एपिसोड 1: बापू जी का बदलता नजरिया और गोकुलधाम का नया नियम
गोकुलधाम सोसाइटी में सुबह का माहौल हमेशा की तरह हलचल भरा था। सूरज की किरणें सोसाइटी के आंगन में पड़ रही थी, और पक्षियों की चहचहाहट के बीच लोग अपने दिन की शुरुआत कर रहे थे।
जेठालाल अपनी दुकान के लिए तैयार हो रहा था। दया किचन में गरबा गुनगुनाते हुए नाश्ता बना रही थी, और तप्पू अपने दोस्तों के साथ तप्पू सेना की अगली शरारत की योजना बना रहा था।
चंपकलाल, जिन्हें सभी प्यार से बापू जी कहते थे, अपनी सुबह की चाय की चुस्की लेते हुए बालकनी में बैठे थे। सब कुछ वैसा ही था जैसा “तारक मेहता का उल्टा चश्मा” में दिखाया जाता है, हंसी-मजाक, छोटी-मोटी नोक-झोंक, और पड़ोसियों का आपसी प्यार।
सुबह की शुरुआत:-
बापू जी अपनी चाय खत्म करके अखबार पढ़ने लगे। सामने से बबीता अपनी मॉर्निंग वॉक से लौट रही थी। उसने टाइट फिटिंग वाला नीला ट्रैक सूट पहना था, जो उसके कर्व्स को उभार रहा था। बापू जी ने अनजाने में उसकी ओर देखा, और अचानक उनके मन में एक अजीब सी हलचल हुई। बबीता ने मुस्कुराते हुए नमस्ते किया।
बबीता: नमस्ते चाचा जी! आज तो आप बड़े फ्रेश लग रहे हैं।
बापू जी (थोड़ा झेंपते हुए): नमस्ते बेटी, बस यूं ही… तू भी तो बहुत अच्छी लग रही है।
बबीता हंसते हुए चली गई, लेकिन बापू जी का मन अजीब सी बेचैनी से भर गया। उनकी नजरें बबीता की हिलती हुई गांड पर टिकी रह गई। यह उनके लिए नया था। बापू जी ने खुद को टोका, “अरे चंपक, ये क्या सोच रहा है? ये तो गलत है!” लेकिन मन बार-बार उसी दिशा में भटक रहा था।
बेचैनी का बढ़ना:-
दोपहर तक बापू जी की यह बेचैनी बढ़ गई। वे किचन में गए, जहां दया खाना बना रही थी। दया ने अपनी पसंदीदा गुलाबी साड़ी पहनी थी, जो उसके गोरे बदन पर खूब जंच रही थी। साड़ी का पल्लू बार-बार गिर रहा था, और दया के गहरे क्लीवेज साफ दिख रहे थे। बापू जी ने अनजाने में उसकी ओर देखा, और फिर से वही अजीब सी उत्तेजना महसूस की।
बापू जी (मन में): अरे, ये क्या हो रहा है? दया मेरी बहू है, मैं ऐसा कैसे सोच सकता हूं?
बापू जी ने जल्दी से किचन छोड़ दिया और अपने कमरे में चले गए। लेकिन उनकी बेचैनी कम होने का नाम नहीं ले रही थी। शाम को जब माधवी और अंजलि महिला मंडल की मीटिंग के लिए आई, तो बापू जी की नजरें उनकी टाइट साड़ियों और ब्लाउज में कसे हुए बूब्स पर चली गई। वे खुद को रोक नहीं पा रहे थे। रात तक बापू जी इतने परेशान हो गए कि नींद ही नहीं आई।
सोसाइटी की कोशिशें:-
अगले दिन, बापू जी की परेशानी उनके चेहरे पर साफ दिख रही थी। जेठालाल ने पूछा, “बापू जी, आप ठीक तो हैं ना? आज कुछ उदास लग रहे हैं।” बापू जी ने टाल-मटोल किया, लेकिन तारक मेहता ने उनकी हालत भांप ली।
तारक: जेठा, मुझे लगता है चाचा जी को कुछ गंभीर बात परेशान कर रही है। हमें पुरुष मंडल की मीटिंग बुलानी चाहिए।
पुरुष मंडल की मीटिंग में बापू जी ने अपनी परेशानी नहीं बताई, लेकिन सभी ने उनकी हालत देख कर मदद करने की ठानी। डॉ. हाथी ने सुझाव दिया कि शायद बापू जी को योग करना चाहिए। भिड़े ने कहा कि शायद उन्हें मंदिर जाकर ध्यान करना चाहिए। सोढी ने अपनी गाड़ी में लंबी ड्राइव का ऑफर दिया। लेकिन बापू जी पर कोई असर नहीं हुआ।
महिला मंडल ने भी कोशिश की। अंजलि ने बापू जी के लिए हेल्दी जूस बनाया, कोमल ने हल्का खाना बना कर भेजा, और रोशन ने गरबा डांस की क्लास में बुलाया। लेकिन बापू जी की नजरें हर औरत पर उसी कामुक नजर से टिक रही थी। बबीता जब उनके पास बैठ कर बात करने लगी, तो बापू जी का हाल और बिगड़ गया। उनकी सांसें तेज हो गई, और वे जल्दी से उठ कर चले गए।
गोकुलधाम की मीटिंग और बापू जी का खुलासा:-
