पिछला भाग पढ़े:- कॉलेज के लंच ब्रेक में मां की चुदाई देखी-1
अंदर कुछ बोरी रखे हुए थे, जिसके ऊपर मम्मी बैठी हुई थी। और कालू सर मम्मी के पैरों को अपनी कमर में लपेट कर, उनको बाहों में भर कर, उनके होठों के पास अपने काले होंठ रगड़ रहे थे, और मम्मी का यह रुप देख कर मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा था।
क्या यह मेरी मम्मी थी। वही मम्मी जो संस्कारी थी, पूजा पाठ करती थी, कभी किसी पराए मर्द से बात तक नहीं करती थी। आज वह एक कालू के साथ में फंसी हुई थी, और वह बस उसके साथ सब कुछ करने वाली थी।
मैं और रोहन अंदर देख रहे थे। मम्मी कालू सर के काले होंठों को चूस रही थी, और उनके बालों को सहला रही थी। कालू सर मेरे मम्मी के गोरे बदन को अपने हाथों से मसल रहे थे, और मम्मी के गुलाबी होठों को चूस रहे थे।
कालू सर मेरी मम्मी के होंठों को चूसते हुए उनके गालों को चूमते, कभी उनके गर्दन को चूमते, और साथ ही मेरी मम्मी के चूचियों को भी मसलते रहते। मम्मी कालू सर को अपनी बाहों में भर के अपनी चूचियों को दबा रही थी, और उनके होंठ चुसाई का मजा ले रही थी।
फिर कालू सर मेरी मम्मी के साड़ी को उनकी कमर तक उठा दिया, और पैंटी को हाथ से सरका कर के नीचे कर दिया, और फिर पूरी तरह से निकाल कर उसे अपनी जेब में रख कर मेरी मम्मी के टांगों को फैला कर बुर को देखने लगे।
मैं और रोहन पहली बार मेरी मम्मी की बुर को देख रहे थे। अंदर से बिल्कुल गुलाबी थी। ऐसा लग रहा था जैसे पूरा मखमल सा मुलायम हो। कालू सर के काले हाथ मेरी मम्मी की गोरी गुलाबी बुर को मसल रहे थे, और उनकी उंगली मेरी मम्मी की बुर के अंदर-बाहर हो रही थी। थोड़ी ही देर में मम्मी की बुर पानी छोड़ने लगी, और बुर पूरी तरह से चिकना हो गया।
मम्मी कालू सर के लंड को पेंट के ऊपर से ही हाथों से सहला रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे मम्मी आज कोई पोर्न स्टार हो।
फिर कालू सर अपनी पैंट को खोल, और थोड़ा सा नीचे सरका कर लंड को बाहर निकाल कर मम्मी के हाथों में दे दिया। मम्मी उनके लंड को हल्के-हल्के सहलाने लगी, और कालू सर मम्मी के ब्लाउज के ऊपर करके, दोनों चूचियों को निकाल के, बारी-बारी से चूसने लगे।
मम्मी की चूचियां बिल्कुल गोरी थी। देखने में इतनी सुडौल थी कि ऐसा लग रहा था कि अभी जाकर फिर से मम्मी के दूदू को पीने लगूं। रोहन बाहर ही खड़े अपने लंड को हाथों से सहलाने लगा। मम्मी की गोरी मुलायम बुर सामने थी, और उनकी चूचियों को कालू सर चूस रहे थे।
फिर कालू सर ने मम्मी को बोरी पर से नीचे उतारा, और उन्हें झुका कर घोड़ी बना दिया। हम लोग कालू सर के लंड को देख रहे थे। बहुत ही बड़ा था। उस पर काले रंग का मोटा टोपा था, और चमड़ी तो बिल्कुल भी नहीं थी। ऐसा लग रहा था जैसे किसी गधे का लंड हो।
कालू सर मुस्लिम थे, इसलिए उनके लंड के ऊपर किसी प्रकार की चमड़ी नहीं थी। दिखने में लंड का टोपा बहुत ही मोटा था। कालू सर ने मम्मी को नीचे झुका कर, हल्का सा थूक लेकर, अपने लंड पर लगाया, और मम्मी के बुर पर भी थोड़ा सा लगा कर लंड को धीरे से मम्मी की बुर में उतारना शुरू कर दिया।
मम्मी हल्की सी आगे की ओर हो गई। तब कालू सर ने मम्मी के दोनों कंधों को पकड़ कर एक जोर का शॉट मारा, और पूरा लंड मम्मी की बुर में उतार दिया। मम्मी थोड़ी सी चीखी, परंतु कालू सर ने मम्मी के मुंह को दबा दिया, और हल्के-हल्के चूचियों को सहलाना शुरू कर दिया।
मम्मी को धीरे-धीरे मजा आने लगा। फिर कालू सर अपनी रफ्तार को बढ़ाना शुरू कर दिए, और मेरी मम्मी के बुरे को पीछे से चोदने लगे। मम्मी की चुदाई और रफ्तार में हो रही थी। कालू सर मम्मी की बुर को पीछे से चोद रहे थे, और उनकी लटकी हुई चूचियों को दबा रहे थे, और उनकी पीठ और गर्दन को चूम रहे थे। मम्मी बेचारी आंखें बंद करके अपनी चुदाई का पूरा मजा ले रही थी।
