अगले दिन जब मैं घर आया तब दिशा दीदी मेरा इंतजार कर रही थी। मैंने पूछा तो बोली, “भैया आज हम साथ में खाना खाएंगे।” आज मुझे खाना नौकरों ने नहीं दिशा ने बड़े प्यार से परोसा। साथ ही उसने भी खाया, और फिर हम गुड नाइट बोल कर अपने-अपने रुम में चले गए।
उसके बाद मैंने तुरंत किताब खोली और कल वाली स्माईली के आगे कुछ और निशान या फिर कुछ और लिखा है कि नहीं ये देखने लगा, पर कुछ नहीं मिला। मैं तो निराश हुआ। फिर आगे के पन्ने निकाले जहां तक मैंने कल पढ़ा था और निशान लगाया था। मेरी आंखे चमक गई। मैं खुशी से उछल गया, क्योंकी वहां पर एक 👍🏻 ऐसा चित्र निकला था। अब यह तो कन्फर्म हो ही गया कि कोई तो किताब पढ़ रहा था, और मुझे जवाब भी दे रहा था।
फिर मैंने आगे की स्टेप चढ़ने का फैंसला किया। जैसे उस किताब में कहानी अपने चरम पर थी, यानी की भाई-बहन आपस में प्यार करने लगे थे, और उन दोनों मे संबंध भी स्थापित हो चुके थे। फिर मैंने अगली चाल चली। उसके 👍 इस निशान के आगे मैंने 😘 यह निशान बनाया और आगे कुछ पन्ने पढ़ कर निशान लगाया और सो गया।
अगले दिन भी सेम, दिशा ने ही मेरा खाना लगाया और हम साथ मे ही खाना खाने लगे। दिशा बार-बार मुझे घूर रही थी। और बीच-बीच मे स्माईल भी दे रही थी। बहुत ही सुंदर लग रही थी वह मुरत की तरह। लेकिन मैं खाना जल्दी खतम करके अपने रुम में चला गया।
रूम में जाके मैंने जल्दी से किताब निकाली और मैंने कल जहां तक पढ़ा था, वहां का निशान देखा तो मेरी खुशी का कोई ठिकाणा नहीं रहा। उसने वहां पर 💘💘💘 ये वाले इतने निशान और आगे Too You ऐसा लिखा था। मैं तो खुशी से उछलने लगा। पर अब तक ये कौन रिप्लाय कर रहा था, ये नहीं पता था।
अब मैंने एक और चाल चली, फिर मैंने उसके आगे लिखा, “क्या मेरे लिए रास्ता खुला है?” देखते है क्या रिप्लाय आता है? उस रात मैं सो नहीं पाया मुठ मारके सोना पढ़ा।
अगले दिन मैं काम पर देरी से गया और सुनंदा जब सफाई करने आ गई, तो उससे कहां कि, “आज मेरे रूम मे सफाई मत करना। वहां पर मैंने कुछ जरूरी सामान रखा है। कहीं इधर-उधर ना हो जाए,” और उसे रूम मे जाने के लिए मना भी कर दिया। वो ठीक है भैया जी बोल कर चली गई।
फिर मैं काम पर चला गया। आज फैक्ट्री के काम मे भी मन नहीं लग रहा था। पर जैसे-तैसे टाईम पास करके मैं रात को घर आ गया, तो दिशा मेरा इंतजार कर रही थी।
दिशा: भैया आप भी ना बहुत देर करते हो, ज़रा जल्दी आया करो। वर्कर्स तो होते ही है ना, आप तो आया करो टाईम से। हमें इंतजार करना पड़ता है
नील: दिशा तुम खाना खा कर सो जाया करो। मेरी राह मत तका करो।
दिशा: नहीं भैया, मेरा मन नहीं लगता आपके बिना। आप बस जल्दी आया करो।
नील: ओके दीदी, कल से जल्दी आया करूंगा, खुश?
दिशा: प्रॉमिस?
नील: प्रॉमिस।
दिशा: चलो भैया अब खाना खाते है।
मैं सोच रहा था कि दिशा पिछले कुछ दिनों से मेरे से बहुत प्यार से और खुल कर बात करने लगी थी। चलो अच्छा है। हम खाना खा कर, जल्दी से अपने-अपने रुम मे चले गए। जाते ही पहले मैंने किताब देखी।जल्दी-जल्दी मैंने वो पन्ना निकाला जहां मैंने कल लिखा था।
वहां पर अब कोई निशान नहीं था और ना ही कुछ लिखा था। एक छोटा कागज का टुकड़ा था, जो तय लगा कर रखा था। मैंने उसे खोला, तो उसमे परफ्यूम की खुशबू आयी। मेरी खुशी का ठिकाणा नहीं था। दोस्तों, क्योंकि वो परफ्यूम दिशा ही यूज़ करती है। उसका फेवरेट परफ्युम था ये, जिसकी खुशबू मुझे ज्ञात थी। मैंने पहले तो उस चिठ्ठी को सूंघा, फिर किस्स किया और पढ़ने लगा। छोटे अक्षरों मे लिखा था, “मैं तो कब से तैयार हूं, आप ही ध्यान नहीं देते हम पर !”
इतना पढ़ कर मेरा पूरा शरीर सिहर गया। आज मुझे अपनी बहन की ओर से खुला न्योता आया था, वो भी संभोग करने का। आज एक बात और क्लियर हुई थी, ये मेरी बहन ही था, क्योंकी आज मैंने सुनंदा को मेरे रूम मे जाने से मना कर दिया था। सुनंदा और दिशा को छोड़ कर बाकी नौकरों को मेरे बेडरूम मे जाने की परमिशन नहीं थी।
अब यह तो क्लिअर हो चुका था कि मेरे साथ गुफ्तगू करने वाली दिशा थी सुनंदा नहीं। एक बार तो मैं थोड़ा निराश भी हुआ क्योंकि सुनंदा भी दिशा से कम नहीं थी। उतनी ही सुंदर, और सेक्सी थी। दोनों की आयु भी सेम ही थी। सुनंदा के माता-पिता भी हमारे यहां कई सालों से इमानदारी से काम करते थे, और यही पर रहते थे।
सुनंदा भी दिशा के साथ ही पढ़ने जाती थी। फर्क इतना था कि वो हमारे यहां काम करती थी बस। लेकिन अब मुझे सुनंदा नहीं दिशा के उपर ध्यान देना था, सो मैं आगे का सोचने लगा कि मंजिल तक कैसे पहुंचा जा सके?
अब मेरा मन किताब पढ़ने मे नहीं लग रहा था। किताब वाली कहानी मेरी जिंदगी में दोहरा रही थी। मैंने भी एक चिठ्ठी लिख कर रखी, मैंने लिखा, “क्या यह तुम हो? मुझे यकीन नहीं हो रहा, अपनी किस्मत पर।” अगले दिन जवाब आया, “मुझे वाट्सअप पर मेसेज करो।”
दोस्तों अगले पार्ट मे पढ़िए आगे क्या हुआ?