अब्दुल ने सुझाव दिया कि पूरी सोसाइटी की मीटिंग बुलाई जाए। रात को आंगन में सभी इकट्ठा हुए – जेठालाल, दया, तप्पू, तारक, अंजलि, भिड़े, माधवी, सोनू, डॉ. हाथी, कोमल, गोली, सोढी, रोशन, गोगी, अय्यर, बबीता, पोपटलाल, और अब्दुल। बापू जी ने भारी मन से अपनी परेशानी बताने का फैसला किया।
बापू जी खड़े हुए और बोले: बेटा लोग, आप सब मेरे परिवार जैसे है। मैं आपसे कुछ नहीं छुपाऊंगा। पिछले कुछ दिनों से मेरे मन में अजीब सी बेचैनी है। मैं हर औरत को… गलत नजर से देखने लगा हूं। चाहे वो दया हो, बबीता हो, अंजलि हो, या कोई और। मैं खुद को रोक नहीं पा रहा। ये मेरे लिए बहुत तकलीफदेह है। मैंने बहुत कोशिश की, लेकिन ये बेचैनी कम नहीं हो रही।
सोसाइटी में सन्नाटा छा गया। सभी एक-दूसरे को देखने लगे। जेठालाल थोड़ा असहज हुआ, लेकिन तारक ने उसे शांत किया।
बापू जी ने आगे कहा: मैंने बहुत सोचा, और मुझे लगता है कि इस बेचैनी का एक ही हल है। हमें गोकुलधाम में एक नया नियम बनाना चाहिए। अगर हम सब एक-दूसरे के साथ खुल कर अपनी इच्छाएं पूरी करें, तो शायद ये बेचैनी खत्म हो जाए। मैं सुझाव देता हूं कि गोकुलधाम में हर कोई, चाहे वो पुरुष हो या महिला, अपनी मर्जी से किसी के भी साथ… शारीरिक संबंध बना सकता है। इससे कोई ईर्ष्या, कोई तनाव नहीं रहेगा। हम सब एक परिवार की तरह खुश रहेंगे।
बापू जी का भावुक भाषण:-
बापू जी ने अपनी बात को और स्पष्ट किया: देखो बेटा लोग, जिंदगी बहुत छोटी है। हम हर दिन छोटी-छोटी बातों में उलझे रहते हैं। लेकिन असल में हमें अपनी इच्छाओं को दबाना नहीं चाहिए। अगर हम खुल कर अपनी जरूरतें पूरी करें, तो ना कोई झगड़ा होगा, ना कोई परेशानी। हमारी गोकुलधाम सोसाइटी दुनिया की सबसे अनोखी और खुशहाल सोसाइटी होगी। मैं आप सब से गुजारिश करता हूं कि इस बारे में खुलकर सोचो।
सोसाइटी का विचार-विमर्श:-
बापू जी की बात सुन कर सभी हैरान थे। जेठालाल ने पहले तो हकलाते हुए कहा, “बापू जी, ये आप क्या कह रहे हैं?” लेकिन दया ने उसे चुप कराया और बोली, “जेठा जी, बापू जी सही कह रहे हैं। अगर सब की सहमति हो, तो इसमें गलत क्या है?”
तारक ने गंभीरता से कहा, “चाचा जी का सुझाव नया है, लेकिन हमें इसे समझने की जरूरत है। अगर हम सब सहमत हों, तो शायद ये हमारी सोसाइटी को और करीब लाए।”
अंजलि ने हंसते हुए कहा, “वैसे, अगर सब खुश रहेंगे, तो मुझे कोई दिक्कत नहीं।”
बबीता ने शरमाते हुए कहा, “चाचा जी, आपकी बात में दम है। लेकिन हमें नियम बनाना होगा कि कोई जबरदस्ती ना हो।”
भिड़े ने थोड़ा हिचकते हुए कहा, “मुझे तो थोड़ा अजीब लग रहा है, लेकिन अगर माधवी को ठीक लगता है, तो मैं मान जाऊंगा।”
माधवी ने हंसते हुए कहा, “भिड़े, तुम भी ना! अगर चाचा जी कह रहे हैं, तो कुछ तो सोचा होगा।”
सोढी ने जोर से हंसते हुए कहा, “अरे, अगर रोशन को कोई दिक्कत नहीं, तो मैं तो तैयार हूं!”
पोपटलाल ने उत्साह से कहा, “चाचा जी, ये तो मेरे लिए जन्नत है! मैं तो हां कहता हूं!”
तप्पू, सोनू, गोगी, और गोली जैसे युवा चुप थे, लेकिन उनकी आंखों में उत्साह साफ दिख रहा था। अब्दुल ने कहा, “मैं भले ही सोसाइटी में नहीं रहता, लेकिन आप सब के साथ हूं।”
अंतिम फैसला:-
कई घंटों की चर्चा के बाद, सभी ने बापू जी के सुझाव को स्वीकार कर लिया। एक नया नियम बनाया गया-
– गोकुलधाम में कोई भी अपनी मर्जी से किसी के साथ भी शारीरिक संबंध बना सकता है, बशर्ते दोनों की सहमति हो।
– कोई जबरदस्ती नहीं होगी।
– यह नियम सोसाइटी को और करीब लाने के लिए है, ना कि तोड़ने के लिए।
बापू जी ने राहत की सांस ली और बोले, “बेटा लोग, अब मेरी बेचैनी कम होगी। अब हम सब मिल कर एक नई गोकुलधाम बनाएंगे।”
सोसाइटी में उत्साह का माहौल था। सभी अपने-अपने घरों को लौट गए, लेकिन मन में एक नई उत्तेजना थी। अगले पार्ट में जानिए इस नए नियम का पहला असर क्या होता है।
अगर तुम्हारे पास कुछ सुझाव हों तो उन्हें “[email protected]” पर मेल कर देना।
अगला भाग पढ़े:- TMKOC की नई दुनिया-2