मम्मी को इसी तरह से चोदते हुए उनकी चूचियों को दबा रहे थे। फिर मम्मी की बुर से अपना लंड निकाल कर, और मम्मी को ऊपर फिर से बोरी पर बिठाया, और उनकी टांगों को फैला कर बुर में अपना लंड डाल कर, उनकी कमर में अपने हाथ लपेट कर, होंठ को चूसते हुए चोदना शुरू कर दिया। मम्मी भी खूब आनंद में उससे चुदाई का मजा ले रही थी। मम्मी उनके बालों को और पीठ को सहला रही थी, और कालू सर मम्मी की बुर को चोद रहे थे।
इसी तरह काफी देर तक चोदते हुए मम्मी की बुर के ऊपर ही झड़ने लगे। मम्मी के गोरे बदन पर सर का काले रंग की लंड अलग ही रंगीन दिखाई दे रही थी। मम्मी और कालू सर दोनों झड़ कर शांत हो गए थे। अभी भी कालू सर मम्मी के होंठों को चूस रहे थे, और उनके बदन को रगड़ रहे थे।
तभी थोड़ी देर में लंच ब्रेक खत्म होने की बेल बजी, और तब कालू सर मम्मी को छोड़ा, और अपने कपड़े को ठीक कर वहां से निकल गए। हम दोनों दोस्त छुप गए। पहले कालू सर निकल कर नीचे चले गए, और कालू सर मम्मी की पेंटी लेकर चले गए। तो मम्मी ऐसे ही बिना पैंटी के ही अपने आप को ठीक की, और बाहर निकल कर नीचे चली गई। फिर थोड़ी देर बाद हम दोनों दोस्त भी नीचे अपने क्लासरूम में चले गए।
इसी तरह मम्मी और कालू सर के बीच कई दिनों तक यह सब चलता रहा। अब क्लास के हर बच्चे को शक होने लगा था कि मम्मी और कालू सर के बीच कुछ चल रहा था।
क्लास के बाकी मेल टीचर भी मेरी मम्मी को अब अलग नज़र से देखने लगे थे। मम्मी का गोरा बदन अब और भी रंगीन होता जा रहा था। कालू सर के हाथ लगने से उनकी चूचियां और भी सुडौल और उनकी गांड और भी गोल-मटोल हो गई थी। मम्मी का गाल बिल्कुल गुलाबी हो चुका था, और उनकी आंखें तो अब और ज्यादा नशीली हो चुकी थी।
मम्मी और कालू सर कभी भी अकेले में मिलते, और देखते कि आस-पास कोई नहीं है, तब मम्मी कालू सर को पकड़ कर उनके काले होंठों को चूस लेती थी। केवल मैं और रोहन ही जानते थे कि कालू सर और मम्मी के बीच बहुत कुछ हो चुका था। रोहन ने मुझे कई बार मम्मी को कालू सर के साथ वह सब करते हुए दिखाया।
1 दिन संडे था, और दोपहर का समय था। तो उस दिन कॉलेज बंद था। मैं और मम्मी घर पर ही थे, पर पापा किसी काम से बाहर गए हुए थे। दोपहर को आतिफ सर मेरे घर पर आए और मम्मी ने उन्हें चाय नाश्ता दिया।
मैं ऊपर अपने कमरे में पढ़ रहा था कि तभी थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि पूरा सन्नाटा हो गया था। घर में मैं नीचे दबे पाव गया, और देखने की कोशिश किया तो कहीं पर कोई दिखाई नहीं दिया। बाहर का दरवाजा भी बंद था, और मम्मी के कमरे का भी। मैंने की होल से देखने की कोशिश की। मम्मी के दरवाजे के ठीक सामने मम्मी का बेड था, और मम्मी बिल्कुल नंगी और आतिफ सर भी बिल्कुल नंगे बेड पर पड़े हुए थे। मम्मी आतिफ सर के काले मोटे लंड को चूस कर उसके ऊपर बैठ गई। वो कालू सर के काले मोटे लंड अपने बुर में लेकर मस्ती में झूम रही थी, और अपनी चूचियों को दबा रही थी।
कालू सर नीचे बैठ कर मम्मी की चुदाई कर रहे थे, और उनकी चूचियों को दबा रहे थे। मम्मी का गोरा बदन था तो ठीक अपोजिट में कालू सर पूरी तरह से काले थे। उनके काले होंठों को मम्मी बड़े प्यार से चूसती और उनके लंड के धक्के को नीचे से अपने बुर में लेती।
उस दिन की पूरी से खुल्लम चुदाई देख कर मेरे अंदर ना जाने क्या हुआ। मुझे भी मम्मी को चोदने का मन करने लगा। पर मैं मम्मी को कभी भी उस नज़र से नहीं देखा था। उस दिन मैंने मम्मी के गोरे बदन को देखा और जाकर बाथरूम में मुठ मार दिया।