुदवानी है?”
रागिनी बोली, “बस मालिनी जी अब हिम्मत नहीं। पता नहीं कितना चोदा यही आज इन लोगों ने। मेरी तो चूत, गांड, घुटने सब दुःख रहे हैं अब।”
फिर जैसे रागिनी अपने आप से ही बोली, “आज क्या मेरी तो चार दिन चुदवाने की भी हिम्मत नहीं है।” ये कह कर वो भी उठी और कपड़े पहनने लगी।
असलम भी उठ गया और बोला, “संदीप भाई आज का प्रोग्राम लाजवाब था। मैं आज की चुदाई नहीं भूलूंगा।”
संदीप बोला, “अब कब का प्रोग्राम है असलम?”
असलम बोला, “अभी तो कुछ कह नहीं सकता। जब बनेगा तो मालिनी जी को बताऊंगा।” कह कर उसने भी कपड़े पहन लिए।
संदीप भी उठा और कपड़े पहन कर बोला, “अब बताईये मालिनी जी अब क्या प्रोग्राम है? कुछ खाना या हल्का-फुल्का नाश्ता?”
मैंने कहा, “नहीं संदीप अब चलेंगे। बहुत टाइम हो गया है। आगे-पीछे सब जगह से थकी भी हुई हूं। जा कर नहा कर सोऊंगी।”
पांच घंटे की लगातार हुई चुदाई से थक तो सारे ही चुके थे। हम लोग उठे और बाहर आ गए और रागिनी की कार में बैठ गए। कार चलाते हुए रागिनी बोली, मालिनी जी आज का प्रोग्राम तो सच में ही याद रहेगा।”
फिर शीशे में असलम को देखते हुए बोली, “असलम तुमसे चुदाई करवा के मजा आ गया। तुम्हरा लंड गांड में डलवाने का तो मजा ही कुछ और है। पूरा अंदर तक जाता है।”
असलम हंस पड़ा। मैंने कहा, “बस कर रागिनी। कहीं फिर न तेरी चूत गरम हो जाए। और चुदवाने का मन है क्या?”
रागिनी बोली, “नहीं मालिनी जी अब दम नहीं हैं। लेकिन असलम की चुदाई है बहुत मजे वाली।”
ऐसे ही बातें करते करते हम असलम की होटल पहुंच गए। असलम उतरा और बोला, “मालिनी जी, रागिनी जी आज की चुदाई याद रहेगी।”
रागिनी असलम से बोली, “असलम कब तक हो यहां?” शायद एक बार और चुदवाने का मन था रागिनी का।
असलम बोला, “बस रागिनी जी, कल भर का काम है , परसों की गाड़ी से वापस जा रहा हूं। दिन का ही काम है।”
मैंने कहा, “चलो असलम चलते हैं जाने से पहले फोन कर लेना।”
असलम जाने की लिए मुड़ गया और रागिनी ने गाड़ी स्टार्ट कार दी।
क्लिनिक पहुंच मैं कार से उतरी और रागिनी से बोली, “अंदर आओ रागिनी।”
रागिनी बोली, “नहीं मालिनी जी आज नहीं। बहुत थकान सी हो रही है। अभी तो जा कर आलोक से भी चुदवानी। तीन दिनों से वो काम से लेट आ रहा और आते ही सो जाता था। आज अगर टाइम पर आ गया नहीं चोदे बिना नहीं मानेगा।” ये कह कर रागिनी हंस दी।
मैंने भी कहा, “चलो फिर आना किसी दिन। और हां मानसी को भेजना किसी दिन। उससे पूछूं उसका कैसा चल रहा है।”
“जरूर मालिनी जी ” कह कार रागिनी ने गाड़ी स्टार्ट कर दी और मैं ऊपर चली गयी। मैंने प्रभा को बुला और कुछ हल्का नाश्ता तैयार करने को कहा और नहाने चली गयी। आज हल्का खा कार जल्दी सोने का मन था।
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